पिरम को झोरा
बाई मोरो माहेर माहेर
सुख समृद्धी को झोरा
भाई भोवजाई रामुसिता
माता पिता अनमोल मोरा
झोरामा लहानपणकी याद
भाईसंग रमकेव चौसरको खेल
नहीं झगडा भयेव् आमरों बाई
भाई संग से जीवनभर को मेल
माहेरको झोरामासे भक्ती भाव
पिता मोरा संत किरतनमा दंग
माय माउली मोरी सादीभोळी
पदरमा ओको सुख का सब रंग
माहेरको झोराला भाऊक किनार
भजा भजी लक भरेव से पंढरपूर
दुय दिवस महेरका भेट विठ्ठलकी
प्रेम भाव लक भर जासे मोरो उर
सागरला भेटन नदी रूप लेयकर
टुटेव मोहपाश सोड आयी माहेर
तरी मन मोरो पाखरू बनकर
भाप बनकर उड जासे मायघर
✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
झोऱ्या
मन उडत उडत
जासे किडनगीपार गाव
अजी को हातमा
बजार को झोरया देखकन
मोरो तोंडमा पानी आव
मोरो इस्कुल को झोरया मा
रव्ह पाटी ना कलम
गुरुजीन लिखनला सांगिस
त मोरी सरसर कलम चल
कोणी पाहुना आया
त मी टुकुर टुकुर
देखु उनको झोरया कण
अन खाजो भेट्यव खानला
त मंग बडी मजा आव
✍️ सौ. श्रुती टेंभरे बघेले
झोरा
झोरा मोरो खाली
मी मांगसू दान
आपलो परी देओ
राखो ऐको मान
पहले घर आयोव
वू प्रहरी को घर
पोवारी सरिता लक
भाऊ यन झोराला भर
दुसरो घर गयोव
भेटी वर्षाबाई,छाया माई
ज्योत पोवारी की या
पेटाव बडी बाई
तिसरो मोहलामा
सोनु भाऊ, दिपक भाऊ
समाज संघटन ला
कही नोको जान देऊ
उभा देवेंद्र भाऊ
तुम्ही गजल सम्राट
कर्मरथी तुमी
बढाव यन झोरा को थाट
सुफडा भरकन आयी
वंदनाबाई अना बिंदु बाई
पोवारी की स्वर्ण माटी
कहे धर मोरो भाई
ऋषी भाऊ, नरेश भाऊ,विशाल भाऊ
देईन पोवार की मशाल
राजा भोज का वंशज
जा उची ठेव पोवारी ढाल
गुलाब भाऊ डि.पी.राहांगडाले सर
पोवार भगिर्थी
ले पोवारी गंगा
सुजलाम सुफलाम कर धरती
महेंद्रभाऊ ओ सी पटले सर
देईन पोवारी धर्म पताका
जगाव जन जन
नोको डुबन देव पोवारी नौका
हिरदीलाल भाऊ, सी. चौधरी सर
पोवारी का वारकरी
झोरा मा देयकन दान
बण्या मोरा साथकरी
गोवर्धन भाऊ, डी. राहांगडाले भाऊ
देईन पोवारी गीता
होये धर्म को जीत
साक्षी गडकाली माता
रंदिप,पालिक सर,शेखराम सर
आयोव सिंदीपार गाव
देईन पोवारी परिस
बने पोवार की छाव
धन्य मोरो झोरा
फिरेव गाव गाव
सब पोवार भाई बहन न्
बनाईन यला देव
शेषराव वासुदेव येळेकर
दि १४/०२/२१
झोरा
बहूत लहान होतो मी पयली मा
धरस्यानी जाऊ पुस्तकी झोरा मा
लोकर लका सीव् मोठी बहिन वोला
विद्या को साठा रव्ह झोरा मा
माय मोरी शिदोरी लिजाय वोकोमा
फाटेव, थेगुर लगेव रव्ह वोला
भाजी पालो साती देखेव वोला बजार मा
थैला को आसपास रहेव किशोरपणमा
युवा भयेव देखेव मी डोरामा
जवानी मोरी दिसी झोरामा
संकुचित भयेव आता घर मा
गृहस्थी बसायेव, व्याप्त भयेव झोरामा
अधेड भयेव देखेव आता रातमा
दिसेव आकाश प्रदिर्घ तारामा
जिवन मोरो आकाश नही
समायेव मी व्याप्त आकार को झोरामा
झोरा देखव बचपन मा
वोला समझेव जवानी मा
लाडू चिवडा साती झोरा बचेव बुढापामा
जाऊ मी बेटी घर, सुख का आसु रोये बेटी मोरी देख झोरामा...
