Saturday, September 4, 2021

कृष्ण अना गोपी





मी बी राधा बन जाऊ


बंसी बजय्या, रास रचय्या
गोकुलको कन्हैया लाडको
नटखट नंदलाल देखो
माखनचोर नाव से यको!!१!!

मधुर तोरो बंसीकी तान
भूलसेती गोपी देहभान
गाई आयी धावत धावत
गोपाल गोकुळका बेभान!!२!!

घन निळो कान्हा गिरधारी
सावळी सुरत लगे प्यारी
बन्सीधर गोपाल मुरारी
रूपपर जाऊ बलीहारी!!३!!

राधा तोरो संगमा रवसे
मन मोरो पागल कवसे
बन जाऊ मिठी बन्सी तोरी
मनमा तोरो ध्यान रवसे!!४!!

राधाराणी सुंदर, सलोनी
ओको सरिखो प्रेम मी पाऊ
जन्मजन्मातर साती कान्हा
मी बी राधा बन जाऊ !!५!!

सौ छाया सुरेंद्र पारधी


विषय - कृष्ण ना गोपी


गोकुल ल् मथुरा बजार मा 
गोपी जासेत दही, दूध बिकन, 
रस्तामा कृष्ण ना वोका सखा 
लूटसेत दूध, दही अना माखन. 

गोपी ठेवसेत घर सिकोपर
दही, दूध, लोणी लुकायकर, 
आपल् सखाइन संग कृष्ण 
खासे दही, दूध चोरकर. 

कृष्ण रचावसे रासलीला 
गोपीइन संग शरद पूर्णिमाला, 
रातभर नाचसेत गोपी-कृष्ण 
चांदा बरसावसे अमृत पूर्णिमाला. 

जमुना किनार् बजावसे बांसुरी 
कृष्ण चरावत् चरावत् गायीइनला,
गोपी होय जासेती पूर्ण मोहित 
आयककन् बांसुरी क् मधुर धुनला. 

असा बहुत किस्सा सेत 
गोपी कृष्ण का गोकुलमा, 
अज बी वोतराच लगसेती
मजेदार किस्सा कहानीमा. 

. . . . . . . . . . . . चिरंजीव बिसेन. 
. . . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया


 कृष्ण अना गोपी

बोल बावरी या राधा

    (अष्टाक्षरी रचना)

हात जोड़ कानूबाला
बोलं बावरी या राधा |
दूर कर नंदलाला
तोरी छेड़नकी बाधा ||१||

दही अना दुधलाई
मटकीला फोड़ंसेस |
आंग धोवनको बेरा
वस्त्र काहे चोरसेस ||२||

नोको अड़ाऊस कान्हा, 
येनं नंदनबनमा |
भेव लगसे रे तोरो
मोरो नाजूक मनमा ||३||

देखकर गोपीइंला 
करसेस खूब चाळा |
कृष्ण तोरो पिरमका
फेकू नोको असा जाळा ||४||

बंद कर नंदलाला, 
छेडनका हे बहाना |
सांगबीन यशोदाला 
आमी तोरा हे गऱ्हाना ||५||

इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया*
       मो. ९४२२८३२९४१

कृष्ण अना गोपी
 गाव बिकोना

गोपी को नंदलाल मुरारी
राधा चली मथुरा बजारं
रव्ह संगमा तब  मावशी
धरके डोईपर  घागरं।।१।।

मथुराको राजा कंस मामा
व्यभिचारी भी  दृष्ट कहोना
 दुध  दही  काहे बजारमा
हेतू आपलं गाव बिकोना।।२।।

जेकं घरमा शेकडो़ गायी
दुध दहि ला कामे मनायी
परं माखन चोर उपाधी
असो सबको कृष्ण कनायी।।३।।

गोप गोपिको नंदलाला
वृंदावन मा -हास रचायो
यमुनाकं  तट पर काला 
बंसरीवालो मनमा समायो।।४।।

""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया

कृष्ण अना गोपी
 
   अष्टाक्षरी

गोपी चली ठुमकत
माखन हंडीमा धर
कृष्णन फोडीस हंडी 
दही बह झर झर!!१!!

गोपी कसे कन्हैयाला
देऊन माखन तोला
बंसी बजाव मधुर
अना नाचन दे मोला!!२!!

कृष्ण की गोड बासुरी 
तन मन मोह लेसे
कृष्ण को प्रेमजालमा
मंग गोपी थिरकसे!!३!!

राधिका देखसे सब
कृष्णगोपीकी या लीला
गोपीका को गुस्सा झूठो
मनमा से नन्दलाला!!४!!

चोरसे गोपी का वस्त्र
कभी रस्ता अडावसे
नन्दलाल गोपिकाला
मधुबनमा छेडसे!!५!!

मारकर पिचकारी 
करसे गोपिला ओली
ब्रिन्दाबनमा कान्हाकी
गोपिसंग रंगी होली!!६!!

स्वप्नाली ठाकरे

Sunday, July 25, 2021

नदी चलीसे ठुमकत ७२


पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित काव्य स्पर्धा क्र. 72

              नदबाई चली ठुमकत
               
 नदी बहे वाकळी तिकळी
चल बिचल से ओकी धार
कभी  दुसरं नदी  मा मिल 
कभी   सात  समुंदर  पार 

नाव   अलगलग नदीका 
सब  अलगलग  ठिकाण 
कही बळी नुकसान देही
कंही   ठरज़ासे  वरदान 

कही कसेती गंगा यमुना  
कही सरस्वती,  गोदावरी
तापी,  ब्रम्हपुत्रा,  वैनगंगा 
कृष्णा,सिंधू,नर्मदा, कावेरी 

सुखी नदी,आटज़ासे पानी
बाट   बरसात  की देखसे
पानी   पळेव,  आएव पुर
भयीं खुशी मोठी इटकासे 

शांत मधुर स्वर गुंज़से
जब वरदायी ठरज़ासे
कभी विकराल रुप धर 
मंग सत्यानाश कर देसे 

नदी आमरी जिवन दायी
ओका केता सेती उपकार
साफ सुतरी ठेवौ नदीला 
भेटे पर्यावरण , आधार.
          
डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया

नदबाई चली ठुमकत

हिमालय बेटी नखरेल
नदबाई चली ठुमकत
साजनला भेटणकी आस
नार अलबेली मटकत

बाल्यावस्था लहानशी धार
बाट मिलसे लेसे आकार
जसी नहान टुरी चंचल
नहीं मनमा कोणी विकार

मोठी भई संथ ओकी चाल
कर संभाळ दुही किनार
जसी टूरी भईसे संज्ञान
लाज ओकी जसो परिवार

रमकत चली पतीद्वार
देख पलट पिताको घर
मिल गई सागरमा नार
माहेरकी आस बाई धर

कसी जाऊ पिताजीको घर
आसू बोवती याद करके
भई विलीन मी संसारमा
जाऊ प्रेमका मोती धरके

सौ छाया सुरेंद्र पारधी


विषय -नदी चली ठुमकत

नदी माय


उचा उचा आती रे पहाड
नदिबाई को उगम घर |
कुद-कुदकर आव नद
शांतरूप बहताना धर ||

शांत स्वभावमा बहकर
बरसाव मायाका सुमन |
विकराल रूप धरकर
नष्ट करसे जनजीवन ||

आय नदबाई माय मोरी
बुझावसे सबकी तहान |
धन -धान्य पिकावनसाठी
किसानला होसे वरदान ||

तीन नदिको होय संगम
कह त्रिवेणी संगम जग |
देखकर कवत मानव
नदी चली ठुमकत मग ||

नदी कहुका सरिता कहू
अविरत बहत रवसे |
रुक नही कही नदीबाई
काम बहनो आय कवसे ||

जल होतोरे वोको निर्मल
केर -कचरा नदिमा टाक |
मानवनं करीस दूषित
अन् भयेव जीवन खाक ||

सौ.उषाताई रहांगडाले

नंदबाई चली ठुमकत/नदी चली ठुमकत

आस

ठुमकत ठुमकत चली,
नदीपर भरनला पाणी
साडी़ को पदर तालपर
नंदबाई की याच कहानी।।१।।

चाल देखोत जशी मोरनी 
छुम छुम धुन पायल की
गीत मधुर नाद  धरनी
अशी सुंदर  कथा नदीकी।।२।।

 नागमोडी बहसे बनमा
दुधवानी रम्य हे झरना 
खड़ खड़ यो नाद कानमा
गुंज गीत ध्वनी या  हवामा।।३।।

वन पहाड़ या चिरदेसे
 आस मिलनकी वा धरके
इच्छा सफल  मनकी होसे 
समुद्रमा जासे वा मिलके।।४।।

 नंदबाई या नदी सारखी
भाव अलग नजर कही
जासे कुंभ धरके सकारी
लगसे दर्याकी  प्रिया सही।।५।।

""जय राजा भोज, जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया


नंदबाई 

उच्चो उच्चो पहाड, डोंगर 
चोवसेती हिरवा हिरवा 
नंदबाई को जनम स्थान 
भयो पुंजापाती को कारवा ||

