Thursday, July 16, 2020

सफलता की कुंजी chhaya pardhi 06


      सफलता की कुंजी

             एक गण की बात आय । एक गाँव मा प्रज्ञाप्रकाश नाव को एक विद्वान रवत होतो । धन – धान्य लक  संपन्न होतो. ... ज्ञान उनको जवर येतो होतो  कि दूर – दूर लक लोक आपलो समस्या को समाधान साती उनको जवर आवत होता । सब उनला *गुरूजी*  कवत होता।
         एक दिस की बात आय,,, एक नवयुवक गुरूजी  जवर आयेव ना कहीस   – “ गुरूजी मोला सफल होणको  रहस्य सांगो,  मोला भी लगसे की मी तुमरो सरिखो  विद्वान बनकर आपली गरीबी दूर कर सकून ।”

गुरूजी हास्या अना नवयुवक ला दुसरो दिवस झुंनझुरका  नदी पर बुलाईन  । युवक ला भी आंग धोवण को होतो मून ऊ भी कपडा धरके दुसरो दिवस झुंनझुरका नदी पर पोहचेव। 

गुरूजीन ओंन युवक ला नदीमा गयरो पानी मा लिजाईन जहान पाणी गरो को वरत्या भयेवं त ओला डूबाय देईन ।  युवक को नाक तोंडमा पाणी गयेव त युवक मसरी वाणी तडफडान बसेव ... मंग गुरुजीन वोला सोड देइन  । युवक लाहकत लाहकत नदी को बाहर परायेव । जब ऊ होसमा आयेव ,,,, कहीस  – “ तुमि मोला काहे डूबावत होतात गुरुजी?"  

गुरूजी: – “ नहीं बेटा ,मी  तोला,सफलता को रहस्य सांगत होतो । अच्छा सांग ? जब मींन तोरी मान पाणी मा डूबायेव तब तोला सबदून जादा कोणतो चीज की इच्छा होत होती ?”

युवक – “ साँस लेनकी ।”

गुरूजी – “ बस येवच सफलता को रहस्य से । जबं तोला सफलता साती असि उत्कंठ इच्छा होये, तबन तोला सफलता मिल जाये । यको बिना अखिन कोंतो  रहस्य नहाय ।”

*सिख*  – जीनगी मा सफलता हासिल करनो रहे त ओनं चीज साती रातदिवस एक कर दे ये पायजे।
*अब्दुल कलाम जी न कही सेन*…….
*सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते*

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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