ओवी
पहिली मोरी ओवी बाई मातापिता को चरणों मा
सेवा करो तुमि उनकी बाई धावरे बाळ विठ्ठला।
दूसरी मोरी ओवी बाई, पूजनीय गुरूजनला
दूर करिन अज्ञान ला ,धावरे बाळ विठ्ठाला।।
तिसरी मोरी ओवी बाई, पंढरी को पांडुरंगला
जनी संग दरण दरीस ,धावरे बाळ विठ्ठला।।
चवथी मोरी ओवी बाई, राम लक्षुमनला
आज्ञाकारी भाई बनो धावरे बाळ विठ्ठला।।
पाचवी मोरी ओवी बाई अंजनी को सुतला
लंकादहन करिस वोन धावरे बाळ विठ्ठला।।
सहावि मोरी ओवी बाई तुलसी वृन्दावनला
दिओ लगाओ रोज बाई धावरे बाळ विठ्ठला।।
सातवी मोरी ओवी बाई गढ़कालिका माताला
कुलदेवी आय आमरी धावरे बाळ विठ्ठला।।
आठवी मोरी ओवी बाई राजा विक्रमादित्यला
न्यायप्रिय राजा बाई धावरे बाळ विठ्ठला।।
नववी मोरी ओवी बाई आमरो राजा भोजला
ग्रंथ लिखिन चौऱ्यांसी धावरे बाळ विठ्ठला।।
दहावी मोरी ओवी बाई निसर्ग माताला
झाड़ लगाओ आता बाई धावरे बाळ विठ्ठला।।
- सौ.छाया सुरेंद्र पारधी
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