Friday, May 28, 2021

डॉ. शेखराम येळेकर






डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर
सिंदीपार पो सालेभाटा, ता- लाखनी, जि भंडारा
आबको पत्ता:-    दाभा, नागपूर
सौभाग्यवती:- डॉ जयश्री येळेकर
बेटा दुय:- भार्गव अना शार्दुल

 शिक्षण:-
बी.एस्सी. बी. एड., एम.एस्सी. (गणित संप्रेषण), एम.ए. (समाजशास्त्र, हिंदी, मराठी), एम.एड., सेट(शिक्षणशास्त्र), पीएच.डी. (शिक्षणशास्त्र) 

४) नौकरी, व्यवसाय,धंदा
१. सहयोगी प्राध्यापक, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठाचे बॅरिस्टर एस के वानखेडे शिक्षण महाविद्यालय नागपूर
२. इंदिरा गांधी मुक्त विद्यापीठमा प्रोग्राम समन्वयक

५) पुरस्कार :-
१. महाराष्ट्र शासनाचे दादासाहेब गायकवाड पारितोषिक २००६
२. यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठाचे शिवराम पंत साळुंखे पारितोषिक (एम.एस्सी. गणित संप्रेषण- प्रथम मेरीटक् उपलब्धीमा) २००६

६)आवड,छंद:-
पाणी मा पोवणो, निसर्गक् सानिध्यमा हिंडणो
पोवारी, मराठी कथा कविता लेख लिखनो

७) लेखन कार्य/पुस्तक/ आँनलाईन कार्यक्रम/ सामाजिक कार्य-
१. *जीवनाच्या वाटेवर* यव मराठी काव्य संग्रह प्रकाशित भयी से. (२०१८) 
२. *शैक्षणिक तंत्रविज्ञान व मूल्यमापनाची मूलतत्त्वे* या बी. एड. अभ्यासक्रमपर आधारित पुस्तक प्रकाशित भयी से. (२००९) 
३. *गणिताचे अध्यापन* (लेखक डॉ. जयश्री येळेकर व डॉ. शेखराम येळेकर) या बी. एड. अभ्यासक्रम की पुस्तक प्रकाशित भयी से. (२०१८) 
*४.* *झाडी बोली साहित्य शाखा अना प्रतिभादर्शन गुणवंत सत्कार* आमी आमरं गाव सिंदीपार याहान दिवारी को दुसरो दिवस दहावी,बारावी,प्राविण्य प्राप्त विद्यार्थी अना नुकताच नौकरी पर लग्या टुरा टुरी, साहित्यिक,उत्कृष्ठ शेतकरी तसाच प्रतिभावंत नागरिक को प्रोत्साहन पर सन्मान को कार्यक्रम सहकारी मित्रोंको सानिध्य मा पार पाडसेजन
५. *स्वातंत्र्यवीर सावरकर वाचनालय सिंदीपार*  संस्थापक सदस्य, उपाध्यक्ष अना मार्गदर्शक
*पोवारी संस्कृती अना सामान्य ज्ञान परीक्षा द्वारा पोवारी जागर:- आबवरी ४४ परीक्षा भयी*
*पोवारी काव्यसंग्रह प्रकाशित करीन की आशा से*

८) खुदको जीवनपट:-
सिंदीपार -सालेभाटा -लाखनी- -भंडारा -ब्रम्हपुरी -नागपूर असो पढाईको सफर
नोकरी:- १. नागपूर मा गणित को शिक्षक(दुय साल) 
२. गोंडपिपरीमा बी. एड को प्राध्यापक(१ साल) 
३. ब्रह्मपूरीमा बी. एड. को प्राध्यापक 
४. नागपूरमा बी. एड. को प्राध्यापक (२००० पासून) 
 
पोवारी  बहरे पायजे या मनोकामना
पोवारक् टुरूपोटुन् उची भरारी लेये पायजे या कामना

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर



तारीख :- २७ /५/२०२१               
रोज:-बस्तरवार 
 श्री. शेखराम परसरामजी येडेकर
              (चाल:-अखीयोके झरोके से)
                           ******
ऋण साहित्यिक का केता, सेती ना आमरपर ।।
असोच ज्ञान विभुषित,डॉ. शेखरामजी येडेकर।। धृ।।

