विषय: बेगरचार
जब दादू चलाव घर
सब संगमा रव्ह परिवार
आत्या, काका सब होता
तुटेव सब, भयेव बेगरचार
काका ला भेटेव जुनो घर
बाबुजी पडेव हिस्सा को मालक
आत्या ला आयो साडी, खाजो
माउली न् भाई साती सोडिस हक
दुय बांधी गावखीरी की
दादू को हिस्सा मा आयी
जब मय्यत भयी वोकी
तब हिस्सा साती बाट देखी गयी
बेगरचार न् घर फोडिस
तोडिस रिस्ता नाता
भाई भाई दुश्मन भया
खाईन उनन् गोता
हिस्सा को धन को लालच
न् तोडिस घर की एकता
बेगरचार अटल सत्य से
लेकिन नोको तोडो खुन का नाता
~ विरेंद्र कटरे, चंदिगढ
विषय - बेगरचार
संस्कृती को बेगरचार
एक बेगरचा र अशो भी
सिखाय गये व आपली
हिंदी संस्कृती की परंपरा
धन - दोलत काही नहीं रहो
रहो से भाई - भाई को प्यार
मोटो को सन्मान,अन् लहान ला प्यार
बाप - माय को आदेश
सर्व परी शिख्या गये व
अशो एक बेगरचार!
धन - दो लत कही नहीं रहो
रहो से ती संस्कार!
हर घर मा पूजा हो से श्री राम की
दि खावा रह गयी से श्री राम को
हर घर मा भाई भाई बन गया वैरी
एक एक इंच जमीन साठी बन गया
सगा भाई भाई आपस मा बन गया वैरी!
का हान गया आम्हरा आदर्श
का हान गयी आमहरी संस्कृती
सब लालच न मि टा य देयिस
आम्ह री संस्कुर्ती,अन् आदर्श
कोर्ट बन गये व आम्ह रो विधाता
धरा का धराऱ्या रह गया आमहरा
संस्कार, आदर्श
अशो भी एक बेगर चार!
✍️ चंद्रकुमार शरणागत बिर्शी
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(हिरो होंडा)
२८-०२-२१
आम्ही दुय राजा रानी अना आयरा दुय पीटुक
अलग रव्हनो को से बडो साजरो सुख
दिवसभर काम अना टोमना का बोल
झेल झेल के थकी अना पुरो भयेव झोल
नंनंद बाई आमरी ना काम की ना काज की
बोट भर ककडी का हातभर बीजा सांगनकी
जेवन बसेव परा सासु डोरा फाळके देखसे
लेकरू की पीर पीर सदा कानपरा आवसे
मोठा मोठा गंज अना मोठा मोठा चुला
सयपाक रांध रांधके हातमा आया सेती चुला
जीठानी बाई आमरी बडी से तोरावाली
कामधंदा ठेयके इश्कुल मा लगायके जासे लाली
सुसरो सदा नवरा ला उचकावसे भडकावसे
कही जानला जानत घडी घडी फोन करसे
भासरो ला नही रव्ह फुरसत घडी की
फोनपरा मश्गूल रव्हसे फीकर ना पैसा कवळी की
रोज रोज को जाचला त्रस्त होयके टाकेव कानपर बात
नवरा ला कयेव आता खाबीन अलग भात
बडो मीनतवारी करके नवरा जरासो मानेव
लगेव हात मीन बी बेगरचार आपलो करेव
चार दिवस हासी खुशी कसा गया पता नही चलेव
अलग होयके मीन शांती को सुस्कारा सोळेव
आपुनच राजा अना आपुनच होता प्रजा
ना काम की कट कट अलग मस्त आव मजा
चार दिवस अलग होयके बडो अच्छो लगेव
मनमा सोचेव बहुत दिवस घरको सेमानो तापेव
काई दिवस बाद हाळ्या कोरोनाला झोमाळा झोमेव
घरमाको किरानोला शनी गीरासन बसेव
लेकरूबी दिवस भर हल्ला मचावत होता
काई करू तरी हाळ्या चुपचाप बसत नोहोता
आता याद आयी सुसरो दिवसभर लेकरू संभालत होतो
चिल्लर चुल्लर खर्च भासरो संभालत होतो
जीठानी बी घरका बारीकसुरीक काम करके जाय
