एक सालका बारा महीना. ना बारा महीना का सय ऋतु.बसन्त, ग्रीस्म, वर्षा, शरद, हेमंत ना शीशीर. बसंत ऋतु मार्च - एप्रील मा आवसे. २२ मार्च ला
दिवस ना रात बराबर होसेती. मनजे ओक बादमा
दिवस मोठो ना रात लाहान होत ज़ासे.यन महीना मा ठंडी ना गरमी को संगम रव्हसे मनजे ना गरमी ना ठंडी. मणजे गुलाबी ठंडी रव्हसे. वातावरण एकदम साफसुथरो प्रफुलीत् सुहानो होसे. वातावरण मा बदल होसे यको परिणाम आपल शरीर परभी होसे. यनच
ऋतु मा होऴी. रामनवमी ना हनुमान जयंती सारखा सण आवसेती.
बसंत ऋतु मा झाऴी जंगल मा नवीनवीन पालवी फुटसे. आंबाक झाळला बार आवसे ना
जितन उत्तन वातावरण मा सुगंध निर्माण होसे.
कोयार पक्षी भी सुंदर गीत गाआवसे ना खुशीलका झाऴईन परा ईतउत चहकसे.यनच ऋतु मा परसाक झाळला रंगी बिरंगी फूल आवसेती. ओन फुलको होलीमा ठुड्डी क दिवस रंग बनायशानी रंगपंचमी
को त्योहार मनाव सेती.
बसंत ऋतु मा कास्तकार क खेतमा
खरीब की फसल लह-या मारसे. पोपट को फूल,चना,सम्बार की फसल ना ओला ठंडो हवाको झोका. खेतमा चना,लाखोरी को हुरडा भुजनकी,ना गरमगरम हुरडा खानकी मज्याच न्यारी से. मनुनच
यन बसंत ऋतुला सब ऋतु को राजा कसेती.
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डी पी राहांगडाले
गोंदिया
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