Tuesday, June 15, 2021

साहित्यिक पालिकचंद बिसने




पालिकचंद लक्ष्मण बिसने
         मु.सिंदीपार पो.सालेभाटा ता.लाखनी जि.भंडारा

*शिक्षण*-बी.ए.डी एड

*नौकरी*-स.शिक्षक जि.प.उच्च प्रा.शाळा मिरेगांव पं स.लाखनी जि.भंडारा 

*पुरस्कार*--१)साहित्य साधना पुरस्कार २०१८ (राष्ट्रसंत विचार साहित्य परिषद चंद्रपूर)

२)साहित्य लेखन प्रेरणा पुरस्कार २०२०(जीवन गौरव परिवार भंडारा प्रा.शिक्षक विभाग ता.लाखनी)

३) डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम वाचन प्रेरणा पुरस्कार  २०२०(मदत संस्था नागपूर)

४)प्रेरणादायी जीवन सत्कार सोहळ्यात स्थान २०१९ (शिवतीर्थ मानव कल्याणकारी संस्था खराशी)

५) केंद्र स्तरीय आदर्श शिक्षक पुरस्कार 
    पं सं गोरेगांव जि. गोंदिया २०१३

६)  म .फुले आदर्श शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार २०२०  (शब्दगंध समूह व ग्रंथमित्र युवा मंडळ औरंगाबाद)


आवड
१) बासरी
२)हार्मोनियम
३)काव्यलेखन
४)निसर्ग पर्यटन
६) नैसर्गिक शेतीवर प्रयोग
 
*लेखन कार्य*

१) 'बन तूच आता देव 'काव्यसंग्रह प्रकाशित

२)संभलकर रवनं 'पोवारी नाटिका

३)वलो वलो भयोव मी! पोवारी नाटिका

४) बिबट्या आला रे! (झाडीबोलीत)
   एकांकिका

५)  झाडीबोलीत, प्रमाण मराठीत, पोवारीत काव्यलेखन.

६)झाडीबोली फेसबुक पेजवर    *अमराई* विषयावर स्थंबलेखन

७)   वृक्षारोपण गावच्या स्मशानभूमीत 
टिमसह लावणे.(सा.कार्य)

८) गुणवंतयको सत्कार सहभाग

९) झाड़ी बोली साहित्य शाखा सिंदीपार (अध्यक्ष)

१०) स्वातंत्र्य वीर सावरकर वाचनालय को संस्थापक सदस्य 

झाडीबोली साहित्य शाखा सिंदीपार, स्वातंत्र्य वीर सावरकर वाचनालय अना प्रतिभादर्शन समूह द्वारा गावमा प्रतिभावंत,गुणवंत,उत्तम शेतकरी ला प्रोत्सहानपर सन्मान अना प्रोत्साहन को समारंभ

११) मुलांना कलेची आवड लावणे
  इ.
१२)  विवेकानंदावर काव्यलेखन(अप्रकाशित)
      खुदको जीवनपट

पिताजी-लक्ष्मण दाजी बिसने
भाऊ--कंठीलाल बिसने (गायक ड्रामा)
बहिण--१)मिलन कृष्णा बोपचे (सालेभाटा 
           २)रेखा सत्यवान रहांगडाले(सातलवाडा)

पुतण्या--रणदिप बिसने भोसला मिल्ट्री स्कूल नागपूर मा शिक्षक से ।

पत्नी--सौ .प्रिती /बबिता बिसने  C. B.S. C. little flower  pri. school lakhani

    टुरो--पियूष (गिटार सिकसे)
टुरी --तेजश्री (हार्मोनियम सिकसे)
 आहार-शुद्ध शाकाहारी
प्रेरणास्रोत--स्वामी विवेकानंद

लाखनी तालुकामा उत्तर दिस्यामा बाराक किमी अंतरमा् आमरो सिंदीपार गाव से लोकसंख्या ७००-८०० क् आसपास.
     सिंदीपार एक सांस्कृतिक गाव से .मोरो अजी(वडील) शाहीर होता.ढोलक सुंदर बजावत होता ,पहाडी आवाज होतो ,वय कवीबी होता.वय पहिली सिक्या होता.पर वाचनको ध्यास होतो.
 गावमा् दिवारीमा दंडार ,नाटक होसे.
आमी मनोरंजन मुहून यन् कलाप्रकारयला देखत होता. एक वारसा मोला भेटेव.

मोला बासरी प्रिय होती .खेतमा् इतवूत जायकन् बासरी एकलव्य स्टाईललक् थोडी सिकेव .आब् काही गाणा बजायता आव सेत .हार्मोनियमकि एकदूय परीक्षा देयेव प्राथ.ज्ञान लेयेव.


