(चाल: ओम जय जगदीश सहारे)
आरती -माय गढ़कालीका की
जय कालीका माता, मैया गडकालिका माता ।।
आरती करू माय तोरी ,तू सेस सुखदाता ।।धृ ।।
ब्रम्हांड़ की रखवाली तू माता, धारानगर आयी ।।
धारानगर को राजा भोज, उनकं मन भायी ।।जय।।
तू कालिका तूच भवानी, तूच दुर्गा माता।।
सुख दायनी माय मोरी,तूच सेस दुख हर्ता ।।जय।।
राजा भोज का वंशज, पोवार की जाती।।
शरनमा आया तोर,करू तोरीच आरती ।।जय।।
सुंदर सिंहासन तोरो, झलके माणिक मोती।।
ध्यान लगज़ासे तोरो सुधबुध बीसर जाती ।।जय।।
बेलफुल नरीयल चढावुन, अगरब-ती संगमा।।
कृपा होय जाय तोरी, रंगू न भक्ती क रंगमा ।।जय।।
वैनगंगा क ओटामा बस्या, पोवार,छतीश कुर।।
सबको कल्याण करजो माय,नोको करजो दूर।।जय।।
भक्त तोर चरनमा आया,मैया भक्ती करसेती।।
करजो सबपर छाया,मैया करून तोरीच आरती॥जय।।
श्री. डी. पी. रहांगडाले
गोंदिया
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