द्रोणकाव्य
दवळ्या को मुंडामा
बनाया ख-यान
सभोवताली
पंढ-यान
पुंजना
छान
गो
पाच ओळगा सेण
पाच ड्राम पानी
धुम्मस दम
सारवणी
खेतको
धनी
मी
ख-यान कबं बने
ताकतच होता
आयतो पर
ये रायता
किसान
जोता
का
पयलोच पइर
काहाळेव मिन्ं
झुंझूरकाच
आया तीन
किसान
दीन
गा
पुछन बस्या मोला,
"दुय मोळा फेकू?
तबच भाऊ
कर सकू
दिवारी,
बिकू
तं"
सुगी मा कास्तकार
खाली खिसा जसो
दुय पइर
को भरोसो
लेयेव
तसो
मी
दुय ख-यान जसो
डगर ख-यान
डबल मोळा
रात दिन
चुरिन
वोनं
जी
दस बारा दिवस
टिकेव ख-यान
चुरनी लका
वू म-यान
भयेव
पुर्ण
रे
सरायेव ख-यान
टाकेव पइर
मदन रास
पुरो इर
चुरनी
भर
से
ढोला भ-या घरका
आनंदी संजोरी
कोठामा बेठ
भई पूरी
मन्नत
मोरी
जी
बहुकामी ख-यान
फ़सल कठान
चुरे किसान
सुख स्थान
सकल
रान
को
_____________________________
प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. 9869993907
No comments:
Post a Comment