     आमर् सिंदीपार गावका एक गुणवंत ,शीलवंत पोवार को टुरो डॉ. शेखरामजी येळेकर सर इनको प्रभाव पुरो यरीमा् होतो . गावसाठी वय आबबी मोठा आदर्श सेती .शिक्षण क्षेत्रमा् नाव कमावनो जरुरी से मोलाबी लगेव .मंग मी अना् आमरं वर्गका विद्यार्थी जब वय गाव आवत तबनी गणित साठी अना् मार्गदर्शन साठी उनक् घर् आमी जात होता .आमला प्रेरणा भेटी .चांगला मित्र भेटत गया मंग मी १९९८ला भजेपार (सालेकसा ता.) जि.प.मा शिक्षक लगेव.

    आमर् सिंदीपार गावमा् शेषराव वासुदेवजी येळेकर एक नाव से .वला आमी एक्सप्रेस कसेजन .यन् उपक्रम का वय आयोजन करसेती .आमरंसाठी खुशीकी बात से .

डॉ. शेखरामजी येळेकर सर ,मी ,ररणदिप,शेषराव येळेकर माय पोवारी क जमे वतरी सेवामा् सेजन ।

बाकी तुमर् आशीर्वाद लक चांगलोच से.

बहोत काम बाकी से माय गडकाली,माता सरोसती क् कृपालक अना् कडी मेहनत लक कार्य होत रहे.

        ।।जय राजा भोज।।

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सन्माननिय कवी श्री पालिकचंदजी बिसने

उठायकर लेखनी करबिन लिखान
साहित्यिक महोदयला मोरो प्रणाम
बहु पुरस्कार का गुरूजी धनी
सम्पूर्ण समूह से तुमरो ऋणी


नैसर्गिक शेतीमा प्रयोग अना
हार्मोनियम,बासुरीको नाद 
काव्यलेखन,निसर्गमा फिरनकी
गुरुजिला साद

दुय बहिनी दुय भाई
चरित्र गुरूजीको बहुआयामी
बाबूजी लक्ष्मन बिसने नाव
सिन्दिपार गांव बडो नामी

डॉ शेखरामजी येलेकर आदर्श
स्वामी विवेकानंद प्रेरणास्त्रोत
शुद्ध शाकाहारी आहार 
गुरूजी बहुत गुणवंत

मन मा आस पोवारी को उत्थान
गडकाली मायको सदा आशीर्वाद
निरंतर कार्य करनसाठी तत्पर
पूरी होयेत मन कि हर मुराद

स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे

         कवी श्री पालिकचंद लक्ष्मण बिसने.
                     चाल:-मेरे मन डोले

लाखनी तालुका मा, भंडारा जिल्हा मा
जहां साहित्यिक की बहे धार रे
असो से एक गाव सिंदीपार ।। धृ।।

पिता लक्ष्मनजी बिसने,होतो सुखी कास्तकार
दुय   टुरा ना  दुय टुरी   सुख   को  गा संसार
जन्मेव पालीकचंद ,पोवारीको से छंद
सुखी समृध्द परिवार रे  ।। १।।

बी. ए. डी. एड्‌ वरी शिक्षण,शिक्षकी को पेसा
पीयुष,तेजिश्वरी,टुरा टुरी,लावण्य पुतळा जसा
पत्नी प्रीतीबाई, गुण ला कमी नही
लगे संसारला हातभार  रे ।। २।।

2018 साहित्य साधना,2019 जीवन सत्कार
2020 ला लेखन प्रेरणा,अब्दुल कलाम पुरस्कार
जीवन को सँघर्स, सन तेरा ना बिस 
आदर्श शिक्षक पुरस्कार रे.।। ३।।

बांसरीवादन,हार्मोनीयम,काव्यलेखन करसेती. 
छंद से उनला पर्यावरण को,ना नैसर्गिक खेती.
कर वृक्षारोपण,मीलकर सब जन
कर पर्यावरण उध्दार रे.।। ४।।

सिंदीपार की पावन भूमी जेव से पोवारी गाव
जन्म भएव शेखरामजी,रनदीप,ना शेषराव
पालीकचंद जी वाहा, पोवारीकी जहां
बहत रहे नित धार रे ।। ५।।

उ-थान होय मायबोलीको,शान बळे पोवारी की
मायबोलीला उच्चो उठावन कोरकसर नही बाकी
गडकालीकाको साथ, रहे मस्तक पर हात
कर भवसागर पार  रे।। ६।।
       
डी पी राहांगडाले 
   गोंदिया 
१०/०६/२०२१


अज का साहित्यिक - श्री पालिकचंद बिसने


सिंदीपार गाव से रतन की खान, 
वहॉ निवास करसेती लक्ष्मणजी किसान. 
उनक् पोट् उपजेव पुत्र पालिकचंद, 
आपल् कार्यल् से लोकइन को मनपसंद. 