पाहुना पयी आता त नंनद मदत करत जाय
चार दिवस को बेगरचार मंग चांदनी दिसन बसी
राजा रानी को संसार परा अंधरी मासी बसी
दिमाग माल बेगरचार को भूत निकल गयेव
सकाळीच उठके मीन 'अवो'चलो आपलो घर जाबीन कयेव
✍वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि. गोंदिया
बेगरचार
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जीत ऊत बेगरचार करन भयीं दाटी
जशी काही बापबेटाकी मायाच तुटी
एकच घरकी आता होय फाटाफुटी
माय कसे बोहु काहे अशीकशी रुठी
एकठण टुरा ना बीह्या करेव सुखमा
बोहु आयी घर, नाव ओको रूखमा
करीस शिकायत नहीरवजन एकमा
मी नही रहू कसे सासु क धाकमा
बोहु की आयकीस ना भयेव बेजार
बापला कसे आता करदेव बेगरचार
बाप क डोराला फुटी आसुकी धार
अंतकरण फाटेव ना भएव तारतार
मायबाप आमरा आती दयाका सागर
उपकार च नही फेळनका जिवनभर
सम मा संपती को मनमा बिचार धर
मायबाप काहां जायेती, बिचार कर
जन्म देईन ना पालनपोषण भी करीन
हातक फोळावानी तोरो जतन करीन
लहानोको मोठो करीन,जग देखाईन
दुय का चार हात भी तोरा करदेईन
जब तुमी होवो एकदुय टुराका बाप
नही पळनकी का उनपर तुमरी छाप
घर फोळशान मायबाप नोको तोळो
बेगरचार बुरीबला,नातो नोको जोळो
******
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
पोवारी इतिहास साहित्य एवं उत्कर्ष व्दारा आयोजित राष्ट्रीय पोवारी काव्य स्पर्धा
काव्य स्पर्धा क्र-५२
विषय- बेगरचार(बटवारा)
प्रकार -नक्कल(दंडार)
मोरी आयकोना
बेगरचार करबिन ना राया
येकसाठी झुरसे काया।।धृ।।
आजवरी आम्हीं सबको क-या
शिक्षण बिह्यामा पैसा भ-या
खंबुरा घरकं काममा सा-या
सब कमायी गयी वाया।।१।।
आपली बबली बिह्याकी भयी
बचावो आपली कमाई कायी
आयको मोरी मी सांगुसू सयी
हे कोनिक काम नहीं आया।।२।।
मोठा तुम्ही तुम्हाला का?देयती
चांगली जमीन हिसामा लेयेती
माय बाप तुम्हरं करं ठेहेती
उनला नाही कोनिकी माया।।३।।
काम करनला हेवा करसेती
आयतो पर रायतो हे खासेती
काही कवनत गुस्सा करसेती
आम्ही फुकट को नहीं काया।।४।।
मोरी आयकना
लहानको मोटो उनन करीन
गरीबिलं जिंदगी सवारीन
घर दार कष्टलं उभो करीन
यन उमरमा देवो साया।।५।।
माय बापकी सेवानही करती
वृद्धाश्रम मा उनला ठेवसेती
कुनावकी समाज गाये किर्ती
पल पल तळपे उनकी काया।।६।।
अशी करनी शहानो कोन कहे
उपाशी मायबाप बदनामी होये
प्रापर्टी ओकी उ का? उपाशी रहे
चांगला संस्कार चली गया।।७।।
""जय राजा भोज, जय माँ गड़काली"""
वाय सी चौधरी
गोंदिया
विषय - बेगरचार
**************
लहानआंग क् खटपट क् कारण
दुय भाई इनमा भयेव बेगरचार,
लहानपण पासून संग रह्या पर
आता नही रहेव उनमा प्यार.
घरक् हिस्सापासून बाडी, आंगन,
धानधन्सी सब अर्धो अर्धो धर लेईन,
जेवर जाटापासून बर्तन भांडा
कपडा-लत्ता अर्धा अर्धा बाट लेईन.
असल कमसल करता करता
खेती की जमीन बी बट गयी,
रोड ला लगी जमीन अना
ओलित की बी बराबर भय गयी.
