Tuesday, March 2, 2021

अष्टाक्षरी काव्यप्रकार विषय "माय" ००१

अष्टाक्षरी काव्य स्पर्धा क्र. १ ता. २६/२/२०२१ विषय :- माय

किमान १६: कमाल २४


  1. डी पी राहांगडाले

उत्तेजनार्थ/ सहभाग

माय मोरी साधीभोळी 

 गुण गाऊ चार ओळी

भाव भक्ती की  मुरत

ओकी  छानसी  सुरत


गुरु  पहेलो  वा आय

मोरी  सुंदर सी  माय

ओक ओटामा आराम

सेवा करो सोळो काम


वाच बगीचा की माली

ओक बिना कोण वाली

ओका  उपकार  केता 

नही गिनती मा लेता


माय नदीकी से धार

नही भुलु उपकार 

वाच प्रेमको  सागर

माय दयाको आगर


नव महिना की नाळ

नही तुटनकी माळ

सेवा करो सब ओकी

कुंजी आय जिवनकी

         **

डी पी राहांगडाले

     गोंदिया








  1. सोनू भगत 

प्रथम 

गर्भ जब समायेव 

दर्द मायला भयेवं

झजकोरी वोकी आत्मा

जन्मला कान्हा आयेव


भगवान कहू, माय

तोरो बिन असहाय

नाथ आमी, उपकारी

कसो देऊ अभीप्राय


माय बिन विश्व नही

जग कसो जाने माया

तोरो जान पडे वोला

जब निंघे तोरो साया


जन्मदात्री से देवकी

जग देखाईस मोला

यशोदाला माय मोरी

अष्टाक्षरी वाहू तोला


          - सोनू भगत
















  1. सौ छाया सुरेंद्र पारधी

तृतीय 

माय सरिता सरिता

वरनु महिमा केत्ती

पाझरसे प्रेम पान्हा

माया आभार जेतरी


माय मोरी साधी भोळी

ओला प्रेम की झालर

ओकी जरतरी साड़ी

कंच हिवरो कलर


मोरी माय से आधार

माया ममता की खान

प्रेम को आय सागर

घरं की रुबाबी शान


माय मोरी रुकमाई

शब्दशब्द ओकी माया

धोऊ चरण कमल

मोक्ष प्राप्त येन काया


✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

 





















  1. इंजि. गोवर्धन बिसेन

तृतीय 

बोट धर बालपण् ,

मोला तुन चलाईस ।

जब पळु खाल्या तब,

प्रेमलका उठाईस ॥1॥

  

सांगशान कथा तुन, 

रस्ता मोला देखाईस ।

सज्जनता का चांगला, 

पाठ मोला सिखाईस ॥2॥


कभी गरो लगाव त,

मोला कभी वा डटाव ।

हातलका मायाको वा, 

मोरी थकान मिटाव ॥3॥


होऊ निराश मी तब, 

माय मोरी आशा रव्ह ।

मोरो उज्वल भाग्य की, 

मोठी अभिलाषा रव्ह ॥4॥


मोरो सफलतामा से, 

लक्ष्मीमाय को आशिष ।

याद आवसे तब मी, 

झुकाऊसु मोरो शिस॥5॥

 

छोटो तोंडलका कसो, 

करु तोरो गुणगान ।

माय तोरो ममता मा, 

फिको लग भगवान ॥6॥

  

✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)

दिनांक : 26 फेब्रुवारी 2021.






  1. शारदा चौधरी

द्वितीय 


जन्मदात्री माय मोरी

प्रेम की पुज्य मुरत

मन मंदिर मा मोरो

सजी सें वोकी सुरत   


माय से पयलो गुरु

माया संस्कार की खान

कोणी नहाय जगमा

माय को वानी महान


पिवाईस तुनं दूध

मोला अमृत समान

हर गुन्हा होसे माफ

बच्चा सें जीव का  प्राण


धुंडू सु मी पुण्यफल

जेनं वोनं तीरथ मा

खरो भगवान तं सें

माऊली को सीरत मा


मन रोवंसें यादमा

तोरो माय बारबार

फेड नही सकू तोरा

जन्मभर उपकार


मन करसे बिनती

हर अंत श्वास तक

पुन्हा लेऊन जनम 

तोरो चं मी कुश लक


        --- शारदा चौधरी,  भंडारा

 

 

 

 

 

 

6. डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"

🌷 मायलाच दंडवत 🌷

प्रथम/ द्वितीय/ तृतीय/ उत्तेजनार्थ/ सहभाग

वकी का वर्णू महिमा

जेनं जन्मिस ईश्वर

मायरूप समावन

कम पडंसे बादर ||१||

 

देसे जनम जीवन

करं पालन पोसन

सेवा मायकी करके

मिले मोक्ष को साधन ||२||

 

वरदान ईश्वरको

स्वर्ग धरतोरी परा

सदा दुआ देनेवाली

माय ममता को झरा ||३||

 

माय छप्पर को आडो

देसे आश्रय सबला

झुंझुरका पासनाकी

जुपी रवंसे रातला ||४||

 

माय समान दैवत

नही दुजो अवगत

हर जनममा मोरो

मायलाच दंडवत ||५||

मोरी माय अशिक्षित

मोरो विश्वविद्यालय

वको त्याग लका भयी

जिंदगानी सुखमय ||६||

डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

  1. कौशिक चाैधरी 

उत्तेजनार्थ/ सहभाग

गर्भ आपलो ठेयस्यान

जन्म देयेस माय।

तोरोशिवाय पहलो भगवान

दुनिया मा मोरो कोणी नहाय।


डोरा उघडता बरोबर

आस भयी तोरी

मी तोरो टुरा न

तु माय भयीस मोरी।


अतंरमनमा माय

बसीसे सुरत तोरी

याद यायव पर मी

 नयन मुंदूंसू मोरी।


आपलो संस्कार लक

तुन बांधेंस सिदोरी मोरी

काही भी संकट आया त

फक्त याद से तोरी पूरी।


मन लक प्रेमळ, धीर लक गंभीर 

शिकवणूक होती तोरी

तु नाहास माय आता

फक्त याद से मोरोेजवळ तोरी।


आता फक्त याद से मोरोजवळ तोरी माय , याद से मोरोजवळ तोरी.......

----- कौशिक चाैधरी


  1. सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

द्वितीय 

बडी साजरी गोजीरी

जसी सुवर्ण की खान

मोरी माय से कष्टाळू

श्रम कर रातदिन


झाडलोट सकाळकी

सडा सारवन कर

ढार पाणी तुरसीला

चवूकचांदन पुर


राबराब सेती हात

घडीभर ना इसामा

सदा घाई से कामकी

रव्ह पाणी गा डोरामा


माया  कर घरपरा

सदा घरसाठी झुर

अपमान भेट सदा

मान पान होतो दुर


मोरी माय सुसंस्कृत

ज्ञान देईस आमला

सुखी संसार को मंत्र

 सदा शिकाईस मोला


✍सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

बिरसी आमगांव

जि. गोंदिया

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