जिल्हा भंडारा,लाखनी तह.,गाव एक गा सुंदर।
सुखी,समृध्द परिवार,बाप परसरामजी येडेकर।।
जन्म भयेव साहीत्यीकको, सिंदीपारक भुमीपर।। १।।

शिक्षण साती इतनउतन,कही भंडारा,नागपूर ।
बी. एस. सी. बि एड्‌., एम. ए.भी करीन पार ।।
शिक्षणशास्त्रमा पी.एच.डी.असी उनकी धरोहर।। २।।

भार्या  उनकी गुणवान, डॉ. जयश्री  येडेकर ।
भार्गव/शार्दुल दुय टुरा उनको सुखको संसार।।
निवास ना कर्मभुमी, उनकी से दाभा/ नागपूर।। ३।।

कार्य शिक्षण अध्यापकको,मनमा पोवारीको ध्यास।
लेसेत परीक्षा हप्तामा,पोवारी उत्थान को प्रयास ।।
उच्चशिक्षित होय पाहिजे,आमरी जात पोवार।। ४।।

काव्य संग्रह लिखसेती,गणित अध्यापन किताब।
तंत्र विज्ञान पर पुस्तक  ,प्रकाशित करीन लेख ।।
सालुंखे/गायकवाड, दुय भेट्‌यासेती पुरस्कार।। ५।।

गुण  गावुन मी केतरा,  उनकी  न्यारीच से बात ।
सदा रहे डोस्कापर,माय गडकालीकाको हात ।।
पोवारीको आधारस्तंभ,नही फेळनका उपकार।। ६।।

                 
डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया


   डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर
सिंधीपार को रतन
      (अष्टाक्षरी काव्य)

पोवारीको    वारकरी
सिंधीपार  को   रतन |
कथा कविता लिखसे
बोली  पोवारी  जतन ||१||

परसरामजीको  टुरा
शेखराम ओको नाव |
शिक्षणमा    पारंगत
गर्व  कर  पुरो  गाव ||२||

आयी जयश्री संगमा
ओको  बढ़ावन कुल |
भयी  उनला  संतान
दुय   भार्गव  शार्दुल ||३||

सेत  युनिव्हर्सिटी मा
सहयोगी  प्राध्यापक |
भविष्यको गुरुजीला
ज्ञान  देसेती व्यापक ||४||

साळुंके   गायकवाड
भेट्यासेती  पुरस्कार |
नवो नवो साहित्यका
करसेती   अविष्कार ||५||

एक  कविता  संग्रह
दुय   ग्रंथ  शिक्षापर |
भया सेती प्रकाशित
मराठीका    ज्ञानधर ||६||

काव्य  पोवारी संग्रह
पुढ़  होये   प्रकाशित |
आशा  धरके  मनमा
बोली पोवारीको हित ||७||

देनसाती   प्रोत्साहन
लेयशान    पुढाकार |
दिवारीला   करसेती
गुणवंत  को सत्कार ||८||

ज्ञान  परिक्षा  लेसेत
सप्ताहमा   शनिवार |
बढ़े पोवारी संस्कृती
होये  पोवारी जागर ||९||

 इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
      मो. ९४२२८३२९४१

 प्रा..डॉ. शेखरामजी  येळेकर

सिंदीपारको रतन तुमी
हुशार मुहून डंका से
प्रतिभा तुमरी बहुमुखी से
जीवन समाजला प्रेरक से।।

खेलकूदमाबि अव्वल तुमी
सवक पोवनो तरामा
पुस्तकप्रेमी स्वभावलका
पोया ज्ञानसागरमा्।।

सिंदीपारका भुषण तुमी
मार्गदर्शन से हरेकला
गुणवंतयका सत्कार होसे
पुस्तक देयकन बाचनला।।

प्राथमिक शिक्षक पासुन
प्राध्यापक वरी से ,तुमरी भरारी
पी एच डीबी कर्यात झटकामा
साहित्यमाबि उडान भारी।।

गणित तुमला प्रिय से
रामानुजनका अनुयायी
उज्वल धवल चरित्र तुमरो
बहुमोठी से बात भारी।।

