वैशाख को भरेव तपन मा आवसे तीज।
पूर्वजों को मानपान को सन आय तीज।।
सकार पासुन रवसे गड़बड़ घाईं सबला।
किसान मंग बखर धरकर जासे खेतमा।।
अजपासुन होसे खेतिको काम की मोहतूर।
बखर फिरावसेती धान टाकसेत पांच मुठ।।
कोयार पक्षी भी अज़ आवसे सुसरो घरं।
सांगसेत बुढा अखाढीला जासे वा माहेरं।।
सब पोवार घरं भरसेत तिजला लाल करसा।
चवरी जवर शेण को बेठ पर ठेवसेत करसा।।
कासो को भानीमा परसा को पान की पत्राली।।
सुवारी ,सेवई,पनो, बड़ा की पुर्वजला बिरानि।।
बड़ो भक्ति लका पांच आंबाको करसामा घड़।
कागुर मंग टाकेव जासे जोड़ीलं बरण को ऊपर।।
पूजापाठ होएपरा लेसेत मोठो को आशीर्वाद।
सब मिलकर लेसेत पनों, सेवई को आस्वाद।।
असो अामरो पोवार को तीज को त्योहार।
नवीन पीढ़ीला भी देबिन चांगला संस्कार।।
✍️- सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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