Wednesday, June 3, 2020

शील/चरित्र को जीवन मा महत्व munnalal rahangdale 002


          आमरो समाज मा सभी प्रकारका, जसो साहित्यिक, डॉक्टर, समाज कारणी, राजकारणी,कवी, कवयित्री, अभियंता, किरसान, सेती.मनुष्य जीवन जगण साठी शारिरीक शक्ती, बल आवश्यक से.सबमा महत्व को से चरित्र को.पैसा गयेव त्,काही नुकसान नहीं होय,शरीर को नुकसान भयेव त् काही तरी नुकसान होसे,पर चरित्र गयेव,चरित्र खराब भयेव त् हर बातको नुकसान होसे. 
        वैयक्तिक तसोच सामाजिक दृष्टिकोन लका, चरित्र की शुद्धता, समाज वैभव,अना मोठेपण को प्राण आय, असो लगसे. 
         विष्णू-पुराण मा हिरण्यकश्यप व कयाधु को टुरा भक्त प्रल्हाद की कथा से.भक्त प्रल्हाद की की कहाणी, /कथा चरित्र की महानता की कथा आय.भक्त प्रल्हाद आपल भक्ती भाव,भगवान की आराधना, पुण्य कर्म लका,इंद्र  पराजित भयेव. भक्त प्रल्हाद इन्द्र लोक को राजा भयेव. 
             इन्द्र, देवगुरु बृहस्पती क् जवळ गयेव,अन् इंद्र कव्हसे, "गुरुवर, मोरी अवस्था, पानी बिन मसरी सारखी भयी से,अवस्था फारच खराब भयी से.मोला आपलो राज सिंहासन परत भेटन साठी का करनो पड़े, तुम्ही च सांगो."
         बृहस्पती न कहीस " एक साधारण भिकारी को रूप धारण करो, ना प्रल्हाद क् दरबार मा "इच्छादान" क बेरा पर/समय पर जावो. भक्त प्रल्हाद इच्छादान क बेरा पर भिकारी जो मांग से, वोक् मांगणी नुसार दान देसेती. वोन बेरा परा ,प्रल्हाद को शील (चरित्र) मांगो . इन्द्र न तसोच करीस.
        प्रल्हाद न् खबर लेयीस " तुम्ही मोऽर शील लका च समाधानी/संतुष्ट काये सेव ?भिकारी इन्द्र न् कइस "मोर साठी येतोच भरपूर से". प्रल्हाद न् कइस   "ठीक," से. तसीच एक तेजवाली आकृती प्रल्हाद क् शरीर मा लका बाहेर आयी,व भिकारी इन्द्र क् शरीर मा समाय गयी .
             प्रल्हाद न् आकृती ला खबर लेयीस "तुम्ही कोन आव"? मोरो शरीर सोडशारी, भिकारी क शरीर मा प्रवेश कर सेस?  शील न्  उत्तर देयीस " मी तुमरो शील आव.तुम्ही मोरो दान भिकारी ला दान देयात, ओन् कारण साठी, मोला भिकारी क् शरीर मा प्रवेश  करन को से.
        ओक बादमा तेजस्वी, दैदिप्यमान, आकृती बाहेर आयेव. अखीन्  प्रल्हाद न खबर लेईस  " तुम्ही कोन आव? मोर शरीर ला सोडशारी जासेव ? मी तुमरो शौर्य आव. मी शील को नौकर आव.जबवरी तुमर जवळ शील होतो, तबवरी तुमरी सेवा करेव. शील चली गयी से.मी भी ओको मंग मंग जासू. येक वानी च अखीन काही तेजस् आकृती न्, प्रल्हाद क् शरीर को साथ छोड़ देइन.आखरी मा एक दैदीप्यमान तेजवाली स्त्री/बाई की आकृती बाहेर आयी. वोन् कहीस "मी तुमरी राजश्री, धनलक्ष्मी आव्.मी शील की नौकरानी आव्.एक साठी मी शील  क जवळ जासू.
         येको परिणाम स्वरुप, प्रल्हाद की संपूर्ण सत्ता, व वैभव नष्ट भय गयेव.इन्द्र ला ओको राज सिंहासन परत भेटेव.
           समाज कारण करन क् बारी समाज सेवक क् जीवन मा शील (चरित्र) को महत्व से.
बोध शीलवान/चरित्र 
वान ला सबच मान,सन्मान, यश,किर्ती, सपायी भेट से.बिना शील/चरित्र आमरो सपायी नष्ट होय जासे 
         प्रा.मुन्ना रहांगडाले 
133 प्रसारक ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर

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