Tuesday, December 29, 2020

ईश्वर प्रार्थना १८


प्रार्थना

नित्य करू तोरीच प्रार्थना
सद्बुद्धि आमला देजो देवा

बुद्धि सिद्धि को दाता देवा
दीनदुखियो को तूच सहारा
मातापिता की करू मी सेवा
सद्बुद्धि आमला देजो देवा

प्रार्थना लक शुद्ध होसे मन
निर्मल तन मा निर्मल मन
पशु पक्षी सेवालक मिले मेवा
सद्बुद्धि देजो आमला देवा

कन कन मा देवा तोरो वास
तुच तारक आमी तोरा दास
सत्य को सदा हृदयं मा ठेवा
सद्बुद्धि देजो आमला देवा

पंख मा ताकद तू देजो देवा
भरारी मारण देजो अभार नवा
तोरोबिन कोन करे आमरी केवा
सद्बुद्धि आमला देजो देवा

तोरो इशारो पर चलसे संसार
शब्द ला आमरो नवो दे अभार
तोरोच नामस्मरण तोराच गाणा
सद्बुद्धि आमला देजो देवा

सौ. छाया सुरेंद्र पारधी


                    ईश्वर प्रार्थना
(चाल: सुबह सबेरे लेकर तेरा नाम प्रभू ...)

तन मन धनल्ं वंदन करू गणपती भगवान
सकल जहां खुशहाल रहे देवो वरदान ॥धृ॥

काम क्रोध माया मोह लोभ रहित मन हो
सबको मन मंदिरमा तोरो दर्शन हो
हर मानवमा मानवताकी रहे पहचान ॥१॥

क्षमा करो हे लंबोदर मोरो अपराध
सुबह शाम तोरी पूजा करू तोला याद
रहे सदा मोरो वाणीमा तोरो गुणगान ॥२॥

वसुंधरा को हर कुटूंब संस्कारी हो
हरेक पिढी शिलवान हो आज्ञाकारी हो
स्वाभिमान लक रहूँ करू सबको सम्मान ॥३॥

मायबाप की सेवा आजीवन संयम 
मोठा बुजरूक को आदर हो नित्य नियम
सदाचारको पथिक बनू मी आलिशान ॥४॥

मोरो कुलकी संस्कृतिको मी राही बनू
गुरूजन को सेवक दीन को हमराही बनू
सद्सद्विवेक बुद्धिलका हो नवनिर्माण ॥५॥

कर कृपा असी प्रहरीपर जोडू करतल
मातृभूमी अना मायबोली पर रहू अटल
चुकाय सकू मोरो समाजको मी अहसान ॥६॥

डॉ. प्रल्हाद र. हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

पूजा एक संस्कार 
      
चांगला  संस्कार, ईश्वर  भक्ती
मीलसे ऊर्जा,जबरदस्त शक्ती 
संत कसेती, घळीभर देवद्वार 
ओकलक साधती,मुक्ती च्यार 

मनमा पाहिजे भाव ना भक्ती
संस्कारी संतान,तबभेटे मुक्ती 
बुध्दी की देवता,गणपती पूजा 
वीघ्नहर्ता वू, नही कोनी दुजा 

ऋध्दी,सीध्दी दुय ओकी नारी 
करसेती धन वर्षा , सुखकारी 
शुभलाभ दुय टुरा,परोपकारी 
तसा टुराटुरी पाहिजे संस्कारी 

एक निष्ठ भाव तब साधे भक्ती 
जब साधे भक्ती तब भेटे मुक्ती 
संतानपर पळेत चांगला संस्कार
तब होए आपल कुलको उध्दार 

सबजन इष्टदेवकी पूजा करसेती 
कोनी घरमा कोनी मंदिर ज़ासेती 
सबआंग देव,सुध्द आचार बिचार 
पूजा करो देवकी सुखी होय संसार 
                    
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया

चना काव्य स्पर्धा १७

चना

एक एक घेंगरा मा
दुय दुय दाना
खेत मा फलिसे
हिरवो हिरवो चना

चना को झाड़ पर
चढू बार बार
फांदिपर बसकर
संभालू आपलो भार

खिसाभर घेंगरा
मचर मचर खाऊ
कोयल सारखो
कुहू कुहू गाऊ

हिरवो मिटू बनकर
मनचाहा खाऊ
चना को पानपर को
खारट पानी पीऊ

वरी वरी घेंगरा मा
मन मोरो बसे
हिरवो मिटू बनकर
दिल मोरो हसे

शेषराव येळेकर


     हंगाम

कनारमा चना पिड़ी से
 हुडाकं लाईक भयी से।।

घेंगरा तोड़ो खिसा भरो
रस्तालं खावो पोट भरो।।

हिरवं सब फांदिपरा
टरटरा फ-या घेंगरा ।।

मिट्टू बनो चना सोलो
खावोना मिठी बोली बोलो।।

हंगाममा सब मिळसे 
खायलं आत्मा तृप्त होसे।।

""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया

                बाल काव्य स्पर्धा क्र. 17
तारीख :-21/12/2020       रोज :-सोमवार 
                   चना 
                          
