आज मोला मोरो बी अजी/दादाजी की याद आय गयी, मी बहुत लहान रही राहू दुसरी या तिसरी कक्षा मा गांव को स्कुल मा शिकत होतो मोरा अजी नांव स्व.श्री. महादु धोंडू जी टेंभरे मोला स्कुल मा आपरो संग लिजाय देत होता अजी कव की आमरो गांव को लिल्लहारे गुरूजी अना इंदूबाई बिसेन शिक्षक साजरा शिकावनो मा मास्तर/मास्तरीन सेत, गांव मा सबला सांगत होता की मोरो नाती बी एक दिवस बहुत कागज सिके मोरो अजी ला सायकल चालावता नही आवत होती, अजी फुपाबाई को गांव सोनेगाव आमरो गांव लक करीबन तीस पस्तीस किलोमीटर रहे वाहा पैदल जात होता वोन समय मा येतरा साधन बी नही रया रहेत, अजी जहाँ बी जात होता रस्ता मा अगर गांव की टूरीपोटी जेन गांव मा बी से त अजी व्हा तैयार होय जाय , आपरो गांव की बेटी-बहु को घर जात होता वाह की खबर बातमी, तबियात पानी, हालचाल बिचारत बिचारंत गांव मा वोन टुरी को घर जाय स्यारी, कहान ग्यात बहुबैदी सेती की नहाती ,आवो मामाजी आजी आवो बसो उतलक आवाज आव अरे भाऊ तोरो मोटो अजी महादु बाबाजी आयी से दुय कप चाय मंडावो,मामाजी सकारीच, सकरीच नही बेटी /बहु तुमरो माय घर ग्येव होतो काल सब बाका से काजी माजी माय/बाबूजी गिन की तबियत ठीक से ना....आं.. गये होतो बाटा सोनेगाव अमरायान बाई को गांव क्येव की रस्ता मा तुमरो माय को गांव गोंडमोहाडी भेटेव त लवट ग्येव बेटी सब ठीक से तुमरो अजी की पाय ला लग गयी से जरासो.. अवो माय कस कस जी मामाजी ,भाऊ सांग की लमढिको बाटा आजन की डगाल तोंडात तोडता झाड परलक पाय घसर गयेव जी ..आराम होय जाये चिंता नोको करो बेटी भगवान सब ठिक कर देये ...एखाद दिवस खासर लक भाऊ संग चाली जाजो बेटी मुलाखत होय जाये l आता जसु बेटी काल आवता आवता नवेगाव मा बाई घर जेय लेयव होतो एक दिवस खाजो लिजाय देऊ कसू भाऊ मंग खरी दोरी पेरण की सेत...हो जी मामाजी जसु भाऊ अता राम राम जी l अजी गांव मा कोनी घर मयत भय गयी रहे त अजी ला बुलावा पयले, बावस्या देन/खबर देन साठी अजी जात होता अजी काहे की अजी ला नांव मूपाट याद होता l अजी ला बाडकाम बी आवत होतो एक गण को किस्सा सांगूंसू तब टीव्ही पर शुक्रवार शनिवार दिवस शाम ला ४बजे पासून पिक्चर आवत होती आमी कामत मा जनवर/गाय भसी चरावन जात होता, बावनकर बाबू घर टीव्ही देखत होता संगी साथी वोन दिवस आमला बहुत टाईम भय गयी टीबी देखता देखता अजी ला चिंता भारी मोरो नाती आबवरी घर नही आयी से अजी कामत कामत खेत बाडी ढुढता बानकर बाबू घर आया ना देखीन .....आमरो घर को बाबल्या से का बाटा दुर्गाबाई आहे बाबाजी...अजीन मोला देखीस ना.... अजी को पार गरम भयव ....एक कांडी मारू बाटाला केतरो डाव का जनावर घर आय गया सेती .....तो ला टीबी काम आहे टीबी.....मी भाग परात परात घर आयेव मोर बाबूजींन एक कान पर तड न्यारी मरिस पाचयी बोट गाल पर उतर गया l
आई कसे जान देव आता अजच गयी रहे चल बेटा...घास भर भात खायले इंधारो पड गयी से !
अज बी गांव मा लोक कसेती की महादु महाजन की बात निराली होती,मोरो बाबुजी ला बी उनकी पदवी भेटी.....! असा होता मोरा अजी....अजी तुमरो बेटा अना नाती तुमरो सिखायेव/ देयव मार्ग पर चल स्यारी समाज व गांव परिवार को नाव उंचाई पर लिजावंबींन तुमाला मोरो सादर प्रणाम स्वीकार करो.....!
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प्रा. डाँ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे
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