Monday, November 30, 2020

फुरफुरी फुलझड़ी 13


             

फुरफुरी 
                             
फुरफुरी ओ बाई फुरफुरी
तोरी रंगत से मोठी न्यारी 
जशी आकाश की तु परी 
दिससेस  सुंदर  मनोहारी 

लाल, पांढरा सेती  तोरा  रंग
कधी हिरवी,कधी गुलाबी मंग
रयज़ासेत सब देखकर दंग 
मज्या आवसे मंग तोरच संग 

दीवोकी ज्योत जसी लगे तोला 
इन्द्रधनुष को नीकलेव वु गोला 
जसो आकाश मा भऴके शोला
पटकर भगावसेस तु अंधारोला

गोल फिरावन मज्या  आवसे
तोरोच कर देखू मनमा भावसे 
आकाशतारा जमीनपर आवसे 
फुरफुरी संगच समय बित जासे 

फुरफुरी की सीख मनमा  धरो
आपल जीवनमा उजाळो  करो 
परायजाए सब जीवनको अँधारो 
सुन्दर,सुखमय होय जीवन सारो 

डी पी राहांगडाले 
              गोंदिया


दिवारी क् छुट्टी मा मजाच मजा, 
फोळबीन फटाका करबीन पूजा. 

पाच दिवस चलसे दिवाळी को सण. 
मजा की से भरमार, प्रसन्न से मन. 

फुरफुरी , चकरी, फटाका फोळबीन सब, 
चार बजे फिरनला मंडई मा जाबीन सब. 

सिंगाडा, लाडू , चना लेयकर आनबीन, 
मिल बाटकर सबजन बाटा बाटा खाबीन. 

स्कूल ला से पंधरा दिवस मस्त लंबी छुट्टी, 
किताब ना अभ्यास संग से आब आमरी कट्टी. 

                      - चिरंजीव बिसेन
                                   गोंदिया


 फुलझड़ी

रंग-बेरंगी प्रकाश उधडे मोरी फुलझड़ी
जलावताच मज्जा आवसे संगमा सवंगडी

दिवाली को रात मा रात रवसे कारी कारी
गोल गोल घुमावता मज्जा आवसे भारी

फुलझड़ी जलावताच विकरीत होय प्रकाश फूल
जसो मोरो हातमा पारिजात को फूल

दिवोला लगावताच उडसेती अनेक तुषार
मोर पिसारा फुलेव असो बनसे आकार

एक एक फुलझड़ी देसे मोरी बहना
राघो सोडकन भाई साठी गाणा गासे मैना

हर्ष उल्लास संग आनंद देसे फुलझड़ी
मुंगी अना साखर की जमी डब्बा मा जोडी

फुलझड़ी हो फुलझड़ी तू बडी प्यारी
जोडी जमसे दिवाली मा मोरी अना तोरी

शेषराव येळेकर
दि२३/११/२०

फुलझरी की मज्जा

फुलझरी जरावो,सब आनंद मनावो
दिवाली ला सब ,बम ,नोको उळावो।।

रंग रंग शलाका,अंधारो मा उजाडो़
संगी भाई मजालं, अनार उड़ावो।।

सालं मा योव ,एक दिवस आवसे,
फुलझरी की मज्जा,सबला आवसे।।

प्रदुषण को धोका,नहि होय कमी
हर प्रकारकी फुलझरी ,सुंदर निकामी।।

फुलझरी तारला ,संभाल कर ठेवोना
छतरी साठी मग काम आवसेना।।

अशी जरावो फुलझरी सालमा
नवचैतन्य आय आपलं जिवनमा।।

जय राजा भोज, जय माँ गड़काली
वाय सी चौधरी
गोंदिया

               आतिशबाजी
(चाल: मेरा जुता है जापानी...)

आई आई रे दिवारी
मोरो मनमा मौज भारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥धृ॥

धड़ाड़धूम फट फुट्या फटाका
गुंज्या गली मोहल्ला-२
उत्सुकता मा टुरूपोटू सब
करन बस्या हो हल्ला-२
आतिशबाजी रहे जारी
तुरसी बिह्या सरत वरी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥१॥

लक्ष्मीबम सुतलीबम फोडो 
देखके खुली जागामा-२
लडी रॉकेट अनार उडाओ 
खुलो खुलो हवामा-२
टिचकोली अना साप की बारी
सपरीपर फिराओ चकरी 
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥२॥

जरती फुलझडी हातमा लेके 
निकल्या प्रकाश फवारा-२
रंगबिरंगी तारा चमक्या
इंद्रधनुषी पिसारा-२
कारी रात से अंधारी
फुरफूरी लका उजारी
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥३॥

आतिशबाजी करो अगर सेत 
संगमा मोठा कोणी-२
उनकी सलाह को पालन करके
टल जाये अनहोनी-२
फोडो फटाका बारी बारी
मस्त मनाओ खुशियाँ सारी 
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥४॥

अजी माय समझाव्ं फटाका
हातमा नोको फोडो-२
सावधान रयके फड़कावो
लापरवाही छोडो-२
प्रदूषण ना होवे भारी
निसर्ग संग ठेवो यारी 
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥५॥

आतिशबाजी सबला सिकाव्ं
करो उजारो मनमा-२
सावधानी लक कदम बढावो
यश मिले जीवनमा-२
झगमगाट करस्यारी
मिटावो तिमीर 'प्रहरी'
नवलाई रोशनाई
फोड़ू फटाका फुरफूरी ॥६॥


डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

          फुरफुरी (फुलझडी)

छुट्टी लगी शाळा ला  दिवारी सें आई
खुशीलक फुरफुरी जरावबं दुही भाई ll

अजी मोला तुमी दुकान मा लिजावना
फुरफुरी का दुय चार डब्बा लेय देवना
डब्बा पर फुरफुरी को चित्र की सें छपाई ll1ll

मोरा संगी फोडं सेत पटाखा अनार
पर मोला लगं सें मन मा भेव मार
फुरफुरी की उदबत्ती समान बनवाई ll2ll

अजी तुमी रवो संग आमला धरकन
आमी फुरफुरी पेटायकर आनं सेजन
जराये पर देखो वा कशी तडतडाई ll3ll

अंधारोमा फुरफुरी फिरावुसू गोलगोल
परी को छडी समान मोला येको मोल
आसमाको तारावानी झिलमिल जगमगाई ll4ll

फुरफुरी जरं सेतं झडंसेत कई मोती
लाल पिवरो रंगकी निकलंसेत ज्योती
देखो मोरो मुन्नू ला कसी मज्जा आई ll5ll

फुरफुरी जरावंन की बडी रंगत न्यारी
मोला तं या सें पटाखा दून प्यारी
फुरफुरीसम जलकर सबला देबं रोषणाई ll6ll

 फुरफुरी जराये लक नहाय धोका
प्रदूषण को बी  नही आवं मौका
येको तार लक करून छत्री की बुनाई ll7ll


