Wednesday, March 24, 2021

जातो पर की ओवी

             जातो परकी ओवी
                       
 असो एक माळी गा निर्गुण निराकार
बाग लगाईस सुंदर,जो बाळा जो जो रे.//१//

रोप लगाव सुंदर,खाल्या शेंडा वर बुळ 
कलश पर sदेवुळ,जो बाळा जो जो रे.//२//

साळेतीन हातको खेत,वरत्या धर नांगर 
बैल जुपीस च्यार, जो बाळा जो जो रे.//३//

एकवीस स्वर्ग पर बीहीर,सर्वांग पाझर
माळीन सत्रावी सुंदर,जो बाळा जो जो रे.//४//

चौदावी को मुळ,वाफा सेत बाहातर 
एकविस आळा सुंदर,जो बाळा जो जो रे //५//

त्रीगुण  त्रीकुटी, चवथी जाण गा तुर्या
सबदुन वरत्या माया,जो बाळा जो जो रे //६//

ओन्ज्या उलटी गंगा,पाणी आळोपरा 
सेती त्रि देव मोरा,जो बाळा जो जो रे  //७//

सात गा चकर सप्त सागर को फेरा
माला फिर मनी तेरा, जो बाळा जो जो रे //८//

एक नारी बतीस पुऱुष,एकमाच संसार
पाच तत्व को शरीर,जो बाळा जो जो रे //९//

सबमा से भगवान,माया को पसारो
कर्म चांगला करो, जो बाळा जो जो रे  //१०//
            
डी पी राहांगडाले 
      गोंदिया


जातो पर की ओवी

     सासुरवास

जातो फिर से गरगर,पिठ पळसे भरभरा
बाई दससे तांदुर, रोटी खाय भाऊराया।।

काजक सांगु  तुमला बाई ,माय घरकी बढाई
माय घरंक माळीपरा,चंद्र सुर्य की लळाई।।

सासु करसे सासुरवास, घरधनी  नही आयक
सकार पासुन काम,करुसु पुरो   संयपाक।।

पहाट पासुन दरन दरो,झाडु मारो शेन फेको
भाडाकुंडा साफ करो, सासुका पलासा आयको।।

पहाटला कोंबडा़ बाग देसे,सासुबाई ला बाग लिजासे,
आनो राया सोळायकन,ओकी शाक बनावबिन।।
(असो राग व्यक्त करसेती)
""जय राजा भोज,जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया



ओवी
गाउसु बाई मी ओवी गा गाउसु
मुठ मुठ चाउर मी वाहूसु गा वाहूसु

अन को दाना येव कन कन पिसुसु 
जातो मोरो येव गा मी यव देखुसु

पिसेव पिठ फिजाउसु गा बाई फिजाउसु
हात लका रोटी मी बनाउसु गा बाई बनाउसु

सकार को नास्ता मा खासे गा बाई वु खासे
नाथ मोरो खासे रोटी गा ना खेत जासे

दिन रात मेहनत लका अन पिकावसे गा पिकावसे
तब जायस्यानी जातो मा पिठ दरसे गा बाई दरसे

~ विरेंद्र कटरे
जातापरकि ओवी

जातो परकि ओवी
मनला देसे सुकून
जातोबि देसे संगीत
जातोलकाच पिठ ना चून।।

ज्ञानेश्वरकि ओवी
तसिच ओवी आत्याकि
कस्ट कमि ओवी करसे
याद आवसे जाताकि।।

भुरुकाल् दरत होती 
कनिक वहानी सांडत होती
माय ओवी गात होती
घरमा् आनंद भरत ती।।

जातो गयोव ओवी गयि
चक्की आयि कविता भयि
फिरून आयोव जातो ओवी
इतिहास कि यादच आयि।।

जातोबि एक यंत्रच होतो
ओवी काव्यप्रकार
विकास भयोव दोनो तंत्रको
जुनो यंत्रकि जयजयकार।।

प्रेमलकाच फिरवू जातो
लिकू ओवी एकतरी
प्रेम  करु इतिहासपरा
मानवकि से महिमा न्यारी।।

