Thursday, March 4, 2021

नारेन, नारियल ०१



श्रीकाव्य

टनक नारेन
पुजसेजन
भगवानला प्रथम सदा
आम्ही चढावसेजन

पुष्पमाला,उदबत्ती
भक्तीभाव
प्रसन्नता उमलसे लेसे
मनको ठाव

श्रावनमा रास
आपुलकीकी
सण साजरा करन
गरज नारेनकी

टनकता वरत्या
श्रीफळला
मुलायमता अंदर भरीसे
अंतरमनमा संगला

सुरुवात शुभकार्य
गणेशसंगमा
सदा मान भेटसे
नारेन डोलमा

वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया

नारेन

गणपती मस्तिस्क
       महादेव
  न् करिस अलग
     झाड बनेव 

   होतो मस्तिस्क
        वोको
समुद्र किनारपर पडेव 
    बिज सारखो

        बिज भयोव 
             अना
     नारेन झाड बनेव
        श्रिफल सना

        देव फल
          भयो
     वू आता पुजा
      स्थानी आयो

       मंगल कार्य 
         सबमा
   वोको रव्हसे स्थान
     पवित्र स्थानमा

          - सोनू भगत 


             नारेन (नारीयल )
                 !! श्रीकाव्य!!
                           
नारेन,नहीत 
नारीयल 
सब लगाओ ओको 
ठंडोगार तेल 

पुजाक आरतीको
तानाबाना
सुनी सुनी दिससे
नारेनक बिना

त्रीनेत्र शंकरका
अनवाणी 
डोस्कापरा बूच,अन्दर
रव्हसे पाणी

माणुसक डोस्‌कापरा
केस
पाणीकी खाल्याव-या लगसे
जशी रेस

नारीयलक अन्दरको 
खोबरा
माणूसक खोपळीमा रव्हसेत
कसेत ढोबरा

नारीयलको महत्व
भारी
सबजन करो पुजाकी
आता तयारी 
        
डी पी राहांगडाले
     गोंदिया

काव्य प्रकार:- श्रीकाव्य 

नारेन

       बाहेरलक रव्हसे
            मजबूत 
    अंदरलक नरम गोड
        खानला साबूत 

         नारेनको डोल
           हवनसाठी 
     अख्खो नारेन रव्हसे
        देव पुजनसाठी 

            तिन डोरा
             नारेनका 
       जसा लगाया सेती 
        शिव भगवानका

        शालसंग श्रीफल 
              देसेती
  सौभाग्यको सुचक म्हणुन 
        सत्कार करसेती

       पिवनला नारेनको
                पानी
      अना खोबरा कच्चो 
         रव्हसे बहुगुनी

 इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)


श्रीकाव्य
कल्पवृक्ष

गगनचुंबी झाड़
     नारेनको
उचोपर झोका फारसे
   श्रीफल बलीदेनको

मानवकी मुंडी
   ज्ञानेंद्रिये
दिससेती तसाच वय
   मुखना चक्षु हे

नारेन कल्पवृक्ष
    उपयोगी
अन्न वस्त्र निवारा
  योवसे बहुगुणी

खोबरा खोबरातेल
    डोस्काला
बुचकी बनावो दोरी
  बांधनं जोड़ाला

आजोबा लगावसेती
      नाती
दस सालमा फल
   खासेती

डोलकी चटणी
   दोसासंग
करंजीको सातु बनावो
    खावो सबकंसंग

जय राजा भोज,जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया

विषय:- नारेन (नारियल)
           !! श्रीकाव्य!!

नारेन बहुपयोगी
'रियल'
वको पानी स्वास्थ्यप्रद
बाकी 'ना'रियल ||१||

अख्खो नारेनको
रूप
नार अना नारीको
डोई स्वरूप ||२||

पुजामा स्थान
पवित्र
समुद्र तलपर झाड
रमनिय चित्र ||३||

कवटीवानी कवच
कठीन
जटा, तीन डोरा
जसो त्रिलोचन ||४||

शुभकार्यमा श्रीफल
पक्वान
कलश, सत्कार, नजरबंदी
होम हवन ||५||

जरावन, झाडू
तेल
गद्दी, दोरी बनावो
तनाको ढोल ||६||

आंगनमा नारेन 
जेको
समुद्र तटकी रीत
रिस्ता पक्को ||७||

गगनचुंबी झाड
कल्पवृक्ष
सर्वव्यापी तीन लोकमा
सदैव प्रत्यक्ष ||८||

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७

श्रीकाव्य
  नारेन

प्रभुकी रचना
अनमोल
अंदर पाणी भरेव  
नारेन डोल

नारियल टणक
बुचदार
खानला खोबरा सें
मोठो चवदार

भगवान शिवजीका
त्रिनेत्र
नारेनमा तीन गोल
सेत सचित्र

 महादेवला अतिप्रिय
श्रीफळ
सौभाग्यको शुभ प्रतीक
आय नारळ

शुभ काममा
फोडंसेती
देवला अग्र भाग
पयले चढावंसेती

खोबरा चटणी
मस्त
इडली दोसा संग 
करसेज फस्त

नारीयल पाणी
गुणवर्धक
त्वचा केस साती
सौंदर्य साधक

         शारदा चौधरी
            भंडारा

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