Friday, May 1, 2020

श्री नामदेवजी पारधी


अथक परिश्रम एंव संघर्ष सफलता की चाबी है, आज समाज मे ऐसे प्रेरणास्त्रोत है जिन्होने अथक परिश्रम से सफलता का इतिहास रचा है। आज हम आपको बताऐंगे विनम्र इंश्युलेशन के मालिक श्री नामदेवजी पारधी के सफलता की कहानी।

      ग्राम कवलेवाडा तह. तिरोडा जिला गोंदिया मे ८ अगस्त १९७८ मे नामदेवजी पारधी का जन्म एक सामान्य कृषक परिवार मे हूआ उनकी प्रारंभिक शिक्षा पुर्व माध्यमिक शाला कवलेवाडा से पुर्ण हूई। बाद मे उन्होने उच्च शिक्षा मानवता हायस्कुल केसलेवडा से पुर्ण की। उस समय वह शिक्षा ग्रहन करने के लिए १२ किमी प्रतीदिन सायकल से जाना आना करते थे। घर की आर्थिक परिस्थिती ठिक नही होने की वजह से बडे बेटे होने की वजह से उनपर परिवार की जिम्मेदारी आ चुकी थी। १२वी की परिक्षा पास करने के बाद वह नौकरी की तलाश मे कर्णाटक राज्य चले गए। उन्होने वहां ३ माह काम किया और वह वापिस अपने गांव लौट आए।

      बाद मे वह दुसरी नौकरी करने के लिए महाराष्ट्र के रायगढ जिले मे रेवदंडा क्षेत्र गए, वहां उन्हे खंडेलवाल इंश्युलेशन कंपनी प्रा. लिमिटेड मे स्टोर कीपर की नौकरी मिली। १९९८ से लेकर २००३ तक उन्होने वहां काम किया इस बिच उनकी पोस्टिंग सुपरव्हाईजर से सिनियर सुपरव्हायजर पर हूई। उन्होने उस समय मे सि. जे. पटेल ज्युनियर कॉलेज तिरोडा से ग्रॅज्युएशन प्रायवेट मे पुर्ण भी किया।

        वर्ष २००३ मे उनका प्रमोशन हूआ और उन्हे खंडेलवाल इंश्युलेशन कंपनी ने साईड इंचार्ज बनाकर गुजरात राज्य के दहेज GIDC मे स्थित बिरला कॉपर लिमिटेड का चार्ज दिया। उन्होने वर्ष २०११ तक साईड इंचार्ज के तौर पर खंडेलवाल इंश्युलेशन कंपनी मे कार्य किया इस बिच मे उन्होने तिरोडा क्षेत्र के हजारो लोगो को रोजगार दिया। आज की स्थिती मे भंडारा गोंदिया जिले से विदेश जाकर इंश्युलेशन & स्कॅफोल्डिंग क्षेत्र मे  नौकरी करने वालो की संख्या ५००० से अधिक है, इसका श्रेय श्री नामदेवजी पारधी को ही जाता है।

      वर्ष २०११ मे उन्होने "विनम्र इंश्युलेशन" कंपनी की स्थापना की और शेकडो की संख्या मे तिरोडा क्षेत्र के लोगो को वह आज भी रोजगार प्रदान कर कर रहे है। विनम्र इंश्युलेशन कंपनी मे आज की स्थिती मे ९०% पवार बंधू ही कार्य कर रहे है। दुनिया मे शायद यही एकमात्र कंपनी है जहां रोजमर्रा की भाषा के रुप मे सभी लोग पवारी भाषा का उपयोग करते है। चाहे वह बंगाली हो अथवा बिहारी हो अथवा अन्य कीसी जाती का हो सभी लोग पवारी भाषा जानते है और संवाद भी पवारी भाषा मे करते है।

     नामदेवजी पारधी सादगी और स्वाभिमान से जिवन व्यतित करते आए है, उनका पवार समाज के प्रती बहूत लगाव है। उनके घर (गुजरात दहेज) मे मुख्य भाषा के रुप मे पवारी भाषा का ही उपयोग होता है। तथा उनके ऑफिस मे भी ज्यादातर पवारी भाषा मे ही वार्तालाप होता है। नामदेवजी पारधी ५ भाषाओ (पवारी, मराठी, हिंदी, गुजरती, इंग्लिश) का ज्ञान रखते है। एक सामान्य कृषक परिवार मे जन्म लेकर अथक परिश्रम एंव संघर्षमय जिवन से उन्हे जो सफलता मिली इससे समाज के युवाओ को प्रेरणा मिलती रहेगी।

-सोनू भगत
www.powarihistory.blogspot.com

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