झाड़ला चिच पिकीसेत रे
चलो झोळपालं झोळबिन रे ।।धृ।।
रामु भी आये ,शामु भी आये
गोटाको दुर ,नेम लगाये
मोठी मोठी चिंच पाळे रे।।१।।
शाळाला सुट्टी,मारुका बुट्टी
मज्जा पिके चिंचकी आमटी
गुपचुप संग आनंद लेवो रे।।२।।
तोंडमा चुसो ,पाणी आवसे
टुरीईनला ,खुब आवड़से
वाकुल्या देत सब खावो रे।।३।।
रामु झाड़पर मस्त चंगसे
सब झाड़की शेंडी फोड़से
जोरलं हलाये सब बेचो रे।।४।।
बालपनको आनंद लुटो
बांगोली चिच सबला बाटो
झोड़पाल नेम लगावो रे।।५।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
चिच को झाड
याद से मोला अज भी वू चिच को झाड
चिच फरन साती देखत होता पतझड की बाट
कच्ची कच्ची चिच्, आंबटपन की बाढ
चिच पिकन का सपन देखता होय जाय पहाट
चिच को झाड की डगाली बडी मोठी मुलाम
झाड पर चढन साती रव्हजन हमेशा तैयार
ओटा मा देख चिच् होय जाजन धनवान
सबको हिस्सा बाटस्यानी होय जाजन हूशार
जब घर आवू मी त् कव्हत होती मोरी माय
लंगलंग घुम से गावभर यव् पोतन, उदमस्यान
शरिर पर वरफाडा देख व्याकुल होय मोरी माय
बाद मा चिच् देत होती नोन मिरची लगायस्यान
बाद मा कव्ह बेटा, भुत् रव्ह सेती चिचपरा
नोको जाजो बेटा नही त् पडपुड होय जाजो
उम्मस अक्कल आमरी, चढ जात होता दुबारा
आंबट मिठी चिच् आमरो यादइन को खाजो
चिच् आमरो साती बालपन को फल होतो
कच्ची चिच् आमरो साती पेवंदी आंबा होतो
पिकी चिच् आमरो साती सफरचंद होतो
बालपन आमरो खट्टो मिठो अनोखो होतो
- सोनू भगत
चिच को झाड
लटा लोंब फरेव वाकडो चिच को झाड
हिरवी हिरवी चिच पिकसे पडसे पाड
चिच लगी सेत जसी ठेई बंदूक लटकाय
कब पडे चिच देखसेजन डोरा मटकाय
देख देखकर सुट्से तोंडला सबको लार
आन ना सोनू झोडपा अना गोटा दुय चार
झोडबिन चिच ना बनावबिन लॉलीपाप
मिश्रावबिन तीखो, नोन ,भेली को पाक
दिनभर खेल आमरो चिच को खाल्या
आवसेत संगि मोरा पिंकी राम्या,बाल्या
टायर को झुला झुलकर आवसे मज्या
पड्या त टोंघरा फुटकर मिलसे सज्या
बचपन का दिन आमरा बड़ा मजेदार
रोज बनसेजन आमी चिच का किलेदार
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
ईमली/ चिंच
लहान लहान पानमा
वाकडी तिकडी चिंच
एक चिंच को पिच्छ्
दोस्ती आवसे बिच
नाव लेता आवसे
तोंडला लुसलुस पाणी
चिंच कसेत तोल
दुनिया सारी दिवानी
स्वाद से गोड आंबट
बिसऱ्या सरा खेल
तोरो स्वाद निरालो
नहाय दुसरो मेल
वाकडी तिकडी अना
चुसू एक बोटी
ईमली तोरो मा
बात से मोटी
चिंच को चिचारा
चौवाटू खेलू
बारिक पानको फांदीपर
हवामा झूलू
काडी देनो चिच खानो
भल्ली सारी मजा
खेतमा खानको
सबसे अच्छो खाजा
शेषराव येळेकर
दि ३०/११/२०
चिच की शेंग
तरा क् पार परको चिच को झाड,
मोठो जात बूड ना लहान लहान पान.
बालीसभर लंबी शेंग फरसेत खांदाला,
दुय चार पडसेत् हरेक झोडपाला.
कच्च् शेंग पासूनच सुरू होसे खानो,
कच्ची शेंग खानला चटणी आनो.
चिच खानसाती टुराईन को जमघट,
झोडपा मारसेत् शेंग पाडनला फटाफट.
पिकी शेंग स्वाद मा बहुत जास्त,
खट्टी मिठ्ठी वानी लगसेत् मस्त.
चिच देखकर तोंडला आवसे पानी,
अशी जादू नाहाय कोणी जवर जानी.