~ विरेंद्र (भिमु) कटरे
झोरा
पोता को रस्सी को झोरा मोला याद से
वोको मा वस्तु आनन लिजान को काम पडसे
कपडा को झोरा बजार मा जान साती रव्हसे
वोका मा आलु, बगन, भेदरा माय मोरी आनसे
भर स्यानी सिदोरी माय झोराला लिजासे
बहूत काम की चिज या, बहूत काम मा आवसे
आजा मोरो जब खाजो आन् वोकोमा
मी बडो आस लेका देखु झोरामा
जिवन मा बहू महत्व झोराको
वोको बिन सामुग्री कसी साठाओ?
रंग रंग का झोरा देखेव
लेकिन बस्तावालो झोरा मोला अज याद आयेव
- सोनू भगत
झो-या (झोरा,थैला)
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झो-या रे झो-या काय तोरो तोरा
लहान ना मोठा रूप सेती केतरा
कपळा का झोरा अलग अलग रंग
लटकावु, झोका देसेत हवाक संग
तोर बिना दिवस नही जाय कोरो
बजार जाऊन त तूच संगी मोरो
तोर बिना बजारको ओझो आव नही
कान वाणी दीससेती कस्सा तोरा दुही
किराणो रव्ह या रव्ह भाजीपाला
ठुसशान भरसेती,तकलिफ तोला
दुकान पर जाऊन तरी तोरोच काम
मणुन का चढ् गयेव तोरोच रे दाम
तोर बिना माहेरको खाजो नही आव
जीन्दगी मा तोरो से रे भलतोच भाव
झिल्ली का झो-या सप्पा बंद भया
मणुनच सब कर सेती तोरीच माया.
पर्यावरण ला नाहाय धोको तोरलका
जनताकी सेवा कर फळ भेटे बाका.
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डी पी राहांगडाले
गोंदिया
पोता को रस्सी को झोरा मोला याद से
वोको मा वस्तु आनन लिजान को काम पडसे
कपडा को झोरा बजार मा जान साती रव्हसे
वोका मा आलु, बगन, भेदरा माय मोरी आनसे
भर स्यानी सिदोरी माय झोराला लिजासे
बहूत काम की चिज या, बहूत काम मा आवसे
आजा मोरो जब खाजो आन् वोकोमा
मी बडो आस लेका देखु झोरामा
जिवन मा बहू महत्व झोराको
वोको बिन सामुग्री कसी साठाओ?
रंग रंग का झोरा देखेव
लेकिन बस्तावालो झोरा मोला अज याद आयेव
- सोनू भगत
झोरा
लहानपन मा अजी,
धरशान हातमा झोरा।
दुकान लका आन,
नविन कपडा मोरा ॥
नविन कपडा देखशान,
खुशी होय मनमा।
टाकशान देखु कपडा,
पयले आपलो तनमा ॥
मामाजी आन झोरामा,
चिवळा अना लाळू।
मायला चिपकेव रव,
खानला आमरो बाळू ॥
शाळा जाजन धरशान,
पाटी पुस्तकको झोरा।
सब टुराईन को सामने,
अभ्यास मा मोरो तोरा ॥
भाजी पालो आन माय,
झोरामा जायशान हाट ।
बजारको खाजो साठी,
देखजन आमी बाट ॥
झोरा धरशान पिवळो,
पोस्टमेन जब आव।
बाट देखजन चिठ्ठीकी,
आवाज दे सबका नाव ॥
उपयोगी असो झोरा,
आवसे सबको कामला ।
फाट जाये तरी आवसे,
झाडू पोछा को कामला ॥
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)
विषय - झोरा
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टुरा क् लहानपण बाळतपण
को सामान आवसे झोरा मा,
खाजो खजकुलो बी आवसे
बजार लक हर बार झोरा मा.
स्कूल जानोपर दप्तर बी झोराच,
कपडा लत्ता भरन को बॅग बी झोराच.
दुकानल् किराना आनन साती झोराच,
बजारल् सब्जी आनन साती बी झोराच.
चक्कीपर आटा पिसन लिजान साती झोराच,
खेतल् आंबा, टोरूंबा आननसाती झोराच.
बॅग, सूटकेस बी एक प्रकार का झोराच,
बोरा, बोरी, गोना बी मोठावाला झोराच.
टुरी साती खाजो पठायेव जासे झोरा मा,
बहूसाती मायघरल् खाजो बी आवसे झोरामा.
