Tuesday, February 9, 2021

खराड़ी 24


खार(खाड्‌डी)
 तारीख:- 8/2/2021 
                       
खाड्‌डी कहु का कहु खारु ताई 
काहां ज़ासेसत  तु  घाई  घाई 

झाऴपरा बसेरा खालत्या वरत्या 
थकस नही का तु आवताजाता 

सरसर झाऴपर परात ज़ासेस 
पटन्यारी तु खालत्या आवसेस

दुय पायपर तु  उभी रव्हसेस 
ईतन उत्तन टुकटूक देखसेस

लहान लहान सेती तोरा ङोरा
लहानसा कान देखावसेस तोरा

आंबा टोरूंबा चावलक खासेस
कोणी आवसेका कानोसा लेसेस

लहानसो जिवसे पर  चतुर दिससे
तोरोमा भी भगवानको वास से
               
डी पी राहांगडाले
        गोंदिया


खाड्डी

नटखट बडी अलबेली 
छुईमुई की मुरत खराड़ी
पल मा छिप छिप जासे
फिरसे कुपाटी बाड़ी बाड़ी

चंचलता वा सतर्क नजर
कान टवकार कर देखसे
झुब्बेदार रेशमी लंबी पुसटी
नानाजी की मिशी लगसे

ठहर ठहर वा मज्या लक्
नाचत ठुमकत मस्त चलसे
फ़िरफिर देखसे इतनउतन
जसी नवरी सुसरो घरं जासे

खारू बाई तू आव ना इतन
खेल खेलबिन टाळी चटकाय
झाड़पर चंगके जाम तोड़जो
खाबिन तोंड मटकाय मटकाय

होये तोरो बीह्या तब मी आऊन
नवरानवरी साती अंगुर संतरा आणु
रहो सुखी समाधानी मोरो बगीचामा
तोरी मोरी दोस्ती जन्मभर की जानू

- सोनू भगत


खाडी

दाना,चना कुटुकुटुर
पटपट दात ल खासे
अजी को खोकला आयके
पटन्यारी झाडपर चग जासे

सुंदर सुंदर डोरालका
मुटुरमुटुर खाडी देखसे
घरपर वाराई माय की कुरोडी
चवलका मस्त खासे

जोडी लका फीरसे
झुपका वाली पुस्टी उठावदार
लहान टुरुपोटु करसेत
खाडी बाईको बडो लाड प्यार

फुदुक फुदुक छलांग मारसे
घडीभर यहा त घडीभर वहा
मोठो झाड को ढोली मा
खाडी बाई को बसेरा जहां वहां

फुर्ताई से काम मा बडी
समय की बडी पाबंद
कभी झाडपर कभी खालती
करो घडीभर डोरा बंद

सौ. वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया

खाड्डी

सुंदर सलोनी प्यारी खाड्डी
आंगणमा मोरो खेल रही से
टुकुर् टूकुर् देखसे मोरोकन
जसो जनमो को मेल रही से

मखमली रेशमी पुसटी ओकि
जब् जब् मोरपंखसी फुलावसे
सुंदर रूप मनोहर लहानसो
घुंघट नवरी बाई जसो लगसे

झाड का कच्चा पक्का फल
जाम अनार तोडकर आणसे
भिर भिर नजर ओकी बावरी
इठलाय इठलाय फल खासे


चिरप चीरप की मधुर आवाज 
घर बगिया मा गुंजन करसे
बड़ी लाजरी अना भिवकुडी
झट झुडूप मा लुकाय जासे

झाड़ को कोठरमा घर लहानसो
चिंदि, पट्टा, धागा लक सजावसे
तीन सुंदर उभा पट्टा तनपर येको
पुसटी सुंदरता की खान बनावसे

रामसेतु बनावन हातभार लगावसे
अापलो नहानसो बाटा उचलसे
रामप्रेम प्रतीक की तनपर निशानी 
रामनाम संग जेकों, जगमा अमर होसेत
  
