नाव:स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे(गृहिणी)
पति:दुर्गेश मेघशाम ठाकरे
एक टुरा:ग्रंथ दुर्गेश ठाकरे
पत्ता:दाते ले आउट जयताळा
बाबूजी को नाव:पुरनलाल सहेशराम बिसेन
आईको नाव्:कोमेश्वरी बिसेन
जन्मगाव:सिल्ली
जन्म तिथि:०८-०९-१९९७
शिक्षण:बी एस सी
आवड:गाना श्रवण करनो,कविता लिखनो,गाना गावनो,चित्र काढनो,नविन चीज़ सिखनो,कहानी वाचन,
जीवनपट:आम्ही ३ बहिनी मी दूसरों नंबर की ..दीदी ना मोरी पट नहीं मनुन् लहान देड साल कि होती तब मामा घर कवलेवाडा लिजाइन ..मोठा मामाजी बाहर रवत ..लहान मामाजी,अजी, आई आना मी रवत् होता...सबकी लाडली त् कभी माय बाप कि याद नहीं आयी..आई अजी मोरा दसवी सिक्या होता त पढ़ाई मा उनकी बहुत मदत मिल...रातको १२ बजेवरी जागकर् निबंध मा मदत करत होता..उनको छ्त्रछाया मा हर स्पर्धा मा सहभागी होनकि हिम्मत मिल...७वी वरि कवलेवाडा को शाळा मा सिकी...वाहनी विविध् स्पर्धा जसि गायन,न्रुत्य,निबंध घोषवाक्य मा सह्भागी होत होती...तसोच् गायन लका गान कोकिला कि उपाधि भी मिली होती मग बारवी वरी तिरोडा को शहीद मिश्रा हाई स्कूल मा सिकी ..सी जी पटेल कॉलेज मा बीएससी भयी..बिया भयेव मग घर बच्चा येको मा उलज़् गई....कविता वगेरे लिखनो कभी कभी डायरी मा लिखत होती... मामाजी ला मोरो छंद को पता चलेव् त् उन न् येन समुह् मा मोला सम्मिलित करींन...मोरो साथि या बहुत सन्मान कि बात् से कि समूह को महान व्यक्ति इनको बीच मा मोला लिखनको मौका मिलेव्... बहुत काही सिखी येन समूह लक अना आपलो पोवारी प्रती सम्मान बढेव मोरो मन मा ना आता यहा लका बहुत काहीं सिखनो से...अना प्रयन्त् शील रहूंन् कि आपलो पोवारी को गौरव् बढाय सकु
स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
रूप मोहक सुंदर
आवाज तोरी सुरेख
पोवारी को साज
अखीन बढाये तेज
सौ.वर्षा
स्वप्न साकार होयेती
पोवारीला चढे साज
स्वप्नाली तोरो साहित्य
तोरो मधुर अवाज
डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगांव/ उलवे नवी मुंबई
मो.९८६९९९३९०७
सौ. स्वप्नाली दुर्गेस ठाकरे
(चाल:-आई माझी मायेचा सागर)
साहित्यिक सेती sss गुण का आगर ।
नही फेळ सकजन sss उनका उपकार।।
गुण का आगर, उनका उपकार ।। धृ।। साहित्यिक……..
पोवारी मायबोली sss पोवारी को धाव
अशीच साहित्यिका,स्वप्नाली ठाकरे नाव
गीत,गायनला सुर, गान कोकिळा सुंदर। १। साहित्यिक...
तिरोडा तहसील मा ,सील्ली एक गाव
पुरनलालजी बिसेन से गा अजीको नाव
माय कौमेश्वरी सुंदर, संसारला हातभार। २। साहित्यिक..
बहिनी मा मंझली, अशी गुणवान स्वप्नाली
लहानपण पासून….. मामाक घर पली
कवलेवाडा लहानपण,तिरोडामा शिक्षण। ३। साहित्यिक..
शिक्षण,गीत,गायन.भेटेव कोकीळा को मान
बि,एस,सी,शिक्षण,पती दुर्गेश ठाकरे गुणवान
रही शिकण आस, जयताळामा निवास। ४। साहित्यिक..
गायिका,कवीयत्री,साहित्यिक को मान
कोकीळा को गरो,सुंदर करसे गायन.
