Tuesday, October 6, 2020

परी रानी chiranjiv bisen 06

       परीरानी
             
माय की प्यारी, बाप की दुलारी, 
भाई की परी, आमर् घर की टुरी. 

घर भर फिरसे, गोड गोड बोलसे, 
बाहुली संग खेलसे, मंघ मंघ धावसे. 

मोबाईल धरसे, हासी मुसीको बोलसे, 
दादा दादीला, रोज फोन लगावसे. 
चॉकलेट खानकी, जिद करसे, 
नही देईस त्, जोर जोरल् रोवसे. 

घरका सारा काम, करन लगसे, 
मायला काम मा, मदत करसे. 

लहानसी बात पर, भाई संग झगडसे, 
घडी भर मा, वोक् संगच खेलसे. 

वा नही रही त् , घर सुनो सुनो लगसे, 
कोणतोबी काम मा, मन नही लगसे. 

मून हर घर मा, एक टुरी पाह्यजे, 
बेटा से जरूरी, पर एक टुरी बी पाह्यजे. 

                     चिरंजीव बिसेन 
                            गोंदिया

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