हनुमान
माय अजनी को लाला, बजरंग बाला,
लाली लंगोटी वाला, नाव बजरंग बाला।
ओठ पर जेको राम सिया राम
श्रीराम को वु दुलारा,
रामजी का वोय सबल् प्यारा
रूद्र अंश पवनसुत,नाव बजरंग बाला।
लहानसो उमरमा बी काम मोठा भारी
साधु संत का आती रखवाला,
सुरज ला घिट्किस, दानव पर भारी
ऋषि मुनि का प्यारा, नाव बजरंग बाला।
मारके छलांग वोन् लंकाला पार करिस
पुरो लंका दहन करने वाला,
रावन को अहं् ला चुर-चुर करिस
सिताला् ढुंढन् वाला, नाव बजरंग बाला।
भक्त मा भक्त हनुमान जी मोरो
सियाराम छाती मा देखावन वाला,
हनुमानजी को बिना रामजी अर्धो
श्रीरामजी बिना अर्धो, बजरंग बाला।
रोशन राहांगडाले
रा.पिपरिया ता.सालेकसा
जि.गोंदिया,
हनुमान
पवनपुत्र हनुमान की कथा
रामभक्त हनुमान की या गाथा
शास्र पंडित वू जगत मा
मात् अंजनी को चरना मा वोको माथा
जनम भयेव हनुमान को
बचपन पासुन डुबेव भक्ती मा राम को
किशोरावस्था मा विक्रम करिस वोन
लंका विध्वंस करिस जयघोस करत प्रभु राम को
महाबली हनुमान की कथा बहौत महान
जिवनभर राम नाम जपिस,पाईस अमरदान
ब्रम्हचर्य को पालन करिस, धर्म को करिस बचाव
कलयुग मा भी अमर रहे असो पाईस वोन वरदान
काल भी भयभीत होय जासे वू नाम हनुमान
शनी भी हट जाये, जब नाम स्मरन करो हनुमान
कलयुग मा साक्षात से ईश्वर असो हनुमान
घर घर, गांव गांव पुजेव जासेत हनुमान
विरेंद्र कटरे
हनुमान
माता अंजनीको पुत्र बडो बलवान
नाव येको पवनसुत विर हनुमान
रामजी को सफल करे सब काम
माता सीता को हृदय मा से वास
फल समझकर सूर्य ला घिटकाय
बालपणमा बल विस्मुर्ती मा जाय
सीता धुंढनला समुद्रपार लंका जाय
अशोक वाटिकामा हांहाकार मचाय
आदेश रावणको, पुस्टीला आंग लगाय
सारी लंका ला एकघन मा आग लागय
लक्ष्मणला तिर मारीस इंद्रजितन नागपास
संजिवनी बुटी साती पर्वत आणीस उठाय
संकटमोचन , अंजनिसुत, केशरिनंदन
पवनसुत,असा नाम अनेका पावन
जो हनुमान चालीसा गावसे हरदिन
परम सुख पावसे जीवन होसे पावन
- सोनु भगत
हनुमान जी की आरती
जय जय हनुमान गोसाई
कृपा करो महाबली योगी
जो करे तोरो अनुसरण
वू बन जाय सदा निरोगी
महाकाल को रुद्र अवतार
अष्टांग योग को रखवाला
भक्ति शक्ति को अनुपम योग
राम रसायन पाजने वाला
इडा, पिंगला, सरस्वती
प्राण की तोरी बहती गंगा
भक्ती योगी, हे हनुमाना
हर युग मा तू सेस जागा
कपालभाती तेज ललाट
छाती से पहाड समान
प्रत्याहारी इंद्रीय जेता
नाम जप को सदा ध्यान
राम नाम की समाधी
अष्टांग योग को भोगी
अष्ट सिद्धी नौ निधी
प्रेम,ममता को फिरतो जोगी
जय जय हे हनुमंता
योगी व्रत मा करु सेवा
जो भी करे शक्ति साधना
सदा प्रिय बनसे देवा
शेषराव येळेकर
हनुमान
त्याग सेवा अना् शक्ति को
प्रतीक से हनुमान
मर्यादा पुरुषोत्तम रामजीक्
सेनाकि वु शान।।
जितेंद्रिय वु ब्रम्हचारी वु
आज्ञाकारी सुत
अंजनी माँ को होतो लाडलो
श्रीराम को दुत।।
शक्ति भक्ती अना् ज्ञान को
संगम पवनकुमार
कालनेमीला धुल चटाइस
राक्षस केत्ताक ठार।।
तु शंकरको सेस अवतार
चिरंजीव तु कलियुगमा्
मनोभावलक् भक्ती करसेजन
दे बल आमर् तनमनमा्।।
मोठा राक्षस तोरो कालमा्
