!! पोवारईन को परिचय !!
! पोवार जाती को इतिहास !
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लेखक अधिवक्ता आर. के. ठाकुर जबलपुर
पोवारी अनुवाद - सोनू भगत, अर्जुनी (तिरोडा)
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वू दिवस याद आवसे जब मी मेंढा अधिवेशन मा अखिल भारतिय पंवार क्षत्रिय महासभा को "पोवार जाती को इतिहास" लिख कर "पंवार परिचय" पुस्तक दान देयेव होतो, बात १९६४ की आय. वहान का काही अंश यन लेख मा पाठक समक्ष प्रस्तुत सेत.
पवित्र, पावन, पावनी वैनगंगा नदी को क्षेत्र मा रव्हने वाला महान परमार उर्फ पोवार/पवार/पंवार बंधु जान शानी भी अनजान सेती की आमी कौन आजन ?
इतिहास मा जगविख्यात अनेक राजवंश भया जो आपलो अद्वितियता ला खंडहर मा प्रतिपादित कर लुप्त भय गया. येकोमा मालवा को परमार वंश (जो भिन्न भिन्न क्षेत्र वैनगंगा घाटी मा बसी से) आपलो समय मा (ई. ८०० से ई. १३०० तक) उच्चता को अग्रिम शिखर पर विद्यमान होतो. उनकी राजधानी पहले उजैन अना बाद मा धार रही. चक्रवर्ती महाराजधिराज विक्रमादित्य जिनन विक्रम संवत चलाय शानी यन पोवार वंश ला सुशोभित कर अमर भय गया. राजर्षी भर्तहरी, महाराज मुंज ( वाक्पति मुंज ), सुविख्यात, शिक्षाविद महाराजा भोज, जगदेव आदी यन पोवार वंश मा पलीत भया, अना भारत वर्ष ला वोन समय दिव्य प्रकाश को मार्ग देखाईन. पोवारईन न मौत को मरुस्थल राजस्थान मा राज्य करिन. सिंध पासुन अरावली पर्वत तक, महाखारी झील (great salt lake) तक पोवारईन को साम्राज्य होतो. १०१८ मा राजा भोज न आपली राजधानी उज्जैन लका धार स्थलांतरित करिस. तब पासुन "जहां धार वहां पंवार", "धार बिन नही पंवार" अना "नही पंवार बिन धार" असी किंद्वती प्रसिद्ध भयी.
*आमी पोवार कुलोत्पती पर आवसेजन*. क्षत्रियो का ३६ प्रकार का राजपुत-सुर्यवंशी, चंद्रवंशी, रघुवंशी(शिसोदिया), यदूवंशी (भारी), परमार उर्फ पोवार, तोमर, ऱाठौड, कच्छवाह, चौहान, सोलंकी, परिहार, चावरा (चौरा), नागवंशी, हून, बाला, जाला, गोहिल, सिलाट, बुंदेला, सेंगर, सिकरवाल, बसिस, दहिया, जाहिया, निकुंभ, गजपती, अना दाहिमा मा ६ इतिहास प्रसिद्ध भया जेकोमा पोवारईन को स्थान महत्वपुर्ण रहेव. पोवार जाती की कुलोत्पती दुर्लभ ताम्रपत्र, शिलालेख, पद्मगुप्त, परिमल कवी को अनुसार निन्म प्रकार लका बनाई गयी से। भारत मा जब शांतीप्रिय जीवन दुष्कर भय गयोव तब की बात आय, विश्वामित्र अना वशिष्ठ मुनी की गाय अना ग्रंथ अपहरण दुष्ट लोगईन न करिन तब उनला प्राप्त करन हेतू आबु पर्वत पर गंगाजल द्वारा मंत्रोच्चारण कर 'दुब' नामक गवत ला चार भागईन मा विभक्त कर संजिवन मंत्र द्वारा यज्ञ को अग्णिकुंड लका एक महाविर तेजस्वी पुरुष को आव्हान करिन, जेन