Monday, August 24, 2020

पोवारी काव्य, श्री गणेश स्तुती


पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रिय काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 25


विषय : श्री गणेश स्तुती


 1.   श्री गणेश स्तुती

 

हे गजमुख,गौरीनंदन

तू विघ्नहर्ता, तूच तारक

तू सुखकर्ता, तूच दुखहर्ता

तू विनायक,तू बुद्धिदाता।।

 

गौरीसुत तू,विश्वव्यापी गणनायक

कार्य सफल होसेत पुरा तोरो नावलकं

स्मरण करूसु मी तोला गणपती बापा

श्रीगणेश तूच आमरो सेस मंगलदायक।।

 

वरदहस्त तोरो सदा असोच ठेव

हमेशा करबीन तोरोच देवा धावा

मोरेश्वर पाव आमरो उद्धार करन

तोरोशिवाय नाहाय कोणी त्राता।।

 

संकट मोचन गणराया तू

वेद सिद्ध, एकदंत ,बुद्धी दाता

कर दुष्ट  जन को संहार तू

तुच सेस सुखकर्ता अना दुखहर्ता।।

 

रूप तोरो साजरो, शोभसे तत्त्वज्ञान

गंध को टीरा शोभसे मस्तक पर

वक्रतुंड तू,गणाधीस तू बापा

जुळसेत तोरो सामने मोरा दुही कर।।

वर्षा पटले रहांगडाले

बिरसी आमगांव

 

2.   श्री गणेश स्तुती

बाप्पा, मोरया गणपती, माय  तोरी  पारबती।

अजी तोरो शंकरभोला पयले  तोरीच  आरती ॥धृ ॥

ग की गीनती,न की नही,प मनजे परीक वरता।

ती मनजे अंती सोहं ब्रम्ह,तुच सेस हर्ता कर्ता ॥

तोर आयेलका बाप्पा पावन भयी सारी धरती।

अजी तोरो शंकरभोला पयले तोरीच आरती॥१॥

वाकळी से सोंड तोरी  सुपळो  सारखा  कान।

मोठोजात पोट तोरो डोरा सेत लहान लहान॥

पयले तोरी पुजा होसे न गुण गावसेत भारती।

अजी तोरो शंकरभोला पयले तोरीच आरती ॥२॥

रिद्धी सिद्धी को दाता तू चतुर्भुज तोरो रूप।

उंदीर की सवारी तोरी मोदक खासेस खुप॥

पयले नमाऊ मी तोला अष्ट्वीनायक कसेती।

अजी तोरो शंकरभोला पयले तोरीच आरती ॥३॥

कोणी मयुरेश्वर,कोणी सिद्धीविनायक कसेती।

कोणी कसे  बल्लारेश्वर, वरदविनायक भजती॥

गिरीजात्मक,चिंतामणी,वीघ्नेश्वर,महागणपती।

अजी तोरो शंकरभोला  पहले  तोरीच आरती ॥४॥

चळावुन बेलफुल, अबीर बुका ना नारेन फोळुन।

मोहमायाको पसारा से, नातो तोर संगच जोळुन॥

छाया करजो भक्तपरा आराधना तोरी करसेती।

अजी तोरो शंकरभोला पयले तोरीच आरती॥ ५॥

सबदुन पयले पुजा तोरी सब भक्त आया चरनमा।

सुख्शांती देजो बाप्पा रवजो मोर  मन मन्दीरमा ॥

सब जन  मीलसानी भक्त   तोरा चरण  धरसेती।

अजी तोरो शंकरभोला पहले तोरीच आरती॥ ६॥

डी पी राहांगडाले

    गोंदिया

 

3.   श्री गणेश स्तुती

 

गणपती गजानन, हो विघ्नहर्ता

गणपती गजानन

तोरी भक्ती मोरो ध्यान, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। धृ।।

 

पारबती को तू , राज दुलारा

दरवाजापर, देयेस पहारा

मुश्किल मा सब गण, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। १।।

 