पोवारी की शान,से कालिकाको वरदान। ५।साहित्यिक…
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
ऋण साहित्यिक को
सौ. स्वपनाली दुर्गेस ठाकरे
माय बाप की सुंदर टुरी
नाव स्वपनाली।
बाप पुरणलालजी बिसेन
गाव होतो सिल्ली ।
लहानपण पासुनच बाई
रही कवलेवाडा।
अजी, आई ,मामा ,मामी को लगेव लडा ।
सातवी पर्यंत उनकी
गावमाच शाळा।
बिया होयके गई
बाई जयताळा ।
ग्रंथ बेटालाई उनन
देईन चांगला संस्कार ।
मोठो होयके करे वु
सारा सपना साकार ।
पहिले पासुनच होतो
गाना गावनको ध्यास।
पोवार समाज की हे
गाण कोकिळा खास।
रानु राहांगडाले
.स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
मायबोली पोवारी
जिनला पुकारे
प्रतिभावंत कवियत्री
सौ. स्वप्नाली ठाकरे
मामा घर की लाडली
स्वप्न सुंदरी स्वप्नाली
कामेश्वरी पुरनलाल की बेटी
जन्मगाव से सिल्ली
गृहस्थाश्रम प्यारो
पती दुर्गेश ठाकरे
पुत्र नाव ग्रंथ
परिवार बिसेन , ठाकरे
अभ्यासू से वृत्ती
आवड कला विज्ञान
ऋषी तुल्य समाजसेवा
अफाट से ज्ञान
अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व
नृत्य,गायन, लेखन
बि एसी वरी शिक्षण
प्रतिभा को से धन
इनकी कविता मा
ममता को पाझर
मायबोली पोवारी को
सदा होसे गझर
नव रस की नवनिर्मिती
हर भाव करसे उजागर
स्त्री वेदना ते गरिबी की
इनको चूल्हा मा भाकर
हर विषय की सम्राद्नी
भाषा मा नव शृंगार
शब्द को करके साज
नव काव्य ला आकार
गायन,लेखन, गृहिणी
अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व
जो विषय ला धरेत
वोला प्राप्त होसे अमरत्व
गायन मा रुची
गला मा माँ सरस्वती
या गान कोकीला
लेखनी भी से रसवंती
साहित्यिक गण को ऋण
फेडन भेटी मोला संधी
धन्य सेजन आम्ही
बार बार आवो या सुसंधी
बहू शुभेच्छा सेती
जीवन बने सुगंधी
लेख, कविता,नृत्य संगमा
सदा बनी रहे स्वरसंधी
शेषराव येळेकर
सिंदीपार जिल्हा भंडारा
कवीत्री- सौ. स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
कामेस्वरी, पुरणलाल बिसेन जी
घर अवतरी इंको स्वप्न की परी
कुमारी स्वप्नाली बाई|
घर मा करत होती बाई बडी
उठा पठक पटत नव्हती इंकी
आपलो बहीण - भाई संग|
महनुंच मामा की घर की बन गयी
लहान सी परी, मामा,आजी की
लाडकी परी आवत नव्हती याद
बाप - माय, बहीण - भाई की|
लहान पण पासून लिहन,वाचन
बोलण,गायन को छंद भारी
बन गयी कोकिळा स्वप्नाली
आपलो तिरोडा कॉलेज की|
इंटरनेट सोशल मीडिया को
जमाना मा इनको कलम ला
आणखी गती भेटी, आपली
प्रतिभा लग सेवा कर सेती
पोवार समाज की|
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(हिरो होंडा)
स्वप्नाली ठाकरे
स्वप्नाली नाव,पली मामा को गाव।
मधुर गाना गाव, पोवारी को।।
बाप पूरनलाल, कोमेश्चरी माय।
सिल्ली को जनम आय स्वप्नाली को।।
गाणा की आवड, काहडसे सवड।
स्वर मा से रस, गानकोकिळा को।।
दुर्गेश की रानी, जसी लक्ष्मी वाणी
कमळलजा दानी, बहु ठाकरे की
कविता को ध्यास, करसे प्रयास।
धरीसेस कास, पोवारी की।।
कहानी को वाचन, अमृतको प्राशन।
संसारमा रमेव मन, स्वप्नाली को।।
भविष्य की कामना, आमरो मनमा
कालिका कणकणमा, देये आशीर्वाद।
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सौ.स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
साहित्यिक को दुनिया मा
जगमग से ती तारा
स्वप्नाली बाई को से
उनमा एक थारा
दुर्गेश जी की भार्या
स्वप्नाली आय नाव
ग्रंथ आय टुरा
सिल्ली आय जन्मगाव
पुरानलालजी की कन्या
कोमेश्र्वरी आय माय
तीन बहिनिमालक
मंजली स्वप्नाली आय
आजा,आजी,मामा,मामी
इनको छ्त्रछाया मा पली
बिया होयस्यान बाई
ससुराल जयताळा चली
शिक्षण भयेव बी एस सी वरी
कविता लेखन, वाचन,गायन
आवड साहित्य मा उभरी अन्
शब्द का मोती बस्या बिखरन
शिक्षण सोबत कलागुणलक
घडाईन आपलो अस्तित्व
गान कोकिळा को उपाधीलक
निखरेव बाई को व्यक्तित्व
पोवारी आपली मायबोली
काव्य लेखन लक सजाई न
लेख लिखास्यान पोवरी मा
पोवा री को जतन करीन
सुखी रहो,आनंदी रहो
मंगलमय गा ना गाओ
पो वारी मा असोचकाव्यलेखन
पो वारी को मान बढाओ
उषा रहांगडाले (बिसेन)
सौ. स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
युवा साहित्यिक स्वप्नाली ठाकरे
माहेर उनको तिरोडा सिल्ली,
मामा क् गाव कवलेवाडा मा
मिली उनला पढाईकी किल्ली.
