काव्य स्पर्धा: ०४
दिनांक:०५/०४/२०२०
विषय: आंदन
🌷🌷 आंदन 🌷🌷
सांगू का भाऊ तुमला एक बात।
आबं बीह्या की आईं से घातऽ।।
एक एक पैसा जमायकर ठेयेव।।
बेटी को बीह्या कर टाकुन कयेव।।
सोफ़ा, आलमारी, ड्रेसिंग लेयेव।।
आंदन गोंदन सब लेयकर ठेयेव।।
पत्रिका छपी गावोगाव न्यौवता गयेव।
मंडपवालों ,आचारी ठयरायकर भयेव।।
घरभर मा आता खुशी नोहती मावतऽ ।
सामान आनन सब खुशी लक धावतऽ ।।
पर आता वा खुशी भय गई गायब।
कोरोना को प्रताप बीह्या लंबायेव।।
जहा को आंदन वहा पड़ेव रयेवऽ ।
पत्रिका बीह्या की नदिमा बहायेव ।।
जब हटे संचारबंदी तब काहीं होये।
पर आब जेत्ती खुशी होती तब कहा रहे।।
कमी जास्त कसोच बेटी को बीह्या त होये।
मोरी लाड़ की बेटी आपलो सुसरो घरऽ जाये।।
✍️- सौ.छाया सुरेंद्र पारधी
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