शिक्षक गोंदिया जिल्हा मा भजेपार, गोरेगाव, 
आब सेती लाखनी तहसील मा मिरेगाव. 
कला प्रिय कई कला इनका ज्ञाता, 
बांसुरी, हार्मोनियम वादन सीन नाता. 

पशु पक्षी क् आवाज की करसेती नकल, 
हात मा लेयेव कामला करसेती सफल. 
कई पुरस्कार इनका सेती मानकरी, 
पोवारी साहित्य लिखकर भया धुरकोरी. 

'बन आता तूच देव' काव्यसंग्रह प्रकाशित, 
नाटीका, एकांकिका, कविता सेत रचित. 
झाडीबोली मा अमराई विषयपर स्तंभलेखन, 
श्मशान भूमी मा बी करसेती वृक्षारोपण. 

झाडीबोली साहित्य मंडल सिंदीपार का अध्यक्ष, 
स्वातंत्र्यवीर सावरकर वाचनालय का संस्थापक. 
पियुष, तेजश्री टुरा टुरी, कंठीलाल भाई, 
प्रीति बाई का पति, दांडेगाव का जवाई. 

                      - चिरंजीव बिसेन
                                  गोंदिया


सर पालिकचंदजी बिसने

कलाकारको बेटा,  उनक् घरं  कला नांद
कलाक्षेत्रमा परविन भयेव, सर पालिकचंद

खेलनमा बाचनमा सदा गायनमा धुंद
नम्रताको धनीसे, सर पालिकचंद

संगीतको प्रेमीसे, बासूरीको छंद
टुरूपोटु को लाडलो से, सर पालिकचंद

लेत रवसेउपक्रम, पुरो होयकन धुंद
नाटकको बी दिवानो से, सर पालिकचंद

पोवारी प्रसार करनो, प्रिय वको  छंद
संस्कार रुजावसे,सर पालिकचंद

 सेत उनका आदर्श, स्वामी विवेकानंद
समाज जगावसे, सर पालिकचंद

उनको सहवास आमला, लग् आनंदी आनंद
सिंदिपारको हिरा से, सर पालिकचंद

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर नागपूर 
१०/६/२०२१

पालिकचंदजी बिसने

संगीत को झिरा
(अष्टाक्षरी रचना)

काव्य लेख पर्यटन
नाना कलाको मालिक
गीत मधुर संगीत
असो बिसने पालिक ||१||

झाडीबोली मराठीमा
पोवारीमा काव्यछंद
मिठो बासुरीको नाद
देसे सबला आनंद ||२||

स्वामी विवेकानंदजी
प्रेरणाको मुख्य स्थान
शुद्ध शाकाहारी वृत्ती
उच्च से जीवनमान ||३||

प्रकाशित साहित्यलं
होसे समाज उत्थान
असो आदर्श शिक्षक
करं पोवारी सन्मान ||४||

चार सिंदीपार रत्न
इनमालं एक हिरा
बहावत रहो असो
भाऊ संगीतको झिरा ||५||

डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
[6/11, 8:43 AM] Sheshrav Yedekar: अजका सन्माननीय साहित्यिकःपालिकचंदजी बिसने

हरहुन्नरी दादा आमरा
बासरी वादन आवडतो छंद
सुमधुर संगीत पडताच
कान होसेत मस्त धुंद

कविता रवसेत सरस
बोधप्रद अना प्रेरणादायी
देसेत आमलाबी प्रेरणा
असा आमरा प्रेमळ भाई

सिंदीपार जन्मगांव
करीन प्रसिद्ध साहित्यलका
प्रगतीको रस्तापर
झेप लेईन काव्यलका

क्रूतीशील उपक्रम राबावसेत
इश्कुल मा आपलो हमेशा
विद्यार्थी प्रिय गुणवंत शिक्षक
भेटीसे गावको उनला वारसा

सौ.वर्षा पटले रहांंगडाले
गोंदिया


आदरणीय साहित्यिक:- कवी पालिकचंद बिसने
पोवाडा

आदी वंदू गढ़कालिका
दुजा स्मरु श्री गणेश
महाकाल शिव महेश
            हो जी जी रं जी जी

गाव सिंदीपार
पालिकचंद शूर वीर
बाप लक्ष्मण शाहिर
कला को बहार
मानसू आभार.    .....
हो जी जी रं जी जी

कला का पूजारी
दिल से पोवारी
ओठपर मधूर बासरी
काया हासरी
हातमा विद्या कुसरी
केता गाऊ गुणगान,बात साजरी ..... हो जी जी रं जी जी

पालिकचंद नेमबाज
उत्तम शिक्षकी ताज
संगीत मा तरबेज
विवेकानंद सरताज
पूरी तरुणाई करसे नाज..
हो जी जी रं जी जी

बन तूच आता देव
झलकसे माटी अना गाव
वृक्षारोपण की देसेत छाव
झाडीबोली का कवी असो नाव
संस्कारीत भयोव सिंदीपार गाव....
हो जी जी रं जी जी

उनकी भार्या सौ.प्रिती
टुरा टूरी दूय मोती
प्रेमको पारिवारीक नाती
विद्यादान की तेवसे ज्योती..