आमर् कालमा सेत सुक्ष्म
आयोव आब् यव कोरोना
नजर चुकावसे तिक्ष्ण।।
अहिरावन को समान यवबि
संख्या आपली बढावसे
एक मरसे दुसरो जगसे
तरास मोठो देसे।।
सांग आब तु इलाज वको
कोणतो चलावबि तीर
व्हँक्सिनलक् आमी आब् लढसेजन
आवना सरसे धिर।।
पालिकचंद बिसने
हनुमान
पुंजिकस्थला स्वर्ग की अप्सरा
रूपवान सुंदरी, चालमा चंचला।
ऋषी को संग करिस अभद्रता
वदेव ऋषि, श्राप देसु टुरी तोला।।
पुंजिकस्थला घबराई बड़ी मनमा
लेजो वानर जन्म जब पृथ्वीपरा।
तब तेजस्वी पुत्र हरे, ताप तोरा
ऋषिन उष्शाप देईस मंग अप्सरा।।
वनमा केसरी अंजना को मिलाप
रूद्रको ग्यारावो रूप वीर हनुमान।
सूर्य, अग्नि,सोनो को समान तेज
वेद-वेदांगको मर्मज्ञ महाबुद्धिमान।।
राम सीता को सफल करे काज
विक्राल रूप धरके, जराईस लंका।
संजीवन बुटीलक लक्ष्मनकी रक्षा
चहू ओर हनुमंता को बजेव डंका।।
रुद्रावतार, पवनसुत केशरीनंदन
संकटमोचन, जब नाम सुमिरत।
भूत पिशाच्च निकट नहीं आवत
जो हनुमान चालीसा नित्य गावत।।
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा,तुमसर
हनूमान
होतो।गा लंकापति । राजा एक रावन ।।
अहंकार का गुन । होता देवा,,,,,।।
स्वर्णजडीत लंका । होती गा बंदवडी ।।
मरेवपर ना गोंडी। देवराया ,,,,,,,,,।।
सीतामाई हरन । विनाशकारी मन ।
रावन को मरन । स्त्री द्रोह ,,,,,,,,,,।।
धर्म ना अधर्म की । भयी होती लड़ाई ।।
पराजय वा भयी । अधर्म की,,,,,।।
बल बुद्धि का दाता । ब्रम्हचारी गा होता ।।
अंजना जेकी माता । पांडुरंग ,,,,,,,,।।
रामचन्द्र को दास । लक्ष्मण को श्वास।।
सत्यपर विश्वास । हनूमान ,,,,,,,,,,।।
ठेयीस गा कदम । रावन को लंकामा ।।
जनता गा शंकामा । पडगयी ,,,,,,,,।।
जराईस गा लंका । बजाईस गा डंका।।
रावन लघुशंका । सुटगयी ,,,,,,,,,,,।।
कु,रक्षा हिरदीलालजी ठाकरे नागपुर
पोवार समाज एकता मंच परिवार
हनुमान
पुत्र प्राप्तीसाठी दशरथ न यज्ञ करीस ।
ओन्ज्यालका निकलेव पिंड को गोला ।।
दशरथ की तीन रानी,उनला बाटनसाती।
तीन भाग करशांन देईस रानी हीनला।।
कैकई क हातमाको ,झळपिस घार न ।
ऋशीमुख पर्वत परा अन्जनी तप कर।।
घार जवर को गोला,हवा क बल लका।
पळेव जायशान अंजनी क आंजुर पर।।
ग्रहण करीस पिंडको गोला अंजनीन।
पोट आयेव ऋद्रवतार विर हनुमान ।।
भक्त असो अवतरेव अकराओ ऋद्र।
हृदय मा समाय गयेवश्री राम भगवान।।
सीता शोध करनसाती करीस उडाण।
गएव लंका मा,कर सात समुदर पार ।।
आग लगाईस सोनो क लंका मा ।
मारे गयेव रावण, उतरेव धरती को भार।।
कोणी कसेती हनुमान,पवनसुत,मारोती।
गाव गाव मा जेकी बसापत,मंदिर सेती।।
हर दुख मा सहाय,ना रवसे सबपर छाया।
मणुन गावो हनुमान चालीसा ना आरती।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
हनुमान
शुभ घडी आयी चैत्र पुनवाला
केसरी नंदन अंजनी लाला
रुद्रावतार जगमा आयेव जनमला
जो बाळा जो जो रे जो
जन्मेव बुद्धी सामर्थ्य को पुतला
खुशी भयी किष्किंधा नगरीला
गाऊसू पाळणा अष्टसिद्धीको दाताला
जो बाळा जो जो रे जो
मुखमा गिळीस भास्करला
बजरंगी की अगणित लीला
नवविधा भक्तीको झोका देव पाळणाला
जो बाळा जो जो रे जो
