Monday, October 26, 2020

दसरा D.P. Rahangdale 01

            हिंदु संस्कृती मा दसरा को खुप महत्व से. पोवार  जातीमा  दसरा को सण मोठ  धूमधाम  लका मनाय ज़ासे. त्रेतायुगमा दसरा क दिवस श्रीरामजी न  रावणला मारशान माता सीताला सोळायशान आणी होतीस .
            रावण की पत्नी मन्दोधरी या दानव का शिल्पी मयासुर की बेटी होती. ओला कौंच ऋषी न आशीर्वाद देई होतीस की तोरो घरवालो जिवंत रहे तबवरी तुमरो घरको भात अम्बानको नही. जब रावण मरेव  त भात अम्बाय गयेव वाच मयरी आय. ना कांच ऋषि न आशीर्वाद देई होतीस मणुन मन्दोधरी न भात की मयरी ना कोचहीक पानाकी बळी बनाई होतीस. रावण यव बामन कुलको होतो मणुन मयरी ला बामनीन कसेती,ना राम क्षञिय होतो ना रामका वंशज पोवार आत मणुन मयरी पोवार घरच बनाई ज़ासे.
            त्रेता युग मा राम को पूर्वज राजा रघु.ओन विस्वजीत  यज्ञ करीस खुप दान करीस. ओकजवळ कौत्स नावको गुरु पुत्र आयेव ना ओन गुरु दक्षिना देनसाती चौदा करोड  स्वर्ण मुद्रा की मांगणी  करीस तब राजा रघू ना कुबेर परा आक्रमण करीस. कुबेर हारेव तब औन शम्मी का झाळपरा स्वर्ण मुद्रा की बारीस करीस. जेतरी ओला लगत होती ओतरी लेगीस बाकीकी बाट देईस.महाभारत मा पांडव अज्ञातवासमा गया तब ऊनन आपला अस्त्र शस्त्र शम्मी  क झाळ परा ठेई होतीन ना अज्ञातवासक बादमा दसरा क दिवस अस्त्र शस्त्र की पूजा करी होतीन मणुन शस्त्र पूजा करे ज़ासे ना शम्मी का पाना सोनोको प्रतीक मणुन बाटे ज़ासे. 
          दसरा क दिवसच माय दुर्गा न महीषासुर राक्षस मारी होतीस. दसरा क दिवस आंगण मा दस इंद्रिया का शेन का दस बळा  (असत्य) ना दस दिवा की ज्योति (सत्य ) ठेयशान पुजा करे जासे.मणजे सत्य की असत्य् परा ना सच्चाई की बुराई पार जीत को त्योहार मनजे दसरा आय. सब न आपल अंदर को दसेन्द्रीय रुपी दसानन ला काबुमा आनसान *षड़रीपु (काम,क्रोध, मद,मत्सर,,लोभ, काम, क्रोध, मद, मत्सर,,लोभ,माया ) रुपी रावण ला मारे पाहिजे.*
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✍️✍️श्री.डी पी राहांगडाले गोंदिया
                         

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