Monday, July 27, 2020

राखी shekhram yedekar 20


                 राखी

धुरपताको भाई भयेव, चक्रधारी किशन भगवान
धुरपता बी राखीला जात होती, वला राखी बांधन।। १।। 

बहिण भाईको पीरम देखावसे, यव राखी को सण
बढत रवसे यन् सणला, बहिण भाईको मान। २।। 

राखी को आयेव सण, भयेव उदास बहिण को मन
कशी बी करस्यान जावु कसे, भाईला राखी बांधन। ३।। 

कोरोनाकी महामारी, भयेव चल बिचल वको मन
धकधक लगसे वक मनमा, कशी जाऊ राखी बांधन? ।। ४।। 

एसटी बी वला चोवत नोहती, रस्ता बी चोव सुनसान
बंदोबस्त का पुलिस चोवत, नही चोयेव राखी को दुकान। ५।। 

राखीकोच बहाना रवसे वला, माहेरला जानसाती
कामधंदाला सदा जुपी रवसे, आपल् जिंदगीसाती।। ६।। 

मायक मनमा माया वकी, लग् वला जसो कुबेरको धन
हासी खुशीमा रवसे माय वकी, यकमा वको समाधान  ।।७।। 
**
भोवजीकच हातलका राखी बांधजो, नोको करु लहान मन
नही आव सकु भाई मोर्, आब् तोला राखी बांधन।। ८।। 

मनमा मोर् साती जराशी जागा ठेव, नोको ठेवुस उदास  मन्
सुत को बी धागा बांधेस तरी, होसे राखी को बंधन्।। ९।। 
(धुरपता- द्रौपदी, किशन- कृष्ण) 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर
२६/७/२०२०

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...