जीवनाच्या वाटेवर से काव्यसंग्रह
से बहोत रसाळ
प्रित झळकसे जन्मभुमीकी
कविता तुमरी मोठी मधाळ।।

उत्तम वाचक,उत्तम लेखक
उत्तम कवी ,आणि समिक्षक
कडी मेहनत से रगरगमा्
सेव विद्यार्थी अना शिक्षक।।

पोवार समाजका स्टार तुमी
प्रतिभाशाली अँभिसिटर
आजबि से गुणग्राहकता
वकलक् प्रतिभा झरझर।।

मातापिताको आशिस से
माँ गडकालीकि कृपा
माता सरस्वती से प्रसन्न
पावन गणपत्ती बापा।।

पालिकचंद बिसने 
सिंदीपार (लाखनी)

 डॉ.शेखराम परसरामजी येळेकर

साहित्य की गोडी बसी
लेखणी लक उतरण
नव नवीन काव्य को
भयेव  सुमरण 

जन्मभूमी सिंदीपार
परस रामजी का पुत्र
शेख राम काकाजी
ज्ञान का नक्षत्र 

सहचारी जयश्री जी
ज्ञान मा देईन साथ
भार्गव,शार्दुल टुरा
इनको धरकर हाथ 

पाणी मा पोवणकी
आवड मोठी भारी
कथा,कविता,लेख
मराठी अन् पोवारी 


शिक्षण मा गाठीन
पी.एच. डी वरी शिखर
काव्य संग्रह मराठी
जीवनाच्या वाटेवर 

महाविद्यालय मा सेती
सहयोगी प्राध्यापक
ज्ञानदान को कार्य
करसेती निष्ठालक 

गायकवाड ,साळुंखे
पुरस्कार को धन
दु य हजार सयमा
भेटेव दुयगन 

सामान्य ज्ञान परीक्षा
पो वारी को उत्थान
हो ये न विन पिढी
ज्ञान मा बलवान 


  सौ.उषाताई रहांगडाले




 डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर


लाखनी तहसील मा से गाव सिंदीपार, 
वहॉ रव्हसे एक येळेकर परिवार. 
परसरामजी का सुपुत्र डॉ. शेखराम, 
शिक्षण क्षेत्र मा से बहुत उनको नाम. 

सिंदीपार, सालेभाटा, लाखनी, भंडारा, ब्रम्हपूरी, 
मा करीन उनन् आपली शिक्षा पूरी. 
एम.एस्सी.,एम.ए., एम.एड., पी. एच.डी. 
अशी एक एक चढत गया वोय् सीडी. 

वर्तमान निवास उनको दाभा नागपूर, 
बॅ. एस.के. वानखेडे कॉलेज मा प्रोफेसर. 
गाव लक से उनला बहुत लगाव, 
सण, त्योहार मा आवसेती वोय आपल् गाव. 

पोवारी मराठी भाषा में से उनको लिखाण, 
मूल्यमापनाची मूलतत्त्वे व शैक्षणिक तंत्रज्ञान. 
जीवनाच्या वाटेवर मराठी काव्य-संग्रह, 
पोवारी संस्कृती परीक्षा मा भाग लेनको आग्रह. 

दसवी, बारावी, गुणवत्ता प्राप्त व्यक्ति को सत्कार, 
आयोजित करसेती दिवाळीला सिंदीपार. 
पत्नी जयश्री, टुरा भार्गव ना शार्दूल, 
आपल् आपल् काममा रव्हसेती मशगूल. 


