नाव: डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरीणखेडे "प्रहरी"
मूल निवासी:
मु+पो. डोंगरगांव
ता.+जि. गोंदिया
हाल मुक्काम:
३०५, साई ऑरा, सेक्टर-१७, उलवे
नवी मुंबई-४१०२०६
मो. ९८६९९९३९०७/ ९३२६५१९८२८
शिक्षण: एम.एस.सी., बी.एड., एम.फील., पी.एच.डी., सेट
१० वी वरी - डोंगरगांव
११ वी ते बी. एड. - गोंदिया
एम.फील.- अमरावती (महा.)
पी.एच.डी.- मुंबई
व्यवसाय:
१. अधिव्याख्याता प्राणिशास्त्र विभाग (महाराष्ट्र शिक्षण सेवा गट-ब, राजपत्रित अधिकारी, २०१२ पासून)
२. समन्वयक (Co-ordinator) संगणक शास्त्र
महाराष्ट्र शासनाचे इस्माईल युसूफ महाविद्यालय, जोगेश्वरी, मुंबई-६०
आवड/छंद: गिर्यारोहण, निसर्ग निरीक्षण, संगीत, हार्मोनिका, ढोलक वादन, गायन, लेखन
पुरस्कार: शिक्षण क्षेत्रमा
१. शिक्षक होनो विश्वको सर्वोच्च पुरस्कार आय जेको मोला सार्थ अभिमान से, बशरते व्यसन व्यभिचार अवगुण रहित आचरण हो. येनं बातमा मोरो बडभाऊ (स्व. पी. आर. हरीणखेडे) अना मायबाप (सौ. रायाबाई रघुनाथजी हरीणखेडे) इनको संस्कारइनको मी आजन्म ऋणी सेव.
शिक्षकी पेशा को अलावा
* दूय आंतरराष्ट्रीय आंतरविषय परिसंवादको आयोजन (मुंबई)
* परिसंवादमा शोध निबंध अना संपादन कार्य लाई पुरस्कृत (२००९)
* पाच आंतरराष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध
* ११ राष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध
सहयोग/ सहभाग:
१. सत्यनाम सांस्कृतिक मंडळ (१९९४)
२. सद्गुरू कबीर बहुउद्देशीय कृती समिती स्थापना (१९९६)
३. उपाध्यक्ष: राष्ट्रीय पोवारी साहित्य, सामाजिक उत्कर्ष संस्था
४. पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष समूहमा काव्य परीक्षण, काव्यतरंग समूहमा काव्यस्पर्धा संयोजन, शब्दरजनी समूहमा काव्य परीक्षण
जीवनपट:
१. गावमा खेतीका पूर्ण काम करता करता शिक्षण
२. १० वी को बाद शिक्षण संग उनारोमा प्याऊ, नर्सरी, शासकीय वनीकरणको काम असा काम
३. खाजगी शिकवणी, दूध डेअरी अना पीसीओमा काम करके बी.एस.सी.अना बी.एड. संपादन
४. अध्यापन:
२०००- २००५ गुजराती शाळा/ विज्ञान महाविद्यालय गोंदिया
२००५-२०१० महाराष्ट्र शासनाचे एल्फिन्स्टन महाविद्यालय, मुंबई-३२
२०१०-२०१२ महाराष्ट्र शासनाचे शासकीय महाविद्यालय, कसनसुर, गडचिरोली
२०१२-२०१५ महाराष्ट्र शासनाचे एल्फिन्स्टन महाविद्यालय, मुंबई-३२
२०१५- आजतागायत महाराष्ट्र शासनाचे इस्माईल युसूफ महाविद्यालय, जोगेश्वरी, मुंबई-६०
रचना संग्रह:
१. शालेय सांस्कृतिक कार्यक्रमलाई १२ नाटकं लेखन (पैकी "प्रितिप्रेम" "पक्या इमानी सुक्या बेईमानी" अना "परमानेंट सुख पाहिजे" पुरस्कृत)
२. 'अबोली' (मराठी), 'स्वर संस्कृती' (मराठी/हिंदी/पोवारी) अप्रकाशित कविता संग्रह (१९९१-१९९६)
३. आगामी दूय पोवारी कविता संग्रह अना एक पोवारी कथा संग्रह प्रकाशनलाई तयार सेत (नाव/ शीर्षक गुलदस्तामा).
४. लॉकडाऊन कालमा २०० पोवारी कविता, ९७ मराठी कविता, २५ हिंदी कविता, ४५ बोधकथा/बालकथा, २० अलक, ३५ लेख/निबंध/पत्र इत्यादी रचना संग्रह.