शक्ती लगी लक्ष्मण भयेव मूर्च्छित
शीघ्र आणीस पवनसुतनं द्रोण पर्वत
संकटमोचन तपस्वी वीर हनुमंत
जो बाळा जो जो रे जो
विक्राल रूप धरके हुंकार भरं
ब्रम्हांड पाताल धरा डगमग करं
भाग खडा होती भूत निशाचर
जो बाळा जो जो रे जो
स्वामिनिष्ठ राम को परमभक्त
जारीस लंका को सोनेरी तख्त
रावण कैदलक करीस सीताला मुक्त
जो बाळा जो जो रे जो
शारदा चौधरी
भंडारा
हनुमान
अंजनी को पुत्र,
केसरी को लाल,
वानर जातीसे सेना ईनकी,
श्रीराम जी को भक्त आय।।
अमरता को से वरदान मिल्यो,
सब भक्त एवं धर्म की रक्षा करत,
अपार बलशाली अना विर सेत वय,
भगवान हनुमान वुनला कवत।।
दिवारी मनावसेत श्रीराम को नाव लक,
येनच काल मा शिवन हनुमान को अवतार लेईन,
रहस्यमई से जिवन इनको,
पानी मालक महाबली की उत्त्पति भई।।
त्रेतायुग मा केसरीनंदन रूप मा जनम लेईन,
बनकर रामभक्त छाया बनकर चलीन,
वाल्मीकि रामायण मा उल्लेख से इनको,
हनुमान जी को संपूर्ण चित्रण वाल्मीकि न करींन।।
द्वापर युग मा भीम की लेईन परीक्षा,
महाभारत को प्रसंग मा पूछ ला मार्ग मा ठेईन,
कवत हनुमान मार्ग लक उठावो येला,
भीम न आपरी पुरी ताकत लगाय देईन।।
कलयुग मा भी सेत हनुमान जी जीवित,
राम भक्त की रक्षा करसेत,
अनेक रहस्य लक भरी से इनकी गाथा,
मिलकर हनुमानजी ला भक्त भजन गाव सेत।।
कु.कल्याणी पटले
दिघोरी,नागपुर
हनुमान
अंजनीपुत्र केसरी नंदन
आय पवनपुत्र हनुमान,
बल-बुद्धी विद्या को दाता
सब लोकईनला से अनुमान.
बचपन मा सुर्यला निगलिस
तीनही लोकमा भयो हाहाकार,
सब देवईनन् करीन विनंती
तब दूर भयो जग को अंधकार.
राम ना सुग्रीव की दोस्ती कराईस
सिताजी क् खोजसाती गयेव लंका,
सिताजी की खोज करके लंका जराईस
वहॉ राम नाम को बजाईस डंका.
राम रावण युद्ध मा कई राक्षस मारीस
संजीवनी आनकर लक्ष्मणका बचाईस प्राण,
राम क् सेवामा हमेशा होतो तत्पर
रामला बहुत प्यारो होतो हनुमान.
पाताल ल् राम-लक्ष्मणला आणीस
अहिरावण को करीस सर्वनाश,
भक्तईनका सब दुख दुर करसे
ठेवसेत वोक् पर जे पूरो बिश्वास.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
संकट मोचन हनुमान
(वर्ण संख्या -12)
जय हनुमान महाबली प्रभू
संकट मोचन नाव से तोरो ।
आयीसे संकट येन धरापर
कष्ट हरो प्रभू सब दुख टारो ।।1।।
शक्ती लगी जब लछमन पर
आन संजीवनी बचायेस जान ।
तसोच बचाव कोरोनाग्रस्तला
देयके उनला जीवन को दान ।।2।।
अंजनी पुत्र पवन सुत प्रभू
राम काजसाती राक्षस मारेस ।
तसोच अदृश्य कोरोनाला मार
आपलो भक्तकी जिंदगी तारेस ।।3।।
जित देखो उत कोरोनाको डर
असो बेरापर तोरोच आधार ।
जय महावीर संकट मोचन
तुच भयमुक्त करजो संसार ।।4।।
कोरोना ग्रसित मोरा टुरा टुरी
जल्दीच करजो तू इनला बरो ।
येन संकटमा आमला दे धिर
तोरो चमत्कार देखावजो खरो ।।5।।
सुरक्षा कवच देय महाप्रभू
वैरीलक रक्षा आमरी करजो ।
बिनंती करसे तोला गोवर्धन
आया संकट लवकर हरजो ।।6।।
शब्दार्थ:
धरापर = पृथ्वीपर
टारो = दुर करो
डर = भय, भेव
बरो = चांगलो
धिर = हिंमत
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
मो. 9422832941
दि. 25 एप्रील 2021