                    - चिरंजीव बिसेन 
                                गोंदिया


डॉ शेखराम परसरामजी येळेकर

कवी,गुरुवर्य,साहित्यिक
मोरो सादर नमस्कार
कामगिरी अशी कि 
प्राप्त करयात पुरस्कार।

सिन्दिपार जन्मगाव
कर्मभुमी दाभा,नागपुर
डॉ जयश्री जीवन संगिनी
पुत्र भार्गव अना शार्दुल।

तल्लेख बुद्धि का धनी
शिक्षण से अफाट
पोवारीको प्रसार साठी
बांधीसेन गांठ।

पुस्तक प्रकाशन मा भी 
से साहित्यिक को प्राविन्य
प्रतिभाशाली पुत्र हे बाबूजी
सेत इनका धन्य।

सिन्दिपार,लाखनी,भंडारा ब्रम्हपुरी 
नागपुर से शैक्षणिक सफर
काव्यसंग्रह प्रकाशित से मराठी 
"जिवनाच्या वाटेवर"।

पोवार समाज का हीरा तुम्हीं
युवापिढी साथी प्रेरणा
पोवारी काव्यसंग्रह प्रकाशीत 
करनकी मनमा से धारणा।

गणित का प्राध्यापक् तरी
कविता लेखनी की आवळ
पानी मा पोवनो छंद
ज्ञान को साठा तुमरो जवळ।

माता गायत्री ला से बिनती
कर सब ईच्छा पूरी
गडकालिका माय कृपा कर 
प्रकाशित करो काव्यसंग्रह पोवारी।

स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे

शेखराम येळेकर इनला हमेशा प्रेरणा उनकी मोठी बहिण ,आई अना बाबुजी पासून मिलत होती.
कै. परसरामजी येळेकर इनको तोडमा हमेशा रवनेवाला काही शब्द

असा पुत्र दे गा देवा
त्याचा तिन्ही लोकी हेवा
नाहीतर वांझलाच ठेवा

बाबाजी का शब्द ला मंत्र समजकन सार्थक करनेवाला पुत्र डॉ शेखराम येळेकर आत

रावणाची इच्छा होती, 
आकाशाला शिडी लावीन
सोन्याला सुगंध देण्याची
तसी माझी इच्छा आहे
पोरालं शाळा शिकवावची

आणखी हमेशा कवत

पुण करावा पुण केव्हाही आडवा येते

असो बहू आयामी व्यक्तिमत्व का धनी बाबाजी होता.
अना माता पिता धर्म रक्षक डॉ शेखराम येळेकर होता.


शेषराव येळेकर


पोवारीका धुरकोरी प्रा. डाॅ. शेखराम येळेकर

सिंदीपारसारखो जंगलझाडीमा बसेव गाव सिंदीपार. येनं गावमाबी जानको बिचार मनमा अगर आयेव तं जान बुझके रस्ता धरनो लंगंसे. असो गावको साधारण घरको एक टुरा पी.एच.डी. होयस्यान नागपूर विद्यापीठमा प्राध्यापक पदवरी पोहंचसे. या उपलब्धी शिक्षाक् प्रती उनकी लगन अना मेहनतको प्रतिक से. प्रा.डाॅ. येळेकर ये आपल् मेहनतलक उच्च पदवरी पोवच्या अना गाव अना पोवार समाजका रोलमाॅडेल बन्या.

डाॅ. येळेकर सर येव व्यक्तिमत्व पानी सारखो से. पानीमा जेव रंग घोलो वू वोनं रंगको बन जासे. तसो साधो भोळो, मनमिळावू अना नहान टुरूपोटुपासून त् बुजरूकवरी सबमा मिसरनेवालो वूनको स्वभाव ऊनला आम आदमीपासून अलग करंसे. वय बुजरूकमा गयात् बुजरूक अना टुरूपोटुमा गयात् टुरूपोटु बन जासेत. येळेकर सर आपलं नोकरी निमित्त नागपूरला जरी स्थायिक भया पर वूनको अर्धो जीव सिंदीपारमा बसी से. बेरा बेरापर गावमा जायस्यान गावकं युवावर्गला मार्गदर्शन करनो वूनको स्वभावच बन गयी से. समाजमा बहुतसारा लिख्यापळ्या शहरमा गया अना शहरकाच भय गया. पर येळेकर गुरूजीन्  गाव संगकी अापली नार टुटन न देता वोला मजबूत करी से.

