( कव्यास्पर्धा क्रमांक - ४)
!!आंदन!!
एक बेटी को बाप की जिंदगी पैसा जोडण मा गुजर जासे,या आंदन की प्रथा उनला अंदर लक तोड देसे!!१!!
आंदन को आग लका जरसे जिंदगी, आंदन को सहारा लका काहा बससे जिंदगी,अगर कोनी कर ले माग आंदन की त जैल मा डोरा मलसे ओकी जिंदगी!!२!!
आज कलम चलन लगी से बेटी को अधिकार मा,काहेका हार जमानो की से बेटी को हार मा !!३!!
सात फेरा को यव बंधन जो वचन लका बन से,
अना दुय आत्मा को मिलन लक जीवन मा रंग भरसे ,नवरा बायको मा प्रेम रवनो उन्ला जवळ आणसे,तरी बी यण मौका पर नवरा ताना आंदण को मारसे,!!४!!
मी सांगनो चाहुसू आमरो सामाजिक दर्पण ल, भेव भेव कर जग रही से वो न
बेटी को समर्पण ला!!५!!
उठ रही से आवाज आता आंदन को प्रथा ला, आये आब खुशी की पारी आता नही लगेती बेटी कोनी बाप ला भारी,!!६!!
मुकुंद रहांगडाले
(हरी ओम सोसायटी दत्ता वाडी नागपूर २३) दी -५/४ /२०२०
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