गावखारी की दुय मोठी बांधी ओन्ज्या चना पे-या
खुवाळको पाणी पळेव ओकलक लटालट फ-या

खांदन खांदी  घेंगरा ना एकेकमा दुयदुय दाना
पळगयी ओद ना लगी तपन  पिळ गयेव्‌ चना

कभी लगसे मिठ्‌ठु बनकर चनाक रंगमा रंगजावु
सुंदरसी चोच लका घेंगरा फोळफोळकर खाऊ

हिरवो हिरवो  चना खानला लगसे खुप मस्त
दस रूपियाकी जुळी घळीभरमा भयीं फस्त

चना खाओ सेहत बनाओ भलाचंगा बनजाओ
असो घेंगरा  मोठो गुणी मिल बाटकर  खाओ
                       
डी पी राहांगडाले
     गोंदिया

चना को झाड

देखो येव झाड मजेदार
जहा चंघसेत माणसं महान
चना उभो खट्ट रवसे खेतमा
संगी साथी ओका लहान

पगडी ओकी फुल गुलाबी 
दिनभर तपनमा झुरत रवसे
देखो भयेव घाम चराचरो
खारटपणा ओकोमा आवसे

फुलेव गुलाबी पगडी बांधकर
नवरदेवकी जसी बारात सजी 
नाचसेत सब हवा को तालपर
जवरच उचकती उम्बई गहू की

मिट्टू होऱ्या  ढुकढूक देखत
बिन बुलाया ये बराती आती
नजर से घरमालककी उनपर
गोफन लक सुटसे गजकुंडी

हिरवा हिरवा घेंगरा लग्या
चुडू मुडू दुयदुय दाना बस्या
चोर को भेव लका सबजन
हिरवो हिरवो पाना मा लप्या

आब सब चना भया बुढ्ढा 
दाढी मिशी सकट पिक्या
जेतरा चनाको झाडपर चढ्या
सब सरसर खाल्या उतऱ्या

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

        चना को झाड

चना पेरीस पटील नं गावखारी पर
नांगरला हरी ना दुय बैल जुंपकर

चनाला आया कोवरा लुसलूसा डीरा
वोकी भाजी बनाईस मायनं सकाळबेरा
बारीक लंबूटा पान सेत हिरवटसर
गुलाबी फुल को सुंदर आयीसें बहर

लट्टालोंब डारीपूट फरी सें चना
एक एक घेंगरा मा दुय दुय दाना
कास्तकार की देखरेख सें वोकोपर
पाखरू खेदाडंसें गोफण फिरायरकर

मन ललचायेव मोरो चना देखस्यांना
मी ना बंटी नं उपडकर आण्या चना
खेतवालो बोंबलत रहेव दिवसभर
हुड्डा भुज्या ना आमी खाया पोटभर

लाडू बनावंसे माय चना को दार का
सेहतसाती भिज्या चना खासु रोजका
शेव घेंगरी लगसेत स्वादिष्ट रुचकर
चुन भी खासु मी सारप सारप कर

काहे कसेत चंघू नोको चनाको झाडपर
हात पाय जासेत चंघने वालोका मुडकर
गुरुजी नं अर्थ सांगीस मोला समजायकर 
चढनं नही जीवनमा कभी खोटो स्तुतीपर


                                   शारदा चौधरी
                                       भंडारा


दि. २१.१२.२०२० (सोम्मार)
 चना/हरभरा

(चाल: नील गगन मे उड़ते बादल...)

चार डोबमा पे-या हरभरा आयेव टोंघरा टोंघरा ॥
लटूराय गया फांदनफांदी टंबूल पिड्या घेंगरा ॥
धान कटेव पर ओली जमीनमा नांगरणी चरचरा
लटूराय गया फांदनफांदी टंबूल पिड्या घेंगरा ॥धृ॥

काहीमा एक काहीमा दुय दाणा जसो बेनिमा नगिना
डोरामा भ-या पिळ्या घेंगरा ललचाय गयीसे रसना
जाडो तनाको हर डुफ्फाला दस बारा डाठरा ॥१॥

फुलपराच निंबोळी निमपत्ता को अर्क फवा-या
प्रतिबंध इल्ली बुरसीको फिफली किडा निस्त-या
बुजगावनो संग गोफनलका हो-याको मिटेव खतरा ॥२॥

हावरी चिज से हिरवो हरभरा उंदीर चोर अना मिठ्ठू
रातदिवसकी जागली करके पूरी फ़सल मी पिटू
चना जुडी खानला बजारमा लोक भया बावरा ॥३॥

चनाको हिवरो डिराकी भाजी आरण वा तुरपोळी
डुंगा डुंगा लक सुद्दी बिकासे पोताभर गाठोळी
चनाकी खारी जैविक खत उपजाऊ बनाये धरा ॥४॥

हिवरो टरटरो हरभराको दिसतल्ं से हुड्डा
सातकाम छोड़के खानला धाया बाल जवान बुढ्ढा
बाधक नही रेचक से चनाको नही कोई खतरा ॥५॥