एक-एक बहिनको दुही भाई करेत साडी, आननो लिजानो तय भयेव,
मायबाप ला ठेवनसाती भाई इनमा
कोणतोबी एकमत नही भयेव.
एक मायला एक बापला ठेवो
पंचायत मा फैसला भयेव,
जेन् चार टुरू पोटू पालीस गरीबीमा
वु बाप सबला जड भयेव.
माय करन् लगसे घरको काम मून
दुही मायला ठेवनला तैयार भया,
बापक् डोरा मा आसू, सोचसे -
मोर् हातल् कोणता पाप भया.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
विषय -बेगरचार
संयुक्त परिवार एक इस्कुल
जमे तबवरी रहेच पायजे
आजा आजीको अनुभव
नातुला भेटे देये पायजे।।
सबका बिया होतवरी
रवो एकमाच
करो काम मोठमोठा
फायदो होये सबलाच।।
विभक्त परिवार भयि गरज
रवो कहानबि
सन तिवारला एक रवो
करो खानपानबि।।
विभक्त रवनो से बात हिम्मतकि
नितीलक कमावो धन
पर् मायबापकि सेवासाठी
नोको कवो अडचण।।
करो बेगरचार होवो अलग
पर् मायबापको ठेवो मान
पोवारी संस्कृती अमर ठेवो
बनो श्रवणजसो पुण्यवान।।
पालिकचंद बिसने सिंदीपार (लाखनी)
विषय: बटवारा
बटवारा नहाय अच्छी चीज भाऊ,
सबको मनला ठेस पहुचसे,
घर का व्यक्ति पड़सेत एकटा,
दुःखी मन यो सबला कवसे।।
होसेत दुर एक दूसरो लक,
हकीकत सपना बन जासे,
सबकी भावना चुर-चुर कर,
बटवारा को सागर मा बह जासेत।।
एकता ला ठुकराय कर ,
बटवारा जो कर से,
मानव जीवन का सेत वय हतियारा,
दुःखी मन यो सबला कवसे।।
बटवारा को टाइम पर ,
बदल जासेती पुरा रिश्ता,
नहीं रव कोई आपरो,
टूट जासेती गहरा रिश्ता।।
कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
विषय: बेगरचार
लिखुसु शब्द मी, वास्तविकता का
भरेव घर होतो, आजा मुखिया होतो
जब बेगरचार भयोव आमरो घर को
साल भर को होतो मी, जब होश नव्हतो
जब होश आयेव तब दुनिया जानेव
आजा मोरो, बाप को हिस्सा मा आयेव
होतो लहान त् कहानी सांग दादा
दादा को सब्द मा परिवार मी जानेव
कहानी वा भरेव घर मा की
बाबुजी, अजी, अना मोठा बाबुजी
असा होता पितातुल्य तिन भाई
प्रमुख को रुपमा दादा उनको अजी
दुध को धंदा होतो घर मा
जोड होती तिन भाईंकी
सायकल लका जाती तिरोडा
धरत जनसेवा ट्रेन सकारकी
गाव को दुध नागपुर लिजाती
हजारो लिटर दुध को व्यापार होतो
वन बेरा आमरो दुध को साम्राज्य होतो
भाई को जोड सामने तिवारी भी झुकत होतो
पच्चिस साल वरी दुध को आमरो साम्राज्य होतो
भाई को जोड लका बाप भी सिना तानत होतो
दुय एकर की खेती बावन एकर भयी
धनाड्य होतो परिवार, लेकिन अहम नवतो
आयो वू साल उन्निस सौ पंच्यान्नव
जब तिन भाई को भयोव बेगरचार
मजबुत साम्राज्य आता बट गयेव
बापु मोरो पंधरा एकर को रहेव कास्तकार
बावन एकर खेती जमाईस आजा न्
पंधरा पंधरा एकर मा आयी सबको हिस्सामा
धिरु धिरु सब भाई कोमाय गया
बस हिस्सामा आयी भुमी रही सामा
कास्तकारीच भयोव बापु को व्यावसाय
नांगर चलायस्यानी पालिस आमला वोन
विरासत मा आमला काही नही भेटेव
