Tuesday, June 15, 2021

बहावा/अमलतास६७


पोवार इतिहास, साहित्य अना उत्कर्ष समूह द्वारा आयोजित काव्यस्पर्धा

 बहावा/बाहा
  

बहावा को झाड 
मध्यम ऊंचाई को, 
हिवरा हिवरा पाना 
पिवर पिवर फूल को. 

फूल को रंग गर्द पिवरो 
शेंग वोकी लम्बी लम्बी, 
मोटी फल्ली मुंगना की 
होसेत जसी लम्बी लम्बी. 

फल्ली क् गिदा की चाय 
पिवसेती पोटदर्द वाला, 
फूल का भजिया बी 
बनसेती बहुत निराला. 

साप किटूरला आवन साती 
रोकसेती बहावा की शेंग, 
मुहून छपरी क् बरन मा 
लगावसेती वोकी शेंग. 

                   - चिरंजीव बिसेन
                               गोंदिया

           बाहा  /  अमलताश
                   
खेत क धुरोपर बाहा को झाळ।
लंबा लंबा लग्‌या तुरा………।।
पिवरा पिवरा फुल लग्‌या सेत ।
दिससेत मोठा साजरा……...।। १।।

फुलकी बनाओ भाजी ना भजिया।
ओको हयता भी होयजासे…….।।
लकडी चांगली वारगयी त।
इंधन क काम मा आयजासे ।। २।।

बाहा को झाळ से बहुगुणी ।
बहु उपयोगी रव्हसे……...।।
जळ,खोळ,पान,फुल,शेंग  ।
सब काम मा आवसे………।। ३।।

आयुर्वेद की दिव्य दवाई.. ।
टॉनिक को काम करसे... ।।
पानाको रस ना पेस्ट भी...।
जलन सुजन काम आवसे ।। ४।।

जळी जलायकर धुव्वा लेवो।
सर्दी,खासी परायजासे…...।।
जळी  को काढा  पिवाओ।
बुखार भी उतर जासे…….।। ५।।

असो बाहा को झाळ उपयोगी।
ना से मोठो वु गुणकारी…...।।
मानव जिवन सुखी करनला ।
झाळ  लगाओ नरनारी…….।। ६।।
            
डी पी राहांगडाले
     गोंदिया
 बहावा

बसंतको कोवरो सोनेरी तपनमा
कंचनसम सुंदर बहावा फुलेवं
पिवरा धम्मक फुलं देखके
मन मोरो मयुरवानी झुलेवं

हिरवीकंच पर्णसाडी नेसके
बोहलापर चढसे  नवरी नार
हल्दीलक माखिसे फुल पिवरो
नटीसें जणू देखो करके शृंगार

पंचपाकळी फुल झुकेव भूपर
लटकीसे जसो पिवरो झुंबर
फुलंसे झाड दरी कपारमा
लंबी शेगमा सें सुगंधी गर

बहावाको झुकाव देखके
होसे संत महात्मा को भास
राजवृक्ष फुलेपर साठ दिसमा
बारीश आवंसें हमखास

फुल का गुच्छा लगसेत
दिवारी का आकाश कंदील
सें औषधी गुणी झाड येव
फुल भजीया मोकर काबिल

                   शारदा चौधरी
                       भंडारा

बहावा/ वाहवा/ अमलतास
शिर्षक: बिह्याकी बाशिंग
(षडाक्षरी काव्य)

गुच्छा बहावाको
बिह्याकी बाशिंग
सोनोका डोरला
नथनीकी रिंग ||१||

तूर्रा ओलंबती
पाकळीमालका
जसा इंद्रधनू
अनादी कालका ||२||

खोड मजबूत
डेरी फाटालाई
तलवार शेंग
रोगमा दवाई ||३||

पशु मानवकी
पंचांग औषधी
रस धुंगा फकी
दूर करे व्याधी ||४||

बहावाको बिना
अधुरो बसंत
रंगीन सिरटी
होसे शोभिवंत ||५||

फुलका आयता
भाजी अना भज्या
किडा पाखरूभी
मारं सेती मज्या||६||

डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
बहावा
   (अष्टाक्षरी)

ग्रीष्म ऋतूमा फुलसे
देसे  मनला ओलावा |
मस्त  पिवरा सोनुला
मन   मोहसे  बहावा ||१||

कर्णफुल  डुल  वानी
कानमाका  अलंकार |
गुच्छा फुलका सोनेरी
जसा   नवलखा  हार ||२||

आव  वाराकी झुळूक
कर   मंत्रमुग्ध   बास |
रस   पिवनला   गर्दी
किट पाखरुंकी खास ||३||

फुल मोठा बहुगुणी
करसेती    तरकारी |
भज्या तेलमा तरके
खानलाई गुणकारी ||४||

पान  हिवरा  कोवरा
आयासेत    फुलसंग |
बिच बिचमा झाड़को
दिस   मनोहारी   रंग ||५||

जरे  पर    जखम ला
पान   मोठो  गुणकारी |
दुर   कर    ताप  अना
सुखी खाँसीको विकारी ||६||

लंबी  लंबी  गोल शेंग
पोटसाती    गुणकारी |
बारतीन    टुरु   अना
प्राणीसाती  हितकारी ||७||

बहावाकी साल जड़ी
आव  दवाईको काम |
धुंगी काढ़ा भी करसे
ताप  सर्दीला  तमाम ||८||

बनसेती  खोड़लका
खेतीमाका अवजार |
जरावन आय जासे
काम लकड़ी बेकार ||९||

असो बहुगुणी झाड़
लगावोना   एकतरी |
देख  हिरवो  श्रंगार
तृप्त   होये  धरतरी ||१०||

इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
      मो. ९४२२८३२९४१
      दि. ०६ जून २०२१

 

बहावा,अमलतास

उजळी सेत रान मा,लक्ष लक्ष कांचनज्योती
आरगवध,राजव्रूक्ष,सुवर्णक नाव तोरा केता सेती

रंगरूप साजीरो भेटीसे सुंगध को मोठो वसा
अस्सल देशी व्रूक्ष तु,जप यूगयुगको वारसा

निसर्गको वसंतोत्सव मा शोभसेस दिमाखदार
सोनपुष्पको अलंकार लेयके ऋतुको साक्षीदार

दिर्घफल तोरो औषधी गुणलका भरीसे ओतप्रोत
रोग व्याधी भांजसे जल्दी असो गुणकारी तत्त्व

कसो करीस बहाल निसर्गन तोला सारो काही
बहावा तोला देखु केती मोरा डोरा थकत नही

 सौ.वर्षा पटले रहांंगडाले
मु.बिरसी ता.आमगांव
जि.गोंदिया

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