हो जी जी रं जी जी

साहित्य साधना पुरस्कार
साहित्य लेखन प्रेरणा पुरस्कार
डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम वाचन प्रेरणा पुरस्कार
प्रेरणादायी जीवन सत्कार
केंद्र स्तरीय आदर्श शिक्षक पुरस्कार
म. फुले आदर्श शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार
असो बहू गुणी,आयामी पोवार...
हो जी जी रं जी जी

कवी पालिकचंद समाज शिक्षक
वय आदर्श शिक्षक
कलाका जाणता रक्षक...
हो जी जी रं जी जी

उनकी काया से चंदण
उनको सहवास नंदनवन
भारत माता का अमुल्य धन
आध्यात्मिक पुरुष महान
उनला करुसू त्रीवार वंदन..
          हो जी जी रं जी जी

शेषराव येळेकर
 सिंदीपार
दि.10/06/21


   प्रतिभावान काकाजी

जिल्हा भंडारा लाखनी वहान
सिंदीपार ग्राम की माती महान

शिक्षण कृषी धुरीण की खाण
समाज संस्कृती राष्ट्र की से जाण

लक्ष्मण शाहिर गुणी कलाकार
संतान पालिकजी निकल्या हुस्यार

घर् नोहोती कोन् अनोखी प्रेरणा
डाँ.शेखरामजी मंग भेट्या गावमा

प्रभाव पडेव स्वामीजी को खास
डाँ.शेखरामजी की रही संग आस

शिक्षक बनस्यार् बढी मनः चेतना
विद्यार्थी विकास की जगी संवेदना

लेखन भयेव् सुरू संग ग्रामचेतना
वर्ग बनेव प्रयोगशाला शारदा वंदना

गुणी ज्ञानी दुई भाई जी विशेष
गुंज रव्हसे श्रम भक्ती ना स्वदेश

शाळा मां उपक्रम की से रेलचेल
छात्र अना पालकसंग जमसे मेल

ग्राम सिंदीपार मां बी चहलपहल
नाटक-कला-दंडार-साहसी सहल

कलागुण को भय रही से सम्मान
सिंदीपारला लगसे बुहू अभिमान

एकलव्य सरिखो बिनगुरू शिक्षण 
बासरी साहित्य को लेईन प्रशिक्षण 

घर मां गचगच भरी से विवेकानंद
वाचक होय जाये देखकन गदगद

ग्राम विकास की प्रेरणा राष्ट्रसंत
डाँ.शेखरजी संग आनसेती रंगत

"बन तुच आता देव" या कृती
प्रकट करिन उननं मनःसंस्कृती

साहित्य संस्कृती शिक्षण साधना
जीवन भय रही से गुण संवर्धना

शाश्वत कृषी शाश्वत ग्राम चिंतन
प्रयोग चालू करिन वावर मां मंथन

धन्य भयेव् ग्राम धन्य बिसेन कुल
पीढी दर पीढी मां दिशा रहे अनुकूल 

मी रणदीप,पुतण्या उनको एक
मांडेव विचार सत्य अना नेक

अजी माय धन्य भया आमरा 
स्वर्ग लक् देखसेत् यशस्वी टुरा...


रणदीप कंठीलाल बिसने


 सन्माननीय साहित्यिक,कवी श्री पालिकचंद लक्ष्मण बिसने

साहित्य को वारसा
शाहिर घराना
कवी पालिकचंद बिसने
चरित्र सुहाना

संगीत मा पारंगत
बासरी का दिवाना
माटीला आकार दे
कलाकार सुहाना

झाडीबोली का ऋषी
मन मा तराना
निसर्ग प्रेमी
दिल से सुहाना

बहूआयामी चरित्र
पुरस्कार का खजिना
व्यक्तिविकास का धनी
योद्धा से सुहाना

गाव माती दैवत
विज्ञान को जमाना
आध्यात्मिक पुरुष
पुरुषार्थ सुहाना

शेषराव येळेकर
सिंदीपार जिल्हा भंडारा
दि.10/06/21

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कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...