दशरथ नंदन कौशल्या पुत्र वीर क्षत्रीय राम
अयोध्या नगरी सुंदर जहान जलम्या श्रीराम
जनक नंदिनी,मिथिला कुमारी सुकुमारी सीता
भूमी मा मिली जब नांगर चलाय जनक पिता
परशुराम बिसर गया शिवधनुष्य मिथिलामा
दिव्य शिवधनुष् खेलन बसी सीता आंगनमा
जनक नंदिनी सुकुमारी स्वयंवर से सीता को
चढ़ाये प्रत्यंचा शिवधनुष्यपर पती होये ओको
धनुष्य तोडकर रामजी बन्या सीता का भ्रतार
चली जानकी अयोध्या संग जगको पालनहार
जगमा सुंदर से एकही नाव बोलो सब सियाराम
सुंदर दिव्यज्योति जगे मनमा नहीं मायाको काम
आदिशक्ति स्वरूप सीता, विष्णुको अवतार राम
ज्योति दिव्य जगाओ मनमा लेवों सब राम नाम
राम नाम ही अंतिम सत्य से येन मोहमई जगमा
बेड़ापार होये सबको सीताराम नाव प्यारो सबमा
✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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