५. हायस्कुल पासनाच सिनेमाको गानाको चालपर कविता, भजन, गाना बनावनों अना गायनको सऊक.
उच्च शिक्षण संपादन कालमा विज्ञानको क्षेत्र रहेलक २०१९ वरी लेखन, साहित्य/ रचना सर्जनकी सऊक/काम मंघ पड गयेव. २००५ पासना मुंबईमा क्षत्रिय पोवार समाज संगठन लोक जुडेव रहेवको कारण २०२० मा व्हाट्सअप समूह नामे "पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष" को माध्यमलक पुन्हा साहित्य सर्जनको कामला गती मिली अना निज क्षत्रिय पोवार समाजको उत्थान करनको पावन काममा, अल्पसो काही नोको होय, योगदान देनको सौभाग्य प्राप्त भयेंव. सध्या विविध हिंदी, मराठी अना पोवारी साहित्य समूहमा सदस्यता.
वैयक्तिक मत:
समाज सर्वोपरी
(मोरो शिक्षण क्षेत्रको थोडासोय योगदान यहां प्रेषित करी सेव काहेका यहां साहित्य क्षेत्रको योगदान ज्यादा अपेक्षित से जो की मोरो जवर अल्पसो से. मी खुदला साहित्यिक नहीं मानू अना असलमा मी खरो साहित्यिक नोहोव. काहेका साहित्यिकको साहित्य क्षेत्रमा भरीव योगदान अना साहित्यको यथायोग्य ज्ञान रवनो जरुरी से जो मोरो जवर नहीं को बराबर से. साहित्य क्षेत्रका जेष्ठ, अनुभवी अना नामवंत साहित्यिकइनको कृपादृष्टी अना आशीर्वादलक येनं क्षेत्रमा थोडी जाणकारी जमा करता करता ज्ञान अर्जित करनको मोरो प्रयत्न चालू से.)
अजका साहित्यिक
श्री प्रल्हाद हरिणखेडे
डोंगरगाव का सुपुत्र आती
'प्रहरी' हरिणखेडे प्रल्हाद,
उनको नाव आयककन्
आवसे भक्त प्रल्हादकी याद.
एम. एस. सी, बी. एड्.
सेट, एम.फील, पी. एच. डी,
हासिल करीसेन उनन् असी
जीवनमा मोठ् मोठी डिग्री.
अधिव्याख्याता सेती वोय
प्राणी शास्त्र विभाग मा,
अना समन्वयक सेती वोय
संगणकशास्त्र विभाग मा.
हार्मोनियम, ढोलक वादन
अना गिर्यारोहण, संगीत,
छंदसे निसर्गनिरीक्षण, गायन
अना लिखनो कविता गीत.
अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
नियतकालिक मा शोध प्रबंध,
काव्यस्पर्धा संयोजन, परीक्षण
अनेक समूह मा उनको संबंध.
चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
आदरणीय साहित्यिक
प्रल्हाद रघुनाथ हरीनखेडे
रसिक साहित्यिक प्रहरी पोवारीका
कथा, कहानी, नाटकका रचियता
कविता को झरझर नित बोहसे झरना
डॉ.प्रल्हाद सुपुत्र सुजाण, रघुनाथ पिता
अधिव्याख्याता प्राणिशास्त्र विभागमा सेती
शासन समन्वयक संगणक क्षेत्रमा विचरण
शिक्षकला विश्वको सर्वोच्च पुरस्कार मानती
व्यसन, व्यभिचार, अवगुणरहित आचरण
दूय आंतरराष्ट्रीय परिसंवादका आयोजक
शोध निबंध अना संपादन कार्य लाई पुरस्कृत
पाच आंतरराष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध
११ राष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध वृत
परीक्षक काव्यस्पर्धाका काव्यतरंगमा संयोजक,
संघर्षमय जीवन हसतमुख स्वभाव निष्कपट
जीवनकी कठीण धुरा पती पत्नी संभाळत
प्रेरणादायी से उनको जीवन को यशोपट
"प्रितिप्रेम" "पक्या इमानी सुक्या बेईमानी"
"परमानेंट सुख पाहिजे" पुरस्कृत सेती कृति
पोवारी कवितासंग्रह होये प्रकाशित आशा
गढ़कालिका आशीर्वाद, आमरो स्नेह रहे प्रति
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
ऋण साहित्यिक गणको :-
श्री प्रल्हादजी हरीनखेडे
पोवारीको उत्थान साठी,जीवन समर्पित
श्री प्रल्हादजी हरीनखेडे,सेती कार्यरत।।
गोंदिया तहसील मा एक गाव डोंगरगाव