चनादालकी भाजी अना पिसके बने पुरनरोटी
बेसनको चून भज्या घेंगरी चकली अना चटपटी
कोचईकी बडीमाको मसाला अना चवदार फरा ॥६॥

चनाको छोला चना फुटाणा चना गरम पापडी
परा सरेव पर कळ्हन चनाको बेसन की पाटोळी
नवमीला गड़कालिकाला अर्पण चना मुरमुरा ॥७॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

Tuesday, December 15, 2020

बाभुर (बाभूळ) 16


 बाभुर

उपेक्षित जीवन बाभुर को
तरी भी जगसे शान लक
हजारों काटा सज्या तनपर
उभो से बड़ो सम्मान लक

बारीक बारीक पाना मुंगोनी
हिरवो शालू जसो  तन पर
स्वर्ण कंचा सा सुमन खिल्या
पान पान डाली डाली उपर

लौंग लतिका सी तोरण लगी
गोल गोल बिजा की फल्ली
झूम झूम कर इठलाय रही से
हवाको झोका संग गल्ली गल्ली

नहीं मांग पानी को कोनिला
तरि बी उभो खट गगन मा
पानझड़ी मा बोड़खो उभो
लपटेव तन शेंग को शेलामा

दात मजबूती फल्ली को मंजन
ढिक गुणकारी लड्डू बनावन
वारे पर भी बहुत आवसे काम
खिड़की दरवाजा चुल्होमा लगावन

असो सुंदर उपेक्षित झाड़ बाभूर को
कठिन समयमा जगनो सिखावसे
जेतरा नाज़ुक फूल पाना येका
वोतरोच सुंदर जीवन दर्शन देखावसे

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सीहोरा

बाभूर

लंबी भुरी बाभूर सेंग
हवामा बजसे छन छन
बहतो हवा मा धावसे
मोरो चंचल मन

एक एक पान तोडकर
सजावू आपली खाट
आराम लका सोवू
निंद की देखुसू बाट

लहान लहान फूल
बांधेव आपली बेणी
डोक्सी को पतझड मा
बेणी पडी बौनी

बाभूर ढिक का
गोल गोल लाडू
दातखुडी बस गयी
करम कसा मांडू

बाभूर को झाड ला
चहूबाजू फाटा
मोरो पुरो जीवन को
बेरहम आटा

शेषराव येळेकर
दि १४/१२/२०

बाभुर का फूल
         
पिवरा पिवरा सोनोवानी 
बाभुर का दुय सुमन, 
जसा नभमा चांद सूरज, 
धरतीपर कानका लटकन. 

चिच क् पाना दून लहान 
बारीक बारीक पाना, 
गाव क् सेरी पाठरू इनको 
बहुत मनपसंद खाना. 

सुंदरता पर नोको जाव 
जवर जानसाती संभलकर, 
जल्दी बाजी मा आहो 
हात पायाला काटा टोचकर. 

बाभुर की लकडी आवसे 
दात घासन क् काम, 
दात बनसेती मजबुत 
दातदुखी ल् मिलसे आराम. 

बाभुर को लकडा बी 
से बहुत चीज कामकी, 
गाडो की तोंडी, पावटनी, 
धीरा, बेलन बनावन की. 

बाभुर की शेंग रव्हसेती 
लंबी, लंबी ना पांढरी, 
तोंड धोवन बनसे मंजन 
काम आवसे रोज सकारी. 

बाभुर को ढीक बी रव्हसे 
खानो मा बहुत मजेदार, 
वोकी गोंद बी बनसे 
सब गोंददून जोरदार. 

              - चिरंजीव बिसेन
                        गोंदिया.
बाभुर

गुणकारी वाकळी तिकळी बाभुर 
बाई का सोचसेस उभी रह्यके
एक हात कळ्यापर ठेयके
अना एक डोस्कापर धरके

पिवरा पिवरा फुल तोरा
चोलसेत अनमोल सोनोवानी
जहा जागा भेटसे तोला
वहा उभी रव्हसेस हिरोइनवानी

गोलाकार लंबी  शेंग तोरी
सुई दोरा वानी दिससे कानका
बारीक बारीक पाना तोरा
मंगलसुत्र दिससेत गरोका

सौभाग्यवती दिससेस साजरी
साजश्रूंगार सुंदर करस्यारी
बाट देखसेस वाकळी उभी रह्यके
आवनार से का बाई तोरो कारभारी?