जेको मा कोणतोबी सामान आवसे वु झोराच,
प्लास्टिक की पोतळी बी एक झोराच.
बिह्या को सामान आननसाती झोराच,
खाजो मा का झोलना, खलता बी झोराच.
आखिर मा मय्यत को सामान बी आवसे झोरामा,
मरघट मा खानका पोहा बी जासेती झोरामा.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
पोवारी इतिहास साहित्य अन उत्कर्ष द्वारा आयोजित
विषय: झोरा
बड़ो काम की चीज़ से बाई,
लाख काम मा आवसे,
कपड़ा लता भर बाई,
झोरा यो मोला कवसे।।
बचपन को संगी ,
होतो मोरो झोरा,
पाटी-पुस्तक धरस्यान,
जात होती शाळा।।
माय लिजाय ,
बाप की शिदोरी,
चटनी भाकर की,
रव वा जोड़ी।।
रहो पोता को,
या रव दोरी को,
उपयोग मा से,
बड़ो यों झोरा।।
कु .कल्याणी पटले
दिघोरी,नागपुर
झोरा
वू कपडा ज्यूट को झोरा
भूल गयात का गा?
आमरो जिगरी दोस्त
बांधीस जिनगी को धागा ||१||
बजार हाट जान साती
चौकोण्या बुड वालो
बटन चैन वालो
नायलॉन को कसा वालो ||२||
झोरा का कई रूप सेती
नहान अना मोठा
खलता झोलना पिवसी पोता
भिक्षू पांगुर को ओटा ||३||
फाटेव फुलपँटको झोऱ्यामा
लिजाया पिसावन
खेतमा लीजाया मोहू
टोरी तोर संगरावन ||४||
माहेरको खाजो को झोऱ्या
बाट देखं टुरी
खायके पिरेम का दाना
काया तिरपत पूरी ||५||
गरोमा हिलगेव लंबो
कसावालो झोरा
ऑफिस वरी टवसं वोला
कंबर को करदोरा ||६||
पाटी कलम पुस्तक भरेव
कपडा सुत को झोरा
इस्कूल म गायाता मटकात
इटकात छोरी छोरा ||७||
पोस्टमन झोरामा भरके
आनत होतो लेटर
झोरा बिणा सबको
अड जात होतो खेटर ||८||
आता आया नवा नवा
रंगंरंग का थैला
काही फायबर का अना
प्लास्टिक का विषैला ||९||
हानिकारक प्लास्टिक कन
करके काना डोरा
अपनाओ पर्यावरण पूरक
कपडा ज्यूट का झोरा ||१०||
________________________________
डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
झोरा
झोलना खलता की राज पुरानी भई
बदलेव जमानो झोरा की चलन आई
झोरा बन्या रंग नं रंग को कपडा का
टिकाऊ बडा खादी को धागा का
कभी हातकी तं कभी सिपीकी सिलाई
सूत को झोरा मोठो दिसनला सुंदर
कपडाको अस्तर लगावत वोको अंदर
कलाकुसर नक्षी की सें वोकी बुनाई
वायर को झोरा की चलन आयी बादमा
बजार-किराणा आणन लिजाती साथमा
झोरामा भरजन पाटी-पुस्तकं दौत शाई
झोराभर आवंसें माहेरको खाजो-खजुला
माय को ममता को अंश रवंसें वोला
खाजो आण सें बेटी घरं बाप-भाई
कपडा कागज को आता झोरा वापरो
पर्यावरण बचावनो सें फर्ज आमरो
झिल्ली लक कॅन्सर की बिमारी आई
शारदा चौधरी
भंडारा
(झोरा/झोला/थैला)
पोतड़ी को सायनो अजी को झोरा,
वोको मा रहवत होतीन सपन मोरा.
मी होतो घरको एखलो नाती बाड़ू,
अजी आनत होतो कुटकी का लाड़ू.
मोरा सब सपन तब टूट जात होतीन,
आवत जब घर मोरी फूफू का टुरी-टुरा.
अजी जब भी हाट ल आवत होतीन,
झोरा ततरत होतीन सब नाती-नातिन,
मन ललच जात होतो झोरा ला देख,
सबला दिखत होतो अजी को कोरा.
अजी की आलमारी मा, कपड़ा को झोरा,
वोको मा कहानी-किस्सा हिनको पुड़ा.
सबकी जन्मतिथि, अंकसूची का कागज,
जमीन-जायजाद हिनका दस्तावेज़ पूरा.