मार- मार की गर्जना कर दुष्टईनको संहार करिस. दूष्टो लोगिइनको संहार करेव पर वन तेजस्वी पुरुष को नाव 'परमार' पडेव. यन प्रकार परमार/पोवार वंश की कुलोत्पती भई. अग्णिकुंड लका उत्पत्ती भयोव लका अग्णिवंशी कहलाया, अना कुल को नाव परमार उर्फ पंवार/पोवार भयोव. उत्पती को मुल कारण वशिष्ठ मुनी रहेव लका गौत्र वशिष्ठ भयोव. गद्दी धार को नाव लका प्रशिद्ध भयी. जेला लाल कपडा पर पवनपुत्र हनुमान को चिन्ह, अना मंत्र "ॐ नम: शिवाय:" देयेव गयोव. केसरिया रंग को कपडा पर सुर्य अना गरुड को ध्वजा रही से। आमरो समाज अज केसरिया रंग पर ढाल तलवार अंकित करसे।
_बालाघाट जिला को शासकिय पत्र दि. १८/११/१९०६-६३-९९ पर पोवारईन की उत्पत्ती को संदर्भ मा लिखी से की एक पुजारी न देवी को सन्मुख आपलो शिश काटिस वोको कृत्य लका चार प्रकार की क्षत्रिय जातिया उत्पन्न भयी, धड लका धाकड, शिश लका पोवार, रक्त बुंद लका "बुंदेला, अना रक्त लका चौहान. आबु पर्वत लका उत्पन्न पोवारईन की कई उपजातिया/कुर (सरनेम) बन गयी. भाष्कर पुराण को अनुसार पोवारईन की ४१ (सरनेम) सेती. गौतम, पारधी, बिसेन, ठाकुर, पटल्या(पटले), चौधरी, डाला, पुंड, चौहान, राणा, बघेल, बोपच्या (बोपचे), सेंड्या(कटरे), जान, रहमत, हनवत, टेंम्बया(टेंभरे), सिरसागर, परिहार, अम्मुल्या(अंबुले) सहाया(सहारे), पहिहण, भैरम(भोयर), भगत, तुर्क(तुरकर), जैतवार, रंक्षार, रेतवार, रंदौबार, भान, राहंगडाल्या(राहांगडाले), शरनागत, सोनेवाणे, ज्ञानबोले, उदकुर, बखाम, हरिणखेडे, कोल्हे(कोरकु) यन प्रकार की ४१ उपजाती होती. ठाकुर, चौधरी गाव का मुखिया कहलावत होता, पटल्या(पटले) महाजन होता, सोनेवाने पोवारईन की अग्णिशुद्धी करत होता. बोपचे, कोल्हे, भोयर कृषक अना पारधी शिकारी वर्ग का होता.
विभिन्न शिलालेख प्रशस्तिया ऐतिहासीक ग्रंथ जसो नागपुर शिलालेख, तिरोडी प्रशिस्ती को सुम्बाग्राम (ई. ५२५), सुमांधता ताम्रपत्र (१२२३), गांधवानी ताम्रपत्र (ई. ९७४), संबलपुर ताम्रपत्र (ई. ९७९), कधुवारुपी पत्र(ई. १३२६) भांडकपत्र को अनुसार पोवार जाती नर्मदा अना वैनगंगा को तराई(घाटी) मा अपलो उद्भव काल ई. ८०० से ११०० पासुन विद्यमान होती. औरंगजेब बादशाह को शासनकाल मा आमी रामटेक, नगरधन, नागपुर, आंबागढ, चांदा(चंद्रपुर), भंडारा, बालाघाट, शिवनी जिलाईन मा बस्या. वन समय को नागपुर को शासक रघुजी भोसला न पोवारईन न कटक युद्ध मा अद्वितिय पराक्रम, शुरविरता देखाईन अना लढाई मा जित दर्ज करिन. राजा प्रसन्न भयोव अना वैनगंगा घाटी क्षेत्र पोवारईन ला भेट स्वरुप देईस. वन समय मा सातपुडा का भयंकर जंगल होतो. आमी पोवारईन न बाहूबल लका यन क्षेत्र ला आबाद कऱ्या; अना देश को श्रेष्ठ चावल (धान) प्रदेश बनाया.