गुरूजी जसा विद्याका उपासक सेत तसाच वय मायबोली पोवारीका वारकरीबी सेत. एक आंगं उच्च शिक्षीत समाज मायबोली पासून दूर जाता दिससे त् दुसरं आंगं येळेकर गुरूजी सरीको प्राध्यापक मायबोली पोवारीको धुरकोरी बन बोलीको गुडूर हकालनमा धन्यता मान रही से. येव उनको मायबोली पोवारीप्रतीको प्रेम वय आपलं बोलचालमालक सदा व्यक्त करंसेत. गुरूजी संगं कबंबी बात करो, वूनकं मुखमालख साक्षात सरस्वती बोल रही से असो भास बोलनेवालोला होयस्यान वूनकं प्रती लगाव होय जासे. असो मायबोली पोवारीको भक्त आमरंमा से. या बहुतही भाग्यकी बात से.

डाॅ. येळेकर प्राध्यापक मुहुन विद्यार्थी प्रियत् सेतच पर संशोधन क्षेत्रमाबी उनको कार्य प्रेरणादायी से. वूनकी अध्यापन शास्रमाकी दुय किताबं आबंवरी प्रकाशित भयी सेती. संशोधन येतरोच वूनको साहित्यपरबी प्रेम से. येनंच साहित्यकं प्रेम खातर वूननं "जिवनाच्या वाटेवर" येव मराठीमा कविता संग्रह प्रकाशित करीसेन. मायबोली पोवारीमा वूनका लिख्या भाऊड सबला भूलायदेसेत. वूनकं शब्दकी ताकद वूनकं पोवारी, मराठी कवितामालक दिसंसे. पोवारी बोलीपरकी उनकी पकळ अलग उचाई परकी प्रतित होसे. आपलं अलग ढंगलका येळेकर गुरूजीनं पोवारी साहित्य क्षेत्रमा आपली अलग मोहर ऊठायीसेन.

 गुलाब बिसेन, सितेपार (दि.२७/०५/२०२१)




कवी/ लेखक डॉ शेखराम परसराम येळेकर

*डॉ शेखराम येळेकर*
*सिंदीपार भूषण*
*शांत निर्मळ ज्ञानी*
*भावस्पर्शी पोवारी मन*

*पोवारी जागर*
*मराठी, विज्ञान ज्ञाता*
*ऋषी तुल्य जीवन*
*हातमा ज्ञान का जाता*
 
डॉ शेखराम येळेकर इनको जन्म लहानसो खेडागाव जेकी लोकसंख्या सयसौ से असो निसर्ग वैभव लका परिपूर्ण गाव सिंदीपार मा सामान्य शेतकरी परिवार मा आई पारबता/ जासूला अना पिता परसराम ईनको पुत्र रुप मा भयोव.
परसरामजी मेहनती,कुशल कारागीर , जिद्द चिकाटी असो उनको स्वभाव गुण को परिणाम उनको टुरु पटू पर भयोव.
परसराम अना पारबता इनको पोट् तीन टुरी अना एक टुरा एकोमा शेखरामजी तीसरो नंबर का उनला लाडलका पूरो गाव मा *शेखर* यन टोपन नाव लका बुलावत. नौकरी पर लगेव बाद उनको बिह्या भंडारा मा जयश्री भगत ईनको संग भयोव .आता उनला भार्गव अना शार्दुल असा दुय गुणी टुरा सेत.

परसरामजी ईनकी खेती तराला लगकन रहे कारण लका शेखर ला पाणी मा पोवन् को छंद लगेव, डॉ.शेखरामजी एक कुशल तैरपटू सेती.लहान पण पासून जंगल मा घुमन को टोरी, आंबा,चार जमा करन का काम करत होता. वर्ग दसवी पासून उनको जीवन न कलाटणी लेयकन विद्या ग्रहण को एकमात्र ध्येय मा उनको मन एकचित्त भयोव.
 
काटकसर अना पूरो मेहनत लका परिश्रम करकन बी.एस्सी ओको बादमा बी.एड करकन काही दिवस गोंडपिपरी मा बी.एड प्राध्यापक म्हणून नौकरी , नागपूर मा दुय साल गणित शिक्षक,ब्रम्हपूरीमा बी.एड प्राध्यापक बादमा,एम.एड.सेट ( शिक्षणशास्त्र) पीएच डी करने वाला वय गाव का पयला व्यक्ती होता.ओको बादमा नागपूर विद्यापीठ मा लग्या. डॉ शेखराम येळेकर पासूनच गावमा शिक्षण की हवा खरो अर्थ लका बहन बसी,उनकी प्रेरणा लेयकन गाव का टुरु पोटू विविध क्षेत्र मा नाव लौकीक करन बस्या.