मायक् आज्ञाको, करेस पालन

निभायेस देवा, तोरो गा बचन

करु तोरो गुणगान, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। २।।

 

अहंकार को रे, करेस हरन

तोर् भक्ती मा, बहुत से मान

देवा तोला करु वंदन, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ३।।

 

सुख बुद्धी को, तुच रे दाता

तुच सुखकर्ता, तुच दुखहर्ता

वंदुसु मी तोरा चरण, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ४।।

 

प्रथम पुजाको, तोला से मान

चढाऊ दुर्वा, टिका चंदन

देवा करु तोला नमन, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ५।।

 

बेल फुल तोला, चढाऊ रे देवा

मोदक लड्डू को, देऊ तोला मेवा

खुशी मा कर भोजन, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ६।।

 

लंबोउदरसे, मोठा सेत कान

गजकी सोंड से, तोरी पहचान

मुषक से तोरो वाहन, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ७।।

 

गिरिजात्मज तू, तुच मोरेश्वर

तुच विनायक, तुच लंबोदर

देवा करु तोरो दर्शन, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ८।।

 

करुसु अर्चना, सफलहो काम

कर मोरो घर , शांती को धाम

नमु तोला भगवान, हो विघ्नहर्ता,

गणपती गजानन।। ९।।

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर २३/८/२०२०

4.   श्री गणेश स्तुति

    🌷🌷 गणपति जन्म 🌷🌷

शिव पुराण मा वर्णित गणपति जन्म कथा

प्राशन करलो तुमि भक्त शिवपुत्र की गाथा।।

शिवपार्वती विराजती कैलाश को उचो माथा

जहा शिव तपस्चर्या करसे सेवामा उमा माता।१।

 

एकघन माता पारबाती स्नान करत होती

कोनीतरी पाहिजे द्वारपर राखन करणसाती।।

कसो करुगा आता मनमा भारी आयेव बिचार

शक्ती एकजुट करश्यानी बनाऊन राखणदार।२।

 

कहाडीस मंग आँगको मैल बनाईस पुतला

जान फुकिस ओकोमा आज्ञा देइस ओला।।

राखण कर द्वारपरा नोको आवन देजो भितरा

शंभू आयेव उमाको भेटला तर्क वितर्क केतरा।३।

 

भई लढाई दुहिमा उडाईस बालक को शिर

धावत आईं गा गिरजाई शोक करगा अपार।।

जीवदान देव पुत्रला नहींत संकट आए जगपर

आज्ञा दे शिवजी जाओ सब दक्षिण दिशाकर।४।

 

आनों सिस बालकको जेकों माताकी पाठ पुत्रकरा

दिसेव हत्तीको पिला सीस धरके चल्या कैलासपरा

गजमुख लगाइन सजुमान भयेवं बालक गजधरा

खुशी होसे मनमा सलोनो रूप देख मयुरेश्वरा।५।

 

सबदून पयले पुजेव जासे नाव तोरो गणराया

बुद्धी सिध्दी को दाता तू गज की तोरी काया ।

अष्टविनायक रूप तोरो रची जगमा तोरी माया

पयले वंदू  विनायका गणपती बाप्पा मोरया।६।

✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

 

 

5.   गणपती

 

शिव-पार्वती को टुरा आस तु,

डिंक नाव को मुषक की सवारी,

सब गण को स्वामी कसेत,

मनुष्य गण सेत तोरा पुजारी।।

 

कार्तिकेय से भाई तोरो,

बहिन आय तोरी अशोक सुंन्दरी,

रिद्धि-सिद्धि को दाता कसेत,

शुभ-लाभ आय तोरी वंशावली।।

 

लाल रंग को फुल से प्यारो,

मोदक को तोला भोग चढ़ावू,

कयी नाव लक सेस तु अलंकृत,

हर पुजा मा तोरी आरती गावू।।

 

पाश अन अंकुश से अस्त्र तोरो,

भगवान शिव को टुरा होतोस तु प्यारो,

गणपती नाव पड़यो तोरो,

सब देवता को बन्योस सहारे।।

            ✍️कु.कल्याणी पटले

               दिघोरी, नागपुर

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6.   श्री गणेश

 

बारा नाव जेको,असा तुमी नाथ

बहु गुण आती,तुमरं जी साथ !!१!!

