हिरकनबाई की अज सकाळ पासुनच बळी धावपळ चालु होती
घर जवळ का चार पाच जन मदत भी करत होता .मदत करेत भी काहे नही जसो नाव तसोच स्वभाव भी होतो मनमीळावु न मृदू.काम करन की फुर्ताई त खबरच नोको लेव तास को काम घळी मा करके तयार या सारी कला हिरकनबाई आपलो अजी घर लाक शीककर आई होती.हिरकन बाई तिन बहीनी न एकच भाई होतो .मोठी को पाठ की हिरकनबाई लहानपन पासुनच बळी हुशार शीकन की बळी इच्छा होती पन तीन बहीन न एक भाई न अजी जवळ जादा जमीन नव्हती म्हनुन अजी न शीकाय नही सक्या.मोठो बहिन को बिया जमे तो हिरकनबाई तसी लहानच होती जेमतेम 16 साल की भइ होती जवळकोच गाव को रीस्ता आयेतो अजीला लगेव एकटोच टुरा से 3-4 एकर कास्तकारी से एकच खर्च मा दुई टुरी इनको बिया नीपट जाये ,हिरकनबाई की आब बिया की इच्छा नव्हती पन अजी की परीस्थीती देखकर तयार भइ .बिया भयव पर हिरकनबाई आपलो घर संसार मा रम गई.भाऊलाल भाऊ भी बळो अच्छो स्वभाव को होतो आपलो थोळो सो कास्तकारी मा लाक धान धनसी पीकायकर आपलो घर- संसार हासी खुशी चलावत होतो.माता गडकालीका की भी हिरकनबाई पर बळी किरपा होती माता को आशीर्वाद लाक उनला एक बेटा भयेव .नाव वोको गणेश ठेईन ,गणेश धिरु धिरु मोठो होत होतो .आपलो टुरा ला शीकावन की इच्छा आपलो पती जवळ हमेशा कवत रव.जसो गणेश मोठो होत होतो तसाच भाऊलाल भाऊ न हिरकनबाई आता बाहेर भी मेहनत करत होता.असो करता करता गणेश 9 वी मा चली गयव .एक दिवस भाऊलाल की तबियत खराब भइ गाव को डाॕक्टर की दवाई पानी करीन पन आराम नही लगेव म्हणून शहर को दवाखाना मा देखाईन तबियत कभी आराम होय त कभी बिगळ जाय पती को दवाई पानी साठी हिरकनबाई ला एक एकर जागा भी बिकन पळी पन हिरकनबाई न हिम्मत नही हारीतीस पन होनी ला कोनी नही टाल सक .एक दिवस यम राजा न भाऊलाल पर आपलो पास टाकीस न हिरकनबाई पर पहाळच टुट पळेव.पन हिम्मत वाली हिरकनबाई न आपलो संसार ला चलावन चालु करीस यन सारो परीस्थीती मा गणेश 10 वी की परीक्षा पास नही कर सकेव न कवन लगेव आता मी नही शीकु आई मी तोला काम मा मदत करुन ,हिरकनबाई न बहुत समजाइस पर मानेव नही.हिरकनबाई की गणेश ला शिकावन की इच्छा भी पुरी नही भइ.आता गणेश 24-25 साल को भय गयतो हिरकनबाई न गणेश को बिया कर सुंदर बहु घर आणीस लक्ष्मी सरीसो बहु को नाव भी लक्ष्मीमीच ठेइस.जब भी लक्ष्मी जवळ हिरकनबाई बस त शिक्षणकीच बात कर .एक दिवस घर जवळ को 4 थी को टुरा ला गणित की काइ अडचन आइ उ टुरा लक्ष्मी कर आयेव न समजाय स्यान मांगन लगेव लक्ष्मी वोला गणित समजावत होती या सारी बात हिरकनबाई बळो ध्यान लाक देखत होती .लक्ष्मी की या हुशारी देख कर हिरकनबाई न मन मा ठान लेईस मी लक्ष्मी ला शिकावुन.