*ज्ञान को प्रवाह*
*गाव मा खेलेव*
*शेखर नाव को हिरा*
*गाव मा लका निकलेव*

डॉ शेखराम येळेकर इनको स्वभाव प्रेमळ अना सर्वसमावेशक होतो यन कारण लका आमरं सारखा गावका सभी लहान टुरु पोटो हमेशा उनका सहकारी मित्र सारखा रह्या. अना हमेशा शिकत रया.वय जभी गावं आवसेत तब आमरो साठी दिवारी दशरा सारखा वय दिवस लगत होता.

हर दिवारी मा गाव आवनको उनको नित्य नियम होतो.दिवारी को दुसरो दिवस गावका सब लहान पासून तरुण टुरु पोटू पहले एक दिवस की सहल सायकल लका काढत होता एक साल त् उनको साथमा सिंदीपार - देवरी- सालेकसा. असो टुर आमी सौ किलोमीटर को सायकल लका काढ्या होता.ओको बादमा प्रतिभादर्शन गुणवंत सत्कार को कार्यक्रम ठेवन को ठरेव अना आजपर्यंत दिवारी को दुसरो दिवस प्रतिभावंत टुरा टुरी,दहावी बारावी का टुरा टुरी,झाडीबोली साहित्य मंच द्वारा एक सामान्य परिक्षा लेयकन सबला पारितोषिक देये जासे. हर साल नौकरी पर लगनेवाला टुरांईनको भी सत्कार करे जासे.
गाव खेती पर निर्भर से म्हणून उत्कृष्ठ खेती, नैसर्गिक खेती करनो वालो साठी दुय पारितोषिक काढे जासेत या सब प्रेरणा अना पूरो *श्रम वय खुद अना श्री पालिकचंद बिसने सर दुय जन मिलकन करसेती*.

*उपक्रमशील किसान*
*गुण की खेती*
*मेहनत की सुगंध की*
*अमूल्य रोटी*

गावमा स्वातंत्र वीर सावरकर वाचनालय सिंदीपार को आधारशीला रखकन गाव *" वाचाल तर वाचाल"* यन युक्ती पर उनन् काम चालू करीन.

एकटा उदाहरण बनकन पूरो गाव अना असंख्य विद्यार्थी ला उर्जा देनेवाला वय एक सबका आधार स्तंभ सेत.
ज्ञान का प्रकाश पुंज पूरो गाव ला मानसिक अना शारीरिक शक्ती प्रदान करसे,अज आमरं गाव मा लहान पासून मोठ मोठा सबला पोहता आवसे या सब प्रेरणा उनकीच आय.

उच्च विद्या विभूषित डॉ शेखराम येळेकर रा.सं.तु.म.विद्यापीठ मा सहाय्यक प्राध्यापक म्हणून बॅरिस्टर एस के वानखेडे शिक्षण महाविद्यालय मा रुजू सेत साथमा इंदिरा गांधी मुक्त विद्यापीठमा प्रोगाम समन्वयक सेत.

जीवनाच्या वाटेवर योव मराठी काव्य संग्रह २०१८ मा प्रकाशीत भयोव.
साथमा शैक्षणिक पुस्तक
शैक्षणिक तंत्रविज्ञान व मुल्यमापनाची तत्वे या पुस्तक २००९ पासून बी.एड विद्यार्थी साठी बहूतही उपयुक्त अना आवडती पुस्तक से.
२०१८ मा भार्या लेखक सौ जयश्री येळेकर व शेखराम येळेकर इनकी संयुक्त पुस्तक *गणिताचे अध्यापन* या प्रकाशित भयी से.

