लहानपन
संग संग चल ,नोको सोड़ू साथ
संगी स्कुल चल, धर मोरो हात।।
धिरू धिरू चल,नही लग जोर
दिव्यांग मी सेना , कुबड़ी कमजोर।।
बैसाखी हातमा ,भार ओकं पर
सुटबुट मा से,तरी हात खांदपर।।
भेदाभेद नहीं,आनंदित मन
खेल खेलं सेती ,रव्हना तपन।।
चल लगी शर्यत , नही कमजोर
मी परावु पुढ,लगायके जोर।।
चल मस्त काही खेल खेलबिन
बालपनको आनंद लुटबिन।।
तू धरजो मंजा,दोर मी धरू
उळे पतंग आकाशमा पाखरू।।
नहीं भेदा भाव,निरागस मन
मुहुन देव दे सबला लहान पन।।
जय राजा भोज जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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