Monday, July 12, 2021

झुंजूरका :७०






पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष समूह द्वारा आयोजित काव्यस्पर्धा
झुंजूरका
(वर्ण संख्या - १६, यती - ८)

नाश करके अंधारो, आवं चवथो प्रहर |
ब्रह्म मुहूर्तकी बेरा, झुंजूरका मनोहर ||धृ||

योगी मुनी साधुसंत, जागसेती झुंजूरका |
सुरुवात करसेत, दिनचर्या ध्यानलका ||
पुजापाठ आराधना, भक्तीमय होयकर ||१|| ब्रह्म...

कोंबड़ाकी कुकडूकू, गुंज सकाळी सकाळी |
उठावसे सबलाच, जसो गायके भुपाळी ||
पाखरुकी किलबिल, झनकारं कानपर ||२|| ब्रह्म...

भुमस्यारी आंगनमा, होसे सड़ा सरावन |
मालकीन शिदोरीला, देसे ओला बांधकन ||
मंग चारोपाणी कर, जासे खेतं हलधर ||३|| ब्रह्म...

पहाटला उठकर, करे विद्यार्थी अभ्यास |
पक्की होसे याददास्त, भरं मनमा उल्हास ||
होसे सफल जीवन, ओको मंजील सुकर ||४|| ब्रह्म...

फिरो सकाळी सकाळी, पैदलच सबजन |
करो योग प्राणायाम, भेटे शुद्ध ऑक्सिजन ||
होये निरोगी शरीर, स्फूर्ती रहे दिनभर ||५|| ब्रह्म...

जुना फुलं पड़सेती, झुंजूरका तुटकर |
दिसं बेला झाड़पर, नवो फुलको बहर ||
सुर्य चैतन्य सृष्टीमा, देसे लाली भरकर ||६|| ब्रह्म...

इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
      मो. ९४२२८३२९४१
       दि. २६ जुलाई २०२१
झुंजुरका

झुंजुरका झुंजुरका
खुली मोरी निंद
सरस्वती जीभ पर
मुख मा नाम गोविंद

शरीर शुद्ध करकन
आनंदमयी योग
मनमा ऊर्जा भरकन
त्यागेव निष्काम भोग

कोयल की कूहू कुहू
आवत होती दूर
दवबिंदू मा चमक
परिसर मा आनंदी सूर

तुलसी बिंद्राबन ला चढेव
तांबा को लोटभत पाणी
माय की भक्ती की
असी रीत पुरानी

मंदिर मा काकड आरती
नाचत होता वारकरी
झुजुरका बनावसे
सुसंस्कार का धुरकरी

सूर्यदेव को पहले जागो
अनधारोमा टाको आलस
तब मॉं भारतीको मंदिर को
बनाय सको गगनभेदी कलस

शेषराव वासुदेव येळेकर
मु.सिंदीपार जिल्हा भंडारा
दि. 11/07/21

  झुंजूरका

टूटेव सपना उघड्या डोरा
मोहक प्रसन्न झुंझुरका बेरा
बादरमा चमकं शुकीर तारा
धीरू धीरू बोवं थंडो वारा

कोंबडा बाग दे रय रयकर
मंदिरमा काकड आरतीको सूर
टाळ मृदंगकी धून वोकोपर
कानमा गुंजसेत स्वर मधुर

हंबरं सेती गाय ना ढोरं
शेणपुंजा उचलंसे कास्तकार
चूल्हो की राख निकालके 
सळा टाकसे भाग्यवंत नार
 
निळो अभारमा स्वर्णिम लकेर
लाल तांबूस रंग उधळकर
आवनको तयारीमा सें भास्कर
किलबिल संगीत बजंसे चौफेर

झुंजूरका फिरसेत लोग उठकर
बनेती तंदुरुस्त योग करकर
रवसें ताजगी पुरो दिनभर
झुंजूरकाको हवाको बहूमोल असर

                             शारदा चौधरी 
                                 भंडारा
झुंझुरका 

जो जो उठसेती झुंझुरकाला
उनका नशीब खुलसे सारा
जो जो रवसेती बाजपरा
उनका बजसेती बारा।।

प्राणवायु झुंझुरकाको
आळस भगावसे मनको
खराब हवा जासे बाहर
नयि शक्ती शरीरको।।

झुंझुरकाकी ताजी हवा
कसेत 'सौ रपयाकी दवा'
मेंदु होसे टवटवा
उठे वलाच भेटे मेवा।।

उठो विद्यार्थी ,शेतकरी
आब् झुंझुरका भयि
करो कष्ट कसो कंबर
घात परीक्षाकी आयि।।

उठो उठो पोवार भाऊ
गफलतमा् नोको रऊ
करो उत्कर्ष आपापलो
झुंझुरकालाच कर्म सुरू!।।

पालिकचंद बिसने
सिंदीपार (लाखनी)


झुंजुरका


झुंजुरका उठकर 
फिरनला जाव, 
वापस आयकर 
लेव प्रभुको नाव. 