                                    शारदा चौधरी
                                        भंडारा


दीवारी की फुरफुरी

चलो आय गयीं से दीवारी,
उमंग अना मस्ती से प्यारी ll

टीचोकली,बंदूक,अना फटाका,
गोल चकरी अनार संग फुरफुरी ll

रंगबिरंगी उजाडों वाली फुरफुरी,
आमला सबला भाये फुरफुरी ll

खुलो जागा मा जरावो फुरफुरी,
परिवार को संग पेटावो फुरफुरी ll

सुरक्षा को ठेवो सब जरुर ध्यान,
पर्यावरण को ठेवो आता मान ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
फुरफुरी

फुरफुरी बाई से बड़ी फुगरी
उगीमुगी जब पाकीट मा भरी
आच लगावो त भडक जासे
होय जसे वा कारी की पिवरी

निकलसेत इंद्रधनुष्य का रंग
देखकरं लहान मोठा होसेत दंग
लेय मांगुसू जब रुंग रूंग कर
जरावन मज्या अावसे संगि संग

दिवोकी बाती जब लगसे तोला
रंग रंग रंगीत फुटसेत मंग गोला
हिरवा पिवरा लाल फुटसेत शोला
नवलच आवसे बाई तोरो मोला

दुही हातमा धर फिराउसु गरगर
आवाज आवसे बड़ो बाका तड़तड़
नाेको जारू बकरा मायकी बड़बड़
चकरी पायजवर लक जासे सरसर

मज्या आवसे दिवारी मा मोला भारी
आवसेती काका काकी ना फुफबाई
सब मिलकर मनावसेजन दिवारी
पर फटाका प्रदूषण करसेत भारी

सौ छाया सुरेंद्र पारधी


बचपन

निरागस से बालपन
सदा रव्हसे निश्छल भाव
राग,लोभ सब दूर रव्ह से
असो बालपन प्यारो गाव

उछलकुद,दंगा,मस्ती
कोनी काई कव नही
बिनधास्त खेल अविरत
आव कभी थकवा नही

दिवारी की फुलझडी
रवसे हमेशा चेहरापर
बोझ बी नही रव्ह कभी
कोनीकोच डोस्कापर

हर कोना खुश रव्हसे
चहलपहल सदा मचसे
बालपन मा जीवन
बडो खुशरंग रव्हसे

निरागस भाव चेहराका
कपट को नही बसेरा कभी
समस्या ,परेशानी,उदासी
रस्ता मा नही रव्ह उभी

वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव

Sunday, November 29, 2020

पवनी किला एंव तुरकर

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            !! पवनी किला एंव तुरकर !!
                   भाट के पोथियो से
______________________________________

            वैनगंगा नदी के दाहिने किनारे स्थापित पवनी किला जिसे 'शुंग-सातवाहन' काल मे स्थापित बौद्ध स्तुप भी कहा जाता है। बाद मे यह किला वाकाटक काल मे सांस्कृतिक स्थल के रुप मे प्रशिद्ध हूआ। सर अलेक्झांडर कनिंगहॅम (१८७३-७४), हेन्री कझिन्स (१८७९), सर जॉन मार्शल (१९२६), एच. हरग्रीव्ह्ज (१९२७) आदी ने इस किले के बारे मे विस्तार से लिखा है। इस स्थल का पुरातत्विय महत्व ध्यान मे रखकर ब्रिटिश सरकार ने पवनी किला एंव पुरावशेष संरक्षित स्मारक के रुप मे घोषित किया था। भारतिय पुरातत्व विभाग के मध्य भारत के सहाय्यक पर्यवेक्षक जे. सी. चंद्रा इन्होने १९३६ मे एक पत्र मे इस किले का वर्णन किया है। वही १९५६ मे वा. वी. मिराशी उन्होने छायास्तंभ खोज निकाला, एंव १९६९ जेष्ठ संशोधक वि.भि. कोलते इन्होने ताम्रपत्र प्रकाशित किया। उपरोक्त जानकारी किले के प्रवेशद्वार पर लगे एक बोर्ड पर लिखी गयी है।
            गोंड शासनकाल मे यह किला गोंडवाना शासनकाल की धरोहर थी। पश्च्यात मराठा शासनकाल मे यह किला सैनिक छावनी के रुप मे उपयोग किया जाता था। भाट के पोथियो मे तुरकर परिवार का संबंध इस किले से है यह स्पष्ट रुप से लिखा गया है। भाट के पोथियो मे विजयसेन तुरकर को उमरकोट गढी का सुबेदार लिखा गया है; जो गोंड राजा बख्त बुलंदशाह के निमंत्रन पर मदत हेतू शिवराम पारधी, सुमेरसिंह बघेले, दिगपालसिंह बिसेन, कनकसिंह पटले, मोतिप्रसादसिंह ठाकुर, तोमरसिंह टेंभरे आदी के साथ ३७०० की सेना लेकर बख्त बुलंदशाह की मदत हेतू गोंडवाना आये। बाद मे राजा बख्त बुलंदशाह द्वारा नगरधन का किला प्रदान करना एंव मराठा शासनकाल मे वैनगंगा क्षेत्र मे विस्तारित होना कुछ दस्तावेजो से पता चलता है। 
            भाट के पोथियो मे पवनी किला एंव विजयसेन से तुर्क (तुरकर) पोथी की सुरुवात होती है। बाद मे विजयसेन के वंशज मराठा सेना मा शामिल हूये एंव सेना मे उच्च पदो पर पहूंचे होंगे। पोथियो के अनुसार मराठा काल मे *चिखलु तुरकर* पवनी किले के सुबेदार रहे होंगे। एंव बाद मे उन्होने तुमसर तहसिल मे "सिहोरा" गांव बसाया एंव तुरकर वही स्थायी हूये। कालांतर से तुरकर वहां से देश के विभिन्न हिस्सो मे विस्थापित हूये।

संदर्भ: पवनी किले का अभिलेख, भाट की पोथियां

- सोनू भगत 

Sunday, November 22, 2020

तुलसी का बिहया का श्लोक




तुलसी को बीह्या का श्लोक
                       
पयले सुमरूण गढ़कालीका कुलदेवी आमरी
आशीर्वाद देजो मा आमला पावन धारानगरी 
राजा भोज का वंशज आमी पुजा करुन तोरी 
शुभाशिष देजो सबला या कामना करजो पुरी
             कुर्यात सदा शुभमंगलम सावधान।। १।।

तयार भयगया नवरदेव नवरी बिह्‌यासाठी अता
आयेव सब समाज मोह धरशान जपी तपी नेता
आशीर्वाद देती सब तोला मंगलमय शुभ कामना 
सुखी रहे संसार तुमरो अर्पण करसेती सद्‌भावना 
             कुर्यात सदा शुभ मगलम सावधान।। २।।

कण कण लका धरती बनी बुंद बुंद लका सागर
जन जन लका समाज बनेव बनगयेव धारानगर
पावन धरती धार की से  आमरी  भारतभुमी पर 
सुख शांती लका नांदसेती पोवारकी छ-तीस कुर 
             कुर्यात सदा शुभ् मंगलम सावधान।। ३।। 

चौदा भुवन सातही तला तिन लोक मा देखेव नही
चार धाम चौ-याशी पुरी सय शास्त्र को लेखेव नही
मंदीर मंदीर फीर गयेव पर ओको पता लगेव नही
आचार बिचार शुध्द ठेवो ओक बीन देव भेट नही
             कुर्यात सदा शुभ मंगलम सावधान।। ४।।