पालिकचंद बिसने


 जातो पर की ओवी

पयली मोरी ओवी ग,  मोरो माता पिताला
विठ्ठलरुकमाई जोडा जसो, सोभसे पंढरीला

दूसरी मोरी ओवी ग मोरो भाई भोवजाईला
लक्ष्मीनारायण जोड़ा जसो, शोभसे वैकुंठला

तिसरी मोरी ओवी ग मोरो कुकू को धनीला
सावित्री को सत जसो, सत्यवान को जीवला

चवथी मोरी ओवी ग, मोरो सासू सुसरोला
पुण्यवान को घर आयी नमन उनको चरनला

पाचवी मोरी ओवी ग , पंढरिको पांडुरंगला
अखाडी ला वारी करू, भेटन जाऊ श्रीरंगला

सहावी मोरी ओवी ग, तुलसी वृन्दावनला
पुण्य कमाओ कन्यादान को, बिह्या लगायश्यान

                        - सोनू भगत
   
जातो परकी ओवी

पहिली मोरी ओवी सें गढकालिकाला सुमरन
आमरी कुलदैवत तू देजो लवकर दर्शन

दुसरी मोरी ओवी सें चक्रवर्ती राजभोजला
पूजसे हर पोवारजन तोला नित्य रोजला

तिसरी मोरी ओवी सें  धार नगरीला
पोवारी उगमस्थान वू  पुण्यस्वर्ग धरतीला

चौथी मोरी ओवी से आपलो जन्म दाताला
शतशत नमन करुसू आपलो मातापिताला

पाचवी मोरी ओवी सें आपलो गुरुजनला
वसा धरके उनको विद्यार्जन करून जगला

सहावी मोरी ओवी सें माय तू हर कणकण मा
माता गडकालीका की मूर्ती बसीसें मोरो मनमा

सातवी मोरी ओवी सें बाई मी दळण दळूसू
माता गढ़कालिका की ओटी नारळलक भरुसू

आठवी मोरी ओवी सें येनं जगत जननीला
आयकर सहाय्य कर मोला दळण दळणला

                                       शारदा चौधरी
                                           भंडारा
 जातो पर की ओवी 

भूमीसार प्रहरला 
जातो पर दरूसू 
केसर किरण वालो 
सूरज मी देखूसू//
मुठ मुठ दाना धीरुलक 
जातो मा टाकूसू 
गोठामाकी गाय हेडतो 
मुरली मी देखूसू //
खाली पोट जातो को 
दंडा मी फीरावूसू 
मदतीला धावणारो 
विठ्ठल मी देखूसू//
जलदी च् पीठला 
आबं मी फीजावूसू 
पसिना ला पोछतो 
बालकृष्ण मी देखूसू//
संसार पार करनला 
मेहनत रोज करूसू 
आनंदीत बेटा बेटी 
घरदार मी देखूसू//

वंदना कटरे 'राम-कमल '

ओवी
पहिली मोरी से                            
माँ गडकालि देवीला
विक्रम राजाभोज भयोव
चलबि उनक् मार्गला।।१।।

दुसरी मोरी ओवी से              
सरोसती माताला
गजानन परसन् होये
जतन भोजक् शाळाला।।२।।

तिसरी मोरी ओवी से।       
प्रणाम वीर पुरसयला
विरांगना पतिव्रता                     
उनक् त्याग सेवाला।।३।।

चौथो मोरो नमन से
राजाभोजको शौर्यला
मुघल गंगैय हैराण भया
भारतमाँक् शक्तीला।।४।।

पाचवो मोरो नमन से 
पोवार संघ शक्तीला
परिवार समजो समाजला ना्
जोळो बिकऱ्या पोवारला।।५।।

सहावो मोरो नमन से
संस्कृती रक्षक पोवारला
नेंगदस्तूर जतन करो
संघ शक्तीसे वक् मुळमा्।।६।

सातवोमोरो नमन से
सोनूभाऊक् तळमळला
मोठा साहित्यिक भेट्या यहानि
नमन ज्ञान कि गंगाला।।७।।

पालिकचंद बिसने सिंदीपार (लाखनी)