टपोरा, पिवराधमक फुल तोरा
हवाको ताल परा डुलसेत
समाधानी दिससेस हमेशा तु
जबकी समाज तोरी उपेक्षा करसे


 वर्षा पटले रहांगडाले

                          बाभूळ 
                         
गाव जवर  गावखारी जवरचसे  तराकी पाळ।
औन पारपरा सेती खुपसारा बाभूळका झाळ।।

उबळ खाबळ बुळ  ना वाकळा तिकळा तना।
दुय फाट्‌या काटा ओला लाहानलाहान पाना।।

पाना   मोठा कामका शेरी मनमानी खासेती।
बाभुळ क काळी लका  मंजन भी  करसेती।।

बाभुरला  सेती  सोनो सारखा पिवरा  फुल।
गोलगोल दिससेती जसा कान का कर्नफुल।।

मंग लगी शेंग झाळपरा दिससेती खुप छान।
जसा बाभुळक झाळला फ-या शेरीका कान।।

बाभुळ की शेंगभी शेरी मोठ चावलक खासेती।
गुणी आरोग्यदायी ओको मंजन भी बनावसेती।।

बाभुळ को झाळ से मजबूत टिकाऊ इमारती।
बंडी नांगर,बखर ना दतार ओकीच बनावसेती।।

संसार मा रवसेती सुखदुख का काटा ना फुल ।
बाभुळ झाळको अनुसरण करो दुख जावो भुल।।
                           
डी पी राहांगडाले
       गोंदिया

         बाभूर

खेतमा सें उभो झुकेव बाभुर को झाड
कारो कारो बुड ना ढलपी जाड जाड

अस्सल सें लाकूड मजबूत सें गाठ
ताठर सें कणा ना मजबूत सें पाठ

कोवरा लुसलुसा बारीक हिरवा पाना
काटा सेत डारभर जसा रक्षक बन्या

सोनो सा पिवराधम नाजूक सुंदर फुल
खेल-खेल मा कानमा टाकं सेजं डुल

लगी सेत शेंग गोलाकार लंबी लटलटी
टाकं सेज पायमा जसी चांदीकी पायरपट्टी

शेंग लिजासेजन घरं दातून बनावंनला
दात होसेत बडा मजबूत ना चमकीला

बाभुर को ढिक खानो मा सें चवदार
लाडू बनावंसें माय गुणी ना दमदार

बाभुर पान खासेत जिराफ उंट शेरी
डगाली की बनंसेत कुपाटी ना डेरी

बाभुर को झाड की सेंत जलाऊ लकडी
दरवाजा खिडकी को काम की सेत बडी

उभो सें शान लक झाड छाया देसे थंडगार
माखिसे पिवरो उटनो लक पदर हिरवोगार

                                     शारदा चौधरी 
                                          भंडारा


बाबुर 

डोकरा बाबा गयो लोटा धरके जुगाड़ मा,
वोको पंचा फस गयो बाबुर को झाड़ मा.
स्कूल का टुरु हिनन खूब मजा लियिन,
लुकाय स्यार झाड़-झडूला की आड़ मा.

चना चोरन गयिन  महाजन को खेत मा,
इंधारो मा खूब चलिन खवलायी रेत मा.
झोपड़ी मा कोण्ही खोखलयो त भगिन,
फस गइन बाबुर को कांटा की बाड़ मा.

गणित को मास्टर बड़ो मारखुंडा होतो,
वोको जोर लाइन खीचन को डंडा होतो.
टुरु गुस्तखी हेड़न साती बाबुर का कांटा,
बिछाइन मास्टर को आवन की रोड़ मा.

तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)


 पतंगको गोंद

कारी करडी येकी सालं
बारीक बारीक पाना छान
लंबालंबा काटा टोकदार
पिवरा फुल हे शानदार।।

कमी पाणी तरी तो जगसे
तपनमा हिरवो दिससे
सुंदर सेंग झुलसेती
दंत मंथन करसेती।।

बाबुर पाना शेरीसाठी
खोड़ घरं खिडकीसाठी
बारीक काडी चुलोसाठी
डिंक गोंद पतंगसाठी।।

असो झाड उपयोगीसे
सबको काम योवआवसे
खेतमा योव झाड दिसले
काटाला देखके घबरासे।।

जय राजा भोज, जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया


    बाबुर
खेत ,शिवार,जंगल, झाडी,
बाबुर की भी रवसे बाडी।।

चिखल मा कमल, काटा मा गुलाब,
आंबा को अमराई मा, बाबुर मोठो खराब।।

बाबुर को फुल को, कलर पिवरो,
कारो बुड, हर पत्ता हिवरो।।

मोती को माला जसी, लोंबसे सेंग,
बिया बारात मा, नहीं रव नेंग।।

शेरी पाठरू को,पोट को चारो,
काम को से बहुत पर, आंगन मा नको गाड़ो।।
      
      सौ. लता पटले
       दिघोरी, नागपुर

दाता बाभुर बाबा

किसान को अस्त्र शस्त्र को दाता 
कारो कारो मजबूत बाभुर बाबा
गोल गोल चाक भिर भिर फिर
जलदी जल दि ले जाये मामा को गाव.
धरती को शीना चर चर चिर
असो  किसान को नांगर बन
धरती  को शीना सर सर सपाट कर.
अशी किसान की  दातर बन.
 धरती पर लक  कच कच कचरा साफ कर.
 अशो किसान को बखर बन.
 सब बीज ला एक लाईन मा पेर
अशी किसान की हरी(तिफन) बन
चंद्रशेखर शरणागत