आधुनिक काल ईस. १८८०-८१ तक शताब्दी मा समाज को एक महासभा को गठन भयोव होतो जेको कार्यो को लेखा जोखा बहूत ही आंशिक रुप मा लिख रही सेव.
• १८८०-१८९२ श्री लखाराम तुरकर प्रथम आधुनिक लेखक
• १९०९ स्व. टुंडिलाल पोवार को प्रथम सामाजिक भाषण, स्व. जिवणा पटेल इनको अध्यक्षता मा.
• १९१३- बैहर मा पोवार समाज द्वारा राम मंदिर की स्थापना अना महासभा को अधिवेशन
• १९१८ - बालाघाट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड समाज को प्रतिनिधित्व स्व. श्री सि. डी. गौतम द्वारा
• १९२१- सामाजिक उत्थान, विवाद आदी पर महासभा को प्रस्ताव अना नियम.
• १९२३- ग्राम काटी (गोंदिया जवळ) मा महासभा को अधिवेशन
• १९२५- वाराशिवनी मा महासभा को अधिवेशन
• १९२७ - ग्राम बेलाटी (तिरोडा समिप) महासभा को अधिवेशन
• १९२६ - समाज मा कोनी वकिल नव्हतो
• १९२७- स्व. बि. एम. पटेल गोंदिया, पोवार समाज लका प्रथम वकिल भया.
• १९३१- चिंतामन राम गौतम वकिल बन्या.
• १९२६ - डिस्ट्रिक्ट बोर्ड बालाघाट मा स्व. रा. ब. टूंडिलाल पंवार अध्यक्ष अना स्व. सि. डी. गौतम सचिव बन्या.
• १९३१ पासुन १९४१ पर्यंत महासभा को कार्य सुप्त रहेव्ह.
• १९४१ से १९४९ तक ऐकोडी, जेवनारा, जामखैरी की सभाईन मा शिक्षा पर बल देयोव गयोव, स्वराज प्राप्त भयोव को पश्च्यात महासभा १९४९ पासुन १९६१ तक सुप्त रही.
• १९६१- ग्राम अतरी मा स्व. गोपाल पटेल कजई को अध्यक्षता मा स्व भोलाराम पारधी को सहयोग मा महासभा की बैठक भयी जेकोमा अध्यक्ष न ओजस्वी भाषन देईस.
• १९६२- ग्राम सातोना मा महासभा को अधिवेशन स्व. ओझी राहांगडाले को स्वागत, समाज मा एकता को आव्हान.
• १९६३ - महासभा को अधिवेशन मा शिक्षा पर जोर.
• १९६४ - ग्राम मेंढा (तिरोडा) को अधिवेशन मा तत्कालिन महासभा का अध्यक्ष स्व. आर. के. ठाकुर न आपली हस्तलिखित पांडूलिपी "पंवार परिचय" समाज ला प्रदान करीस.
• १९६९ - बैहर मा सभागृह को निर्मान, स्व. तेजलाल टेंभरे की निर्मान कमीटी को अध्यक्षता मा संपन्न.
• १९७१- गंगाराम पटेल खपडिया, राम मंदिर कमेटी बैहर, अध्यक्ष को रुप मा सहयोग सराहनिय रहेव्ह.
• १९८४ - श्री मुन्नालाल चौहान इनको अध्यक्षता मा आमगाव मा महासभा को अधिवेशन.
• १९९२ - श्री देवीसिंह ठाकुर शिवनी को अध्यक्षता मा बरघाट मा महासभा को अधिवेशन.
लेखक को समाज ला संदेश :- याद ठेवो पोवारी संस्कृती आपली धरोहर आय जो आमला पवित्र ठेवसे, वला समय को थपेड मा विकृत नोको करो, वला बढाओ, विकसित करो, यन शब्द को संग आपलो सबको धन्यवाद करुसु अना आपलोला निवेदन करुसु की आपली गरिमा कायम ठेयशानी गर्व लका जिओ अना जिवन देव. जय हिंद...!!!
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- सोनू भगत
niteshbhagatpawar.blogspot.com
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