प्रायमरी कवलेवाडा मा शिककर
तिरोडा ल् करीन उनन् बी. एस. सी.
कविता लिखन क् साथ साथ वोय
गायन क्षेत्र मा बी गान कोकिला सी.
बिसेन पुरणलाल, कोमेश्वरी की बेटी
दाते ले - आऊट जयताळा निवास,
लेखन ना क्षेत्र मा भविष्य से उज्ज्वल
सबला से मनलक दृढ विश्वास.
पति दुर्गेश ठाकरे, टुरा उनको ग्रंथ
गृहकार्य क् साथ, चित्रकला मा से रुचि,
अनेक कला मा सेत वोय निपुण
भविष्य मा करेत प्रगति बात या सच्ची.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
कवयित्री सौ. स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
गान कोकीळा स्वप्नाली
(अष्टाक्षरी काव्य)
गान कोकीळा स्वप्नाली
नाव भयीसे प्रख्यात |
गाना मधुर गावसे
समाजमा से विख्यात ||१||
बेटी पुरनलाल की
वकी कोमेश्वरी माय |
परिवार बिसेन को
सिल्ली जन्मगाव आय ||२||
बहिणको संग जब
वकी नही पटी रास |
देड़ सालमा आनीन
वला मामाजीको पास ||३||
मामाजीको घर मिली
वला सपाईकी माया |
रव्ह सर पर वको
नानाजीकी छत्रछाया ||४||
भयो बीएससी वरी
येन बाई को शिक्षण |
शाळा पासूनच सेत
गीत गायन लक्षण ||५||
पती दुर्गेश ठाकरे
टुरा ग्रंथ वको लाल |
लिख डायरीमा गीत
कभी आव वला ताल ||६||
छंद मामाजीला येको
जब भयेव माहीत |
येन गृपमा जोड़ीन
लिखनला काव्यगीत ||७||
माय गडकाली संग
वाग्देवीको से आशिष |
मस्त रचे वा साहित्य
उंचो ऊठे वको शिष ||८||
बाई पोवारी बोलीको
करे आता संवर्धन |
पुढ़ जानसाती देसे
आशीर्वाद गोवर्धन ||९||
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
मो. ९४२२८३२९४१
दि. २० मई २०२१
सौ.स्वप्राली दुर्गेश ठाकरे
आकाशमा् जेतरा तारा
प्रतिभावंत पोवार वतरा।।
स्वप्रालीताई असोच एक सितारा
पोवारीबोलीको काव्यरुपी फवारा।।
दुर्गेशभाऊ पती,बाबुजी पुरणलाल
आई कोमेश्वरी ,ग्रंथ से लाल।।
अभ्यास की आवड से ,छंद गानाको
श्रवण से गुण मोठो,कहानी बाचनको।।
जेला जेला भेटसे मामाजीको प्यार
वला वला मार्क भेटसेत आरपार।।
मामाकी नजर होती पैनी देखिस संघर्ष
जोडिसग्रुपला इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष।।
बि एस सी भयि ताई लिखसे गाना
आपलं बोलीकी सेवा करसे ,भरसे पोवारी खजाना।।
माँ गडकालीको आशिस से ,संग सरोसती
साधनामा रत रवो ,चिजाच चिजा आयेती।।
पालिकचंद बिसने
त्रिवेणी संगमकी
एक धार स्वप्नाली
नहान पणच् भेटी
मामा घरकी साओली ||
नृत्य, गायन कलाको
अनुपम भेटेव दान
लेखन कला को बी
सुरू भयेव रसपान ||
पोवारी संवर्धन से
तोरो मनको ध्यास
आमरी सबकी से
तोरो पराच् आस ||
वंदना कटरे "राम-कमल "
स्वप्नाली ठाकरे
स्वप्नपरी वा गानकोकिळा
सिल्ली ग्राम की बेटी
पुरण कोमेश्वरी को घरं
जन्मी एक कन्या मिठ्ठी
तीन बहिणींको संगम
सें त्रिवेणी सम सुंदर
नटखट स्वभाव बचपनमा
पली कवलेवाडा को अंदर
माय अजी को लाडली ला
नृत्य गायन को छंद
घरसंसार मा रमके भी
काव्य को मनमा गंध
पोवारी भाषा को संवर्धन
येव एकच मनमा ध्यास
एक दिन चमके येव तारा
उत्कर्ष ग्रुप मा खास
शारदा चौधरी
भंडारा
खूप लिखो अना सदा पुढ् बढो
स्वप्नालीबाई सपना तुमरा साकार करो
उपजत सुंदर गायन कलालक बाई
पोवारीको प्रगतीकी कास धरो
ऋतुराज
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