दि. १४.१२.२०२० 
बाभुर
   ('सुनीत' काव्यप्रकार)

जेन्ं झाड़को ढिक साती बचपनमा फि-या रान 
उद्गारवाची गिडरीवानी बोटभर काटा को बाभूर
आबंभी उभो से भक्कम कारोकुट्ट तानके धाकड़ी ऊर 
कानामात्रा वानी सेंगं सोनोका फुल अना चनाका पान 

लाल लोखंडी गार इंधन इमारत औजारको कामी
खर कोरसा काटीकी बेई घनी सावली नक्षी
पंचांगको उत्तम खत बयाको खोपा कठफोड्या साक्षी
मकरंदको भंडार पान सेंग ढोरको चारो नामी

छाल पान सेंगकी फकी काडीको कुची लक मंजन
ढिकका लाड़ू फकी साखरमा पंचांग काढा देसे उर्जा
किटनाशक शर्तिया मसूढ़ा छाला को दर्द भंजन
करे दिगरला जवाँ मिटाये दस्त घाव खुदको न्यून दर्जा

वोको जीवन काटेरी तिरस्कृत फिर भी महादानी
असो जीवनदायी वृक्षोत्तम बाभूरको नही सानी

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

Monday, December 7, 2020

रेलगाड़ी काव्य स्पर्धा 15

 
रेल गाडी डबे वाली

गांगुरी गाय सारखा पाय
भलो मोठो शरीर की
कसी रहे तोरी माय

डबा पर डबा
स्टेशन पर का?लगसे भूक
जन सैलाब ला समायकन
करसेस झुक झुक

धरनो सोडनो स्टेशनपर
पोटमा समायोव जनसैलाब
बापरे बाप मस्त से
हड्डी मांस को कबाब

एक तोंड लंबो शरीर
देखता दुखसे मान
रस्ता पर चलसेस
न ठेवता भान

शेषराव येळेकर


                   रेलगाडी
                         
झुक,झुक,झुक,झुक गाडी ज़ासे
खुशी लका मोरो  मन भर ज़ासे 

लंबो  लंबो   ओको  रव्हसे तोंड 
धुव्वा ज़ासे ज़सी ह-तीकी सोंड

कसी चलसे जसा गांगुरीका पाय 
लोखंड रेल्वेलाईन पर घसरत जाय 

हर स्टेशन परा उभी रव्हसे लोकल 
पर दुय च्यार स्टेशन परासे स्पेशल 

फटाफट जासे चाहे जावो नागपूर 
पुना,कोल्हापूर  या जावो पंढरपूर

काश्मीर पासून जावो कन्याकुमारी 
 सुरत द्वारका या आसाम की फेरी

लंबी लंबी सफर जल्दी करावसे 
सबक मनाला रेल  मोठी भावसे 

पयले कोळसा ना मंग चल डीजल परा 
पर आता बिजली लका परासे भरभरा

तिकीट काहाळो ना झटसे पैसा फेको
पुरो भारत को सुंदर सलोनो रूप देखो 
                      
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया
बचपन की रेल गाडी

 बचपन की रेल गाडी
होती बहुत अनोखी
लाल लाल कलर
अन् कारो कारो धुवा
कोळसा पर चलत होती
बेभान हो य कर मस्त
पहले का ट्रेन ड्रायवर
होता बहुत मेहनती
डो स्कला बांधत होता
लाल लाल फेटा
याच होती उनकी पह चान
टी टी काका होता मस्त
लगत होता दुनिया मा सुंदर
काली पँट काळी कोट
अन् अंदर पांढरी जगा(शर्ट)
डोस्का पर मस्त सज काळी
काळी टोपी याच होती 
टी टी काका की पह चा न
 दुय जन च होता रेल गाडी
असली मा नायक
तिकीट होती  लाहन शी
खरडा की बडी मस्त
घण् घन घंटा बजा ओ
स्टेशन मास्तर मस्त
मी धावत धावत जात होतो
रेल गाडी ला धरण
अशी होती मोरो बचपन
झू ख झुख् अगीन गाडी
चलत होती मस्त

 चंद्रकुमार शरणागत

     रेलगाडी

झुक झुक झुक झुक 
रेलगाड़ी चलसे, 
नदी, नाला जंगल 
सब पार करसे. 

पटरी परल् धावसे 
खाल्या नही आव, 
स्टेशन परच रूकसे 
शहर हो या गाव. 

टिकीट लेयकरच जानो 
पडसे रेलगाडीमा, 
नही त् टिकीट चेकर 
करसे बहुत जुर्माना. 

दूर क् सफर साती 
करनो पडसे आरक्षण, 
तब सफर होसे सोपो 
अना मिलसे संरक्षण. 

रेलगाड़ी से सबसे सस्तो 
सफर को साधन, 
मून सबकी पहली पसंद से 
धनवान रव्ह या निर्धन. 