पोतड़ी को सायनो अजी को झोरा,
वोको मा रहवत होतीन सपन मोरा.
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)
दिनांक-14/02/2021
झोरा /झोला /थैला
मी सेऊ इक रंग बिरंगों कपड़ा को झोला,
अज को युग न जहर मोरी जिंदगी मा घोला l
सब मोला भूल गई सेत पालस्टिक की चमक मा,
यो साजरो नहाय मानुष तुम सबको हक मा l
घुट घुट कर रहयो मी अब लक काही नहीं बोला l
मी सेऊ इक रंग बिरंगों कपड़ा को झोला,
अज को युग न जहर मोरी जिंदगी मा घोला l
समय बदलसे अन घुरा का भी दिन फिरसे,
अज प्रकृति तुम सबला सबक सिखाइरहिसे l
केतरी बिमारियों मा डूबी से तोरो या चोला
मी सेऊ इक रंग बिरंगों कपड़ा को झोला,
अज को युग न जहर मोरी जिंदगी मा घोला l
आता तुम सबला मोरी याद आय रही से,
मी खुश भी सेऊ बुराई की ईमारत ढही से l
घर मा बनाय लो तुम सब संगी साथी मोला l
मी सेऊ इक रंग बिरंगों कपड़ा को झोला,
अज को युग न जहर मोरी जिंदगी मा घोला l
इक बात कसू मी इक वादा तुम सब कर ल्यो,
तुम्ही सब पिलास्टिक ला बाय बाय कर ल्यो l
प्रदुषण लक भी बचाऊ कह देसू मानुष तोला l
मी सेऊ इक रंग बिरंगों कपड़ा को झोला,
अज को युग न जहर मोरी जिंदगी मा घोला l
अलका चौधरी
बालाघाट
मेहनत को झोरा
भय गयी से बजार की बेरा,
देवो मोला आता मोठो झोरा ll
आनू आलु भट्टा अना भेदरा,
ज्यादा वजन होये टँगवू झोरा ll
पीठको आवसे पिसावन झोरा मा,
गावतर का कपड़ा झोरा मा ll
फुफाबाई को खाजो झोरा मा,
किरानो सामान आवसे झोरा मा ll
पर्यावरण पुरक से आमरो झोरा,
बिसरो नोको बाजार को झोरा ll
सबको को डब्ब्बा लिजासे झोरा,
काम आवसे मेहनत को झोरा ll
************************
डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
विषय:- झोरा
शिर्षक:- आता एक झोऱ्या देय दे माय.....
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आये बुढापा, थक जायेत हात पाय
आता एक झोऱ्या, देय दे माय....||धृ||
आणू कसू बजारलक, लेयके बाली पोलका
जुता आननो सेत, चमडाको सोलका
बजारलक आयेवपर, देजो दूधपरकी साय
आता एक झोऱ्या, देय दे माय....||१||
झोऱ्या मोठा रंगीबेरंगी, या पांढराफटक
कपडाका भया जुना, लगी प्लास्टीक चटक
फाट्या झोऱ्या खायके, मर जासेत गाय
आता एक झोऱ्या, देय दे माय....||२||
कपडालत्ता, पाटीपुस्तक, सब संभाल लेसे झोऱ्या
खाजोकी आस रव्हसे, भले रव्ह पायली सोऱ्या
प्रेमभाव को नातालक, पिलाय देवो चाय
आता एक झोऱ्या, देय दे माय....||३||
एक झोऱ्या असो देजो, जेकोमा संभालू नाता
माणूस समजके सबको, चलावत जावू खाता
समाधानी नेटवर्कको सबला देवू वायफाय
आता एक झोऱ्या देय दे माय....||४||
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✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज)
ता. १४/०२/२०२१
विषय-झो-या(दोरा ,थैला)
काव्य प्रकार-अभंग
विकास को झो-या
थैलायो कामको,बरसात मा मो-या
बजारमा झो-या, उपयोगी।।
लहान ना मोठा, अनेक आकार
निराड़ा प्रकार,दिससेती।।
बिह्यामा भी काम,तांदुळ भरनो
दस्तुर करनो,खलताको।।
शाहानी मायकी,लहान पिवशी
शान बटवाकी, देखोजरा।।
बदल्या दिवस,झो-याभी बदल्या
बॅगरुप भया,सुटकेश।।
कपडा़ की जागा, लेदर दिससे
विकास भयीसे, कलाकारी।।
असो उपयोगी,झो-या यो सबला
सामान ठेवनला,बजारमा।।
""जय राजा भोज,जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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