खळखळ बवं जलधार 
बाट नागमोडी वळणकी 
आया केतातरी शीला टीला 
पर आस ठेव कर्तव्यकी ||

गाठ बांधीसेस हिरदामा 
पाठ संयमको जगनकी 
ऋतु ऋतु को बदलसंग 
कर कोशिश सुख देनकी ||

वोको मंजुळ मंजुर नांद 
जसो मुरलीका सातस्वर 
फुलं खेतबाडी, किनारबी 
देय आसराको खुलो द्वार ||

प्रदुषीत भयी वोकी काया 
मुन केती भयीसे नाराज 
दुखदर्द सयकन भयी 
सागरीय सौभाग्यको साज ||

वंदना कटरे  "राम-कमल "


विषयःनदी बाई चली ठुमकत
(दशाक्षरी काव्य)

नदी बाई चली ठुमकत,
सबको तृष्णारा बुझावत
पहाड कपारीन मालका 
बडो  सुंदर नृत्य करत

शुद्ध, पवित्र, जलमय से
पावन से वोकी जलधारा 
रत्नाकरला मिलन साठी 
थंडी करदे से तप्त धरा

पांदन पांदी,खाळखुबळ
रस्ता सुलभ पार करसे
धरतीपर हर प्राणीला 
नदीमाय जागृत ठेवसे

ना भेदभाव,ना अहंभाव
सबकी ममतामय माता
ऋषी,मुनी सदा गावसेत 
पावन नदीमाय की गाथा

नागीन जसी चाल चलसे
हरघडी संघर्ष करसे
कठीण परीश्रम करके 
सदा मार्गक्रमन करसे

सौ.वर्षा पटले रहांंगडाले
गोंदिया


 नदबाई चली ठुमकत

(दशाक्षरी काव्य) 

निकलसे पहाड परल
मिलनला जासे सागरला, 
ठुमकत वाकडी तिकडी 
समावत पोटमा पाणीला. 

कई प्रदेश,कई शहर गाव 
मंघ सोडत बढत जासे, 
कई ताल, कई सरोवर 
आपलोमा मिलावत जासे. 

उन्हारोमा तट क् अंदर 
रह्य जासे सिमटी सिमटी, 
बारीशमा लेसे रौद्र रूप 
तट सोडकर उल्टी पुल्टी. 

भारतमा माता को रूपमा 
जासे पुजेव नदीइनला, 
सबदून पवित्र समज्यो 
जासे जान्हवी भागिरथीला. 

. . . . . . . . . . . चिरंजीव बिसेन
. . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया


नदी चली ठमकत

पर्वत पुत्री
चटक मटक रुप से
नागमोडी चाल
निर्मल स्वरुप से

शुभ्र वस्त्र
नागिण की चाल रे
बाजू किनारा
करा भूरा बाल रे

काटा गोटा
लक्ष्य तोरो अभय से
माती को सिना चिरे
तू हमदम अजय से

विशाल रुपकी
सब साईक गुण से
सागर महासागर
बननको जुनून से

ठूमकत ठुमकत
निराली तोरी अदा से
तू जीवनदायी
तोरो नाव सदा से

शेषराव वासुदेव येळेकर
मु. सिंदीपार
दि.२५/७/२१

नदी चली ठुमकत

पहाड़की सरिता बेटी 
चली ठुमकत ठुमकत 
काटा कचरा संग धरत
निरंतर चली बहत ||१||

शांत रूप जीवनदायी
रौद्र रूप महाविनाशी
सतत चलनकी सिख
देसे नदबाई जशी||२||

पूजनीय नदी मैया 
गंगाजल अति पावन
निर्मल शुभ्र पानी
सबला देसे जीवन||३||

अतिवृष्टिको परिणाम
आवसे नदीला पूर
विध्वंसकारी रुप येव
गावसे विनाशको सुर||४||

कठिन रस्ता पार करत
ठुमकत चली नदिबाई  
भूली सुध बुध आपली
लगी पिया मिलनकी घाई||५||

स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे


नंदबाई चली ठुमकत/नदी चली ठुमकत


अगर मोरो बस मा रवतो 
नदी ला उठायके घरं आणतो 
आपलो घर को सामने ठेयके  
रोज ओकोमा आंघोळ करतो 

नदी आमरी से लहान सुली 
वाकडी तिकडी धार 
उन्हालो मा टोंगराभर पाणी
कर लेसेज आम्ही पार 

जब जब शहर अमीर भय गया 
नदी भयि गरीब
मशरीं मेंडका तहान गया 
फूट गया उनका नशीब 

जसो आयेव आषाढ महिना 
नदीला आयेव पूर
मन मर्जी ल चलत जासे
बहुत दूर बहुत दूर 

नदी सागर ला भेटसे 
कभी नही आवं बाहेर 
मुनच कसेत बुळगा बाळगा 
नदीला नाहाय माहेर

देवराज भुरकन पारधी 
 मो. ९५४५०६८०९०
मु. वडद 
ता. २५-०७-२०२१

विषय: नदीबाई चली ठुमकत
शिर्षक: सहनशक्तीकी महतारी

आळीमोळी चलंसे मस्तीमा
जसी सडक, सरपघायी
जसो बोव्हतो ठंडो बरफ
पानी आसल जीवनदायी ||१||

निसर्गको रूपलक सजी
चली मटकात मटकात
नदीबाई चली ठुमकत
भटकत कहीं इटकात ||२||

धबधबा बनके पड़ंसे
तबं नदी जासे बोंबलत
कहीं चट्टान कहीं पुलिया
हर जागा चली सम्हलत ||३||

रूप उगमको बालपना
मंग धरं रूप जवानीको
व्यवहार लेवान देवान
सत्य रूप माय भवानीको ||४||

बुढापाको शांत रूप मुख
होसे संगम अनंतसीन
नोन मिलावन नोनलाच
भई समुद्रमा ब्रम्हलीन ||५||

नदी निकली शुन्यमालक
सहनशक्तीकी महतारी
सब रंगला एक करके
जीवनका नव रसधारी ||६||

डॉ. प्रल्हाद हरीणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

  नदी
  हे प्रेत वाहिनी गंगा

एक संग सब प्रेत बोली नदी संग
    सबकूछ बढिया - बढिया!
समाय ले आम्हलाअपली निर्जल
    धारामा बहता - बहता
कोणी नाय रामराज्य मा आम्हरो
       हे प्रेत - वाहिनी गंगा!
 खतम भई सब शमशान भूमी
   खतम जात - पात की दुरी
   थक गया सबका का खांदा
      तू ही आम्हरो सहारा
कर दे  माफ!आम्हारा पाप,लोभ,                 
          घमंड, राग, गुस्सां
    हे प्रेत- वाहिनी गंगा !
आम्हरा  पाप धोवता - धोवता
     भय गई तू मैली - मैली
दिव्य,भव्य,पावन, निर्मल,सुंदरता           
     कम करेनेवला आम्ही दोषी
     कर दे आम्हारा गुन्हा माफ
       हे प्रेत - वाहिनी गंगा!

  कोरोना काल बनकर आयेव
मानव साठी,तूभीअच्छुती नही
  काहे सरकार सोयी  - सोयी
    दफण कर ले आम्हला 
      हे प्रेत वाहिनी - गंगा! 

चंद्रकुमार शरणागत
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  (हिरो होंडा)
नदीबाई ठुमकत चली

हिमालय सें उगमस्थान
दरीखोरी बनबन खेली
जीवनदायिनी मोक्षदाती
नदीबाई ठुमकत चली

जनहित को भाव धरके
भूमीपर भगीरथी आई
स्वर्ग धरतीको बिचमाच
शिवजीको जटामा समाई

कही उथळ ना कही खोल
कभी बोहसे या कलकल
देखावंसे रूप भयानक
कभी निळसर संथ जल

नागमोडी सुंदर वळण
जशी चंचल नवती नार
चली सागर संग मिलन
करकन सोलह सिंगार

तृप्त करसे सबकी आत्मा
जलजीव की आश्रयदाता
सीचकर पानी लक खेती
खुशहाली देसें नदीमाता

              शारदा चौधरी 
                  भंडारा
नदी

उत्तराखंड को पहाडमालक 
गंगा उगम भई ।
भगीरथ को तपश्चर्या लक 
गंगोत्री लक आई ।

बहत-बहत गंगा माई 
वाकडी तीकडी भई ।
हरिद्वार ला पोहचकर 
गंगा तीर्थक्षेत्र बन गई ।

गंगा आई उफानपर 
समले सभल नई ।
शंकरजी को जटामा 
गंगा समाय गई ।

जंहा-जंहा गंगा गई 
भक्त वंहा-वंहा गया ।
शंकर की स्थापना करखन 
भक्त पावन भया ।

गंगा मायको झुर-झुर पाणी 
आसल झरा वानी ।
गोड लग असो काही ।
मिठो अमृत वानी ।

सौ, ऊषा बाई रमेशजी पटले नागपूर ।

       नदी बाई चली ठुमकत

   शंकरजी को जठामालका
   भयी कसेत  मोरो उगम
    पहाड ,पवॅत ,डोंगरमा
   तर्रा,बोडी,नालाको संगम......