 

विघ्न विनाशक,बुद्धी की देवता

शरण जो आये,वका दुख हरता !!२!!

 

शिव पारबती,पिता अना माता

जो जन चाहता,भेटसे वु ध्याता!!३!!

 

कार्तिक बंधुल,वको साटी त्याग

दात वु टुटेव,झुटो परित्याग !!४!!

 

सोंड जेकी वक्र,दाँत से वु एक

स्मरण पावन,दोष परे कितेक !!५!!

 

लंबो जेको पोट,राजा विघ्न हर्ता

भाल पर चंद्र,सुख जीव कर्ता !!६!!

 

दुर्वा अना शमी,पत्र जेला प्रिय

लाल जासवंद,वु परमप्रिय !!७!!

 

लेखन करीन,श्री महाभारत

महर्षी व्यास जी,रचयिता सेत !!८!!

 

वाहन जिनको,डिंक जी मूषक

बुद्धीयुती साटी,तुमी जी पूरक !!९!!

 

नमन तुमला,से जी महाराज

कृपा तुमरी जी,सबपरा ताज !!१०!!

✍️रणदीप बिसने

मु.कोराडी रोड नागपूर

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7.   गौरीनंदन

करसु वंदन,गौरीनंदन

तोला अभिवादन, कर मन मंगल।।

 

पुजा तोरी हरदिन

भक्तिसंग से मन,दे बुद्धिधन।।

 

प्रतिभाधनि गण

तेजलका कणकण,तनमा बलधन।।

 

तोरी साधनालक

होय मन उत्सुक, तु एक सुलभक।।

 

अध्यात्म विज्ञान

तोरमा् संगम् ,आवनदे जनमन।।

 

तोरी या वंदना

जरे सारी वासना,तार दयाघना।।

✍️पालिकचंद बिसने

 

8.   श्री गणेश स्तुति

 

हे गजानंद हे गजवंदन,

कर सेजन आम्ही तुमरो वंदन ll

 

विघ्न विनाशक नाम तुम्हारो,

सब संकट हरो अज आमरो ll

 

सब जग गाये तुम्हारी गाथा,

सब नमावसेती तुमला माथा ll

 

रिद्धि- सिद्धि का सेव तुम्ही दाता,

भक्तण का सेव भाग्यविधाता ll

 

शुभ कार्य मा पयले नमावो,

अज सब गणपतिजी की महिमा गावो ll

 

गणपती आयव सबको द्वार,

सब परेशानी ला लगाये पार ll

 

महिमा से इनकी अपरम्पार,

सब मनावो गणपति को त्यौहार ll

✍️प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु पो दासगांव ता जि गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४

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9.   गणेश स्तुति

 

तूच गजानन मंगलमूर्ति बाप्पा मोरया गणनायक

पयलों सुमरन तोला हे धवलअंग वरदविनायक

 

वक्रतुंड तू एकदंत तु विकट तू रे सिंदूर वदन

कला विद्या को सेस त्राता आज्ञाकारी ग़ौरीनंदन

हे पितांबरधारी तोरी महिमा से बड़ी सुखदायक

 

सुपकर्ण तू गजवदन तू होसेस उंदीर पर सवार

कानमा कुंडल लंबोदर को गरोमा मुक्ताफल हार

मस्तकपर कुंकुमतिलक तू चिंतामणी शुभफलदायक

 

दूर्वा अना लाल जस्वन्द की माला शोभं से कंठमा

बजसेती रुणझुण पैंजन विघ्नहर्ता तोरो पायमा

मयूर वानी ठुमकत नाचं से गणपती अष्टविनायक

 