             - चिरंजीव बिसेन
                      गोंदिया


अगीन गाडी

अगिन गाडी कसी चलसे झुकं झुक झुक
खिडकीमा लक लोक देखसेत टुक टूक टूक

येतरी लंबी अगिन गाड़ी चलत रहे कसी
दूर दूर जासे पर, कसी थक नहीं कभी
आराम नहीं मिल ओला बड़ो होसे दुख!!१!!

एकघन मी भी गए होतो मामा को गांव
स्टेशन पर उभो रहकर दुख्या मोरा पाय
गाड़ी की बाट देखकर कोमाय गयेव मुख!!३!!

घडिकमा चांदा गाड़ी आई बजावत पोंगा
वरत्या लक निकलत होतो कारोकारो धुंगा
हात देखयेव आगगाड़ीला तसी वा गई रुक !!३!!

घाई घाई करसेत सब यहा होसे रेटा रेटी
पाकीट धरकन परासेत यहा चोरइंकी भीती
संभालो आपलो सोनोनानो जाये नहीं त लूट!!४!!

कसा बसा चढ्या यहा गाव जानकी खुशी
झाड परात होता मंग मंग हरणी को भांती
नदीको पानी मा पैसा टाक्या एक मुठ!!५!!

एक एक टेसन गयेव दिवस गयेव बुड
मामा घर मोरो मन पयलेच गयेव उड
मज्या सब करबिन शाळा को उतरेव भूत!!६!!

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा

 अगिनगाड़ी
                  द्वादशाक्षरी

धड़ाड़ धड़ाड़ झुक झुक झुक
सिटी बज गयी कुक कुक कुक ॥१॥
आयी ठेसन पर अगिनगाडी 
मामाको गाव जाबी सावंतवाडी ॥२॥
टिकट निकाल्या ऑनलाइन की
शयनयान सिट आरक्षण की ॥३॥
सिटी बजी निकली अगिनगाडी
होदक ठेसन गयेव पिछाडी ॥४॥
सुपरफास्ट आमरी रेलगाडी 
विठ्ठलवाडी लक सावंतवाडी ॥५॥
मोटरमेन इंजिन का चालक
टी.सी. बोगीका नियंत्रक वाहक ॥६॥
रेल की पटरी चली समांतर
धावं सौ चाका की गाडी सरसर ॥७॥
कभी गाव कभी खेत जंगलमा 
बोगदामा कभी नदी बगलमा ॥८॥
नदी पूल पर खळाळ खट्टक 
शहरमा की सब बंद फाटक ॥९॥
मंघ्ं परा सेत हूळकी पहाड़ी
गाव शहर अना जंगल झाड़ी ॥१०॥
जुनो जमानोमा कोरसा इंजीन
मंग डिजलल्ं चली काही दिन ॥११॥
आता बिजली पर लोकल फास्ट
बुलेट मैट्रो मोनो सुपर फास्ट ॥१२॥
राजधानी एक्सप्रेस मेमू मेल
स्माल ब्रॉड गेज़ बिजलीकी रेल ॥१३॥
दिन बुडेव पर रात को बेरा 
डिनर लेनला बर्थ पर घेरा ॥१४॥
सोया बर्थ पर लगायके डेरा
मामाको गावमा भयेव सबेरा ॥१५॥
जसो आमी पोहच्या सावंतवाडी
लेन आयेव मामा उत-या गाडी ॥१६॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७
         रेलगाडी

झुक झुक झुक झुक रेलगाडी
डब्बाच डब्बा लंबी सें बडी
तिकीट घर मा तिकीट काढबिन ना
गाडीपर बसस्यान देखबिन ना ll धृ ll

इंजिन चलंसें कोयला पर 
चालक गाडी को ड्रायव्हर
इंजिनपर चंदेरी सूर्यको चित्र सें ना ll1ll

कारो ढगवानी पसरेव धूर
शिट्टी को रूपं मा बजंसे सूर
झाड सुरसुर उलटा परासेत ना ll2ll

मंगं पड्या स्टेशन गाव
गाडी को वेग भरधाव
हिरवी झंडी गार्ड देसें ना ll3ll

गाडी धावंसें रुळपर
थांबा लेसे स्टेशनपर
हमाल सामान डुहरं सेत ना ll4ll

गाडीमा गर्दी भेटं नही सीट
दस बरसाको मी अर्धी तिकीट
टिटीया नही मांगण को जुर्माना ll5ll

गाडी एक्स्प्रेस या लोकल
सस्तो मजेदार सफर अनमोल
जंजीर खिचेपर गाडी थांबं सें ना ll6ll

                         शारदा चौधरी
                             भंडारा


      रेल गाड़ी

झुक झुक करत आयी गाड़ी,
सुंदर आमरी प्यारी रेल गाड़ी ll

लंबी दूर जाये आमरी गाड़ी,
सबला लीजाये आमरी गाड़ी ll

ठेसन पर जब आये रेल गाड़ी,
दूर लक आगाज देये गाड़ी ll

सब फाटक बंद होय जाये,
रेल गाड़ी जब आमरी जाये ll

हिवरी झंडी जब गार्ड देखाये,
समझ लेवो गाड़ी आमरी जाये ll

टिकिट वालो जब जवर आये,
सब आपरी तिकीट देखाये ll

जो कोनी तिकीट नही देखाये,
दंड वोला पैसा भरण को देये ll

मनमा बहुत ख़ुशी तब आये,
जब गाड़ी टाइम पर आये ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे 
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