उनको ज्ञान,कर्म अना उपक्रम देखकन २००६ मा महाराष्ट्र शासन को *दादासाहेब गायकवाड पारितोषिक*
यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठ को *शिवराम पंत साळुंखे पारितोषिक* २००६ ( *एम एस्सी.गणित संप्रेषण प्रथम मेटरीक उपलब्धीमा* )
 
पोवारी सामान्य ज्ञान परीक्षाका ४४ प्रयोग असंख्य पोवारी, मराठी काव्य साहित्य, शैक्षणिक साहित्य असा मा सरस्वती का उपासक,पोवारी का वारकरी को पूरो जीवन प्रेरणादायी से

*परिस को गुण*
*सांगू तरी कसो*
*ज्ञान पुंज परिस*
*शेखर असो*

शेषराव येळेकर
सिंदीपार जिल्हा भंडारा
दि.१७/०५/२१




डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर


भाऊ शेखराम येडेकर, सिंदीपारकी शान
समूहको सेती हीरा, हरदम बढावसेत मान
सेती साहित्यप्रेमी, साधोभोलो स्वभाव
पिता परसराम, माय न देइस जीवनदान।।

उच्चशिक्षित भाऊ, एम.एड., पी.एच.डी. 
कॉलेजमा प्रोफेसर, गावकी बाट नहीं भुलत
जयश्री दिदी भार्या प्रेमळ, बेटा भार्गव,शार्दुल
 इंदिरा गांधी विद्यापीठमा प्रोग्राम समन्वयक

लेखणी उनकी तडफदार, जसी चमके तलवार
मराठी काव्य संग्रह प्रसिद्ध, जीवनाच्या वाटेवर
पोवारी प्रेमी, लेसेत परीक्षा पोवारी संस्कृतीपर
उनको ज्ञान को सामने जुडसेत मोरा दूहि कर

*पोवारी बहरे पायजे* या भाऊकी मनोकामना
पोवारी को वास हरदम, रवसे उनको मनमा
तारपर की कसरत, उनको जीवनमा मनमाना
समाजसेवा लक प्रसिद्ध सेती सिंदिपार जनमा

माय गढकालिका कृपा तोरी शेखराम भाऊपरा
आशीर्वाद की बौछार करजो वांग्देवी आमरी
*पोवारक् टुरू न उची भरारी लेयेती या कामना* शुभकामना आमरी, पुरी होये भाऊ इच्छा तुमरी, 