माय सौ.राधाबाई,अजीको रघुनाथजी नाव।।
सुखी समृध्द परिवार, ना होतो कास्तकार
जन्म भएव प्रल्हादजी को,सुंदर संस्कार।।
एम.ए. बी.एड्. एम.फिल.,पी.एच.डी करीन
पोवारीको उत्थान साती,उच्च भरारी भरीन।।
कार्यरत ,राष्ट्रीय पोवारी संस्था का उपाध्यक्ष
पोवारी समाज, की मनमा तळमळ की साक्ष।।
मुंबई मा स्थायिक भया,राजपत्रीत अधिकारी
शोध निबंध,नियतकालिक,कविता संग्रह भारी।।
महाराष्ट्र शासन महाविद्यालयमा अध्यापन
छंद से संगीत,गिर्यारोहन,ना निसर्ग परीक्षण।।
हार्मोनियम,ढोलक का वादक ना गायन गीत
कई नाटक लिखीन ना देईन कवीताला संगीत।।
अनमोल पोवारीको ठेवा जिनन जपीन निर्विवाद
माय गडकालीकाको उनला सदा मिलेआशीर्वाद।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे (प्रहरी)
डोंगरगाव गावका सुपुत्र प्राध्यापक डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे गावखेळामा सिकस्यान डाॅक्टरेट बननेवाला (phd) सर्वसाधारण घरका एक सर्वसाधारण परीस्थितीमा निपज्या एक हिरा कवनो लगे असो व्यक्तित्व. ग्रामिण भागमा सुविधाकं अभावमा माणूसकी काही अलग कर देखावनकी इच्छाच मर जासे. पर मनमा रातदिन मेहनत करनकी दृढ ईच्छा रही त् कोणतीच परिस्थिती प्रगतीमा आळवी नही आय सकं येको जितो जागतो उदाहरण मंजे आमरा प्रा. डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे. अज शासकीय अध्यापन क्षेत्रमा आपलो अलग ठसा उमटायस्यान साहित्य क्षेत्रमाबी आपली अलग छाप उमटाय रह्या सेत.
प्रा. डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे येव उच्च विद्या विभूषीत व्यक्तित्व येतरो सिधो साधो से का इनकंसंगं घळीभरमाच कोणीकीबी दोस्ती जम जाये. साधो रवनेवालो येव हिरा पोवारी साहित्यकं माध्यमलक सबला सुपरीचित भयेव. अध्यापन क्षेत्रकं संग संग डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे आपल् लेखुन प्रतिभालक पोवारी अना मराठी साहित्य समृद्ध कर रह्या सेत. प्रहरी नावलक लिखनेवाला डाॅ. प्रल्हादजी पोवारीमा अलग अलग काव्य प्रकारमा लेखन कर आपली अलग पहचान बनायीसेन.
शिक्षकी पेशाला सर्वोच्च पुरस्कार समजनेवाला डाॅ. प्रल्हाद हरिणखेडेजी राष्ट्रिय अना आंतरराष्ट्रिय परीसंवादयीनको सफल आयोजन करस्यान आपली नेतृत्व कलाबी देखायीसेन. अनेक परीसंवादमा भाय लेयस्यान आपलो संशोधन कार्य सबवरी पोवचायीसेन. अध्यापन, साहित्य अना संशोधनकं बराबर गिर्यारोहण, निसर्ग निरीक्षण, संगीत, हार्मोनिका, ढोलक वादन, गायन असा छंदकी जोपासना करनेवाला एक उच्च प्रतिभाका धनी डाॅ. प्रल्हादजी आपलं सबकं बीच सेत याच आपलंलायी भाग्यगी बात से.
पोवार समाजमा प्रतिभाकी कमी कहींच नहाय ना नोहती. आपलं समशेरलक युद्धभूमी गजबजाय टाकनेवाला पोवार अज खेतीकं बराबर उद्योग, व्यापार, कला, शिक्षण, आयटी, मेडिकल अना अन्य बहुतसारं क्षेत्रमा आपली कर्तबगारी देखायरह्या सेत. या कर्तबगारी देखावनकं बेरा आपली मायभूमी, आपलो समाज, आपली मायबोली इनकं सेवाको भाव मनमा ठेवनेवालो सुसंस्कत समाज बंधूईनमालक डाॅ. प्रल्हादजी एक सेती. उच्ची उडाण लेयकनबी पाय जमीनपर ठेवनेवालो उच्च संस्कारीत व्यक्तीत्व उनकं अंदर विराजमान से. आपलं समाजलायी जेतरो जमे वोतरो योगदान देनको भाव वूनमा सदा चोवसे. येवच भाव उनला अन्य लोकयीनमालक अलग करंसे.