Wednesday, December 2, 2020

चीच ,(इमली) 14

 

आनंदलुटो


 झाड़ला चिच पिकीसेत रे
चलो झोळपालं झोळबिन रे ।।धृ।।

रामु भी आये ,शामु भी आये
गोटाको दुर ,नेम लगाये
मोठी मोठी चिंच पाळे रे।।१।।

शाळाला सुट्टी,मारुका बुट्टी
मज्जा पिके चिंचकी आमटी
गुपचुप संग आनंद लेवो रे।।२।।

तोंडमा चुसो ,पाणी आवसे
टुरीईनला ,खुब आवड़से
वाकुल्या देत सब खावो रे।।३।।

रामु झाड़पर मस्त चंगसे
सब झाड़की शेंडी फोड़से
जोरलं हलाये सब बेचो रे।।४।।

बालपनको आनंद लुटो
 बांगोली चिच सबला बाटो
झोड़पाल नेम लगावो रे।।५।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया


चिच को झाड

याद से मोला अज भी वू चिच को झाड
चिच फरन साती देखत होता पतझड की बाट
कच्ची कच्ची चिच्, आंबटपन की बाढ
चिच पिकन का सपन देखता होय जाय पहाट

चिच को झाड की डगाली बडी मोठी मुलाम 
झाड पर चढन साती रव्हजन हमेशा तैयार
ओटा मा देख चिच् होय जाजन  धनवान
सबको  हिस्सा बाटस्यानी होय जाजन हूशार

जब घर आवू मी त् कव्हत होती मोरी माय
लंगलंग घुम से गावभर यव् पोतन, उदमस्यान
शरिर पर वरफाडा देख व्याकुल होय मोरी माय
बाद मा चिच् देत होती नोन मिरची लगायस्यान

बाद मा कव्ह बेटा, भुत् रव्ह सेती चिचपरा
नोको जाजो बेटा नही त् पडपुड होय जाजो 
उम्मस अक्कल आमरी, चढ जात होता दुबारा
आंबट मिठी चिच् आमरो यादइन को खाजो

चिच् आमरो साती बालपन को फल होतो 
कच्ची चिच् आमरो साती पेवंदी आंबा होतो
पिकी चिच् आमरो साती सफरचंद होतो
बालपन आमरो खट्टो मिठो अनोखो होतो

- सोनू भगत


चिच को झाड

लटा लोंब फरेव वाकडो चिच को झाड
हिरवी हिरवी चिच पिकसे पडसे पाड

चिच लगी सेत जसी ठेई बंदूक लटकाय
कब पडे चिच देखसेजन डोरा मटकाय 

देख देखकर सुट्से तोंडला सबको लार
आन ना सोनू झोडपा अना गोटा दुय चार

झोडबिन चिच ना बनावबिन लॉलीपाप
मिश्रावबिन तीखो, नोन ,भेली को पाक

दिनभर खेल आमरो चिच को खाल्या
आवसेत संगि मोरा पिंकी राम्या,बाल्या

टायर को झुला झुलकर आवसे मज्या
पड्या त टोंघरा फुटकर मिलसे सज्या

बचपन का दिन आमरा बड़ा मजेदार
रोज बनसेजन आमी चिच का किलेदार

सौ छाया सुरेंद्र पारधी


ईमली/ चिंच

लहान लहान पानमा
वाकडी तिकडी चिंच
एक चिंच को पिच्छ्
दोस्ती आवसे बिच

नाव लेता आवसे
तोंडला लुसलुस पाणी
चिंच कसेत तोल
दुनिया सारी दिवानी

स्वाद से गोड आंबट
बिसऱ्या सरा खेल
तोरो स्वाद निरालो
नहाय दुसरो मेल

वाकडी तिकडी अना
चुसू एक बोटी
ईमली तोरो मा
बात से मोटी

चिंच को चिचारा
चौवाटू खेलू
बारिक पानको फांदीपर
हवामा झूलू

काडी देनो चिच खानो
भल्ली सारी मजा
खेतमा खानको
सबसे अच्छो खाजा

शेषराव येळेकर
दि ३०/११/२०

चिच की शेंग
       
तरा क् पार परको चिच को झाड, 
मोठो जात बूड ना लहान लहान पान. 

बालीसभर लंबी शेंग फरसेत खांदाला, 
दुय चार पडसेत् हरेक झोडपाला. 
कच्च् शेंग पासूनच सुरू होसे खानो, 
कच्ची शेंग खानला चटणी आनो. 

चिच खानसाती टुराईन को जमघट, 
झोडपा मारसेत् शेंग पाडनला फटाफट. 

पिकी शेंग स्वाद मा बहुत जास्त, 
खट्टी मिठ्ठी वानी लगसेत् मस्त. 