सौ छाया सुरेंद्र पारधी



खाड्डी

सर सर झाडपर, सर सर खाल्या।
देखशान खाड्डी, हास खुब बाल्या ॥1॥

सोनेरी सेत केस, टपोरा ओका डोळा।
चिटुकलो पिटुकलो, मन साधो भोळा ॥2॥

मऊ मऊ आंग, जसो मखमली पान।
झुबकेदार पुस्टीलक, झाळसे पुरो रान ॥3॥

मुंगफल्ली का फोल, सोलं कडकडम।
चटकन खाय दाना, करं गुटगुटम ॥4॥

टुक टुक न्याहारशान, देखतच वा रव्हसे।
टवकारसे टिल्ला कान, आवाजलक परासे ॥5॥

रामसेतु बांधणो मा, होतो येको हिस्सा। 
म्हणुन रामायण मा, आयीसे येको किस्सा॥6॥

उचो उचो झाडपर, रव्हसे इनकी बस्ती ।
सेंग देसे बाल्या मणुन, से ओकी दोस्ती ॥7॥

*- इंजि. गोवर्धन बिसेन, बडेगांव (गोंदिया)*

      
   खाड़ी (खारु बाई)


एक होती चिमनी बाई,
एक होती खारु बाई,
अज सकारी उठ्यो पर,
इनकी मोला याद आयी।।

तुरु-तुरु धाव से,
चिऊ-चिऊ गावसे,
इनला देखके सबला,
मज़ा मोठी आवसे।।

कारो-पांढरो रंग से,
झुपकेदार से पुस्टि,
चिमनी बाई संग मिलके,
दुई करसेत मोठी मस्ती।।

खारु बाई झाड़ परा,
फुदुक-फुदुक नाचसे,
चिमनी बाई संग मिलके,
पकड़म- पकड़ाई खेल से।।

संगी सेती एक दूसरी की,
मिलकर मज़ा करसेत,
आवसेत घर आंगन मा
चुल-बुल ये मचावसेत।।


          कु. कल्याणी पटले
            दिघोरी,नागपुर


    :खाड़ी

खाड़ी बाई खाड़ी बाई ,
कहा जासेस घाई घाईं,
जाम को बगीचामा , 
का आंबा की अमराई।।

येन झाड को वोन झाड़,
कूद सेस तु मोठी ,
तुरू तुरु धावसेस, 
कद लका सेस छोटी।।

मोटो मोटो झाड परा, 
तोरी रवसे बस्ती, 
खानला भेट्यो त,
खाड़ी बाईकरसे मस्ती।।
       
 हुशार मोठी सेस बाई, 
नजर तोरी दुर दूर      
दिस्या कोनी पराय जसेस,
आवाज आयकके सुर सुर।।

कोमल नाजुक तोरो शरीर ,
झुपके दार पुस्टि से,
दुय हात,दुय पाय,
आंबा की अमराई बस्ती से।।

कारो-पांढरो पट्टा लका, 
दिससेस मोठी साजरी,
आवजोस मोरो घर बाई ,
देऊ मी खानला तोला बाजरी।।
    
      सौ.लता पटले
       दिघोरी, नागपुर

      खाडी
        

येन झाडपरल् वोन् झाडपर 
फिरत रव्हसे दिवस भर, 
खाल्याल् वो-ह्या, वो-ह्याल् खाल्या
आत जात रव्हसे सर सर. 

आंबा ना जांब खासे शौकल् 
कणीस का दाना बी खासे, 
थोडो से खटका भेटेव पर 
धूम ठोकस्यार पराय जासे. 

हल्का कारा, पांढरा पट्टा 
रव्हसेती खाडी क् शरीरपर, 
झुपकावानी मोटी पुस्टी 
ना नरम नरम बाल बी सुंदर. 

लहान लहान बारीक डोरा 
ना उंदारावानी वोका कान, 
दुय हात मा धरकर फल 
खात रव्हसे मस्त आलीशान. 