तबियत तुमरी रहे 
एकदम फीट अच्छी, 
गलत बात नाहाय 
बात आय सच्ची. 

झुंजुरका रव्हसे 
हवा एकदम शुद्ध, 
अनुभव करके 
देखो तुमी खुद. 

पक्षी उठ जासेत 
झुंजुरका पासुन, 
कायला खाटपर 
रहे पायजे आपुन. 

जल्दी उठेवल् होयेत 
तुमरा पूरा काम, 
दौडधुप कम होये 
मनला मिले आराम. 

झुंजुरका उठकर 
देखो पूर्वकी लाली, 
भर जाहे तुमर् 
मन मा खुशहाली. 

. . . . . . . . . . . . - चिरंजीव बिसेन 
. . . . . . . . . . . . . . . .  गोंदिया
 
झुंजुरका 

काळ सरेव सरेव 
भयी आब् झुंजुरका 
नही कोणीला मालुम 
गया कहान तारका ||

रवी आयीसे ना घरं 
कसो रांगत रांगत 
घडी भरमा सांगसे 
कर कर्तव्य जागत ||

नवो दिन नवी दिशा 
सोच ठेवब् सकारी 
लेबं चैतन्य अहेर 
अना बनू उपकारी ||

सारो सृजन सृष्टीकी 
झुंजुरका से दवाई 
योग तंदुरूस्ती साती 
प्राणवायू से सवाई ||

झुंजुरका समयाला 
ठेवं सत्कर्मी उद्देश 
भेटे सत्वर ध्यानमा 
सत्य, अहिंसक देश ||

वंदना कटरे  "राम-कमल "

झुंजुरका 

झुंजुरका -झुंजुरका 
लग शीतल वारा 
मन मोरो मोहसे 
देखकर शहारा ।१।

झुंजुरका -झुंजुरका 
तन मन डोलसे 
सुगंध फुलईनकी 
मन ला लुभावसे ।२।

झुंजुरका -झुंजुरका 
मन प्रफुल्लित रव्हसे 
काम धंदा की 
हलकाई रव्हसे ।३।

झुंजुरका -झुंजुरका 
मन भजन गावसे 
भक्ति भाव की 
लगन लगसे ।४।

झुंजुरका -झुंजुरका 
कोंबडा आर आवसे 
सब मानव जीवनला 
वु जगावसे ।५।

झुंजुरका -झुंजुरका 
जब इंसान जागसे 
जीवन वोको पुरो 
सक्षम रव्हसे ।५।

सौ. ऊषा बाई रमेशजी पटले नागपूर 
फोन नंबर ७७४१०००९२३ 

झुंजुरका 

झुंजूरका झुंजुरका बाई
बडो गजबच भयेव
गावको बबल्या नांगर धरके
गावखारी को खेतमा चोयेव

कभी ना काल नोहोती चाल
बबल्या खूप सबको डोरामा
कोनीकोच तीन तेरा मा
मुरदंग बजावो गावको डेरामा

गावभर फेरी चहाडी चुगली
पुंडलीक पेहरसे उची ढेटी
घरमा जायके देखो त तुम्ही
बापको पच्याला बारा गाठी

तीरीप डोरापर आयेवपरा उठं
आखरपर बसके गोष्टी हाकं
माय बुळगी थकी हारी
पतलो तावापर रोटी सेकं

हातभर ककडी का
 नव हात बीजा
बबल्या मार बापको 
उसनो पर मजा

माय मंडाव डोस्कापर हात
अना कव् केवीलवानी
साद करेव मोठी मीन
अना पोट आयेव ढाड्या याहानी

पर अज आयी अक्कल
बबल्या ला बडी आमरो
खेतम दिसेव झुंजुरका
धरके बईल को कासरो

सौ. वर्षा पटले रहांंगडाले
बिरसी

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