सतीत्व  हरण भएव  वृंदा को मारे गयेव जालंदर
श्रापलका गोटा भएव विष्णु तुलसी बनी वृंदा नार
एवच दिवस आयेव  होतो कार्तिक शुध्द एकादशी बीह्यामा नवरदेव शालीग्राम नवरी बनगयीं तुलसी 
              कुर्यात सदा शूभ मंगलम सावधान।।५।।
                               
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया

Sunday, November 15, 2020

सायकल 12




मोरी सायकल

फिरसे सायकल को चक्का गरगर
बस्ता लेकर स्कूल जाबिन सरसर
सायकल मोरी कर नहीं करकर
संगी देखसेत सायकल ढूकढुकर

सुंदर सजी मोरी नवी सायकल
दूय चक्का का टायर काराभोर
पैडल ला लगी से कारो कव्हर
स्टैंड कमानी झेलसे ओको भार

सीट से येकी हिरवी हिरवी गार
हेंडिलला लाललाल लगिसे हार
असी मोरी सायकल चमकदार
संगी मोरा खासेत ओकी खाड

जब मी होसू सायकल पर सवार
लगसे मी सेव कही को राजकुमार
आपलोच तालमा जासु तरा पर
संगी मोरा भी बड़ा सेती बिलंदर 

जासेजन सब संगी सायकल पर
स्कूल नहीं लग आमी सबला दूर
लेय मांगेव अजीला रोय रोय कर
दूय थापड़ का वर उमट्या पाठपर
 
सौ छाया सुरेंद्र पारधी

सायकल मास्टर जी की

  मोरो मास्टरजी की सायकल होती।
 24 नंबर वाली।
 लंबी - लंबी अन कारी -कारी शीट। 
मोरो मास्टरजी की होती वाह।
 जिव लग प्यारी। 
मास्टरजी होता लंबा- लंबा।
 तशीच होती मास्टरजी की सायकल ऊंची- ऊँची।
 हर दिवस आन त होता।
 24 नंबर की सायकल। 
अन मोला लगावत होता।
 सायकल ला साफ करना साठी।
 मि भी ओ तो चालू।
  मस्त फिरा ऊ मि आपलो।
 मास्टर की 24 नंबर वाली सायकल।
 हाफ- हाफ कैची मार कर चलाऊ।
 एक हा त मा  हैंडल।
अन एक हा त मा शीट। 
मस्त फिरा ऊ मी।
24 नंबर की मास्टरजी की सायकल।
 एक दिवस असो भय व्। 
मास्टर जी की सायकल भही पंचर। 
अन मास्टर जी न करीना ।
मोला पिट- पिट कर पंचर।
 अन वो  न दिवस  पाशुन।
 24नंबर की सायकल कभी नहीं आनिंन मास्टरजी न।
 अशी होती मोरी बचपन की सायकल

चंद्रकुमार शरनागत

सायकल

सायकल स्वारी छान छान छान
टिलंगी  बजसे  टिंन टिंन टिन।।

 फिरनकी निराली मजा संग संग
रेस लगसे तब मन होसे दंग दंग।।

खुशी भयी जब बायसिकल आयी
लाल रंग देखेव तं झोप चली गयी।।

शाळा मा जानकी मज्जा आवसे
सायकल सबकी जोरलं परासे।।
"""जय राजा भोज जय माँ गड़काली"""

वाय सी चौधरी 
गोंदिया

              संगी की सायकल
             
संगी संगी जाबी स्कूलमा अभ्यास करबिन,
शिक पड़ श्यारी माय बाप को नाव कमावबिन।
 
चल रे राम्या स्कूलमा लवकर स्कूलकी बेरा भई ,
मी बी आऊन स्कूलमा ना आए मोरी मोठी बाई।

दिवस चढ़ेव वर्या बज गया अकरा,
जल्दी चल नहींत गुरुजी बनायेती तोला बकरा।

लवकर चल कसु त मोरी आयकस नहीं,
 टाइम लगाव सेस भाऊ तु टुरी पोटी घाईं।

मोरी सायकल खटारा ना तोरी सायकल से नवी,
फटा फट पयडल मारसेस तु मशीन वाणी।

बाबुजी को लहांनपनकी सायकल से आमरो घर,
जुनी से तरी बी फिरसे गर गर।

मी लेयकर मांगून बाबूजी ला नवी सायकल ,
अना स्कूल मा पोहोचुन सब दून लवकर ।

करून अभ्यास मी आनुण एक नम्बर,
गर्व लक ऊंच करून माय बाप को सर।

        फनेंद्र (बंटी) चौधरी ,

            
       सायकल सवार
          
चल संगी जल्दी चल 
स्कूल की बेरा भयी, 
उशीर होये त् गुस्सा होये 
आयी से मॅडम नवी नवी. 

जोर जोरल् पैडल मार 
भेटे पाहिजे प्रार्थना, 
नही त् हेडमास्तर रव्हसे 
छडी धरकर हातमा. 

बडो कडक से गणित को सर
कान पिळसे थोडीशी गलतीपर, 
नही पिळीस कान वोन् त् 
छडी मारसे हात हातपर. 

इंग्लिश को सर शिकावसे मस्त 
सामने बढ गया टुरा बी सुस्त, 
वोक् समझावन क् कारण लका 
इंग्लिश मा सब बन गया मस्त. 

छुट्टी क् बाद मा मिलबीन सब 
खेलनला जाबी ग्राऊंड मा खेल, 
दिवस बुडता चौपाटी मा जायके 
खाबीन गुपचुप, चाट ना भेल. 

                    - चिरंजीव बिसेन 
                              गोंदिया.


सायकल आमरी दोस्त्

चल रे बंड्या चक्कर मारबिन
मनला आपलो ताजो करबिन
सायकलपरा सवार होबिन
सायकल आमरी मस्त्
सायकल आमरी दोस्त रे भाई सायकल आमरी दोस्त//धृ//

पेट्रोल नइ डिजेल नइ 
नइ लग् वला चारा
व्यायाम होसे चलाय चलायकन
फक्त टायरमा् वारा
बालपण आमरो रंगिन करसे 
नइ लग खर्चो जास्त।।१।।                                    रे भाई सायकल आमरी दोस्त


गरिबिमा् वा साथ देसे
गाडीकी वा मजाच देसे
टिलंगीकी का मजा आवसे!
उतारपरा वा सरसर जासे
सायकलका आमि भक्त //२//
 रे भाई सायकल आमरी दोस्त


एकविसावो शतक विज्ञानी
यंत्रयुगकी से मनमानी 
सायकल आमरी बढी सयानी
गरीब -अमिरकि से दिवानी
सायकल प्रदुषणमुक्त //३//
  रे भाई सायकल आमरी दोस्त


छोटो कामला सायकलच बरी
बात सांगसु एकदम खरी 
गाडीकी लत नाहाय बरी
मस्त चलावसेत  टुराटुरी
सायकल चलाओ मनसोक्त।।४।।
रे भाई सायकल आमरी दोस्त

पालिकचंद बिसने 
सिंदीपार (लाखनी)