  जातो पर की ओवी

दरण बाई मी दरण दरुसू
पोट भर अन्न साठी रक्त अटावसू

जाता बाई जाता मोरो गोटा को जाता
पोट कोनशीब संग दुजा भाव को नाता

एक एक दाना बाई जाता करसे बारीक
खानको पोट एक पण बोट नहात सरीक

फिरसे बाई फिरसे मोरो जाता फिरसे
एक एक दाना पिकावन धनी मोरो राबसे

तुटी बाई तुटी मोरी कमर तुटी
पंढरी को राणा,कब पावन करजो कुठी

दाना बाई दाना नवो धान को दाना
सुटेव प्राण आता धाव गा पंढरी को राणा


शेषराव येळेकर
दि. २१/०३/२१


जातो परकी ओवी

पयली मोरी ओवी गा।
गढकालीका को चरणमा।।
विद्यादान देईन मोला।
रहु ऋणी सदा उपकारमा।।

दुसरी मोरी ओवी गा।
राजा भोज ला वंदन।।
पोवार समाज ला करीन।
उनच नंदनवन।।

तीसरी मोरी ओवी गा।
आई को गर्भमा।।
नव दिवस,नव महिना।
सोहम मंत्र जपनोमा।।

चौथी मोरी ओवी गा।
होती मी अज्ञान।।
मोला दुनीया देखाईन।
मोरो आई बाबुजीनं।।

पाचवी ओरी ओवी गा।
होती मी सज्ञान ।।
वर देखके मांगणी करीन।
मोरो पतीदेवनं।।

सातवी मोरी ओवी गा।
विश्व को देवताला।।
पतिशिवाय देव नही।
सांगुसु मी सबला।।

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
गोंदिया


 जातो पर की ओवी

पयली  मोरी  ओवी ग, वाग्देवी  माता ला  ।
कृपा ओकी राजाभोज ला, नमन उनको चरण ला ।।1।।

दुसरी मोरी ओवी ग, गडकाली माता ला ।
देईस शक्ती पोवारवंश ला, नमन उनको चरण ला ।।2।।

तिसरी मोरी ओवी ग, गायत्री माता ला ।
देसे सद्बुध्दी सबला, नमन उनको चरण ला ।।3।।

चौथी मोरी ओवी ग, राजा भोजदेव ला  ।
श्रद्धास्थान पोवार ला, नमन उनको चरण ला ।।4।।

पाचवी मोरी ओवी ग, मोरो गुरुदेव ला ।
सन्मार्ग देखावन ला, नमन उनको चरण ला ।।5।।

सहावी मोरी ओवी ग, मोरो अजी माय ला ।
शिस्त ना प्रेम देनला, नमन उनको चरण ला ।।6।।

सातवी मोरी ओवी ग, मोरो गुरुजन ला ।
शिक्षा देसेत सबला, नमन उनको चरण ला ।।7।।

आठवी मोरी ओवी ग, मोरो संगी साथी ला ।
जिंदगी मा विश्वास देनला, नमन उनको गुण ला ।।8।।

नववी मोरी ओवी ग, पोवार लेखक, कवी ला ।
पोवारी साहित्य लिखनला, नमन उनको लेखनी ला ।।9।।

 इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)
       मो. 9422832941
         दि. 21 मार्च 2021

                                                                          पहिली मोरी ओवी बाई मातापिता को चरणला
सेवा करो तुमि उनकी बाई धावरे बा विठ्ठला।

दूसरी मोरी ओवी बाई, पूजनीय गुरूजनला
दूर करिन अज्ञान ला ,धावरे बा विठ्ठाला।।

तिसरी मोरी ओवी बाई, पंढरी को पांडुरंगला
जनी संग दरण दरीस ,धावरे बा विठ्ठला।।

चवथी मोरी ओवी बाई, राम लक्षुमनला
आज्ञाकारी भाई बनो धावरे बा विठ्ठला।।

पाचवी मोरी ओवी बाई अंजनी को सुतला
लंकादहन करिस वोन धावरे बा विठ्ठला।।

सहावि मोरी ओवी बाई तुलसी वृन्दावनला
दिओ लगाओ रोज बाई धावरे बा विठ्ठला।।

सातवी मोरी ओवी बाई गढ़कालिका माताला
कुलदेवी आय आमरी धावरे बा विठ्ठला।।

आठवी मोरी ओवी बाई राजा विक्रमादित्यला
न्यायप्रिय राजा बाई धावरे बा विठ्ठला।।

नववी मोरी ओवी बाई आमरो राजा भोजला
ग्रंथ लिखिन चौऱ्यांसी  धावरे बा विठ्ठला।।

दहावी मोरी ओवी बाई निसर्ग माताला
झाड़ लगाओ आता बाई धावरे बा विठ्ठला।।
      सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

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