Thursday, September 3, 2020

मोर : वंदना कटरे "राम -कमल"

मोर
*************

झुनझुरकाच पडेेव  सपन आमरो बाब्याला
पैदल-पैदल गयेव उ जंगल को रस्ताला ।।1

अभार  मा झुलत  होता कारो अंगुर का घड
बादर की गडगड करन बसी छात्यामा धडधड ।।2

लुकायेव बाब्या  एक  बाभुर को झाड को मंग
रिमझिम  पानी  भिजेव बाब्या को भुरो भुरो अंग ।।3

मोर को टाहो जोरलक आता आदळेव कानमा
बाब्या की नजर गयी अगाजको ठीक दिसामा ।।4

बाब्याला चोया चार-पाच सुंदर सुंदर मोर 
हिरदा मा बस गया वय सप्पा ही चितचोर ।।5

तालमा सुरू होतो सप्पाइ सुंदर मोर को नरतन
पिसारा फुलाय कन लचकावत होता गरदन ।।6

कारो, पिवरो, निरो, केता सूनहरा चोवती रंग
पिसारा मा सोभत होतो जसो नाचतो श्रीरंग ।।7

सरगम छेडन बसी सुरमई माय मोरी सरोसती
कथ्यक देखकन गुंग भय गयी बाब्या की मती ।।8

नाचन लग्येव वहानीच आमरो बाब्या छम -छम
बादर बी बजावन लग्या आता ढोल ढम-ढम  ।।9

भेव गयेव दूर, न बाब्या भयोव आता नाचनमा चुर
पाय  पड्या  काटा पर न  सूर भया आब बेसूर।।10

"माय ss माय ss"आयकीस माय न आवाज
"काजक भयोव बेटा, कायला येतरो अगाज?" ।।11

डोरा खोलकन देखसेत "मी त सेव खाटपर !!! "
सवाल करसे मायला...
मोर नहि आये का माय कधीच आमरो घर ??
बरसात मा नाचनको से मोला वोको बराबर ?? ।।12


वंदना कटरे "राम -कमल"
गोंदिया
३१/०८/२०२०
************************************************* 


No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...