आमरी साइकिल चली

चली से येन गल्ली को वोन गल्ली,
साइकिल चली गाँव की गल्ली ll

लहान लहान संगी साथी आया,
फिरन आमी आखर पर गया ll

कोनी चलावसे कैची साइकिल,
कोनी चलावसे डंडा साइकिल ll

आमला प्यारी से लहान साइकिल,
बड़ी न्यारी से आमरी साइकिल ll

स्कूल साठी काम की साइकिल,
शरीर वायाम साठी से साइकिल ll

पर्यावरण सवर्धन साठी साइकिल,
लहानपन की  साद साइकिल ll

टोंगरा फुट्या सिक्या साइकिल,
तरी प्यारी से आमला साइकिल ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

             सायकल 

सायकल,सायकल sss
मोरी नवीन सायकल  //धृ //
                            मोरी सायकल नवीन कोरी 
                            नजर नोको लगावो भारी 
                            हीरवो रंग दिससे मोठो छान 
                            लोक देखसेती मोरीच शान //1//
दुही चक्काला ला सेती गजरा 
लाल,हिरवा दिससेती साजरा 
गोल गोल फीरसेती  चक्का 
देखसानी होसेती हक्काबक्का  //२//
                           मंघ ना पूळ सेती क्यारीयर 
                          पाणीकी बाटल,ठेवून दप्तर 
                          मोठोजात सीट रंग से कारो 
                         ओकलका दिससे रूदबा मोरो//३//
पयडल मारून मी पटापट
स्कूल मा जावुन झटपट
पैदल जानकी मिटी कटकट
काम होसेती मोरा फटाफट //४//
                           सोय होसे मोला आवनजानकी
                           नही रव फीकर बेरा होनकी
                           बेरा पर आपल स्कूल मा ज़ासु 
                           टूराईन संग रेस लगावुसृ //५//
सायकल चलावुन होय व्यायाम
झटपट होयजायेत मोरा काम
अशी सायकल की मोरी सवारी
 सब दुन प्यारी सबदुन न्यारी  //६//
                        
        डी पी राहांगडाले
               गोंदिया

सायकलिंग

एक वर्ग का संगी आमी भरूसो आयेव बेस 
जिकबीन आमी सायकल रेस-२
मी टोपीमा गणेस बिचमा निलो सर्ट नितेस 
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥धृ॥

गांधी जयंती को दिन होती 'स्लो सायकलिंग'
सवार होयके आमी आया घंटी टिलींग टिलींग
मी दूसरो गनेस तिसरो अना नितेस अव्वल किंग
यनं खुसिमा अजीनं देईस बक्षिस नवीन ड्रेस 
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥१॥

एक दिवस आपलो सायकल की क-या ओरालिंग
अना उता-या नवरात्रीमा 'एक मैल की रेसिंग'
पयलो मी दूसरो गनेस तिसरो नितेस की टायमिंग
अर्धो रेसमा बाकी सबको तोंडला आयेव फ़ेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥२॥

पायडल सीट कवर मुठ बफ्फर डायनॅमो लगायकन
इस्कूल को गॅदरींगमा स्पर्धा 'सायकल डेकोरेसन'
सबमा सुंदर मोरी बाशिंग वाली सायकल एकठण 
पयलो नंबर मोरो, दूसरो नितेस तिसरो गनेस 
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥३॥

संकरातला भुमसारोकी 'सायकल मेराथन'
हजार पाचसौ सायकल निकली उलवे लक उरण
गनेस पयलो नितेस दूसरो मी तिसरो यनं गन 
'सबला सांत्वन बक्षिस' मिलेव सबको पसुपेस
जिकबीन आमी सायकल रेस-२ ॥४॥

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

सायकल अना दोस्ती

दोस्ती से आमरी बडी न्यारी
चलो करबीन सायकल सवारी
मनको रीस्ता लका बंधीसे
दोस्ती से जगमा सबसे प्यारी

तुमरी ना मोरी दोस्ती म्हणजे
आकाश माको शुभ्र तारा
बंधेव मुठ की ताकद से जगमा
अना बढावसे भाईचारा

कभी कट्टी,कभी माठ्ठी
कभी होय जासे लडाई झगडा
मनमुटाव होयेव परा बी नही टुट
असो से आपलो प्यार तगडा

इश्कुल पासूनत  घरवरी
संग बसके माऱ्या गावमा फेरी
सायकलको सामने आळवी भयी
गावको पटीलकी कारी शेरी

मौजमस्ती भयी सायकल परा
अतुट रिस्ता से दोस्ती अना सायकलको
हमेशा याद आवसे लहानपण आता
सुख दुख भऱेव दीन होतो बचपनको

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि.गोंदिया

   सायकल
 बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.

सर सर, ट्रिंग-ट्रिंग, बड़ी से आब रेस मा,
सीट पर से सुंदर टुरा, स्कूल की ड्रेस मा.
नहीं बसाईस वोन कोइला सायकिल पर,
त संगी हीन न धसायदीन टायर मा किल.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.

सायकिल वोकी बड़ी चकबम से,
हवाईजहाज ल कहाँ वा कम से.
येन उमर की या मस्ती की सवारी,
खयाल मा चल से टुरा कई मील.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.

राम करे सबला मिले असी सुविधा,
बचपन मा नोको होय कोई दुविधा.
खेल, मस्ती का येन प्यारा दिन मा,
नहीं मरणो चहिएसे कोई तिल-तिल.
बड़ी राय राय चली वोकी सायकिल,
जरन वालों का यहाँ जर गया दिल.

तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा (बालाघाट)

 मोरी प्यारी साइकिल

मोरो अजी जवरसे एक नीली साइकिल 
होवसे जरासी ऊंची मोरो कद से  नाहनो 
पहले पासून मी शिख्यो  चलावता कैंची 
आता बसुसु सीट पर कोनही त पहचानों 

शिखन मा फुट गया मोरा दुही या टोंगघरा 
अखिन शिखनोसे कोनी दवाई आनों जरा 
गयो शिखन ला मी गांव को  आखर जवर 
पड्यो धड़ामलक अना घुमन लगी पूरीधरा 

अजी मोरो धरया साइकिल मा आपरा हाथ 
सीट पर बस  गयो जब मिल्यो उनको  साथ 
आता मोला लग्यो बनगयो मी पुरो महाराजा 
अखिन पड्यो खाल्या अना बज गयो  बाजा 

गिरता पड़ता आता सिख गयो मी साइकिल 
रोजको अभ्यासमा नहीं देयो काई मीना ढील 
पंहुच जासु जल्दी शाला आता सब संग मिल 
उड़ता जासु जल्दीलक जसो उड़से पंछीचील

घरको काम लक आता बजार जाय सिकुसु 
माय अजी को काम मी जल्दी कर  सिकुसु 
दादादादी की दवाई मी आता आन सिकुसु 
साइकिललक आता सबऊजा जाय सिकुसु 

मोरी संगी से साइकिल से येव सदा प्यारी 
मोरी प्यारी नीली साइकल सबलक न्यारी 
शाला की भयी बेरा आता करुसु तययारी 
चल मोरी साइकलचल मोरी प्यारी दुलारी

ऋषि बिसेन, बालाघाट

   सयर

सोनु मोनु अना गनू
चल्या नवेगाव सयर
पक्षी निसर्ग देखन्
सायकल पर सवार !!