   नदी को तिरी भुजंग वास
   खडखड-ठुमकत नदी
   नदीबाई सरसर चली     
   वाकडी-तिकडी दूर वदी/खाई........

    तिन नदी को होसे उगम
    तीर्थ मंडलामा हो पावन
    त्रिवेणी गंगामा को संगम
    बुझावसे तृष्णाकी तहान.....

   नदि किनारी कृष्ण- बजाव
   बासरी लका  मन मोहित
   राधाचली आव गोपीसंग
   कृष्ण-राधासंगमा प्रित......

     माहेर मोरो आय वळद
     बोदलबोडी आय सासर
      बिचमा भेटसे वाघनदी
      नावबसू,कहाकी खासर....

     सौ:-ओमलता परिहार/पटले

Thursday, July 22, 2021

सिदोरी ७१




 प-हा

पडसे पहिलो पाणी
सावचेत भय्या किसान
खारीला टाकीन साल्फेट सोंडा
काडीलका मोजसेत कोंडा....

पहिले नांगरला जुपत 
हल्लया अना् गो-हा
आता लगावबिन पातलका
गावखारीपर प-हा.....

दत्तारपट्टालका मचावसेत चिखल
मलमली भयी खांडीपर  सावा
पार-कोंटालका बांधी मोठी
खार डोलसे बिहरसे हवा.....

झिमुर-झिमुर पडसे पाणी
बन्हार लगावत जागा हेक्टर
बांधीमा पाणी  जासे उडरा 
आता दिनभर फिरसे टेक्टर......

उत्तम खेती भरपूर धान
 मोंगाड फुटेव लगी खांडला धार
रातदिन खेतमा किसानकी नजर
 युरीया -इक्को खेतीमा मार......

 
 

    सौ:- ओमलता परिहा/पटले


 शिदोरी

स्वंयपाकघर अना किसानीला
जोडे माय की शिदोरी
नव युग की हॉटेलमा की
एक कहाणी अधूरी

घाम गाडता गाडता
पोटमा चलती हलचल
बायको को हात की शिदोरी मा
माय ममता को आचल

तोंडको स्वादला
नोवती पोटला किंमत
खूदको मोटापन देखावनकी
ईतन होय रहीसे हिंमत

खेतको शिदोरी ला
अमृत की चव
मौज मा बस्या सेती
आधुनिक सोमरसी देव

हृदय का भाव भूलकन
कचरा घरमा घर
पल पल को सुख साठी रोव
आमरो आधुनिक देव को सर

शेषराव वासुदेव येळेकर
मु. सिंदीपार जिल्हा भंडारा


 शिदोरी


राजाराम क् खेतमा 
लगावनो सुरू से परा, 
उनकी बहू धरकर 
जासे शिदोरी डोईपरा. 

शिदोरी मा रव्हसे भात
दार, साग अना अचार, 
सब मिलकर खासेती 
मालक, नौकर, बन्ह्यार. 

सकार पासून करसेत 
सब मिल जुलकर काम, 
खेती को काम मेहनती 
बहावनो पडसे खूब घाम. 

काम करनो क् बादमा 
लगसे सबला बहुत भुख, 
भूख लगेव पर शिदोरी 
खानोमा मिलसे बडो सुख. 

जीवनमा सुख मिलनसाती
बांधो सत्कर्म की शिदोरी, 
तबच तुमला मिले भाऊ 
भरपूर सुखरूपी शिदोरी. 

भुख मिटावन की शिदोरी 
या रव्ह सुख मिलावनकी, 
संगमा ठेवनो से जरूरी 
जब तयारी रहे कही जानकी. 

. . . . . . . . . . . - चिरंजीव बिसेन
. . . . . . . . . . . . . . . . .  गोंदिया
[
      कर्मकी या सिदोरी

तनला देसे जगन ऊर्जा
मनला मिड़ जासे शांती 
वा आय अन्न की सिदोरी
पोट की भुक होसे समाप्ती।।१।।

कामगार यो घाम गाड़से
दिनरात वू कष्ट करते
पोटसाठी जिवन जगसे
तब अन्न को घास मिळसे।।२।।

काहीको जगनो खानसाठी
काहि खासेती जगनसाठी
रोगी काया नहि परिपाठी
लगसे जगनो कोनसाठी।।३।।

जब कहीका चांगला कर्म
तब जगनोमा दिसते अर्थ
काहि जन्म्या गया व्यर्थ
योव का आय जिवन अर्थ।।४।।

कमावो नावाची या सिदोरी
मरनक बाद भी से किर्ती
 सेवा कर्म करो या सिदोरी
समाजमा अमर या मुर्ती।।५।।

""जय राजा भोज, जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी 
गोंदिया

शिदोरी


बचपन मा माय देसें सुसंस्कार
बाप देसे वोला सुंदर आकार
इनला संस्कृती सत्कर्म की बांधो दोरी
 याच आय जीवनभर की शिदोरी

मानव जनम सें दुर्लभ अति
संस्कार जपकर ठेवो सन्मती
सद्गुण की तुम्ही बांधो गठोरी
याच आय जीवनभर की शिदोरी

रास्ता मा भेटेत कोणी गरजवंत
मदत करो उनला सहृदय अनंत
कृत्य करो नोको तुम्ही अघोरी
याच आय जीवनभर की शिदोरी

माय बाप को तुम्ही करो मान
जपो उनला जीव का प्राण
समजो परलोक की रस्ता सुधरी
याच आय जीवनभर की शिदोरी

पाणी पिवावंन को सें अति धर्म
येवच आय मोठो पुण्यकर्म
मरे को बाद मा होसे जग थोरी
याच आय जीवनभर की शिदोरी


                                  शारदा चौधरी
                                          भंडारा

Monday, July 12, 2021

झुंजूरका :७०






पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष समूह द्वारा आयोजित काव्यस्पर्धा
झुंजूरका
(वर्ण संख्या - १६, यती - ८)

नाश करके अंधारो, आवं चवथो प्रहर |
ब्रह्म मुहूर्तकी बेरा, झुंजूरका मनोहर ||धृ||

योगी मुनी साधुसंत, जागसेती झुंजूरका |
सुरुवात करसेत, दिनचर्या ध्यानलका ||
पुजापाठ आराधना, भक्तीमय होयकर ||१|| ब्रह्म...

कोंबड़ाकी कुकडूकू, गुंज सकाळी सकाळी |
उठावसे सबलाच, जसो गायके भुपाळी ||
पाखरुकी किलबिल, झनकारं कानपर ||२|| ब्रह्म...

भुमस्यारी आंगनमा, होसे सड़ा सरावन |
मालकीन शिदोरीला, देसे ओला बांधकन ||
मंग चारोपाणी कर, जासे खेतं हलधर ||३|| ब्रह्म...

पहाटला उठकर, करे विद्यार्थी अभ्यास |
पक्की होसे याददास्त, भरं मनमा उल्हास ||
होसे सफल जीवन, ओको मंजील सुकर ||४|| ब्रह्म...

फिरो सकाळी सकाळी, पैदलच सबजन |
करो योग प्राणायाम, भेटे शुद्ध ऑक्सिजन ||
होये निरोगी शरीर, स्फूर्ती रहे दिनभर ||५|| ब्रह्म...

जुना फुलं पड़सेती, झुंजूरका तुटकर |
दिसं बेला झाड़पर, नवो फुलको बहर ||
सुर्य चैतन्य सृष्टीमा, देसे लाली भरकर ||६|| ब्रह्म...

इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
      मो. ९४२२८३२९४१
       दि. २६ जुलाई २०२१
झुंजुरका

झुंजुरका झुंजुरका
खुली मोरी निंद
सरस्वती जीभ पर
मुख मा नाम गोविंद

शरीर शुद्ध करकन
आनंदमयी योग
मनमा ऊर्जा भरकन
त्यागेव निष्काम भोग

कोयल की कूहू कुहू
आवत होती दूर
दवबिंदू मा चमक
परिसर मा आनंदी सूर

तुलसी बिंद्राबन ला चढेव
तांबा को लोटभत पाणी
माय की भक्ती की
असी रीत पुरानी

मंदिर मा काकड आरती
नाचत होता वारकरी
झुजुरका बनावसे
सुसंस्कार का धुरकरी

सूर्यदेव को पहले जागो
अनधारोमा टाको आलस
तब मॉं भारतीको मंदिर को
बनाय सको गगनभेदी कलस

शेषराव वासुदेव येळेकर
मु.सिंदीपार जिल्हा भंडारा
दि. 11/07/21

  झुंजूरका

टूटेव सपना उघड्या डोरा
मोहक प्रसन्न झुंझुरका बेरा
बादरमा चमकं शुकीर तारा
धीरू धीरू बोवं थंडो वारा

कोंबडा बाग दे रय रयकर
मंदिरमा काकड आरतीको सूर
टाळ मृदंगकी धून वोकोपर
कानमा गुंजसेत स्वर मधुर