चिच देखकर तोंडला आवसे पानी, 
अशी जादू नाहाय कोणी जवर जानी. 

चिचकी बनसे चटनी, शर्बत ना खटाई, 
बहुत स्वादिष्ट लगसे जसी श्रीखंड मिठाई. 

                    चिरंजीव बिसेन
                          गोंदिया


खट्टी मिट्ठी चिच

चल संगी खाबिन चिच को गोला,
एक सेंग तोला अना एक मोला ll

आमरो बाड़ी पर से मोठो झाड,
बारीक लहान पत्ता को झाड ll

इस्कूल की छुट्टी को बाद जाबिन,
संगी आमी चिच मस्त खाबिन ll

एक झोडपा मारबिन जवर लक,
चिच पडेती साजरी वर्त्या लक ll

कलम लेबिन अना चिच देबिन,
अ आ इ ई उ ऊ संग बाचबीन ll

 दुई घर् कोनी ला नही सांगबिन,
संगी संगी चिच खानला जाबिन ll

पढ़ाई पूरी संगमा आमी करबिन,
पोवार कुल को उद्धार करबिन ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

चिच को झाड

बाडी मंग पुरानो चिचको झाड हिरवोगार
फरीसेंत लटालोंब चिच डारी ला भरमार

वाकडो आकारकी डारीला सेत लटकस्यानी
दिससेत जसी माय को नथको आकडावानी
पिवरा केशरी फुल बारीक पत्ता को आकार
चिच देखके तोंडमालक मोरो टपकं सें लार

रोज जासू चिच खाल्या सुट्टी होयेपर
संगमा मोरा संगी दिनू राजू श्रीधर
मी नं मारेव गोटा तं चिच पडी दुयचार
बाजू की बुडगीमाय गारी देसे बेसुमार

झोडकर चिच भरुसू मी दुही खिसामा
बिजी काम आयेत चंगा अष्टा खेलमा
आंबट गोड चिच चव सें बडी मजेदार
चिचुरा भी खाऊन चुल्हो मा भुजस्यार

चामल पर मजबूत सें चिच की डगाल
झुलं सेजन झुला आमी सब ग्वाल बाल
इचबीचमा चिच खासेजं मीठ लगायस्यार
छुट्टीको दिन झाडं खाल्या खेलको बजार

माय कसे चिच खाजो तं होये खोकला
चिचपर भूत सें नही  जानं ऐकला दुकला
गुरुजी कसे टारटारीक आम्ल चिचमा अपार
बचपन का दिन सेत आमरा बडा मजेदार

                          शारदा चौधरी
                                 भंडारा

.     चीच
(चाल: ये रेशमी जुल्फे ये शरबती आंखे...)

यव दुय पेढी को झाड़
जसो हिमालय पहाड़
येला देखकर यादायो बालपण 
आमरो खाजो को भंडार
देजं खेलन को धंगार
येला देखकर यादायो बालपण ॥धृ॥

येको खाल्या खुटोला जितरब रव्हत बंध्या
ठोंगसा परा बसत मांदी शहाणा खंद्या
बाकी दिनभर राज आमरो खेलकुद मस्ती करकन 
येला देखकर यादायो बालपण ॥१॥

डोडा पासना पिकत वरी चिच तोडनो
भुज्या चिचुरा खानो अना लुडो खेलनो
पेपारी वालोला चिच देखाया जान बुझकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥२॥

नरम खांदी झुक जाये पर मुळं नही
मनून येको लका रस्ता अळं नही
संकटला नमके रस्ता देनो येकी से सिकवन 
येला देखकर यादायो बालपण ॥३॥

कोवरा पाना पोपटी चिच कच्ची खाटी 
सुरण घुया भाजीमा टाको सारपो आमटी
भेल चाट पानीपूरी सांबर शरबत गुलकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥४॥

पशू पक्षी किड़ाला चारो सावली सदा
पंचांग देसे औषधी तत्त्व बनके प्राणदा
येलं झलार्ं कासो पितर तांबो को बर्तन 
येला देखकर यादायो बालपण ॥५॥

यकि सेंग तलवार वानी झोकळा टंग्या 
खाड्डी मिठ्ठू कीड़ा बंदर दिनभर चंग्या 
येको कोसभर आसपास होसे भरपूर परागन
येला देखकर यादायो बालपण ॥६॥

यनं झाडपर भूतकी सदा अफवाह
रसकी साम्राज्ञी की जरा करो परवाह
मजा आवंसे गुलाबी फुलकी चटणी खायकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥७॥

चिच रेचक वात पित कफ नाशक
शितल सदाहरीत झाड ताप नाशक
नोन हिरोती भेली संग इमलीको गरला खाजन 
येला देखकर यादायो बालपण ॥८॥

आया डोहाळा स्त्रीला चिच भारी पसंद
पिवरी गुलाबी कलीको झोका देसे आनंद
गाव आंगणकी शानला प्रहरीको शत कोटी नमन
येला देखकर यादायो बालपण ॥९॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...