जब करुसु याद वय स्वर्णिम दिन
बेगरचार न् करिस सबकी शक्ती हिन
संदेश मोरो नोको करो बेगरचार
भाई भाई को जोड मा से वा शक्ती
लिख लेयेव दुय शब्द मन मा आयो बिचार
✍🏻- सोनू भगत
विषय:- बेगरचार
भाई भाई मा भय गयेव अज बेगरचार ।
माय उनकी दुखी भयी करशान बिचार ।।
अजी उनको मरेवत् मायला होती आस ।
दुयी टुरा रहेत संग मा ओको पास पास ।।
बहु बहु को झगडा लक तुटी उनकी जोडी ।
भाई भाई तंग भया आयेक उनकी खोडी ।।
एकही बहु तयार नही सासुला ठेवन जवर ।
सोच सोच शान माय ला आवनबसी भोवर ।।
राम लक्ष्मण सारखा भाई कामत साठी झगडत ।
भयी मारापिटी उनकोमा त चलन लग्या लंगडत ।।
मायको हिस्सामा आयी कामत लहानको ढोडी ।
मोठोला सायबन मिली बहु निकली घर फोडी ।।
लहान टुरु पोटु खेलनसाठी मायसंग खुप तरसत ।
जाती खेलन माय जवळ तब बहु उनपर बरसत ।।
असो देख बेगरचार माय भयी खुब लाचार ।
आता कसो होये जगनो माय कर बिचार ।।
भाई भाई मा भय गयेव अज बेगरचार ।
माय उनकी दुखी भयी करशान बिचार ।।
✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया (बडेगांव)
दिनांक : 28 फेब्रुवारी 2021.
विषय - बेगरचार
होता सब भरेव घरमा
तब होतो सुखी संसार ,
मालूम नहीं नजर कोनकि लगी
भयेव घरमा बेगरचार ।।
होता सब भरेव घरमा
आपसमा होतो प्यार ,
दिस मस्त घर रुबाबदर
जसो माता रानी को दरबार।।
होता नोकर चाकर
भरेव घरमा भरपूर ,
होतो मस्त लाड़ प्यार
भरेव घरमा भरपूर ।।
होती खुट परा दूय च्यार जोड़ी
अना गाई भशी कोटा भर ,
डोरा लक नहीं दिस आता
गाय को दूध की धार ।।
से घरमा येतरी जाय जाद
सपाई देयेती का आमरो कर ,
अशी कवत होती मगाशी
आमरो लाहानश्या की माय ।।
नाेको देवो मोला चिमुटभर
पर नोको करो बेगरचार ,
आपस मा बनायके ठेवों
तुम्ही भाई भाई को प्यार ।।
✍️ बंटी चौधरी अर्जुनी
बटवारा
बचपनमा खेल्या कुद्या एकमा भाईभाई
बिह्या होयेपर बटवारा की नौबत आई
टूटतो घर देखकर माय मनमा रोई
बापको सपनको घरोंदा तुटनकी बेरा आई
रोज को घीसघीस लक चुल्हा बी बट्या
माया पिरत भरोसा का धागा बी तुट्या
लहानांगं होन बसी बाचाबाची लडाई
देवरानी जिठानी की काही पटच नही
बरतन कपडा लत्ता बट्या बिस्तर
बटेव बिसरो जमीन आंगण घर
कथडी ना धुस्या की थप्पी लग गई
घरकी देहरी बी बाटनला कम पड गई
बहीनी भाटवाला बुलाया बटवारामा
एकएक बहिणी आई भाई हिस्सामा
माय बाप को बटवारा की बारी आई
बहूबेटा की बोलती बंदच भय गई
बटवारा लक होसें अति नुकसान
एकोपा लक बढंसे कुटुंब की शान
टिकावो खून को रिश्ता की गहराई
बटवारा मा कोणी की नहाय भलाई
शारदा चौधरी
भंडारा
बेगरचार
बटवारा कहू येला, कहू बेगरचार
घर फुटेव, रिस्ता नाता को दुराचार
समझो येला, यव बहूत बेकार
भरेव घरच् आपरो सबको परिवार
एक कोख मा लका जन्म्या भाई
एक रह्या हमेशा जब आई कठिनाई
दुख भयोव लाहनो ला त् धायेव भाई