हंबरं सेती गाय ना ढोरं
शेणपुंजा उचलंसे कास्तकार
चूल्हो की राख निकालके 
सळा टाकसे भाग्यवंत नार
 
निळो अभारमा स्वर्णिम लकेर
लाल तांबूस रंग उधळकर
आवनको तयारीमा सें भास्कर
किलबिल संगीत बजंसे चौफेर

झुंजूरका फिरसेत लोग उठकर
बनेती तंदुरुस्त योग करकर
रवसें ताजगी पुरो दिनभर
झुंजूरकाको हवाको बहूमोल असर

                             शारदा चौधरी 
                                 भंडारा
झुंझुरका 

जो जो उठसेती झुंझुरकाला
उनका नशीब खुलसे सारा
जो जो रवसेती बाजपरा
उनका बजसेती बारा।।

प्राणवायु झुंझुरकाको
आळस भगावसे मनको
खराब हवा जासे बाहर
नयि शक्ती शरीरको।।

झुंझुरकाकी ताजी हवा
कसेत 'सौ रपयाकी दवा'
मेंदु होसे टवटवा
उठे वलाच भेटे मेवा।।

उठो विद्यार्थी ,शेतकरी
आब् झुंझुरका भयि
करो कष्ट कसो कंबर
घात परीक्षाकी आयि।।

उठो उठो पोवार भाऊ
गफलतमा् नोको रऊ
करो उत्कर्ष आपापलो
झुंझुरकालाच कर्म सुरू!।।

पालिकचंद बिसने
सिंदीपार (लाखनी)


झुंजुरका


झुंजुरका उठकर 
फिरनला जाव, 
वापस आयकर 
लेव प्रभुको नाव. 

तबियत तुमरी रहे 
एकदम फीट अच्छी, 
गलत बात नाहाय 
बात आय सच्ची. 

झुंजुरका रव्हसे 
हवा एकदम शुद्ध, 
अनुभव करके 
देखो तुमी खुद. 

पक्षी उठ जासेत 
झुंजुरका पासुन, 
कायला खाटपर 
रहे पायजे आपुन. 

जल्दी उठेवल् होयेत 
तुमरा पूरा काम, 
दौडधुप कम होये 
मनला मिले आराम. 

झुंजुरका उठकर 
देखो पूर्वकी लाली, 
भर जाहे तुमर् 
मन मा खुशहाली. 

. . . . . . . . . . . . - चिरंजीव बिसेन 
. . . . . . . . . . . . . . . .  गोंदिया
 
झुंजुरका 

काळ सरेव सरेव 
भयी आब् झुंजुरका 
नही कोणीला मालुम 
गया कहान तारका ||

रवी आयीसे ना घरं 
कसो रांगत रांगत 
घडी भरमा सांगसे 
कर कर्तव्य जागत ||

नवो दिन नवी दिशा 
सोच ठेवब् सकारी 
लेबं चैतन्य अहेर 
अना बनू उपकारी ||

सारो सृजन सृष्टीकी 
झुंजुरका से दवाई 
योग तंदुरूस्ती साती 
प्राणवायू से सवाई ||

झुंजुरका समयाला 
ठेवं सत्कर्मी उद्देश 
भेटे सत्वर ध्यानमा 
सत्य, अहिंसक देश ||

वंदना कटरे  "राम-कमल "

झुंजुरका 

झुंजुरका -झुंजुरका 
लग शीतल वारा 
मन मोरो मोहसे 
देखकर शहारा ।१।

झुंजुरका -झुंजुरका 
तन मन डोलसे 
सुगंध फुलईनकी 
मन ला लुभावसे ।२।

झुंजुरका -झुंजुरका 
मन प्रफुल्लित रव्हसे 
काम धंदा की 
हलकाई रव्हसे ।३।

झुंजुरका -झुंजुरका 
मन भजन गावसे 
भक्ति भाव की 
लगन लगसे ।४।

झुंजुरका -झुंजुरका 
कोंबडा आर आवसे 
सब मानव जीवनला 
वु जगावसे ।५।

झुंजुरका -झुंजुरका 
जब इंसान जागसे 
जीवन वोको पुरो 
सक्षम रव्हसे ।५।

सौ. ऊषा बाई रमेशजी पटले नागपूर 
फोन नंबर ७७४१०००९२३ 

झुंजुरका 

झुंजूरका झुंजुरका बाई
बडो गजबच भयेव
गावको बबल्या नांगर धरके
गावखारी को खेतमा चोयेव

कभी ना काल नोहोती चाल
बबल्या खूप सबको डोरामा
कोनीकोच तीन तेरा मा
मुरदंग बजावो गावको डेरामा

गावभर फेरी चहाडी चुगली
पुंडलीक पेहरसे उची ढेटी
घरमा जायके देखो त तुम्ही
बापको पच्याला बारा गाठी

तीरीप डोरापर आयेवपरा उठं
आखरपर बसके गोष्टी हाकं
माय बुळगी थकी हारी
पतलो तावापर रोटी सेकं

हातभर ककडी का
 नव हात बीजा
बबल्या मार बापको 
उसनो पर मजा

माय मंडाव डोस्कापर हात
अना कव् केवीलवानी
साद करेव मोठी मीन
अना पोट आयेव ढाड्या याहानी

पर अज आयी अक्कल
बबल्या ला बडी आमरो
खेतम दिसेव झुंजुरका
धरके बईल को कासरो

सौ. वर्षा पटले रहांंगडाले
बिरसी

Saturday, July 10, 2021

साहित्यिक श्री यादोराव चौधरी



 पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष व्दारा आयोजित
मोरो जिवन परीचय
नाव -यादोराव चिंधुलाल चौधरी
मुळ गाव-डव्वा (पळसगाव)
जन्म तारीख 16/10/1958
श्री समर्थ हायस्कूल दांडेगाव याहाल मुख्याध्यापक पदलं सेवा निवृत्ती दिनांक 31/10/2016
शौक्षणिक माहिती-वर्ग 1ते वर्ग 7 जि .प. पुर्व माध्यामिक शाळा डव्वा .वर्ग 8ते वर्ग 10वी आदिवासी शिव विद्यालय डव्वा,11वी सोसायटी ज्युनिअर कॉलेज साकोली. 12 ना बि. एससी.( जिव)डी.बी.सायन्स काॅलेज गोंदिया याहाल सन1982मा भयोव..लोकमान्य विद्यालय मुंडीपार मा मास्तर भयोव.
सन1985ला पी पी कॉलेज गोंदिया ल बी .एड . करेव
.श्री समर्थ हायस्कूल दांडेगाव मा मास्तर भयोव.
अॅडीशनल बी ए मराठी वाङमय.एम .ए. प्रथम वर्ष
संगीत विशारद (तबला)गायन ,वादन को छंद.
पोवारी मा कविता लेखन
गीत गंगा काव्य संग्रह.-प्रकाशित
बिह्या का गाना को संग्रह-प्रकाशित
पोवारी बोलीमा नाटक-
काकाजी मोरी आयको,समज,नवरान लेयीस, व्यथा, जागृती.
विनोदी संवाद लेखन -
आब जासू. बाचता नही आव,खाजो.
निबंध लेखन .अलक लेखन,असा विविध प्रकारका लेख लिखान करनोमा आया सेती.मराठी मा नक्षत्र काव्य.
गित भिमायण (डॉ बाबासाहेब आंबेडकर) को जिवनपट.एड्स गीतमाला
सामाजिक कार्य राजा भोज कार्यक्रम आयोजन करनो.
शिक्षाक क्षेत्रमा परिक्षक ना 20 सालवरी समिक्षक को कार्य. शिक्षक परिषद  गोरेगाव तालुका सचिव .
पारिवारीक.. माहिती दुयटुरा इंजिनिअर पुनामा कार्यारत सेंती .बहू भी इंजिनिअर सेती.
अर्धांगिनी जि .प. गोंदिया मा शिक्षिका से.
कला क्षेत्रमा -बेरुलक कलाकृती तयार करणो
ना लाखुड़ की शिल्प तयार करनो.असो मोरो जिवनपट से.  धन्यवाद जी
""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया

अज का साहित्यिक कवी:-श्री यादोराव चिंधुलाल चौधरी

लोहा को परिस
नागंर ला हरिस
यादोरावजी खरा
चौधरी परिवार का वारिस

गुण कला का प्रतिनिधि
मन सुमती का संगी
अनंत कला कौशल्य
पूरो जीवन गुणरंगी

कुशलता का हात
बुद्धी वरद वाग्देवी
पोवारी धरोहर
एक नव तेजस्वी कवी

ऋषि तुल्य जीवन
शिक्षाविद महादानी
ज्ञानी कला उपासक
सृजनशील जवानी

समाज शिक्षक
सबका मार्गदर्शक
पोवार इतिहास का
सदा तूमी अग्रशिर्षक

शेषराव वासुदेव येळेकर
मु. सिंदीपार
दि.०८/०७/२१


आदरणीय साहित्यिक:- श्री यादोराव चिंघुलाल चौधरी

यादवराव गुरुजी को
गाव वू डव्वा
गुरुजी को तपलका
पुणीत वहान् हवा

संगीत विशारद
गायन,वादन को छंद
उनकी प्रतिभा की
हवा बहसे शितल मंद

माय बोली की सेवा
बिह्या का गाना
नाटक,कथा,निबंध,पत्र
जतन करिन गाना पुराना

अष्टपैलू व्यक्तिमत्व
बहुआयामी कला
लाकूड पर कारागिरी
जीवन अलबेला

महान कवि,लेखक
सेती कुशल शिल्पकार
घर मा ज्ञान की गंगा
हसतो खेलतो परिवार

मा वाग्देवी को वरदान
पोवारीका धुरकरी
सदा प्रतिभा का रंग बिखारे
तुम्हरी या पिचकारी

