श्रावण
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो।। ध्रु।।
सोनी को पायकी ढग की चाळ बज्
मातीमा सुगंध दाट जसो कास्तुरिको
मेघमा दिससे कारो निळो घनश्याम
टीप टीप बज पाणी सुर बासुरिको।।१।।
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो
रमत गमत रान हिवरो फुलावत
धराला शालू शोभ् नक्षीदार येव
लपत छपत अायेव् अमृत शिपत
श्रावण मोरो लग् जसो कृष्ण देव ।।२।।
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो
आइसे इंद्रधनू येव अभार रंगण
बांधीसेस देवरायान सतरंगी तोरण
ढुक ढुक देखसे तिरीप कमान धरन
आईसे श्रावण जीव धराला फोळण।।३।।
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत अायेवं श्रावण साजरो
नदीला आयेव पुर नाचत वा चल्ं
रूनझुन करत झरा मतवालो झरं
पक्षी को किलबिल मधुर गुंजण
घार वा आकाशमा भरारी मारं।।४।।
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो
हिवरी भई खेती किसान हरसायेव
दिससे बरसात मा ज्योतिर्गमय देव
सन त्योहार लेकर श्रावण आयेव
मनमयूर नाच मोरो आनंद छायेव।।५।।
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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