सौ छाया सुरेंद्र पारधी





डॉ. शेखरामजी येडेकर

अभंग

प्रेमळ स्वभाव।मन प्रामाणिक।
रत्न गा माणिक।दादा मोरो।।

भार्या जयाबाई।भार्गव शार्दुल।
बेटा बी कुशल।पीतासम।।

गाव सालेभाटा।नाव शेखराम।
शिक्षा ला विराम।नही लग।।

गुरूतुल्य बंधु।विद्या उपासक।
भक्त पोवारीका।गुरू मोरा।।

मुख माल सदा।सरस्वती बोल।
साखरको घोल।हर शब्द।।

कुशल तैराकु।गणित शिक्षक।
क्षेत्र मा लौकिक।करीसेन।।

पोवारी जागर।भावस्पर्शी मन।
हातमा से ज्ञान।निर्मळ गा।।

साहित्य की वारी।चले निरंतर।
सर येडेकर।पाणी जसा।।

मुक्त विद्यापीठ।सेत समन्वयक।
जेष्ठ साहित्यिक।विद्यादाता।।

चिकाटी सदैव।वैभवसंपन्न।
बुद्धी असामान्य।शेखरजी।।

कसे वर्षा बाई।भाऊ मोरा गुरू।
आरती ओवारू।भाऊकी गा।।

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि.गोंदिया

   डॉ . शेखरामजी येळेकर
शिर्षक: वाच लकब पोवारी

जेनं समाजमा सेती
ज्ञानी विद्वान प्रहरी
वोनं पोवार जातका
तुम्ही खारा धुरकरी ||१||

मान्यवर शेखराम
तुम्ही इसम विशेष
जेका चालक अशी वा
"सिंदीपार एक्सप्रेस" ||२||

शांत गंभीर स्वभाव
मृदू भाऊबंदकिमा
"नहीं" शब्दको अभाव
तुमरो डिक्शनरीमा ||३||

उच्च विद्याविभूषित
दूही भाषाकी सांगड
प्रकाशित शुद्ध तत्व
सत्य उतऱ्या भारुड ||४||

महाविद्यालय नामी
महानगरीमा वास
तरी आपलो गावको
माती ' ना बोलीको ध्यास ||५||

वाच लकब पोवारी
वूच मदती स्वभाव
गर्व स्पर्श भी ना करे
असो संस्कारी मानव ||६||

कला अस्सल पोवारी
गद्य पद्यको जतन
गाव शिव देशवरी
हर विषयको ज्ञान ||७||

मुन ज्ञानकी स्पर्धाको
करं सेव आयोजन
बढे पोवारी, पोवार
येच बिचार सुजाण ||८||

उच्च प्रतिभाका धनी
केत्तो करू मी बखान
देवो आशिष आमला
जरा सो मार्गदर्शन ||९||

डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७


  सिंदीपार गौरव

आडीमोडा रस्तापरा 
बसी से मोरो गाव
थोर पुरूष जन्मेव
शेखराम जी नाव.....

परसरामजी बाप
माय जासुलाबाई
धन्य भया मायबाप
पुर्व जन्म की कमाई....

दुई बहिण क् बाद
तिसरो से भाई
चौथी नहान बहिण
सबन् गाठी उचाई....

संस्कार शिस्त संग
बचपन गयेव् खास
गावभर गुण गावत
मोठा होन् की आस...

शेखरभाऊन् लेईन
उचो शिक्षण दीक्षा
मोड मोड परा जिकीन
जीवन की परीक्षा ....

कागज की लेईन
बुहू डिगरी जरी
जीवन शिक्षण मां
तत्पर सेती तरी....

सिंदीपार गाव का
भय गयात् सूरज
प्रकाश देसेती अज्
जेकी सबला से गरज...

कल्पक प्राध्यापक 
से उनकी वरक
दिमाग ला पजावसेती
कसेत लगावो तरक.....

गणित का जादूगर
सेती सर भास्कर
शार्दूल भार्गव बेटा
गणित मां भया मास्टर...

भार्या जयश्रीबाई
सद्गुण समज खाण
साथ देन् शिक्षण मां
ठेवसेती नीत भान....

सिंदीपारश्रेष्ठ कवी
सरस्वती की कृपा
*जीवनाच्या वाटेवर*
गावकी बढी रूपा...

धन्य भयेव् गाव
शिक्षण साहित्य मां
हर टुरा चमकसे
आपापलो क्षेत्र मां...

नही अहम् नही तम
षडरिपु सेती बंद
पोवारी मराठी रचना
करनो से छंद.....

फोटोग्राफी पोहोनो
इनमा पारंगत
स्मृती जतन करनं
कल्पना की संगत....

गुरूतुल्य सेती थोर
गुण सद्गुण नाना
अगणित टुरूपोटु
उनका गासेती गुणगाणा....

रणदीप बिसने
सिंदीपार


कवी/लेखक डॉ शेखराम येळेकर

उपमा अलंकार
तसा शेखराम
अलौकिक काया
सिंदीपार धाम

झिजायीस काया
परसरामजी पिता
ममताकी झालर
माय पारबता

गुणी जयश्री भार्या
भार्गव, शार्दुल पुत्र
गणित का अभ्यासक
विद्या को छत्र

ज्ञान का परिस
अज्ञान को नाश
समाजसेवा कर्म
उत्थान को ध्यास

महायोगी ऋषी
मराठी का वारकरी
भाषा का अभ्यासक
पोवारीका धुरकरी

शांत निर्मळ स्वभाव
कुशलता उजागर
अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व
ज्ञान का सागर

फोटो काढनो मा रुची
पोहनो को छंद
निशानो मा तरबेज
संख्या को से गंध

गुरु,सखा,पालक
त्रीमुर्ती को रुप
मातीमा देखे
खुद को स्वरुप

मानसशास्त्र मा
सहज हातखंडा
शिक्षणशास्त्र को
लहरातो झेंडा

डॉ.शेखरामजी रुप
समाज की सेवा
ऋण साहित्यिक को फेडन
सदा घडो यन हात सेवा

शेषराव येळेकर
सिंदीपार
दि.२७/०५/२१

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