                  चिरंजीव बिसेन
                             गोंदिया


खाडी

फूंदक फुदक करे इतन उतन,
घड़ी भर इतन घड़ीभर उतन ll

सुंदर प्यारी रुप निराली खाडी,
सबकी प्यारी दुलारी से खाडी ll

तूरु पोटु ला मज्या बहुत चखाये,
खाडी रानी जब जवर आये ll

बालक मन ला बहुत भाये,
खाडी रानी आपरो खेल देखाये ll

फुदक फुदक आंगन मा आये,
बड़ो चाव लक दाना खाये ll

जल्दी लक झाड पर चग जाये,
खाडी रानी कन कोणी धाये ll

खाडी का मिलकर गुण सब गावो,
मिलकर येको जीवन बचावो ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

दि. ०८.०२.२०२१ (सोम्मार)
               खाड्डी

खरगोश की मावस्ं बहिण
देख लेव खाड्डीमा
हर जागं दिसे, जंगल 
गाव खेतबाड़ीमा ॥१॥

झाड़पर लका सरसर 
फुदकंसे लगायके छलांग
रुबाबदार बैठक देखो
मोडके लंबी टांग ॥२॥

आबं चंघी आबं उतरी
कितं गयी कजाने
थकवा नही आवं का?
येला राम जाने ॥३॥

टपो-या डोरामा काजर
टवकार्ं से कान 
टुकूर टुकूर चौकन्नी
इत्ं उत्ं वोको ध्यान ॥४॥

मखमली आंग सुंदर
झुबकेदार पुसटी
चिरिप चिरिप अवाजमा
करं इरभर गोस्टी ॥५॥

पाठ परा रामजीको
उंगलीकी निशाणी
झाड़की कोठरीमा 
घर बनाव्ंसे शाहानी ॥६॥

बसक्यारी दाणा खासेत
छोटा छोटा हात
कड़कड़ फोडं सेत फल
लंबा टणक दात ॥७॥

नाजुक शर्मिली भोलीकी
मिशी उंदरावानी
टूणटूण उड़ी मारं से
झाड़परा बंदरावानी ॥८॥

चपल चंचल खाड्डी ला
धरनो तार की कसरत
नटखट कोमल शरारतीला
कुरवाडू, मोरी हसरत ॥९॥

डॉ. प्रल्हाद र. हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

 खराडी

खराडी से मालकीन
जंगलकी ,खेतकि 
खराडी से शान
आमर् बाडीकी//

कोमल मऊ,आंग वको
शेपुट वकि झुपकेदार
रामजीको आशिष वला
पाट कशी पट्टेदार//

लहान शेकरुच से खाड्डी मोरी
रवसे भुरकट लाल
छलांग मारसे झाडलका
धाव वकि कमाल!//

झाडपरा डेरा वको
लपसे धुराक् गड्डामा
कुतरायला थकाय देसे
आखिर जासे झोरामा्//

फासा मांडसेती झाडपरा
लगावसेती भात
कोमल खारूताईको 
शिकारी करसेत घात//

सायकलमा् गाडीमा्बि आयजासे
खाड्डी चंचल नार
दाणासाठी आंगण घरमा्
चबावसे दार//

जगन देव वलाबि
वलाबि से अधिकार
हर जीवला जगन देवो
समय कि से पुकार//

पालिकचंद बिसने
सिंदीपार (लाखनी)

                खाड्डी 

खाड्डी बाई खाडी चोवंसेस बडी सुंदर
झाडपर चंघसेस तू बडी  सरसर

कोमल कांती जसी रेशमी लोकरको दोरा
झुपकेदार पुस्टी हलायकर देखावंसेस तोरा

सोनेरी केस तोरा टपोरी कारा डोरा
भिरभिर नजर फिरावंसे टकमक देखकरा

दुय पायपर बसकर कुरतळसेस दाना
मौज मस्ती करंसेस फुदक-फुदक कना

आंगपर दिसंसेत तीन कारा पांढरा पट्टा
खिराडीबाई खासे ताजा फल मिठा मिठा

गोजिरवाणी भिवक्कड खाड्डी जासे दूरदूर
खेलंसें संग मोरो लाजरी परासे तूरतूर

सांगसे आमला गोष्टी चिरीप चिरीप बोलकर
संसार थाटसें कोठरी मा झाड-झडूला पर

रामसेतू बांधन मा सें तोरो कार्य महान
रामहस्त प्रतीक का सेत पाठ पर निशाण

                                      शारदा चौधरी 
                                          भंडारा
आयोजक: सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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