सकारी आपलों बासरू ला
सोडस्यानी कोठा मा, जासे गाय।
गोहनमा लका पलट पलटकर
तीन तीन बार देखसे वा माय।।
दिवसभर चरसे गाय रानमा।
चलता फिरता वोकों ध्यानमा।
भई गोधूलि बेला,दिवस पिलपिलाय
भुखो रहे लेकरु मुन मनमा घबरावऽ।
गावजवड आयेपरा हंबरत होती माय
देखश्यान बासरुला पन्हाव वोला आवऽ।।
मायला देखशान बासरू इटकात आवऽ
दुधकी की धारा मा बासरू आंनद पावऽ
जगमा को सबसे सुंदर चित्र ला
मोरो मन को गहराई मा उतरऽ
✍️सौ.छाया सुरेंद्र पारधी.
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