Tuesday, April 14, 2020

भजन


प्रभुजी, तोरं दर्शन की से आस। धृ।

तोला कहाँ कहाँ मी ढूंढू,
कौनसो करू प्रयास॥१॥

मंदीर मा तं पैसा चलसे,
नही होय तोरो भास॥२॥

तीर्थ कं जागापर लूट मचीसे,
नही बुझ मोरी प्यास॥३॥

साधु संत भी करसेती धंदा,
नही होय मोला विश्वास॥४॥

मोला लगसे उचं ईश्वर,
भूखो ला भरवसे जो घास॥५॥

माय बाप सेती सबदून मोठा,
वोयचं मोरं साठी खास॥६॥
              
            रचना- चिरंजीव बिसेन
      परमात्मा एक नगर, गोंदिया.

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