Thursday, April 8, 2021

साहित्यिक सौ छाया सुरेंद्र पारधी


        

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
संभालके घरकी जबाबदारी
दुय टुरीनला हुशार बनाईस
निस्वार्थ मनलका मोरो सखीन
पुरा कार्य लीलया पेलीस

वाचन की आवड जपके
साहित्य की धुरा संभालीस
आईपण उत्तम तरीकालका पेलके
लेखणीकी चुनुक देखाईस

सोज्वळ, निर्मल मन वोको
हासरो चेहरा सदैव रव्हसे
भुरळ टाकसे चतुराईलका
लोभसवानो रूप दिससे

सखी लाभीसे साहित्य क्षेत्रमा
आपुलकीको रीस्तो से
ऋणानुबंध असोच रव्हनदे
यवच गढकालीका चरणमा मांगनो से

मैत्री फुली पोवारी साहित्य उत्कर्ष मा
बहर आयेव नातो मा आमरो
असाच मीलन दे रीस्ता नाता
साहित्यक वारी मा मोरो

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया

ऋण साहित्यिक गण को
सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

साहित्यिक - श्री मती छाया सुरेंद्र जी पारधी
इनको नाव माच से छाया
आपलो लेखणी लक पोवारी
 बोली ला देसेत काव्य रुपी छाया
 शिक्षिका का इन को व्यवसाय
ज्ञान रुपी तेल देयकर असंख्य ज्योती 
घर घर प्रकाशमान कर
कर सबला ज्ञानी बनाव सेती
ऋणी से इनको पोवार समाज
असंख्य कविता पोवारी मा लिखिन
 ऋणी से पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष  समूह
 Chandrakumar sharnagat
 साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित
बस्तरवारीय उपक्रम
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी पर चारोळी

                   ऋण साहित्य गणको 
 पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित बस्तरवारीय उपक्रम
दिनांक: ०१.०४.२०२१
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी पर अष्टाक्षरी काव्य

सबकीच बडीबाई

सबकीच बडीबाई
पुण्यवान छायाबाई
माया देनेवाली आई
जसी वैनगंगा माई ||१||

सदा लगं जेको मन
परंपरा संवर्धन
करं साहित्य सृजन
अना संस्कृती जतन ||२||

पोवारी शब्द भंडार
तीन भाषाको आगार
प्रपंचको तू आधार
माय बापका संस्कार ||३||

तोरो जीवन संघर्ष
सब झेलीस सहर्ष
तरी मनमा प्रकर्ष
भयो घरको उत्कर्ष ||४||

मृदू भाषाकी भूषणा
सुस्वभावी तू सुगुणा
भरी मनमा करुणा
यव पोवारीको बाणा ||५||

नीज समाजको मणी
रूप गुणमा देखणी
तोरो हातकी लेखणी
बने आमला पर्वणी ||६||

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७

सौ. छायाबाई पारधी
  

मी का करू बखान 
सब गुणईनकी खान, 
छायाबाई पारधी ला 
हात जोडकर प्रणाम. 

बरबसपुरा को माहेर 
ससुराल सिहोरा की, 
सुसंस्कारी, गुणी शिक्षिका 
कवियित्री तीन भाषा की. 

रहांगडाले की टुरी 
बहू पारधी परिवार की, 
सुरेन्द्र भाऊ की नवरी 
माय सृष्टी, समृद्धी की. 

पोवारी, मराठी, हिंदी 
मा लिखसे कविता, 
जसी पोवारी बोली की 
निर्मल, चंचल सरिता. 

                      - चिरंजीव बिसेन
                                  गोंदिया


मुक्तायन काव्यप्रकार मा

कवयित्री सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

मोहक प्रसन्न, आनंदी
सुगंध दरवळत होतो नभी
मी कहेव फूल ला का योव तोरो?
नही बापा ,देख साहित्य निशिगंधा
वा छाया बाई तुमरं सामने से उभी

खेलता बागळता स्वछंदी पशू पक्षी
सांगत होता पुरुषार्थ इतिहास कहानी
जायकन बिचारेव कसो बडेव येतरो ज्ञान?
राहांगडाले परिवार की कन्यारत्न
वा काव्य सरिता समाज शिक्षक कल्यानी

काव्य जतरा की भागीरथी
राहांगडाले परिवार की शान
मी कहेव,फैलेव प्रकाश कसो?
दुय घरं प्रकाश देने वाली
१९९९पासून बनी पारधी घर को मान


काव्य लेखन, ललित ,स्फूट लेख
प्रभुत्व से मराठी,हिंदी,पोवारी
प्रतिभा का वलय उमट्या कसा?
तब भूमिका दिसी भाषा उत्थान को परिस
तेजःपुंज छायाबाई प्रतिभा धन की वारिस


