चांदापर केतरो भी लिखो कम से. काल मी एक गीत लिखकर पठायेव पर मोरो पुरो समाधान नही भयेव.म्हणून मीनं अज एक कविता लिखेव.
चांदा सुख-दुख को साथी
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जीवन कं सफर मा रव्हसे,
कभी खुशी ,कभी गम.
येकलका उच लढ सकसे,
जेव ठेवसे भाव सम.॥१॥
सुख मा नाचनेवाला,
रोवसेती आयेवतं दुख.
रोवनो बी जरूरी से पर,
हार मानकर होव नोको विमुख॥२॥
सुख-दुख समझावन साठी,
सामनेसे चांदा को उदाहरण.
पंधरा दिवस मोठो होसे,
पंधरा दिवस होत जासे लहान॥३॥
येतरो चढाव उतार कोणीकं,
जिंदगी मा नही आव.
तरी लोक सुख मा उडासेती,
अना दुख मा खासेती हाय.॥४॥
पुराण कं अनुसार चांदाला,
राहू भी लेसे ग्रस.
वोक मालं भी वू सलामत,
निकलसे होय नही टस मस॥५॥
म्हणून भारत मा चांदा को,
से बहुत महत्व.
भारत कं सब त्योहार इनको,
चांदा कं कलालं से अस्तित्व॥६॥
चांदा कं तिथी पर आधारीत,
सेती भारत का सब त्योहार.
चांदा सांगसे आमला लढ़त रहो,
तुम्ही नोको मानो हार॥७॥
रचना - चिरंजीव बिसेन
परमात्मा एक नगर, गोंदिया.
दि.२१/१०/२०१९
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