सोनु न् धरीस रोटी
मोनु न धरीस पराठा
गणूक् सिदोरीमां से
रसगुल्ला को आटा !!

हवा पंचर की बी
व्यवस्था से संगं
गानइनकी मयफील
चढावसे वु रंग !!

हिरवोहिरवो सीन
चिकनचकन रोड
मस्तीभरो माहूल
लगसे ना गोड !!

रणदीप बिसने

Tuesday, November 3, 2020

सिता राम seshrao yelekar 35

नवधा भक्ति मा स्मरु नाम
जय सिता राम,सिता राम
आत्म भान भुलकर
दिन-रात बस एक ही काम

मन मा बसा तन पर सजा
सिता राम सिता राम
स्वास स्वास मा बसी से
हे प्रभु तोरो नाम,तोरो नाम

भजत जाऊ गायत जाऊ
सिता राम, तारणहार
मन मंदिर मा ज्योती जले
तोरी हे, मोरे पालनहार

रहा न जावे तोरो बिना
चरा चर मा तोरो वास
सिता राम, सिता राम
येही चले बस मोरो स्वास

हे सुनो प्रभु बिंनती मोरी
सदा रहे मन मंदिर मा तोरो वास
क्षणिक ना करो दुर
मी सेव तुमरो चरण की दास

✍🏻 शेषराव वासुदेव येळेकर
सिंदीपार भंडारा
दि. ०१/११/२०

सिता राम D.P. rahangdale 35

दशरथ का   च्यार टुरा सुंदर,सुशील,गुनवान.।
जे पुरूषार्थ धर्म,अर्थ,काम मोक्ष का प्रमाण।।

घट घट मा   बसेव राम   सबको मोक्ष दाता।
ओकच संगमा जुळगयी आदि शक्ती मा सीता।।

सीताराम बसव अन्तरमा ओकोच करू ध्यान।
जोत जगाऊ राम नावकी हरदम रहे समाधान।।

आत्मा को प्रतीक सीता माता राम संग मेल।
बिन बातीकी ज्योत जलसे रामसीताको खेल।।

सीताराम बिना रीतो नाहाय धरतीको कोणा।
विश्व नही चलसक भगवान सीताराम बिना।।

अन्तरात्मा मा सीताराम ओकोच ध्यान धरो।
होयजाय पार नैया तुमरी बिचार नोको करो।।
                   *******

डी पी राहांगडाले
     गोंदिया

सिता राम chiranjiv bisen 35

महाकाव्य रामायण का नायक 
अवधपति दशरथ नंदन श्रीराम, 
सब घट वासी, अचल अविनाशी, 
कौशल्या का प्यारा, परम सुखधाम. 

मिथिलेश कुमारी,जानकी सीता 
जनकराज पिता, सुनयना माता, 
बिह्या भयेव राम संग सीता को 
तब राम संग अयोध्या आई सीता.

कैकयी क् वरदान क् कारण 
लक्ष्मण, सीता संग बन मा गया राम, 
चित्रकूट, पंचवटी मा करके निवास 
पावन बनाईन वोय पवित्र धाम. 

पंचवटी लक सीता को भयेव हरण
विमान ल् लंका लेकर गयेव रावण, 
राम न् यहॉ वहॉ करीस खोज सीता की 
हनुमान न् लंका मा खोज करीस 
सीता की. 

वानर सेना संग राम न् चढाई करीस लंकापर 
जितीस लंका राक्षस सेना संग रावण ला मार, 
लंका विजय क् बाद, अयोध्या आया राम, 
संग लक्ष्मण ना परम प्रिय सीता सुखधाम. 

आपल् व्यवहार क् कारण 
जग मा अमर सेती सीताराम, 
दुय युग बीत गया तब बी 
घर घर मा विराजसेती सीताराम. 

                     - चिरंजीव बिसेन 
                                 गोंदिया.

सिता राम shruti baghele 35

मथुरा को आंगन मा खेली
जनक पुत्री गुणवान जानकी
स्वयंवर बाद, बनी श्रीराम संगिनी
सुरु भयी सिया राम कहानी

सुखी जीवन ला लगी नजर
अना, सुरु भयव वनवास
धर्म, वचन, मर्यादा, प्रेम 
रामायण बनेव वोको इतिहास

रावण वध को मतलब
अधर्म पर धर्म की जीत
अज भी जरसे रावण
होसे सीता राम की जयजयकार

संग्राम, जीवन से सबको
बिकट परिस्थिती मा डगमगाओ नोको
दुःख को बाद सुख आयें
येन आशा पर जीवन टिकी से
सच्चो रस्ता पर चलो 
येकी सिख रामायण देसे

जय सीता राम 

सौ. श्रुती टेंभरे बघेले

सिता राम rishi bisen 35

मर्यादा का सेती आमरो प्रभु श्रीराम मुरत !
त्याग अना ममता की से सीता माय सुरत!!

प्रभु श्रीराम को मिलहे आशीष हम सबला !
माय सीता को भी मिलसे स्नेह सदा हमला!!

माता सुनयना की राजदुलारी से सीताजी !
मिथिलानरेश जनक सेती उनको पिताजी!! 

माय कौशल्या को नंदन सेती प्रभु रघुपति !
अजी उनको से राजा दशरथ अयोध्यापति!!

वचननिभावन राम गयीन वन सीताको साथ !
भाई लक्ष्मणना भी नहीं सोडया उनका हाथ!!

पुरुषोत्तम श्रीराम न करया धरम  को उद्धार !
पापी गिनको वधभया भेज्या धरतीको बाहर! 

आया अयोध्या अना मनाया दीवारी तिव्हार!
रामराज्य मा न्याय अना सत को होतो सार !!

श्रीराम ला पुरखा मानत होता विक्रमादित्य ! 
अयोध्यामा उनना पेटाया पंवार नवआदित्य !!

पोवार वंश को मन मा बस्या सेती श्रीराम !
बैहर मा बसाइन उनना आपरो पंवार धाम !!

जय सियाराम जयसियाराम जयसियाराम !
बोलबीन अना भजबीन सदा जयसियाराम !!