शेषराव येळेकर
मु. सिंदीपार
दि. ०८/०७/२१

अज का साहित्यिक कवी:-
श्री यादोराव चिंधुलाल चौधरी

पोवारी बोली इनकी शान
आमरो समूहको सेत मान
संगीत विशारद वय शिक्षक
यादोराव चौधरी उनको नाम

कलागुण आंग सेती सप्तरंग
काष्टशिल्प कौशल्य करसे दंग
सुखी संसार का चार सेती अंग
अर्धांगिनी उनकी सदा रवसे संग

तबला वादक भजनको छंद
काव्य संग्रह उनको गीतगंगा
पोवारी बोलीमा प्रसिद्ध नाटक
मराठी कविताकी बोवसे गंगा

वाणी मधुर सादो रवनोमान
शिक्षिका भार्या संभाळसे कमान
अभियंता दुही टूरा जीवको आधार
बहुला भी मान बेटी को समान

पोवारीको उत्थान, इनको लक्ष
नाव पर सवार भया सब दक्ष
गढकालीको आशीर्वाद रहे सदा
गाठो उत्कर्षका ठेवो सामने अक्ष

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

साहित्यिक - श्री. यादोराव चिंधुलाल चौधरी

साहित्यिक , कलागुनी
सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक
चौधरी काकाजी सेती
मोठा समाजसेवक||

विद्याविभूषित काकाजी
गायन वादन का छंदप्रेमी
विद्यादान को कार्यमा  
नही करीन देनला कमी ||

 पोवारीको उत्थान साठी
पोवारिमा नाटक बनाईन
विनोदी संवाद लेखनलक
सबला काकाजीन हसाईन ||

बेरुकी बनी कलाकृतीन
सबको मनला मोहीस
रसिकवान काकाजी
कलागुनमा सेती रहीस ||

माता गडकालिको हाथ
सदा  उनकोपर रहो
पोवारीको विकासका धुरकरी
असाच बन्या तुम्ही रहो ||

सौ उषाताई रहांगडाले

अज का साहित्यिक

श्री यादोराव चिंधुलाल चौधरी


चिंधुलालजी चौधरी का सुपुत्र 
चौधरी यादोराव गुरूजी महान, 
गायन, वादन, शिल्पकला आवसे 
करसेती पोवारी कविता लिखान. 

परसगाव डव्वा उनको गाव 
मॅट्रिकवोरी गाव मा शिक्षण, 
उच्च शिक्षण बी.एस्सी. बी.एड. 
लेईन उनन् गोंदिया ठिकाण. 

गीतगंगा पहली पोवारी किताब 
प्रसिद्ध करीन पचीस साल पूर्व, 
पोवारी साती उनको योगदान 
ना सहयोग रव्हसे अपूर्व. 

काष्ठ शिल्प की सुंदर कला
बिह्या का गाना, नाटक लेखन, 
हर कला मा सेती वोय पारंगत
अलक, विनोदी संवाद लेखन. 

पवारी साहित्य मंडल का 
गोंदिया जिल्हा प्रभारी, 
कार्यला तुमर् नमन से 
बडभाऊ यादोराव चौधरी. 

. . . . . . . . . . - चिरंजीव बिसेन
. . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया

आदरणीय साहित्यिक:- श्री यादोराव चिंघुलाल चौधरी

यादवराव गुरुजी को
गाव वू डव्वा
गुरुजी को तपलका
पुणीत वहान् हवा

संगीत विशारद
गायन,वादन को छंद
उनकी प्रतिभा की
हवा बहसे शितल मंद

माय बोली की सेवा
बिह्या का गाना
नाटक,कथा,निबंध,पत्र
जतन करिन गाना पुराना

अष्टपैलू व्यक्तिमत्व
बहुआयामी कला
लाकूड पर कारागिरी
जीवन अलबेला

महान कवि,लेखक
सेती कुशल शिल्पकार
घर मा ज्ञान की गंगा
हसतो खेलतो परिवार

मा वाग्देवी को वरदान
पोवारीका धुरकरी
सदा प्रतिभा का रंग बिखारे
तुम्हरी या पिचकारी

शेषराव येळेकर
मु. सिंदीपार


अजका साहित्यिक ः
श्री. यादोराव चिंधुलाल चौधरी

अभंग

बाप चिंधुलाल।नाव यादोराव।
डव्वा आय गाव।गुरूजीको।।

पद की निव्रूत्ती।गाव दांडेगाव।
कमाईन नाव।शिक्षाक्षेत्र।।

शिल्पकार मोठा।मोठा ग्यानी ध्यानी।
जीवन से मानी।बहुगुणी।।

विनोदी लेखन।पोवारी नाटक।
लिखाण माफक।संग्रहीत।।

मायबोली सेवा।घडे अविरत।
आये मंग सत।पोवारीमा।।

प्रतिभा का धनी।सुज्ञ अर्धांगिनी।
लिखुसु जिवनी।काकाजीकी।।

गायन वादन।कविता लेखन।
वाचन मनन।छंद सेत।।

सौ.वर्षा पटले रहांंगडाले
गोंदिया

Friday, June 25, 2021

साहित्यिक डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरीणखेडे



नाव: डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरीणखेडे "प्रहरी"
मूल निवासी:
मु+पो. डोंगरगांव
ता.+जि. गोंदिया 

हाल मुक्काम: 
३०५, साई ऑरा, सेक्टर-१७, उलवे 
नवी मुंबई-४१०२०६
मो. ९८६९९९३९०७/ ९३२६५१९८२८

शिक्षण: एम.एस.सी., बी.एड., एम.फील., पी.एच.डी., सेट   
१० वी वरी - डोंगरगांव
११ वी ते बी. एड. - गोंदिया 
एम.फील.- अमरावती (महा.)
पी.एच.डी.- मुंबई

व्यवसाय: 
१. अधिव्याख्याता प्राणिशास्त्र विभाग (महाराष्ट्र शिक्षण सेवा गट-ब, राजपत्रित अधिकारी, २०१२ पासून) 
२. समन्वयक (Co-ordinator) संगणक शास्त्र 
महाराष्ट्र शासनाचे इस्माईल युसूफ महाविद्यालय, जोगेश्वरी, मुंबई-६०

आवड/छंद: गिर्यारोहण, निसर्ग निरीक्षण, संगीत, हार्मोनिका, ढोलक वादन, गायन, लेखन 

पुरस्कार: शिक्षण क्षेत्रमा
१. शिक्षक होनो विश्वको सर्वोच्च पुरस्कार आय जेको मोला सार्थ अभिमान से, बशरते व्यसन व्यभिचार अवगुण रहित आचरण हो. येनं बातमा मोरो बडभाऊ (स्व. पी. आर. हरीणखेडे) अना मायबाप (सौ. रायाबाई रघुनाथजी हरीणखेडे) इनको संस्कारइनको मी आजन्म ऋणी सेव.
शिक्षकी पेशा को अलावा
* दूय आंतरराष्ट्रीय आंतरविषय परिसंवादको आयोजन (मुंबई)
* परिसंवादमा शोध निबंध अना संपादन कार्य लाई पुरस्कृत (२००९) 
* पाच आंतरराष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध 
* ११ राष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध 
सहयोग/ सहभाग:
१. सत्यनाम सांस्कृतिक मंडळ (१९९४) 
२. सद्गुरू कबीर बहुउद्देशीय कृती समिती स्थापना (१९९६) 
३. उपाध्यक्ष: राष्ट्रीय पोवारी साहित्य, सामाजिक उत्कर्ष संस्था 
४. पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष समूहमा काव्य परीक्षण, काव्यतरंग समूहमा काव्यस्पर्धा संयोजन, शब्दरजनी समूहमा काव्य परीक्षण
  