गणेश तोरी सवारी आयी जब इंद्र को दरबार मा

मोदकप्रिय तोरो पाय घसरेव चंद्र हासेव जोरमा

कारो डाग पडे सराप देयेस चंद्रला तू बुद्धिदायक

 

जन्मदाता की करेस प्रदक्षिणा रिद्धि-सिद्धि दाता

बाप्पा मोरया शेष-सरस्वती गावं सेत तोरी गाथा

तू सुखकर्ता तू दु:खहर्ता भालचंद्र तू परशु धारक

      ✍️शारदा चौधरी

                                                भंडारा

 

10.                    मोरो देवा गणेशा

हे देवा गणेशा, हे देवा गणेशा।

रव्हो तुमि संग मोरो हमेशा।।

मोरो दिल मा करो वास।

जगाय देवो मोरो विश्वास।।

तुम्ही सेव् आस-पास।

से एको मोला आभास।।

हे देवा गणेशा, हे देवा गणेशा।

रव्हो तुमि संग मोरो हमेशा।।

नाश करो मोरो अभिमान को।

देव् तुम्ही आशीर्वाद ज्ञान को।।

खुश सेव् कसो संग मोला समुह को

काम करो असो मान बढ़े समाज को।

हे देवा गणेशा, हे देवा गणेशा।

रव्हो तुमि संग मोरो हमेशा।।

जय गणेशायः नम

✍️श्री नरेश गौतम

 

11.                    गणपती

 

भाद्रपदी मास ।तोला से वंदन

देती तोला मान  ।भारतीय ।।1

 

शुक्ल चतुर्थीला । जन्म गणराया

शीव गौरा भया । आनंदीत ।।2

 

लाल वर्णी पुष्प । दुर्वा आवडसे

सेंदूर फाससे । गजानन ।।3

 

गजमुख तोरो । चंद्र भालपर

लंबो से उदर । देह सोभा ।।4

 

मोतीयन माला । गरो मा को हार

पित पितांबर । साज मोठो ।।5

 

उंदीर वाहन । त्रिलोक सवारी

असुर संहारी । विघ्नहर्ता ।।6

 

कार्तिकेय भ्राता । से कल्याणकारि

बिस्वास से भारी । तोरो पर ।।7

 

जिवन संगिनी । रिद्धी सिद्धी भार्या

शुभ लाभ कार्या । सिद्ध होसे ।।8

 

जनता करसे । भजन कीर्तन

करसे नमन । बुद्धी दाता ।।9

 

सुख दे सबला । कर बेडा पार

आयक पुकार । गणपती  ।।10

✍️वंदना कटरे  "राम-कमल "

गोंदिया

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12.                     गणेश स्तुती

      💐💐विघ्नहर्ता💐💐

(तर्ज.-सावनका महिना......)

 

भाद्रपदको महिना ,गणेश पुजाको

जोर।

चतुर्थीला उत्सव करसे  ,भक्त तोरा हे थोर।।धु।।

 

दस दिवस तोरी पुजा करसेती।

जिवनमा सुखकी कामना धरसेती।

भनो भावे आराधना ,सगुन रुप अवतार।।१।

 

लंबोदर शेंदुरवर्नी से तोरी काया

मुसक की सवारी या कसी किमया।।

दुःखमा सेती भक्त ,उजड़ाय दे नवी भोर।।२।।

 

कलावंत विविध रूप साकारसेती।।

विघ्नहर्ता गजानन तोरी असीसे किर्ती।।

संकटमा सेती जनहे लवकर उनला तार।।३।।

 

रिध्दी सिध्दी को तु दाता

एकदंत गणेश तूच विथ्नहर्ता

आता आव लवकर कोरोनाको कर संहार।।४।।

                      ✍️वाय सी चौधरी

                          गोंदिया

                                                       
  

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