शेषराव येळेकर
दि.०१/०४/२१

कवयित्री--छायाताई पारधी
 टपोरा डोरा गौर वर्ण 
पुनवा को चांद सम मुखचंद्र
रहांगडाले परिवार की कन्या
भ्रतार शोभंसें सुरेंद्र
 
छाया मोठी सद्गुणी 
साहित्य सृजनकार
पोवारी साहित्य जत्रा की
निर्माती रचनाकार

मिलनसार स्वभाव ना
 वानी मा सें मधुर
परिवार ग्रुप मा छलकावं सें
माया ममता को पूर

आय एक अनमोल हिरा
आमरो त्रिवेणी मा को
चमकाये नाव एक दिन
पोवार उत्कर्ष ग्रुप को

         शारदा चौधरी 
              भंडारा
 ऋण साहित्यिक गणको

 कवयित्री--छायाताई पारधी


पोवार समाज से, सबदून न्यारो
संस्कृती वत्सल माई।
असिच आमरी से कवियत्री
गुणीच छायाताई।।

से शिक्षिका ,छंद वू लेखन
वाचन मनन चिंतन
यको परिणाम आमी करसेजन
पोवारी जत्राको मंथन।
अल्पकालमा् उडान भरीस ,पोवारी गगन भरारी।।१।।असिच---

पहचान होसे, हर व्यक्तीकि
वक् साहित्य परलका्
अंतरमनबि साफ दिखसे
प्रेमबि बोलिपरका्
धडधड वा पोवारी बोली,हिंदी मराठी गाई।।२।।असिच --

उज्वल भविष्यकि,से कामना
भेटे ससुरको छत्र
होय सेवा दिव्य संस्कृतीकि
निखरे शिक्षणक्षेत्र।
साथमा् सेजन आमी साराजण,
करो सृजन नवो कायी!।।३।।
असिच आमरी से कवयित्री
गुणीच छायाताई
गुणीच छायाताई

पालिकचंद बिसने सिंदिपार(लाखनी)

छाया
रात आवनेवाली से ,सूर्य रंग बदलावत होतो
भावना को मंच ,कातरवेळ मा सतावत होतो

सुरज सात रंग बिखारके, धरती सोनेरी भयी
भीष्म प्रतीज्ञा तोडकन मिलन ला बुलावत होतो

पालतो घागर मा पाणी भरकन् थकेव मणूष्य
अहंभाव को अंधकार ला रोज सजावत होतो

नाव को झेंडा गाडन झेंडा रंग ढुढकन भयोव
अहंभावी लतपत नाव की पुंगी बजावत होतो

मी रहू या ना रहू सात पिढी पुरे येतरी कमावू 
मुर्दा को टाळू परकी लोणी खानो वू शिकावत होतो

शेषराव येळेकर
दि ०२/०४/२१
 चारोळी 
माय-अजी की पुण्याई 
घरं जनमी बाई 'छाया '
हातकं लेखनी मा प्रगटी 
भाषिक साहित्य की माया  //

वंदना कटरे "राम-कमल "

एक एक शब्द अनमोल ढुंढके
बाई रोज सजावसे या पोवारी
प्रेमभावलक गणगोत जोडके
बडीबाई मनावसे दसरा दिवारी

ऋतुराज

पोवारी को अलख जगाव
लेख साहित्य की शृजनकार
अशी सुसंस्कृत छायाताई 
लेखणी चले जसी सरीताकी धार
             
डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया

छायाबाई का उपकार

गयेव मी छायाबाई घर चाय पिवन
पोवारी जत्रा फेसबुक पर देखशान ।
मोरो अंदर को सुप्त कवी जगाईस 
पोवार इतिहास समुह मा जोडशान ।।
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
       मो. 9422832941
         
पोवारी अलक जागृत
 छायाबाई सृजनकार
 सुसंस्कृत बाणा उनको
 भाषा संस्कृती जाणकार

     रणदीप बिसने

 लाजवाब तोरी हसरत
प्रपंच अना रोजीरोटी
तार परकी कसरत
दूही संग साहित्य सृजन
लाजवाब तोरी हसरत

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
पोवरी साहित्य सरिता
असी आमरी छाया बाई
मराठी,पोवारी, हिंदी मा लिखसे
या समाज शिक्षक साहित्यिक माई

शेषराव येळेकर

 पेशा उनको शिक्षा को 
ममत्व हृदय मा उनको 
शब्द कम पड जासेती
जिवन दर्शन साती उनको

                  - सोनू भगत

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