जीवनपट:
१. गावमा खेतीका पूर्ण काम करता करता शिक्षण 
२. १० वी को बाद शिक्षण संग उनारोमा प्याऊ, नर्सरी, शासकीय वनीकरणको काम असा काम 
३. खाजगी शिकवणी, दूध डेअरी अना पीसीओमा काम करके बी.एस.सी.अना बी.एड. संपादन 
४. अध्यापन:
                २०००- २००५ गुजराती शाळा/ विज्ञान महाविद्यालय गोंदिया 
                २००५-२०१० महाराष्ट्र शासनाचे एल्फिन्स्टन महाविद्यालय, मुंबई-३२ 
                २०१०-२०१२ महाराष्ट्र शासनाचे शासकीय महाविद्यालय, कसनसुर, गडचिरोली 
                २०१२-२०१५ महाराष्ट्र शासनाचे एल्फिन्स्टन महाविद्यालय, मुंबई-३२ 
                २०१५- आजतागायत महाराष्ट्र शासनाचे इस्माईल युसूफ महाविद्यालय, जोगेश्वरी, मुंबई-६०

रचना संग्रह:  
१. शालेय सांस्कृतिक कार्यक्रमलाई १२ नाटकं लेखन (पैकी "प्रितिप्रेम" "पक्या इमानी सुक्या बेईमानी" अना "परमानेंट सुख पाहिजे" पुरस्कृत)    
२. 'अबोली' (मराठी), 'स्वर संस्कृती' (मराठी/हिंदी/पोवारी) अप्रकाशित कविता संग्रह (१९९१-१९९६) 
३. आगामी दूय पोवारी कविता संग्रह अना एक पोवारी कथा संग्रह प्रकाशनलाई तयार सेत (नाव/ शीर्षक गुलदस्तामा).
४. लॉकडाऊन कालमा २०० पोवारी कविता, ९७ मराठी कविता, २५ हिंदी कविता, ४५ बोधकथा/बालकथा, २० अलक, ३५ लेख/निबंध/पत्र इत्यादी रचना संग्रह.  
५. हायस्कुल पासनाच सिनेमाको गानाको चालपर कविता, भजन, गाना बनावनों अना गायनको सऊक. 

उच्च शिक्षण संपादन कालमा विज्ञानको क्षेत्र रहेलक २०१९ वरी लेखन, साहित्य/ रचना सर्जनकी सऊक/काम मंघ पड गयेव. २००५ पासना मुंबईमा क्षत्रिय पोवार समाज संगठन लोक जुडेव रहेवको कारण २०२० मा व्हाट्सअप समूह नामे "पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष" को माध्यमलक पुन्हा साहित्य सर्जनको कामला गती मिली अना निज क्षत्रिय पोवार समाजको उत्थान करनको पावन काममा, अल्पसो काही नोको होय, योगदान देनको सौभाग्य प्राप्त भयेंव. सध्या विविध हिंदी, मराठी अना पोवारी साहित्य समूहमा सदस्यता. 

वैयक्तिक मत:
समाज सर्वोपरी

(मोरो शिक्षण क्षेत्रको थोडासोय योगदान यहां प्रेषित करी सेव काहेका यहां साहित्य क्षेत्रको योगदान ज्यादा अपेक्षित से जो की मोरो जवर अल्पसो से. मी खुदला साहित्यिक नहीं मानू अना असलमा मी खरो साहित्यिक नोहोव. काहेका साहित्यिकको साहित्य क्षेत्रमा भरीव योगदान अना साहित्यको यथायोग्य ज्ञान रवनो जरुरी से जो मोरो जवर नहीं को बराबर से. साहित्य क्षेत्रका जेष्ठ, अनुभवी अना नामवंत साहित्यिकइनको कृपादृष्टी अना आशीर्वादलक येनं क्षेत्रमा थोडी जाणकारी जमा करता करता ज्ञान अर्जित करनको मोरो प्रयत्न चालू से.)

अजका साहित्यिक
श्री प्रल्हाद हरिणखेडे

डोंगरगाव का सुपुत्र आती 
'प्रहरी' हरिणखेडे प्रल्हाद, 
उनको नाव आयककन् 
आवसे भक्त प्रल्हादकी याद. 

एम. एस. सी, बी. एड्. 
सेट, एम.फील, पी. एच. डी, 
हासिल करीसेन उनन् असी 
जीवनमा मोठ् मोठी डिग्री. 

अधिव्याख्याता सेती वोय 
प्राणी शास्त्र विभाग मा, 
अना समन्वयक सेती वोय 
संगणकशास्त्र विभाग मा. 

हार्मोनियम, ढोलक वादन 
अना गिर्यारोहण, संगीत, 
छंदसे निसर्गनिरीक्षण, गायन
अना लिखनो कविता गीत. 

अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार 
नियतकालिक मा शोध प्रबंध, 
काव्यस्पर्धा संयोजन, परीक्षण 
अनेक समूह मा उनको संबंध. 

चिरंजीव बिसेन
गोंदिया

आदरणीय साहित्यिक
 प्रल्हाद रघुनाथ हरीनखेडे

रसिक साहित्यिक प्रहरी पोवारीका 
कथा, कहानी, नाटकका रचियता
कविता को झरझर नित बोहसे झरना
डॉ.प्रल्हाद सुपुत्र सुजाण, रघुनाथ पिता

अधिव्याख्याता प्राणिशास्त्र विभागमा सेती
शासन समन्वयक संगणक क्षेत्रमा विचरण
शिक्षकला विश्वको सर्वोच्च पुरस्कार मानती
व्यसन, व्यभिचार, अवगुणरहित आचरण 

दूय आंतरराष्ट्रीय  परिसंवादका आयोजक 
शोध निबंध अना संपादन कार्य लाई पुरस्कृत 
पाच आंतरराष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध 
११ राष्ट्रीय नियतकालिकमा शोध प्रबंध वृत

परीक्षक काव्यस्पर्धाका काव्यतरंगमा संयोजक, 
संघर्षमय जीवन हसतमुख स्वभाव निष्कपट
जीवनकी कठीण धुरा पती पत्नी संभाळत
प्रेरणादायी से उनको जीवन को यशोपट

"प्रितिप्रेम" "पक्या इमानी सुक्या बेईमानी" 
"परमानेंट सुख पाहिजे" पुरस्कृत सेती कृति
पोवारी  कवितासंग्रह होये प्रकाशित आशा
गढ़कालिका आशीर्वाद, आमरो स्नेह रहे प्रति

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

ऋण साहित्यिक गणको :- 
श्री प्रल्हादजी हरीनखेडे 
                        
पोवारीको उत्थान साठी,जीवन समर्पित 
श्री प्रल्हादजी  हरीनखेडे,सेती  कार्यरत।।

गोंदिया   तहसील मा  एक गाव डोंगरगाव
माय सौ.राधाबाई,अजीको रघुनाथजी नाव।।

सुखी समृध्द परिवार, ना होतो कास्तकार 
जन्म भएव प्रल्हादजी को,सुंदर संस्कार।।

एम.ए. बी.एड्‌. एम.फिल.,पी.एच.डी करीन
पोवारीको उत्थान साती,उच्च भरारी भरीन।।

कार्यरत ,राष्ट्रीय पोवारी संस्था का उपाध्यक्ष 
पोवारी समाज, की मनमा तळमळ की साक्ष।।

मुंबई मा स्थायिक भया,राजपत्रीत अधिकारी 
शोध निबंध,नियतकालिक,कविता संग्रह भारी।।

महाराष्ट्र  शासन महाविद्‌यालयमा अध्यापन 
छंद से संगीत,गिर्यारोहन,ना निसर्ग परीक्षण।।

हार्मोनियम,ढोलक का वादक ना  गायन गीत
कई नाटक लिखीन ना देईन कवीताला संगीत।।

अनमोल पोवारीको ठेवा जिनन जपीन निर्विवाद
माय गडकालीकाको उनला सदा मिलेआशीर्वाद।।
                  
डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया


   डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे (प्रहरी)

डोंगरगाव गावका सुपुत्र प्राध्यापक डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे गावखेळामा सिकस्यान डाॅक्टरेट बननेवाला (phd) सर्वसाधारण घरका एक सर्वसाधारण परीस्थितीमा निपज्या एक हिरा कवनो लगे असो व्यक्तित्व. ग्रामिण भागमा सुविधाकं अभावमा माणूसकी काही अलग कर देखावनकी इच्छाच मर जासे. पर मनमा रातदिन मेहनत करनकी दृढ ईच्छा रही त् कोणतीच परिस्थिती प्रगतीमा आळवी नही आय सकं येको जितो जागतो उदाहरण मंजे आमरा प्रा. डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे. अज शासकीय अध्यापन क्षेत्रमा आपलो अलग ठसा उमटायस्यान साहित्य क्षेत्रमाबी आपली अलग छाप उमटाय रह्या सेत. 

प्रा. डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे येव उच्च विद्या विभूषीत व्यक्तित्व येतरो सिधो साधो से का इनकंसंगं घळीभरमाच कोणीकीबी दोस्ती जम जाये. साधो रवनेवालो येव हिरा पोवारी साहित्यकं माध्यमलक सबला सुपरीचित भयेव. अध्यापन क्षेत्रकं संग संग डाॅ. प्रल्हादजी हरिणखेडे आपल् लेखुन प्रतिभालक पोवारी अना मराठी साहित्य समृद्ध कर रह्या सेत. प्रहरी नावलक लिखनेवाला डाॅ. प्रल्हादजी पोवारीमा अलग अलग काव्य प्रकारमा लेखन कर आपली अलग पहचान बनायीसेन.

