प्रेमको बंधन*
श्रावणको धारा संग्
आव् से राखीको सण
हातमा शोभ् से राखी
अनमोल प्रेमको धन
सुसरो घरलकक बहिन
आव् से राखी बांधन
भुल्या बिसऱ्या वादा
एक बंधनमा सांधन
टिका शोभ् से माथापर
जशी चंचल चंद्रकोर
आरतीको थालीमा दान
देख् से हुशार चकोर
बहिनको हातकी मिठाई
रव्हसे अमृतदुन गोड
वोन् मोहक मिठाईसाती
घरमा मच जासे होड
बहिनकी लज्जा रक्षाको
भाई कर् से पक्को वादा
भाईको मनला मिल् से
बिस्वासकी शक्ती जादा
धागा नोहोय साधो यव
आय प्रेमको बंधन
भाई बहिनको रिस्ताको
आय दमदार इंधन
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज), किडंगीपार
ता. २६/०७/२०२०
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