जब रोया दूही भाई त् धाई उनकी आई
एक सुत्र मा बांधस्यानी ठेईस बाप न परिवार
माय न् वोला आपरो ममता लका देयीस आधार
भया जवान बेटा, कर देयिस उनका चार हात
दूही बहू आयी घर मा, करिन घर फोडन को घात
बायकोईनको झगडा लका भयो बेगरचार
भाई भाई अलग भया, आयो उनमा दुराचार
खुन का रिस्ता तुट्या, अलग भया परिवार
परिस्थीती असी आयी, काम ना आया संस्कार
✍️✍️ सौ छाया सुरेंद्र पारधी
बेगरचार
भरेव फुलेव परिवार मा आयी कालीरात
बेगरचार होनो या अचछी नहाय बात//धृ
माय अजीला रवसेत बेटा बेटी समान
उज्वल भविष्य फुलावन कससेत कमान
एकताको सागरमा काहे सुनामी प्रघात//1
बरतन भांडा टकराया जाऊ जिठानी मरीज
अगाजमा भाईभाई को प्यार भयेव खारीज
तुफानी तांडव करं कुटुम परा आघात//2
आपलोच होय जासेत एक दिन पराया
दुख घोलनोवालो यव कौन से हत्यारा
गयरो रिशता तोडनला नको देओ सात//3
आमरी हिन्दू संस्कृती एकात्मता मिसाल
प्रगती को संख बजावसे दिगंतमा खुशाल
मानव्य ला अपनायकर संगमा खाओ भात//4
वंदना कटरे "राम-कमल "
गोंदिया
28/02/2021
बेगरचार
सब करो आता बिचार,
काहे भयव बेगरचार ll
एकमा होता सब संगी,
आता बेगरा भया संगी ll
खेलत होता बोलत होता,
संकट मा सब संग होता ll
लोग कहवत भाई आती,
कहा मर गयी इनकी मती ll
जो करे जास्ती की अती,
बेगरचार की आवसे मती ll
परिवार अना समाज की बात,
बेगरचार मोठो बिचार की बात ll
जोड़न की करो आता बात,
साहित्य-समाज की से बात ll
करो तुमी आत्मा लक बात,
सही से का बेगरचार की बात ll
आता करो एकच सबजन बिचार,
कसो भयव आमरो बेगरचार ll
************************
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
बेगरचार
मान गयो, रुतबा गयो, गयी घर की बहार,
गांव को महाजन घर, जब भयो बेगरचार.
तीन बेटा भीम घाई, होतीन महाजन का बख्खा,
तिन्ही होतीन धुनका, अना काम का बड़ा पक्का.
खूब बढ़ी खेती-बाड़ी, अना पनपीन धन-ढोर,
देखन लायक बनयो, महल जसो मोठो अवार.
भाई-भाई मा साठ-गाँठ, बाप ला चोवत होती,
घर का ढोला मा अन्नपूर्णा, हरपल सोवत होती.
देखत-देखत बेटा भईन आता बिहया जोपता,
दस गाँव की रिश्तेदारी मा फैल्यो एव समाचार.
मोठो बेटा को रिश्ता भयो, तगड़ो महाजन घर,
बहू को पाय संग मा आई, शुभ छण भर-भर.
महकन लग्यो जीवन सबको, वोन आँगन-घरमा,
समृद्दि अना संपन्नता मा, चमक्यो सब संसार.
चल्यो समय हांसत-हांसत, जीवन की चली गाड़ी,
काँटा भी फूल जसा, इंधारो भी लग उजाड़ो,
नाहना दुहि बेटा को, करिस महाजन न बिहया,
नाती-नतरु को घर भयो, ब बनिन सब संस्कार.
भाई-भाई को हेम येव, कब तक चलतो राम,
उजाड़ो कबतक रहवतो, का नहीं होती शाम.
कारी डोसकी हिनको मंतर, करन लग्यो काम,
सुगढ़ता का बोल हिनमा, उठन लगी चित्कार.
गृहस्थी को सूर मा, कसो होन लग्यो हल्ला,
रान्धनखोली की खटपट, देख रहयो मोहल्ला.