शिक्षकी पेशाला सर्वोच्च पुरस्कार समजनेवाला डाॅ. प्रल्हाद हरिणखेडेजी राष्ट्रिय अना आंतरराष्ट्रिय परीसंवादयीनको सफल आयोजन करस्यान आपली नेतृत्व कलाबी देखायीसेन. अनेक परीसंवादमा भाय लेयस्यान आपलो संशोधन कार्य सबवरी पोवचायीसेन. अध्यापन, साहित्य अना संशोधनकं बराबर गिर्यारोहण, निसर्ग निरीक्षण, संगीत, हार्मोनिका, ढोलक वादन, गायन असा छंदकी जोपासना करनेवाला एक उच्च प्रतिभाका धनी डाॅ. प्रल्हादजी आपलं सबकं बीच सेत याच आपलंलायी भाग्यगी बात से.

पोवार समाजमा प्रतिभाकी कमी कहींच नहाय ना नोहती. आपलं समशेरलक युद्धभूमी गजबजाय टाकनेवाला पोवार अज खेतीकं बराबर उद्योग, व्यापार, कला, शिक्षण, आयटी, मेडिकल अना अन्य बहुतसारं क्षेत्रमा आपली कर्तबगारी देखायरह्या सेत. या कर्तबगारी देखावनकं बेरा आपली मायभूमी, आपलो समाज, आपली मायबोली इनकं सेवाको भाव मनमा ठेवनेवालो सुसंस्कत समाज बंधूईनमालक डाॅ. प्रल्हादजी एक सेती. उच्ची उडाण लेयकनबी पाय जमीनपर ठेवनेवालो उच्च संस्कारीत व्यक्तीत्व उनकं अंदर विराजमान से. आपलं समाजलायी जेतरो जमे वोतरो योगदान देनको भाव वूनमा सदा चोवसे. येवच भाव उनला अन्य लोकयीनमालक अलग करंसे.

माता सरस्वतीको आशिर्वाद मिलेव येव कवी, हाळाको शिक्षक, सुसंस्कारको धनी व्यक्ती पोवार समाजला सदा प्रेरणादायी से. उनकं प्रतिभालक मायबोली पोवारीको साहित्य क्षेत्र अधिक समृद्ध होये. वूनको शिक्षण, साहित्यक्षेत्रमाको योगदानको आलेख रोजकं रोज बढतो रहे असी माय गढकालीकाला मी प्रार्थना करूसु. 

लेखन - गुलाब रमेश बिसेन
मु. सितेपार , ता. तिरोडा , जि. गोंदिया. 441911
मो. नं. 9404235191
ई मेल - gulab0506@gmail.com


डॉ. प्रल्हादजी हरीणखेडे "प्रहरी"

पोवारी को भाव, मनक् अंदर
कविता सुंदर, लिखसेती।। १।। 

काव्यमा चोवसे, सृजन भरारी
भया वारकरी, पोवारी का।। २।। 

बढायात तुमी, पोवारी को मान
काव्यरुपी धन, देयकन।। ३।। 

प्रल्हाद भाऊसे, गुण को सागर
सात्त्विक बिचार, शोभा देसे।। ४।। 

पोवारी सजावो, लगावसे नारा
पोवारी को हिरा, प्रल्हाद भाऊ।। ५।। 

मौलिक बिचार, काव्यमा लिखसे
शब्द सजावसे, काव्य रुपी।। ६।। 

विद्या विभूषित, बहु मेहनती
काव्य रुपी मोती, सजावसे।। ७।। 

असा बहुगुणी, प्रल्हादजी भाऊ
तुमरा गुणगावु, कवितामा।। ८।। 

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर
२४/६/२०२१


 डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरीणखेडे "प्रहरी"
वारकरी पोवारीको
      (अष्टाक्षरी रचना)

वारकरी पोवारीको
नाव "प्रहरी" रतन |
कथा कविता लिखसे
बोली पोवारी जतन ||१||

रघुनाथजीको टुरा
वकी रायाबाई माय |
जन्म सुखदेवटोली
डोंगरगांवको आय ||२||

भेटी जीवन संगीनी
वला डिलेश्वरी बाई |
पुत्र सात्विक भयेव
कुल बढ़ावन लाई ||३||

शिक्षणमा सेट वरी
ओनं बढ़ाईस कद |
नौकरीमा प्राणीशास्त्र
अधिव्याख्याताको पद ||४||

वला शिक्षकी पेशाको
मोठो सार्थ अभिमान |
शुध्द आचरण संग
करसेती शिक्षादान ||५||

सोळा पत्रिकामा वनं
शोध निबंध लिखीस |
पुरुस्कृत होयशानी
स्वप्न सुंदर देखीस ||६||

बारा नाटक लिखीस
सांस्कृतिक खेललाई |
'प्रितप्रेम' अना दुय
श्रेष्ठ पुरस्कृत भयी ||७||

हिंदी मराठीका काव्य
'स्वर संस्कृती' 'अबोली' |
संग पोवारी कविता
भरी साहित्यकी ढोली ||८||

कोरोनाको समयमा
सवा तीनसौ कविता |
हिंदी मराठी पोवारी
बनी ज्ञानकी सरिता ||९||

पोवारीमा एक कथा,
दुय कविता संग्रह |
भविष्यमा प्रकाशित
करनको से आग्रह ||१०||

छंद पहाड़ी चड़नो
निसर्गको निरिक्षण |
हार्मोनिका, ढोलक ना
गीत गायन लेखन ||११||

सत्यनाम, कबीरका
बिचारको से आधार |
उचो उठनलाई भेट्या
मायबाप का संस्कार ||१२||

माय गडकाली संग
वाग्देवीको से आशिष |
लेखनीलं समाजमा 
उंचो उठे वको शिष ||१३||

शब्द रजनी पोवारी
गृप काव्य परिक्षण |
शिक्षालाई रवसेती
बहुमोल मुल्यांकन ||१४||

कथा कविता इनकी
ठाम सांग गोवर्धन |
मायबोली पोवारीको
करे खरो संवर्धन ||१५||

इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
      मो. ९४२२८३२९४१
      दि. २४ जून २०२१

Saturday, June 19, 2021

साहित्यिक सौ.ज्योति पटले




नाव:-ओमलता कृष्णकुमार 
             पटले.
 टोपन नाव:- ज्योती
  
 गाव:-  बोदलबोडी पो:धानोली 
         ता:सालेकसा जि:गोंदिया
   जन्म ता:- १८/११/१९१४
 जन्म गाव:-*वळद (कटंगटोला)
                पो:अंजोरा 
           ता:आमगाव जि:गोंदिया
  बाबुजी को नाव:- देवाजी 
               तुळशीरामजी परिहार
    धंदा:-  खेती/कपडा दुकान
 आई को नाव :-लक्ष्मी/देवांगणा
  शिक्षण:- १ली ते ७वी पयॅत 
                वरिष्ठ प्राथमिक शाळा वळद
   ८वी ते १० semi-english  साठी आदर्श वि. आमगाव.
 ११वा ते १२ IT sci (full english)  आ. वि. आमगाव.
  B.Sc.:-D.B.Science  college  Gondia
   msc:back
  

 नौकरी:-  मी जास्त मोठी नाहाव अना ज्यादा सिकी नही. पर नौकरी साठी प्रयत्न करेव .प्रायवेट मा Shanti Niketan Convent मा ४ साल लका जाॅब करेव. SBSC ला narsary to 4th standard पर्यंत होती. D.ed नही करेव पण आपलो अनुभवल अना्  हुसारी लका जाॅब करेव. अना सोबत पा्वेट लका  Y.C.M लका final भयव.   आब History  मा M.A. 1'st year चालू से .
  पण सध्या कोरोना को कारण घर से.

   मग ५/५/२०१९ मा बिह्या भयव. 
  कृष्णकुमार पटले संग. 
  

 एक टुरी :_ वेदांशी १५ महीना की से . ९ महीना पासूनच चलसे  अना् बोलभी से.
   
  पुरस्कार:-  मी जास्त मोठी नाहाव पर आठवन से की जब मी४ वी अना् ७वी स्कालरशिप की परिक्षा होयत ७वी मा तालुका  माल पहिली आयी त ८ ते १० पर्यंत हर साल ५००० हजार रू मिल्या म्हणजे पूरा १५हजार
  मग मी १२वी मा होती, तब .
 *सामाजिक वनिकरण*  येन निबंध परिक्षा मा जिल्हा मा पहिली आयी तब ५०००रू को बक्षीस भेटेव.
  ता:१५/०९/२०१२ ला नंबर आयव अना मोरो गोंदिया मा सत्कार होतो वनच दिवस मोरो भाऊ की गणेश विसर्जन मा मृत्यू भयी. *२९/०९/२०१२ ला*  
   

 आवड छंद :- भजन कवनो,  डाॅन्स/नृत्य करनो. भाषण देनो जब convent मा जाॅब करत होती तब मीच संचालन करत होती. 


