नगर को बाहर बगीचा को पास एक मोठो सुंदर तलाव होतो । राजपरिवार का सदस्य वहान पोहन ला आवत होता ।
वोन तलाव को किनारा परा एक मोठो झाड़ होतो । वोको ढोली मा एक नांग सरफ रव्हत होतो । स्वभाव लका बड़ो सीधो होतो । वोन क्षेत्र मा एक कोल्ह्या भी रव्हत होतो । सरफ अन कोल्ह्या की मुलाकात भयी । धीरे धीरे संगी बन गया । झाड़ परा एक हंस रव्हत होतो । वोन हंस न सरफ ला समझाइस की कोल्ह्या को संग नही रहे पायजे करके । कोल्ह्या को स्वभाव धूर्त अन दुष्ट होतो । पर उनको संगी पना काई कम नही आयी ।
एक दिवस राजकुमारी तलाव परा पोहन ला पहुची । राजकुमारी न आपला सारा जेवर काढ़ कर किनारों परा ठेय देइस । अन राजकुमारी तलाव मा आपलो सखी संग पोहन ला चली गयी । कोल्ह्या कि नजर पड़ी जेवर परा । वोको दिमाग मा खुरापात सूझी । वु कोल्ह्या जेवर तोंड मा धरकर इतन उतन परान लग्योव ।
दूर उभा सैनिक लोगिईनन देखीन की कोल्ह्या को तोंड मा त् राजकुमारी का जेवर सेत । वय कोल्ह्या को मंग धाया । कोल्ह्या न सैनिक लोगिईनला देखिस त् वु घबराय गयोव । वोला लगयव आब काई वोकी खैर नही । वोला लग्योव जेवर वोको संगी सरफ को ढोली मा सुरक्षित रहेती । मून वोन वय जेवर सरफ को ढोली मा डाक देइस । अन जंगल मा पराय गयोव ।
सैनिक लोगहीनन देख लईन की जेवर कोल्ह्या न ढोली मा फेंकी सेस त् उनन् ढोली ला फोड़नो सुरु कर देइण । उनला ढोली मा सरफ सोयव दिस्यो त् उनन् वोला भाला लका मार देइण । अन जेवर काढ़ कर राजकुमारी ला सुपुर्द कर देइण ।
सरफ को अस्तित्व बेमतलब खत्म भय गयोव ।
संगत को जीवन मा बड़ो महत्व से ।
- इंजी महेन पटले
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