आपरो-तुपरो की भय गयी, घर मा आता रीत,
सुख को येन संसार मा, पनपीन आता विकार.
जरा-जरा सी बात पर, लगन लगी पंचायत,
आपरा हिनला जलील करनो, बन गयी रवायत.
सबकी हांडी ला आता, करनो से अलग-अलग,
बिट्टयसार महाजन साब न, असो करिस विचार.
वोन महल की वोतरहि, सामान बट गइन,
मान-सम्मान, हेम, दिल मा ल हट गइन.
हेवा-हिस्का की रेखा न, खिचीस एक लकीर,
वोन घर को परदा हिन की, बन गइन दीवार.
सबको न्याय करन वालों, खाल्या देख से आता,
मुछि को ताव गयो, नहीं कर वू चार मा बाता,
सोच-सोचकर घूरन लग्यो, तीन बेटा को बाप,
चेहरा पर पानी नहीं रहयो, दिख से वू लाचार.
नोट टूटनो दुनिया मा, खुदरा का आत निशान,
अगाज्या महाजन का बेटा बनिन
नाहन किसान.
एकता की ताकत ला, पहचानो गा भाउ पोवार,
सुख-दुःख मा साथ रहो, नोको करो बेगरचार.
मान गयो, रुतबा गयो, गयी घर की बहार,
गांव को महाजन घर, जब भयो बेगरचार.
तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)
नोको करो बेगरचार
उजड गया कजाने केतरा
कुटूम येनं संसारमा
आपलो खून नही रहेव आपलो
येनं बेगरचारमा ||१||
चुल्हो बट गयेव भीत बट गयी
बट गया माय बाप
भाई बहीन भोवजाई बट गयी
रिस्ता आपोआप ||२||
भाई भाई दुश्मन भय गया
दरार आय गयी नातोमा
पिसन साती अनाज रोये
कांडी उखर जातोमा ||३||
मायबाप तमाशा बन गया
पंच भय गया हैरान
मर्यादा कुलकी बट गयी
गयी कुटूम की शान ||४||
लंबो बालको चमत्कार लक
टुट्या खूनका रिस्ता
खेती किसानी बेगरचारमा
भय गयी सप्पा खस्ता ||५||
एक दिवार लक बनी दुय दुय
खोली एकच खंड की
कथडी बिस्तर बिसरो बाडी
टुट गयी जुनी मंडकी ||६||
दुखी होय जाये दिल मायको
अना बाप लाचार
फलेव फुलेव अना भरेव घरमा
नोको करो बेगरचार ||७||
________________________________
डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
विषय - बेगरचार
सुख को मंदिर आय घर
अना परिवार से वोकी डोर
सबजन रहेत प्रेमलक
त स्वर्गदुन सुंदर होसे घर
सबला मालूम से परिवार
की शक्ती एकता मा रव्हसे
पर जब होसेत बिचार मा मतभेद
तब जनम लेसे बेगरचार
जागा को बेगरचार भयव
तरी प्रेम को नोको करो बेगरचार
अलग भयात तरी
एकसंग मा साजरो करो सण त्योहार
सुखदुःख मा भी रहो एकसंग
यवच से सुखी परिवार को सार
✍️ सौ. श्रुती टेंभरे बघेले
बेगरचार
मोरो अहम मा
वहम होतो
आपलोच ताल मा
मी चलत होतो
एकदिवस मनमा
भयोव बेगरचार
अहम को वहम तुटकर
शिकेव शिष्टाचार
तब मोरो दिलमा
उठी आनंद लहर
सुख अना समाधान को
आयोव बहर
आपला दूर होता
वय जवर आया
मोरा अहम का साथा
देखता दूर भया
जीवन की परिभाषा
तब समज आयी
मन की गरिबी
देखता गायब भयी
मन को बेगरचार लका
दिलको बटवारा बचेव
अज एक अज्ञान
पूर्ण ज्ञान शिकेव
दुर्गुण संग बेगरचार
शिकावसे शिष्टाचार
जीवन सफल होये
जब ज्ञान संवर्धक आचार
शेषराव वासुदेव येळेकर
दि 28/02/21