  लेखन कार्य/पुस्तक इनको काही अनुभव नाहाय जी.
        


 जीवनपट:-  
                       आम्ही तीन बहीन भाऊ होता. मोठी बहीन *शारदा.* मग मोरो भाऊ *महेश* जिनकी गणेश विसर्जनमा मृत्यु भयी. तब पासून मी येन भगवानला त्याग देयव. मी प्रसाद भी नही खाव येन भगवान  की . 
 आपलो जन्म दिवस को दिनही /२१ साल मा स्वर्गवास भया.
 मग मी सबसे लहान *ज्योती*  
 परिवार  मोठो से बाबुजी तिन भाऊ सेत. अना तिन आत्या.
   सध्यामा ४ भाऊ सेत ब्रम्हा भाऊ :- महा. पोलिस.
 विश्वा भाऊ:- वनरक्षक कर्मचारी
  शिवसागर भाऊ:-कपडा दुकान सभांल सेत 
 रामसागर :-विडीओ सुटींग को काम करसे.  काही भाऊ की कमी नही करत. असा मोरा पाचपांडव भाऊ होता . *ब्रम्हा-विष्णू-महेश-राम-शिव* 
 बहीन *:-शारदा-दुर्गा-ज्योती*  .
  सब भगवान की अवतार.

    सौ. ओमलता बाई पटले

बहूदा सन्मानित
पोवार की बेटी
ओमलता बाई ला
पहले शुभेच्छा कोटी

पोवारी कवयित्री
समाज की ज्योती
आपलो प्रतिभा लक
बाटसे मोती

कृष्णकुमार पटले की
ज्योती से सन्मान
परिहार परिवार की बेटी
प्रतिभावान गुणवान

देवाजी,देवांगणा की
अनमोल मोती
पटले परिवार मा आयी
दुय परिवार की ज्योती

देवांशी अनमोल रत्न
कच्ची मटका पकावसे
ओमलता सृजनकार
शिक्षा दान करसे

भजन,नृत्य मा पारंगत
भाषण, संप्रेषण लाजवाब
कष्टमय जीवन तरी
खिलतो महकतो गुलाब

अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व
जसी साक्षात सरस्वती
बालपण पासून अज वरी
शब्द कमी सांगन् महती

भगवान संग विद्रोह
मोला लगी मुक्ताई
उच्च कोटी वैचारिक प्रगल्भता
सगुण निर्गुण की माई

शतदा नमन करु
तुमी पूरो देश को गौरव
पोवार की बेटी
पराक्रमी शौर्यवान

शेषराव येळेकर
 सिंदीपार जिल्हा भंडारा
दि. १७/०६/२१

   
    ऋण साहित्यिक गणको :- सौ. ओमलता पटले
              (चाल:- श्रावण का महिना)
                          
साहित्यिक का ऋण, केतरा  आमरं पर
उत्थान करण पोवारीको,लेखणीला धार //धृ //

गाव वळद /कटंगटोला, तहसील आमगाव
सुखी समृध्द परिवार,माय लक्ष्मी बाई नाव
बाप देवाजी परिहार, दुकानदार/ कास्तकार//१//

तिन होता बहीनभाई, मा  मोठी शारदा बाई 
लहान ओमलता, ना स्वर्ग गएव महेश भाई
दुयच बहिणी रहि,पर से उनको मोठो परिवार//२//

बी.एस.सी.वरी शिक्षण,पुळ शिकनकी आस
५/५/१९ला बीह्या भएव, बोदलबोडी  निवास
पती   भेटेव  कृष्ण कुमार,से  पटले परिवार //३//

कुलमा सुंदर सुशील टुरी  वेदांशी ओको नाव
होतो जोँधरा पानपर दिस, असो ओको भाव
खुशालीको जिवन जग,उनको सुखको संसार//४//

ओमलता/ज्योती बाई ला छंद कविता को
सुंदर कर गीतगायन,झेंडा गाळ पोवारीको
छंद भजन गायन को सुसंस्कृत  संस्कार  //५//

उभरती   कवीयत्री,लेखिका,गायन गीत
रहे शीशपर सदा माय कालीकाको हात
याच रहे शुभकामना ,दे पोवारीला आधार //६//

              
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया


सौ. ज्योती पटले

ज्योती जगमगाय रही से
आमरो समूह की जान
कृष्ण की राधा मनभावन
पटले परिवारकी से शान

स्वभाव इनको खडखड नदी
बहुमुखी प्रतिभा की धनी
मनको भाव नहीं लुकावत
भजन, नृत्य मा पारंगत बनी

सदा हासतो मुखमंडल
लाजवाब भाषण, संचालन 
घरदार की धुरा संभालसे
खिन नही लग चित्र बनावन

पाच भाई की बहनाई लाडकी
माहेर ईनको से भरेव पुरेव
पोवारी मा लेख लिखाण
भरभर आवसेत मनको बाहेर

असिच सदा हासत खेलत रहो
पोवारी की धूरकोरी बनो
गढकलिका को आशीर्वाद लक
पोवारी को खेतमा नित रमो

सौ छाया सुरेंद्र पारधी


अज की साहित्यिक
ओमलता कृष्णकुमार पटले
.  
ओमलता कृष्णा पटले 
ज्योती से टोपण नाव, 
वळद को आय माहेर 
बोदलबोडी से गाव. 

लक्ष्मीबाई ना देवाजी भाऊ 
आती माय ना बाप उनका, 
मोठी बहीण शारदा, दुर्गा 
सेती चार भाई बी उनका. 

वळद आमगाव गोंदिया मा 
भयी से उनकी पूरी पढाई, 
मन क् लगन लका उनन् 
बी. एस्सी. की डिग्री पाई. 

अनेक पुरस्कार मिल्या 
शिष्यवृत्ती मा भई सफल,
मेहनत मा से विश्वास 
वोको भेटसे उनला फल. 

भजन, डान्स को से छंद 
भाषण, संचालन मा अग्रेसर, 
वेदांशी की माय कहलावसे 
कविता बी करसेती सुंदर. 

. . . . . . . . . . . - चिरंजीव बिसेन
. . . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया


ज्योती पटले

मावशी मोरी ज्योती बाई
खासे चटणी को भेद्रा
मंझली माय उनकी लाडकी
नाव से उनको शुभद्रा

ब्रम्हा,विष्णु,महेश,शिव की
बहीण या बडी लाडकी
गुणी अना कर्तृत्ववान
चित्रकार से मोठी हाड की

माय को वाडा पुढं
महाबीर को मोठो मंदिर
किर्तन, भजन ,आरती
मोरो मावशीला आवसे सुंदर

सदा रवसे हसतमुख
भळभळ्या से स्वभाव
वेदांशी बेटी होनहार
नाहाय कोणतोच अभाव

सौ.वर्षा पटले रहांंगडाले
गोंदिया

ज्योती पटले
जगमग करती ज्योति 
बनी कृष्ण कि राधा
बहु गुनी बाई हे 
हुशार अति ज्यादा

तीन भाई कि लाडली
हसमुख से स्वभाव
भजन मा रमसे
ओमलता से नाव

पिता देवाजी परिहार
माय लक्ष्मी बाई
वळदकी टुरी गांव
बोदलबोडी बहु बनके आयी

नर्सरी को टूराइनला
करसेत शिक्षा को दान 
मायबाप कि गुनी बेटी
से बड़ी कर्तुत्वान

वेदांशि टुरी भयी 
से मोठी गुनवान
लहानसो उमर मा
होसे गुणगान

हासरो स्वभाव तुमरो 
सदा रहो खुश
वाघ्देवी कृपा कर
हासत रव मुख

स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे

 ओमलता पटले

लक्ष्मी देवाजी को घरं
प्रज्वलीत भई ज्योती
चांद सो सुंदर मुखडा
बहुगुणी  सें  अति

शारदा ओमलता महेश 
मायाप्रीत का बहिणभाई तीन
भाई को गम मा बहीण नं
धरिस अबोला भगवान सीन

वळद की कन्या
बी.एस.सी. भई
कृष्णकुमार की नैनूला
वेदांशी की आई

भजन गायनको
छंद सें तोला 
दे साहित्य को वारसा
पुढ्को पिढीला

पोवार की बेटी तू
लगावं पोवारी को नारा
पोवार समाजमा चमकजो
बनके उभरतो तारा

                 शारदा चौधरी 
                     भंडारा


ज्योती पटले


साहित्यकी जगमग ज्योती
तनया देवांगणा अन् देवाजीकी
बनी कृष्णकुमार की भार्या
आई कहलाई वेदांशिकी

बाल्यकाल पासून से गुणवान
कलागुनकी से वा खान
विद्याको  भेटेव असो   वरदान
स्कालरशिपमा मिळाईस मान

विद्यादान से सबसे मोठो दान
लहान बालक करीन सुजाण
सदा हसतमुख चेहरा तोरो
दुर करसे बाच्चाईनको ताण

माता गढकालिकी कृपा
सदा सर्वदा बनी रहो
पोवारिको उत्थान की
अशीच कास धरती रहो

सौ उषाताई रहांगडाले

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...