✍🏼ऋषि बिसेन, बालाघाट

सिताराम pankaj jugnu 35

येव  कंचन  काया  माटी से, अवगुन की  येव धाम से
भव तरन को नाम ज्योतिर्मय,जय जय सीताराम से ।।

राम  चरन  को पड़्यो भर  ले
 गोटा ले नारी भयी  अहल्या 
राम  ला  पुत्र रुप मा पायके 
धन्य धन्य हुयि माय कौशल्या ।। 

एक नाम से जग मा सुंदर , बाकी  सकल  अनाम से 
भव तरन को नाम ज्योतिर्मय,जय जय सीताराम से ।।

सीताराम की भयी किरपा जब  
जटायु  को  भाग  जग  गईन
मृग मारिच ला मिली सतगति  
ओको सकल‌ पाप कट गईन ।।  

जपो नाम तुम्हीं सीताराम को, येव सबले पावन काम से 
भव तरन  को  नाम ज्योतिर्मय, जय जय  सीताराम  से ।।

मन मन्दिर साकेत बनाव जी  
बसाव‌  जी  मूरत सीता राम
जग को तारणहार नाम येव
बन्हें तुम्हरो बिग्ड़्यो  काम ।।
 
सीताराम,भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, युग -युग को परिणाम  से
भव  तरन  को  नाम  ज्योतिर्मय,जय- जय  सीताराम  से ।।

राम जसो रखो शुध्द आचरण
माता  सिया  जसी  मर्यादा 
मान  बड्हे  तबच  कुल  को 
समाज मा मान मिल्हे जादा ।।

विक्रम,देव ,भोज पूजिन सब , मोरो बारम्बार प्रनाम से 
भव  तरन  को  नाम ज्योतिर्मय,जय- जय  सीताराम से ।।

रचनाकार-  पंकज टेम्भरे 'जुगनू'
                बालाघाट,मध्य प्रदेश

सिता राम V.B. deshmukh 35

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
भज लेव भाऊ,सुबह शाम जी,
सध जाहेति, बिगड़या काम जी।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
रघु कुल मा, जनमेव श्रीराम,
वचन आपला, निभाइस,श्रीराम।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
धर्म परायण, इनको काम जी,
आज्ञा पालक, इनको नाव जी।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
जनक दुलारी,माता सीता,
सेवा करसे,लक्ष्मण भ्राता।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
पुत्र धरम, निभावसे हनुमान,
यको साती,कर सेजन गुनगान।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
चौदा साल बनवास,भोगसे श्रीराम,
अहंकारी रावन को,संहार करसे श्रीराम।

सीता राम,जय श्रीराम,राम राम जी।
जब जब होसे,धरम को हान,
तब तब धरम की,रक्षा करसे भगवान।

कोई कसे,सीता राम।
कोई कसे,राम राम।
कोई कसे जय श्रीराम।
भज लेव भाऊ सीता राम।

              व्ही, बी,देशमुख
                     रायपुर

सिता राम varsha patle rahangdale 35

मर्यादापुरुषोत्तम रामजी सेत आमरा गुणवान
वंदनीय ,ममता की मुरत सीतामाता से शान।।

रघकुल रीत निभाईन शूरवीर श्रीरामन
पती सेवा को पाया रोईस माता जानकीन।।

परमवीर अयोध्या नरेश जन्मेव पोट कौशल्या
गोटा ला पाय लगायके सजुमान करीस अहिल्या।

ताडका को वध करके मुक्त करीस पापला
मोहमाया सुख चैन छोडके गयेव वनवासला।।

शांत,संयमी कर्मनिष्ठ राजयोगी असो श्रीराम
राम नाम लेयके पावन होसेत चारही धाम।।

सुकुमार ,कर्तव्यनिष्ठ ममता रूपी सीतामाई
चुगली करने वालो प्रजाला देसे शुभ दुहाई।।

भारतखंड मा जन्म भयेव छत्रीय श्रीरामको
धरनी आमरी पावन भयी चरणलका श्रीरामको।।

रामवानीच शूरवीर भया पुत्र लवकुश महान
भक्ती लका अमर भयेव रामभक्त हनुमान।।

बुराई परा अच्छाई की जीत सदैव होसे
रामकथा हरदम आमला असोच संदेश देसे।।

मायबाप को वचन को पालन करो हमेशा पुत्र
ममता को देसेत आमला जन्मदाताच छत्र।।

पोवार वंश को इतिहास मा सुरवीर राम भया
संस्कार अना सेवाभाव ला उजागर कर गया।।

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि.गोंदिया

सिता राम chhaya pardhi 35

दशरथ नंदन कौशल्या पुत्र वीर क्षत्रीय राम
अयोध्या नगरी सुंदर जहान जलम्या श्रीराम

जनक नंदिनी,मिथिला कुमारी सुकुमारी सीता
भूमी मा मिली जब नांगर चलाय जनक पिता

परशुराम बिसर गया शिवधनुष्य मिथिलामा
दिव्य शिवधनुष् खेलन बसी सीता आंगनमा

जनक नंदिनी सुकुमारी स्वयंवर से सीता को 
चढ़ाये प्रत्यंचा शिवधनुष्यपर पती होये ओको

धनुष्य तोडकर रामजी बन्या सीता का भ्रतार
चली जानकी अयोध्या संग जगको पालनहार

जगमा सुंदर से एकही नाव बोलो सब सियाराम
सुंदर दिव्यज्योति जगे मनमा नहीं मायाको काम

आदिशक्ति स्वरूप सीता, विष्णुको अवतार राम 
ज्योति दिव्य जगाओ मनमा लेवों सब राम नाम

राम नाम ही अंतिम सत्य से येन मोहमई जगमा 
बेड़ापार होये सबको सीताराम नाव प्यारो सबमा

✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

सिता राम pralhad harinkhede 35

घट घटमा कण कणमा श्वास श्वासमा मालिक राम... राजाराम सीताराम
करूणामयी सीतामाई का पुरूषोत्तम श्रीराम... राजाराम सीताराम ॥धृ॥

सीता त्यागकी मुर्ती रामको सत्य भक्ती कर्म
पतिव्रता सीता रामको एक पत्नी धर्म
सत्य आचरण सेवा भक्तिमा जीवन बितेव तमाम... राजाराम सीताराम ॥१॥

रामरूप सीता सीतारूप रघुनाथ की साया
दुही आतमज्योती मिली एक भई रघुराया
सीताराम को नाम स्मरणमा जीवनका सुखधाम... राजाराम सीताराम ॥२॥

जनकसुता भरतार कौशल्यासूत दशरथ नंदन
जनताको आदर्श जनार्दन रघुकूल को भुषण 
मर्यादाकी उत्तम मुर्ती जनसेवा निष्काम... राजाराम सीताराम ॥३॥

वनमा सीताला मोहिस मारिचनं आतताई
छद्मभेष लंकेश रावणनं हरिस सीतामाई
सीताको सत देखकन रावण याद करं परिणाम... राजाराम सीताराम ॥४॥

वानरसेना संग रामनं करीस रावण को वध
शंखनाद उत्सव हर्षमा आनंदीत अवध
मी नतमस्तक तोरो चरणमा हे शांताकारम... राजाराम सीताराम ॥५॥

राजा भोज पोवार विक्रमादित्य अग्निवंशी 
आंधिका परमार राम वंशका सुर्यवंशी 
अखिल पोवारको कुलदैवत तोला कोटी कोटी प्रणाम... राजाराम सीताराम ॥६॥

सीताको एक रूप कुलदेवी माय गड़कालिका
आद्यदेवता द्वय तुमी यनं पोवार जातीका 
तोरो दरका आमी प्रहरी तूच आमरो मुक्काम... राजाराम सीताराम ॥७॥
________________________________

