Thursday, September 3, 2020

मोर ; डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

मोर
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अभारको ढग
दिशा दिशा फिर
ढग क् तालपरा
नाच् वनी मोर

लांडोरीन बाई
टुकुर टुकुर देख
एक पाय मंगा
दुजो पुळ् फेक् 

मोर सारखाे नाच
नही जमेव रानीला
मोर नाचता नाचता
बुलावसे पानीला

पानी आयेव जरासो
ढग कारा भोर
मयूर को  नाच
देखती किशोर

मन मोहक पिसारा
अना थुईथुई नाच
नही गयेव शाळामा
सिकेव बढीया नाच

मोर को पिसारा
बहु लग रमीक
कान्हा क् डोक्सापर
मयूर को पीक

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
३१/८/२०२०
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