राञी जेवन को घनी गणेश का कवन लगी गणेश सकाळी जाय शान लक्ष्मी को 10 वी को फारम भरजो काही कहेत गुरजी त मी आय जावुन पर मोरी लक्ष्मी परीक्षा देये.गणेश आपलो आई कर देखतोच रय गयेव पन जाणत होतो आईला ,आई न यव बिचार सोच समझकरच लेइ रहेस.अन बस भई लक्ष्मी की स्कुल चालु वोन दिवस पासुन हिरकनबाई लक्ष्मी ला कोन काम ला हात लगावन नव्हती देत ,रवन दे बेटा मी कर ले सु तु आपलो अभ्यास कर.गणेश भी बळी मेहनत कर एक एक किताब लक्ष्मी लाई आन के देत होतो.हिरकनबाई न गणेश ला न लक्ष्मी ला सांगकन ठेइ तीस मला आब नातु-नुतु नही पायजे पयले लक्ष्मी को शिक्षण पुरो होय जान देव.लक्ष्मी भी बहुत अभ्यास करत होती 10 वी को नीकाल आयव न लक्ष्मी ला 78% मार्क पळ्या.हिरकनबाई की खुशी त समावत नव्हती .असो करता करता लक्ष्मी न बि.ए.वरी को शिक्षण पुरो कर लेईस .आता हिरकनबाई न लक्ष्मी ला सागीस आता तु साहेबिन बनन की परीक्षा दे.लक्ष्मी भी आपलो तनमन लाक अभ्यास करन लगी गणेश भी शहर लाक वोको संग जे शिक्या होता न नौकरी पर लग्या होता उनला भेट कर मोठी मोठी पुस्तक लक्ष्मी साठी आणत रव.हिरकनबाई लक्ष्मी संग रात रात जाग, राञी चाय बनायकर देत रव कभी आपलो हात लाक जेवन खवायदे.लक्ष्मी न परीक्षा भी देईस पन नीकाल आवन ला होतो.5-6 महिना भय गया निकाल काही आवत नव्हतो लक्ष्मी नाराज रव तब हिरकनबाई वोला जवळ बसायकर धिर देत रव बेटा आम्ही राजा भोज का वंशज आजं माय गडकालीका को आशीर्वाद आमरो पर सदा से सकारी नही त परो तोला खुशी मीलेच.एक दिवस सकाळी सकाळी पोस्टमन आयेव हिरकनबाई ,हिरकनबाई आवाज लगाईस मी कालच आवने वालो होतो पर पञ बाटता बाटता संध्याकाळ भय गइ ती म्हनुन अज आयव लक्ष्मी को नाव को यव लीफाफा आइ से हिरकनबाई न लक्ष्मी ला आवाज देईस वा अभ्यासच करत होती आई को आवाज आयकर बाहेर आइ ,बेटा यव पोस्टमन भाऊ आइ से देख तोरो नाव को पाकीट आइ से कव से, लक्ष्मी न पाकीट धरीस न फाळकर पञ बाचन लगी तसीच हिरकनबाई को पाय पर पळी न डोरा मा लाक आसु पळन लग्या .हिरकनबाई न बळो प्यार लाक वोला उठाईस बेटा का भयव कायला मोती सारखा आसु पाळसेस सांग त सइ का भयव .लक्ष्मी हिरकनबाई को गरो मा पळी न सांगन लगी आई मी पास भइ न तहसिलदार बनी सेव तसीच हिरकनबाई देवघर मा धावत गई माय गडकालीका तुन मोरी इच्छा पुरी करीस मला आशीर्वाद देईस माय .बाहेर आयकर आंगन मा खुशी लाक नांचन लगी मोरी लक्ष्मी तहसिलदार भय गई म्हणून वोतोमाच खेत मालाक गणेश आयेव न धिरु धिरु पुरो मोहल्ला जमा भय गयव.लक्ष्मी आइ न कवन लगी मोरो आई की इच्छा पुरी भइ.
[कसी भी परीस्थीती आयेत पर अगर आपली इच्छा शक्ती मजबुत रहे त माय गडकालीका कोनतो न कोनतो रुप मा आयकर जरुर मदत कर से]
अजयकुमार लिलाधरजी बिसेन
मो.न.9881032959
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