चिचकी बनसे चटनी, शर्बत ना खटाई,
बहुत स्वादिष्ट लगसे जसी श्रीखंड मिठाई.
चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
खट्टी मिट्ठी चिच
चल संगी खाबिन चिच को गोला,
एक सेंग तोला अना एक मोला ll
आमरो बाड़ी पर से मोठो झाड,
बारीक लहान पत्ता को झाड ll
इस्कूल की छुट्टी को बाद जाबिन,
संगी आमी चिच मस्त खाबिन ll
एक झोडपा मारबिन जवर लक,
चिच पडेती साजरी वर्त्या लक ll
कलम लेबिन अना चिच देबिन,
अ आ इ ई उ ऊ संग बाचबीन ll
दुई घर् कोनी ला नही सांगबिन,
संगी संगी चिच खानला जाबिन ll
पढ़ाई पूरी संगमा आमी करबिन,
पोवार कुल को उद्धार करबिन ll
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
चिच को झाड
बाडी मंग पुरानो चिचको झाड हिरवोगार
फरीसेंत लटालोंब चिच डारी ला भरमार
वाकडो आकारकी डारीला सेत लटकस्यानी
दिससेत जसी माय को नथको आकडावानी
पिवरा केशरी फुल बारीक पत्ता को आकार
चिच देखके तोंडमालक मोरो टपकं सें लार
रोज जासू चिच खाल्या सुट्टी होयेपर
संगमा मोरा संगी दिनू राजू श्रीधर
मी नं मारेव गोटा तं चिच पडी दुयचार
बाजू की बुडगीमाय गारी देसे बेसुमार
झोडकर चिच भरुसू मी दुही खिसामा
बिजी काम आयेत चंगा अष्टा खेलमा
आंबट गोड चिच चव सें बडी मजेदार
चिचुरा भी खाऊन चुल्हो मा भुजस्यार
चामल पर मजबूत सें चिच की डगाल
झुलं सेजन झुला आमी सब ग्वाल बाल
इचबीचमा चिच खासेजं मीठ लगायस्यार
छुट्टीको दिन झाडं खाल्या खेलको बजार
माय कसे चिच खाजो तं होये खोकला
चिचपर भूत सें नही जानं ऐकला दुकला
गुरुजी कसे टारटारीक आम्ल चिचमा अपार
बचपन का दिन सेत आमरा बडा मजेदार
शारदा चौधरी
भंडारा
. चीच
(चाल: ये रेशमी जुल्फे ये शरबती आंखे...)
यव दुय पेढी को झाड़
जसो हिमालय पहाड़
येला देखकर यादायो बालपण
आमरो खाजो को भंडार
देजं खेलन को धंगार
येला देखकर यादायो बालपण ॥धृ॥
येको खाल्या खुटोला जितरब रव्हत बंध्या
ठोंगसा परा बसत मांदी शहाणा खंद्या
बाकी दिनभर राज आमरो खेलकुद मस्ती करकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥१॥
डोडा पासना पिकत वरी चिच तोडनो
भुज्या चिचुरा खानो अना लुडो खेलनो
पेपारी वालोला चिच देखाया जान बुझकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥२॥
नरम खांदी झुक जाये पर मुळं नही
मनून येको लका रस्ता अळं नही
संकटला नमके रस्ता देनो येकी से सिकवन
येला देखकर यादायो बालपण ॥३॥
कोवरा पाना पोपटी चिच कच्ची खाटी
सुरण घुया भाजीमा टाको सारपो आमटी
भेल चाट पानीपूरी सांबर शरबत गुलकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥४॥
पशू पक्षी किड़ाला चारो सावली सदा
पंचांग देसे औषधी तत्त्व बनके प्राणदा
येलं झलार्ं कासो पितर तांबो को बर्तन
येला देखकर यादायो बालपण ॥५॥
यकि सेंग तलवार वानी झोकळा टंग्या
खाड्डी मिठ्ठू कीड़ा बंदर दिनभर चंग्या
येको कोसभर आसपास होसे भरपूर परागन
येला देखकर यादायो बालपण ॥६॥
यनं झाडपर भूतकी सदा अफवाह
रसकी साम्राज्ञी की जरा करो परवाह
मजा आवंसे गुलाबी फुलकी चटणी खायकन
येला देखकर यादायो बालपण ॥७॥
चिच रेचक वात पित कफ नाशक
शितल सदाहरीत झाड ताप नाशक
नोन हिरोती भेली संग इमलीको गरला खाजन
येला देखकर यादायो बालपण ॥८॥
आया डोहाळा स्त्रीला चिच भारी पसंद
पिवरी गुलाबी कलीको झोका देसे आनंद
गाव आंगणकी शानला प्रहरीको शत कोटी नमन
येला देखकर यादायो बालपण ॥९॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७