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई 
मो. ९८६९९९३९०७

सिता राम palikchand bisne 35

मर्यादा पुरुषोत्तम होतो
कौशल्याको राम
सितामाक् लायक जगमा्
फक्त फक्त  वु राम।।

मायकि राखीस, वन् प्रतिष्ठा
सोडिस महको सुख
सितामाबि तयार भयि
हसकर झेलन दु:ख।।

एकनिष्ठा एकपत्नीव्रत
परिवार ठेइस सिमीत
कुटुंबसंस्था मजबूत भयि
भयोव समाजको हित।।

बाली मारिस, रावण मारिस 
बिबिषणला देइस लंका
जननी अना् जन्मभूमीको
बजाइस जगमा् डंका।।

सितामाबि कहा कम होती
नकारिस वैभव रावणको
प्रेमकि वा एक ,मिशाल होती
गौरव त्याग सेवाको।।

दुर्जन मारिस ,सज्जन तारिस 
शक्ति संयमको ,सागर राम
परिवारमा् वु,  ताइत सबको
हरमाकि से ,आस राम।।

सितामाकि पवित्रता 
संयम रामसमान
भारत बने मंग एक दिव्यशक्ती
बढे धरतीको मान।।

पालिकचंद बिसने 
सिंदीपार (लाखनी)

सिता राम mahendra rahangdale 35

विषय:सीता राम
शीर्षक: फक्त नाम नोहोय...


सीता राम सीता राम
नुसतो नाम नोहोय येव जप आय,
संयम,मर्यादा को येव महातप आय

सीता राम सीता राम
दुय शब्द आत संस्कृती की पहचान
दुय शब्द आत हिंदुत्व का अभिमान

सीता राम सीता राम
येन् मन्त्र लक् होसे अधर्म को संहार
दुष्टता पर सज्जनता को होये प्रहार

सीता राम सीता राम
यान श्रेष्ठ से नारी, उच्च वोको मान
नही सहे रामराज् माताको अपमान

सीता राम सीता राम
सहजीवन को येव उत्तम उदाहरण
एक-दुजा बिन अधुरा हे दुयी नाम

सीता राम सीता राम
येव राजपाठ को सर्वोच्च आदर्श
याहा राजा लेसे जनता को परामर्श

सीता राम सीता राम
नाम की सीख से प्रेम ल् भरो जिगर
मानव स्वभाव को परमोच्च शिखर

सीता राम सीता राम
मुख मा त् बसी से सबको येव नाम
आचरो येला तब् मनमा बसेती राम

महेंद्र रहांगडाले
मच्छेरा

सिता राम sharda chaudhari 35


कौशल्यासूत दशरथनंदन जय जय सिताराम
प्रजाहितकारी कृपानिधी सें परम सुखधाम

शबरी का बोर खासे करं से अहिल्या उद्धार
ऋषी रक्षण साती करं से राक्षस संहार
भक्तवत्सल धर्मरक्षक सेत प्रभू श्रीराम

जनकनंदिनी सुकुमारी मिथिलाकुमारी
लक्ष्मीरुपी सीता सूनयना की दुलारी
शिवधनुष्य तोडके बन्या सितापती राम

पिता वचन साती राम गयेव वन मा
पतीधर्म निभावन वैदेही गयी संग मा
विष्णुरुप पती की सेवा करीस निष्काम

सीताहरण करं से जब पापी रावण
मारं से रावणला संग वानर गण
अग्नीपरीक्षा देयके गयी अवधधाम

प्रजाहित कारण घडेव वनवास सीताला 
जन्म देईस वोनं शूर लवकुश ला
धरतीमा समाय के चली निजधाम

पोवार वंशज का दैवत राम भगवान
पवित्रता संयम दे सीता राम समान
करो कृपा आमरो पर जानकीराम 

                                      शारदा चौधरी
                                         भंडारा

सिता राम randip bisne 35


जगत के पालनहार् हे सीता राम
जीव जगत का निपटाओ जी काम !!धृ!!

पती पत्नी नाताला बनायात् जी आदर्श 
कर्म धर्मकी सीख् देयस्यार् गयात् धाम !!१!! जगत् के.....

त्याग समर्पण रये परस्परप्रती 
येको पाठ पढायात् लेय् ठान् !!२!!

राजधर्म को पालन साटी हे प्रभू
धाड्यात् सीता माई वनधाम् !!३!!

वनधाम मां पतीपूजा मां व्यग्र
समज एकदुजप्रति पावन प्रणाम !!४!!

लक्ष्मीनारायण स्वयं अवतर्या 
देनला माणुसकी की सीख महान !!५!!

ज्ञानसाधना को परम् तप कर्या
नरजाती मां आयस्यार् हे घनश्याम !!६!!

अहंकार लोभ मत्सर ला त्यागकन्
गण गरीब मां बी देख्यात् भगवान !!७!!

दुष्ट,पापी वृत्ती ला धडा सीखावन्
प्रयोग कर्यात् भेद दंड दाम अन् साम !!८!!

राम सीता चतुराक्षर को बीजमंत्र
सिद्ध कर देयात् हे प्रभो किर्तीवान !!९!!

------------जय सीयाराम------
रचनाकार - रणदीप कंठीलाल बिसने
मु.सिंदीपार

सिता राम hargovind tembhre 35


मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम,
अयोध्या जेको पावन धाम ll

संस्कार अना नीति जेको काम,
मोरो प्रभु आय श्री राम ll

रघुकुल रीत सदा जो माने,
आज्ञा कारी वचन जो माने ll

राजवंश को आदर्श जो माने,
रघुकुल की मर्यादा ला माने ll

 राम नाम को जो जाप करे,
संकट वोका सीता राम हरे ll

अहंकार मन को पल मा हरे,
जो श्री राम को नाम जापे ll

राज अना प्रजा को भेद हरे,
सीता राम सब कल्यान करे ll

श्री राम की से महिमा न्यारी,
आता करो अयोध्या की तैयारी ll

राम भक्त हनुमान को ध्यान धरो,
भोलेनाथ को आशिर्वाद धरो ll

श्री राम को जो सुमरन करे,
दुख दर्द सब पलमा दूर करे ll
**********************
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

सिता राम mahendrakumar patle 35


आदर्शकी खान(खाण)
(प्रकार:- अभंग)
************************
सतयूगी शान| आदर्शकी खान|
स्वर्णाक्षरी पान| सिता राम||१|| 

पुत्र आज्ञाकारी| प्रजा हितकारी|
गुणी कारभारी| राजा राम||२||

होतो शूरवीर| चलाव् गा तीर|
दुष्मनको शीर| काट टाक्||३||

जानकी की प्रिती| अयोध्याकी किर्ती|
रघुकुल रिती| संभालीस||४||

सिता या जानकी| बेटी वा मानकी|
भार्या वा रामकी| खरी शोभ्||५||

आदर्श वा नारी| गुणी सदाचारी|
रावणला भारी| पड गयी||६||

सिताजीका कर्म| पत्नीको वू धर्म| 
संसारको मर्म| सांगसेती||७||

बनो सिता राम| करो अच्छा काम|
कर्मको गा दाम| तब् भेटे||८||
**********************************
✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले
मु. किडंगीपार पो. ता. आमगाव जि. गोंदिया
ता. ०१/११/२०२०

