Monday, October 26, 2020

दसरा sharda chaudhari 01

आज सें सण उल्हास को
आपटा रुपी सोनो लुटन को
पुराना दुःख बिसरकर
ऐकमेकला खुशी बाटनको

अश्विन शुद्ध दशमी मंजेच दसरा आय."दसरा सण मोठो । नही खुशी को तोटो"असो काही उगोच नही कवत.जगत जननी दुर्गा माता नं महिषासुर राक्षस को वध येनंच दशमी को दिन करीतीस मुन येनं दिवस ला विजयादशमी असो नाव पडी सें.दसरा पौरुषत्व को  सण आय.चार वर्ण को मिलाप येनं सण मा सें. प्रभू श्रीरामचंद्र येनंच दिवस रावण संग युद्ध करन निकल्या होता.पांडव अज्ञातवास मा जेनं बेरा मा राजा विराट को घरं गया तबं  आपला अस्त्र-शस्त्र  आपटा को झाडपर लपायकर ठेई होतींन.अज्ञातवास सरे पर आपला शस्त्र निकालकर आपटा को झाड की पूजा करीन वू  येवच दिवस आय.

अज्ञान पर ज्ञान नं, शत्रूपर पराक्रम नं, वैर पर प्रेम नं विजय प्राप्त करन को सें.खुशी, समाधान, यश,कीर्ती  प्राप्त करन को सें.ज्योतिष नुसार साल मा तीन शुभ तिथी रवं सेत. एक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दुसरी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा ना तिसरी
दसरा असो कहेव जासे. कोणतोही शुभ काम की सुरुवात दसरा को दिवस करे लक लाभ होसे असो माननो सें.मुन सीमोल्लंघन, नवो कार्य, कपडा को लेनदेन, सोनो खरेदी, घर, गाडी बंगला खरेदी येनं दिवस करेव जासे.

दसरा को दिवस आमरो जात मा सकाळी आंगण मा शेण को सडा टाककर रांगोळी भरं सेत. रांगोळी पर शेण का दस बडा बनावं सेत. वोनं बडा पर फुल सजावं सेत. घर ला सरावं सेत. दरवाजाला आंबा को पान अना गोंदा को फुल की तोरण लगावं सेत. मरदमाना गाडी-मोटारसायकल अना घर का सब औजार धोवं सेत.औजार ला  कुंकूम लगायकर ना गाडी ला हार चढायकर पूजा करं सेत. प्रसाद बाटं सेत.

दिवसबुडता को बेरा नवो कोरो हांडी मा मयरी ना गावठी कोचई को पान की बडी बनावं सेत. रावण को पुतळा बनायकर सारो  गाव मा फिरावं सेत ना गाव को शिव पर वोको दहन करं सेत. येको कारण असो का आदमी मा को बुराई को दहन करनो आय. उतं लक आये पर  सब घर को लहान मोठो इनला आपटा रुपी सोनो देयकर पाय लगं सेत. वोको बाद मा देवघर मा केरा को पान पर मयरी की हांडी, बडी  मंडायकर पूजा कर सेत. घर का सब लोक अंदर बसकर जेवण कर सेत.मयरी  सिर्फ घर का लोक खासेत. मयरी मंजे लक्ष्मी को स्वरूप मानं सेत.  संध्याकाळी चउक पर दिवो की टवरी मंडावं सेत.
असो दसरा सण साजरो करेव जासे.

राम नं मारीस लंका को रावण ला
वूच विजय दिन आय आज को
आपण बी मारबं दुष्ट प्रवृत्तीला
साजरो करबं सण विजयादशमी को

                                           शारदा चौधरी
                                               भंडारा

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...