Friday, June 12, 2020

उपकार कोणपर करे पायजे hirdilal thakre 001


एक घनघोर जगंल होतो,,,, जगंल मा जगंली जानवर को बसेरा होतो,,,,, जगंल मा पाळीव प्राणी भी चरत होता,,,,, एक कपाट मा शेर शेरनी को बसेरा होतो,,,, उनका लाहान लाहान पिल्लु बी होता,,,,,, एक दिवस शेर शेरनी शिकार को खोज मा बहुत दुर निकल गया होता,,,,,, वापस आवन ला चार पाँच दिवस लग गया,,,, ,इत पिल्लु की हालत बहुत ही नाजुक भयगयी होती,,,,, येव सब द्रुश्य देखत होती एक सेरी,,,, वोन् सेरी ला शेरनी को पिल्लु की बहुत ही दया आय गयी,,,,, वा सेरी वोन शेर शेरनी को पिल्लु ला रोज आपलो दूध पीवावन लगी,,,,,, चार पाँच दिन मा उनकी हालत बहुत ही सुधर गयी,,,,, खेलन कुदन लग्या, मानो जसी उनला नवी जिन्दगानी मील गयी,,,,,,
          शेर शेरनी जब वापस आपलो कपाट मा आया,,,,, उनला कपाट मा सेरी दीसी,,,,,, सेरी ला कपाट मा देख शेर शेरनी बहुत ही खुश भया,,,,,, आपलोला अज आयतीच शिकार मील गयी,,,,,, शेर वोन सेरी पर झपटने च वालो होतो की पिल्लु सामने आया,,,,,, तुमरो गैरहाजरी मा येन सेरी न आमला दुध पीवायके आमरी जाँन बचावने वाली माता आय,,,,,,, पिल्लु का शब्द आयक कर शेर शेरनी को डोरा मा अश्रुधारा बहन लग्या,,,,,, सेरी न आमरो पिल्लु ला दूध पीवाय कर आमरो परिवार पर बहुत ही मोठो उपकार करीस,,,,,, शेर शेरनी न वोन सेरी ला निर्भय होय कर रव्हन को आश्वासन देयकर पक्की दोस्ती भयगयी,,,,,
           शेर शेरनी व सेरी सगं सगं मा फीरत होता,,,,,, कभी कभी त शेर को पाठपर उभी होयकर सेरी उच्चो उच्चो झाड का पाना खात होती,,,,, येव द्रुषय देखकर एक कबुतर ला बडो मोठो आश्चर्य लगेव,,,,, कबुतर न सेरी ला शेरनी व शेर सगं दोस्ती को कारण खबर लेईस,,,,, सेरी न कबुतर ला पुरो व्रुतांत सागींस,,,,, एक दिवस उदिंर का पिल्लु दलदल मा फस्या होता,,,,,, उनला वोन दलदल लक बाहेर निकलता आवत नोहोतो,,,,,,, कबुतर को ध्यान मा आयेव की येन नाजुक परिस्थिति मा इनकी मदत करे पायजे,,,,,,, कबुतर न उदंरा को पिल्लु ला बडो आराम लक बाहेर निकालीस,,,,,, उदंरा को पिल्लु ला बहुत ठंड लगी होती,,,,,, कबुतर न आपलो पंख को अदंर ठेयकर गर्मावत होती,,,,,,,, काही समय बाद उदंरा को पिल्लु ला सुरक्षित जागापर लीजान साती कबूतर न भरारी मारन को प्रयास करीस,,,,, कबुतर ला भरारी मारताच आवत नोहोतो,,,,,,,, कबुतर न आपलो पंख ला देखीस त पिल्लु न कबुतर का पंखच कतर टाकीन,,,,,, कबूतर ला बडो दुखः भयेव आघात भयेव,,,,, कबुतर कसोतरी वोन सेरी वरी पहुचकर आपली दुखःभरी काहानी सागींस,,,,,,, उपकार त तु बी करेस उपकार मी बी करेव पर मोरो सगंमा येव अत्याचार कसो भयेव??
          सेरी न कबुतर ला बडो महत्वपूर्ण मार्गदर्शन करीस,,,,,, कभी भी उपकार शेरदिल इंसान पर करो, उदिंरदिल इंसान पर नही,,,,,, शेरदिल इंसान कभी कोणीकोच ऊपकार भुलत नही हमेशा याद ठेवसेत,,,,,, शेरदिल इंसान हमेशा निस्वार्थ भाव लक रव्हसे,,,,,,, उदिंरदिल इंसान कभी भी कोणीको उपकार याद नही ठेव,,,,,, स्वार्थी इंसान हमेशा उदिंरदिल रव्हसेत आपलो मतलब साती जिवन जगसेत ,,,,,,,,अज येन कहानी लक समज मा आयेव की निस्वार्थी इंसान हमेशा दर्यादिल शेरदिल रव्हसेत,,,,,, मोरो लीखनो मा समजावनो मा काही गलती भयगयी रहे त मोला लाहान भाई समजकर माफ करो जी याच मोरी नतमस्तक विनंती से जय राजा भोज जय माहामाया गडकालीका,,,,, 

                    !!! लेखक!!! 
          श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे 
पोवार समाज एकता मंच परिवार पुर्व नागपुर 

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