Monday, November 2, 2020

श्री रवी रहांगडाले

                !! रवी रहांगडाले !!
       संघर्षमय जिवन की प्रेरक कहाणी

       किसी के जिवन मे कितने चढाव उतार आते है, और उन परिस्थितीयो से लढकर जो खुद को साबित करता है तब उसके सफलता की कहानी लिखी जाती है। आज ऐसे हि हमारे समाज के प्रतिभावान एंव मृदुभाषी रवि रहांगडाले के जिवन के संघर्षो की कहानी मै इस लेख द्वारा लिखने का प्रयास कर रहा हूं। यह लेख प्रेरणा है उन प्रतिभावान विद्यार्थीयो के लिए जो आज अपने भविष्य के लिए अथक परिश्रम कर रहे है।

        दि. २८. ०६. १९८५ को ग्राम गोंगले तह सडक अर्जुनी जिला गोंदिया मे एक सामान्य गरिब परिवार मे जन्मे रवी रहांगडाले इनका बचपन ही संघर्षो से भरा रहा। बेटे के भविष्य को लेकर मां चिंतित होने की वजह से रवी को उनकी मां ने मामाजी के यहां शिक्षा के लिये भेजा। रवी की प्राथमिक एंव माध्यमिक शिक्षा मामाजी के गांव आसोली तह+जिला गोंदिया जिल्हा परिषद स्कुल से मराठी माध्यम मे हूयी। आर्थिक परिस्थिती उतनी सक्षम नही रहने की वजह से उन सारी सुविधाओ से रवी वंचित रहे। फिर भी उन्होने १२वी कक्षा मे स्कुल मे प्रथम स्थान अर्जित किया। इस उपलब्धी के लिए उनको भुतपुर्व केंद्रिय मंत्री श्री प्रफुल पटेल द्वारा पुरस्कृत किया गया था।

         पायाभुत शिक्षा के बाद मे उन्होने २००३ मे फुलचुच (गोंदिया) से ITI मे COPA का कोर्स पुर्ण किया। COPA कि पढायी पुर्ण होने के बाद उन्होने २००४ से NMD कॉलेज गोंदिया से इंग्लिश लिट्रेचर मे ग्रॅज्युएशन पुर्ण किया। गोंदिया मे पढायी उन्होने आत्मनिर्भर होकर की है। BA कि पढायी करते करते वह प्रात: और संध्या को बैकुंठ इंस्टिट्युट एंव गोकुल इंस्टिट्युट मे MS- CIT पढाने का काम भी करते थे। इस बिच उन्हे पढाने के लिए १००० रुपये प्रतिमाह तनख्या मिलती थी जिसमे वह अपनी पढायी और रुम का किराया भोजन एंव मुलभुत चिजे करते थे। तिन वर्षो मे उन्होने अथक संघर्ष के साथ ग्रॅज्युएशन पुर्ण किया।

        ग्रॅज्युएशन पुर्ण होने के बाद २००८ मे वह नौकरी की तलाश मे मुंबई गये, और लगभग २० दिन वह नौकरी खोजते रहे, इस बिच उन्हे भुक, प्यास और रहने की सारी समस्याओ का सामना करना पडा। जब वह मुंबई गये तब ना कोई सहारा ना कोई रहने का ठिकाना था फिर भी उन्होने हार नही मानी और वह नौकरी खोजते रहे। २० दिन का अतिसंघर्षमय समय व्यतित करने के बाद उन्हे मुंबई मे ही DSM shooting india limited मे सेल्स ऑफिसर के पद पर ४००० रुपये मासिक तनख्वा की नौकरी मीली जिससे उनका मुंबई मे स्थाईत्व की उम्मिद बढी।

        २००९ मे उन्होने KK birla group मुंबई, ज्वाईन किया और वह वहां SAP consultant के पद पर कार्य करने लगे। रवी अब स्थयी हो चुके थे, इसलिए उन्होने MBA की पढायी करने की तैयारी की। उन्होने २००९ - २०११ इस काल मे उन्होने Marketing & finance मे MBA पुर्ण किया।

       MBA पश्च्यात उन्होने २०११ से  accenture सर्विसेस प्रायव्हेट लिमिटेड मुंबई मे SAP consultant पद पर कार्य प्रारंभ किया। २०१४ मे एटॉस इंडिया लिमेटेड पुणे मे SAP consultant पद पर कार्यभार सम्हाला। २०१७ मे उन्होने IBM INDIA LTD मे SAP consultant, team leader के पद पर कार्य किया। २०१९ से जुन २०२० तक cognizant technology solution ltd. मे  SAP CONSULTANT TEAM LEADER के तौर पर कार्य किया। जुन २०२० मे उन्होने विप्रो लिमिटेड पुणे मे प्रोजेक्ट मॅनेजर की तौर पर कार्य प्रारंभ किया और वर्तमान मे वह Apple प्रोजेक्ट का प्रबंधन कर रहे है।

         बहूत सारे संघर्षो से लढकर आज रवीजी जिस मुकाम पर खडे है वह हम जैसे युवाओ के लिए प्रेरणा है। वही उन्होका समाज के प्रती लगाव दिखाता है की वह कितने सामाजिक भी है... रवीजी २०१० मे मुंबई पोवार समाज संघ से जुडे बाद मे पुणे आने के बाद २०१४ मे पुणे पोवार समाज संघ से जुडे। बाद मे उनका समाज प्रेम देखते हूये उन्हे युवा पुणे पोवार समाज संघ का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होने पुणे मे रहकर समाज उपयोगी करियर गायडंस प्रोग्राम, मिलन समारोह, एंव वार्षिक स्नेहसम्मेलन मे अपना अद्भुत योगदान दिया है। आज वह एक सफल व्यक्ती है एंव उनके स्वभाव मे थोडासा भी अहंकार दिखायी नही पडता। सादगी एंव सरलता से जिवण व्यापन करने वाले श्री रवी रहांगडाले समाज के सामने एक आदर्श उदाहरन है। हम उनके स्वास्थ्य, सफल जिवन एंव उत्कृष्ठ जिवण की कामणा करते है। इन्ही शुभकामनाओ के साथ आप आसमान की बुलंदिये को छुये यही हमारे और से बधाईयां...!!

                 ✍🏻 नितेश एल. भगत
           

Sunday, November 1, 2020

राम सिता y. C. Chaudhari 35

   आदर्शपुत्र

स्मरो या कधा पुरूषार्थ की ,या कथा  सितारामकी,  ।।धृ।।
     
एक पत्नी व्रत की कथा
बंधुक प्रेम की या कथा
आदर्श पुत्रकी या कथा
दशरथ नंदन रामकी।।१।।

बाल पनकी या विरता
ब्राम्हण यज्ञकी पुर्णता
सिता स्वयंवरकी सत्यता
कथा धनुष खंडन की।। २।।

निती कैकयी मंथरा की 
चौदा बरस वनवासकी
भरतला राजा बनावनकी
या नारी जातीकं सोचकी।।३।।

राम सीया बनमा गया
भारीच मृग सुवर्ण भया
लक्ष्मण रेषा पार भया
कथा या सिता हरन की।।४।।

रावन संहार भयोव
आनंद जगमा भयोव
आदर्श  जोड़पा भयोव
 कथा एक पत्नी व्रत की।।५।।

""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...