अक्षय तृतीया को शुभ तिथीला
कास्तकार करसे शुभ मोहतुर
ग्रीष्म को भरेव तपन मा बि
काम करसे उ कसो तुर तुर ।।
बरसात, ठंडी कि नहाय चिंता
राब-राब राबसे कसो दिनरात
अकाल पडे तरी उ जगावसे
मन मा आसा कि मोठी संक्रांत ।।
खेतीसाती कर्जा लेसे उ तरी
मोठो नुकसान करसे यव प्रदुसन
डोरा मा भरसे पानी पानी तरी
आराम को नहाय वको जीवन ।।
दुनिया को यव पालनकर्ता ला
चांगला कपडा नहाती पेहरन
सबको पोट भरण कीं चिंता
चटणी, आंबील से येको चाटण ।।
कष्ट करेव लका भयव कास्तकार
चोवसे बारीक हड्डी को साचा
कब जाग आये येन सरकारला
अन सुदर जाये किसान को ढाचा ।।
इमानदारीलक करसे येव कर्तव्य
मन मा से कारी माय कि निष्ठा
किसान को परिवार ला कब भेटे
सामाजिक न्याय अन प्रतिष्ठा ???
वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
०३/०५/२०२०
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