Tuesday, April 14, 2020

जवाई कर से खेती


का सांगू बाई, आमरो जवाई,
से बहुत खासं.
घर सेत ओकं, नौकर चाकर,
 करीसेस बी. ए. पास॥धृ॥
     नौकरी कं मघं नही धायेव
      करसे आपली खेती,
    चलावसे ट्रेक्टर, करसे मेहनत
    पिकावसे माणिक मोती.
१० एकर मा धान लगावसे,
पाच एकर मा ऊस॥१॥ का सांगू-

खेत से मोटर-पंप,बोरींग,
पाणी की नाहाय कमी.
समय-समयपर खात दवाई
फसल की से हमी.
देखकर कारभार, भरेवसे दरबार,
टुरी मोरी से खुश॥२॥ का सांगू--

नौकरीवाला रव्हसेत पुना मुंबई मा
खाय पीय स्यार सुखी,
माहागाई कं मारे नही बचं काही
हात मा बाकी
घरचं रव्हसे, पैसा बी बचसे,
होसे बहुत विकास॥३॥का सांगू--

सासू-सुसरा, देवर भासरा ,
रव्हसेत सब संग,
अणखी का पाहिजे एकपेक्षा,
खुश रव्हनं ला मगं.
एक मा रव्हनो, सबदून चांगलो,
ठेवो तुम्ही विश्वास॥४॥ का सांगू--

        रचना - चिरंजीव बिसेन
  परमात्मा एक नगर, गोंदिया
मो. नं.९५२७२८५४६४

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...