Sunday, April 5, 2020

काव्यस्पर्धा क्र.4 "आंदन"

              【दहेज】

बिक जा सेती घर की कुर्सी अना मेज,
गरीब बाप देसे जब टूरी हीन ला दहेज!!

नहांसी पूंजी अना पुराव से चोटी ला,
नयो जमानों मा पढ़ावअ से बेटी ला,
पढावनों भी जरूरी से कायिच करके,
बेटी से वोकि पढनो मा बड़ीच तेज!!

जनम पासून वोको लाई सोचअ से बापअ,
असो लगअ से जसो करदी रहेस पापअ!
एक-एक पैसा जोड़स्यार, चलसे जुगुत ल,
नोन मिर्चा की बघरणी मा, पिव से पेज!!

समय को हिसाब ल देये आंदन महीन,
फ़्रिज़, कूलर, टीवी, अना वाशिंग मशीन,
मोठो घर जाए टूरी एको लायी बापअ,
बिक देसे आपरो एक दुइ-एकड़ खेत,

टूरी, बाप की आन-बान-शान आय,
दान मा मोठों दान, कन्यादान आय!!
देनों से त टूरी ला आशीर्वाद ही देवो,
आंदन को लेनदेन ल करो सब परहेज़!!

बिक जा सेती घर की कुर्सी अना मेज,
गरीब बाप देसे जब टूरी हीन ला दहेज!!

तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)

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