अखाड़ी (नवती बहु)
नवती बहु गिनन, पेहनीसेत नवी साड़ी,
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!
नवी बहु ला आव से, अज याद वोकि माई,
अज वोला देखेती, गांव की सब दाई-माई!
बड़ा-सुआरी अना कुसुम धरके, चलसे मंगह,
वोको मोहरा-मोहरा, चलसे सासु बाई!
नवती बहु गिनकी, पड़ गईन ठंडी नाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!
पारी-धुरा कुदर-कुदर के, टोंड पड़ गयो कारो,
तन मोरो फूल जसो, सुख के पड़ गयो चारों!
मातामाय तोला मी सुमरु सु, तन-मन ल आब,
अगली अखाड़ी तक मोरो, सब दुख ला टारो!
लकरधकर वापस भईन, जसि चल सेत गाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!
घर आय के वोन नौरा ला, सांगिस आपरो सार,
वोन पटिल को बहु जोर, से दूय तोला को हार,
वसोच हार की फरमाईश, करके वा त सोय गयी,
पर सकार भई त सासु की, चलन लगी सरकार,
घुइयां-आदो लगावनला चलनो से अज बाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!
नवती बहु गिनन, पेहनीसेत नवी साड़ी,
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा, बालाघाट (म. प्र.)
दिनांक-०५/०७/२०२०
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