माता सरस्वतीको आशिर्वाद मिलेव येव कवी, हाळाको शिक्षक, सुसंस्कारको धनी व्यक्ती पोवार समाजला सदा प्रेरणादायी से. उनकं प्रतिभालक मायबोली पोवारीको साहित्य क्षेत्र अधिक समृद्ध होये. वूनको शिक्षण, साहित्यक्षेत्रमाको योगदानको आलेख रोजकं रोज बढतो रहे असी माय गढकालीकाला मी प्रार्थना करूसु.
लेखन - गुलाब रमेश बिसेन
मु. सितेपार , ता. तिरोडा , जि. गोंदिया. 441911
मो. नं. 9404235191
ई मेल - gulab0506@gmail.com
डॉ. प्रल्हादजी हरीणखेडे "प्रहरी"
पोवारी को भाव, मनक् अंदर
कविता सुंदर, लिखसेती।। १।।
काव्यमा चोवसे, सृजन भरारी
भया वारकरी, पोवारी का।। २।।
बढायात तुमी, पोवारी को मान
काव्यरुपी धन, देयकन।। ३।।
प्रल्हाद भाऊसे, गुण को सागर
सात्त्विक बिचार, शोभा देसे।। ४।।
पोवारी सजावो, लगावसे नारा
पोवारी को हिरा, प्रल्हाद भाऊ।। ५।।
मौलिक बिचार, काव्यमा लिखसे
शब्द सजावसे, काव्य रुपी।। ६।।
विद्या विभूषित, बहु मेहनती
काव्य रुपी मोती, सजावसे।। ७।।
असा बहुगुणी, प्रल्हादजी भाऊ
तुमरा गुणगावु, कवितामा।। ८।।
डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर
२४/६/२०२१
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरीणखेडे "प्रहरी"
वारकरी पोवारीको
(अष्टाक्षरी रचना)
वारकरी पोवारीको
नाव "प्रहरी" रतन |
कथा कविता लिखसे
बोली पोवारी जतन ||१||
रघुनाथजीको टुरा
वकी रायाबाई माय |
जन्म सुखदेवटोली
डोंगरगांवको आय ||२||
भेटी जीवन संगीनी
वला डिलेश्वरी बाई |
पुत्र सात्विक भयेव
कुल बढ़ावन लाई ||३||
शिक्षणमा सेट वरी
ओनं बढ़ाईस कद |
नौकरीमा प्राणीशास्त्र
अधिव्याख्याताको पद ||४||
वला शिक्षकी पेशाको
मोठो सार्थ अभिमान |
शुध्द आचरण संग
करसेती शिक्षादान ||५||
सोळा पत्रिकामा वनं
शोध निबंध लिखीस |
पुरुस्कृत होयशानी
स्वप्न सुंदर देखीस ||६||
बारा नाटक लिखीस
सांस्कृतिक खेललाई |
'प्रितप्रेम' अना दुय
श्रेष्ठ पुरस्कृत भयी ||७||
हिंदी मराठीका काव्य
'स्वर संस्कृती' 'अबोली' |
संग पोवारी कविता
भरी साहित्यकी ढोली ||८||
कोरोनाको समयमा
सवा तीनसौ कविता |
हिंदी मराठी पोवारी
बनी ज्ञानकी सरिता ||९||
पोवारीमा एक कथा,
दुय कविता संग्रह |
भविष्यमा प्रकाशित
करनको से आग्रह ||१०||
छंद पहाड़ी चड़नो
निसर्गको निरिक्षण |
हार्मोनिका, ढोलक ना
गीत गायन लेखन ||११||
सत्यनाम, कबीरका
बिचारको से आधार |
उचो उठनलाई भेट्या
मायबाप का संस्कार ||१२||
माय गडकाली संग
वाग्देवीको से आशिष |
लेखनीलं समाजमा
उंचो उठे वको शिष ||१३||
शब्द रजनी पोवारी
गृप काव्य परिक्षण |
शिक्षालाई रवसेती
बहुमोल मुल्यांकन ||१४||
कथा कविता इनकी
ठाम सांग गोवर्धन |
मायबोली पोवारीको
करे खरो संवर्धन ||१५||
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
मो. ९४२२८३२९४१
दि. २४ जून २०२१
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